Poem About Education in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन Poem on School in Hindi एवं Shiksha Poem in Hindi में दिया गया हैं. यह सभी शिक्षा के महत्व पर कविता हमारे महान हिंदी के कवियों द्वारा लिखी गई हैं. यह सभी कविताएँ हमारे स्कूल में पढने वाले छात्रों के लिए भी सहायक होगी. क्योकिं स्कूलों में छात्रों को Poem About Education in Hindi और Poem on School in Hindi में लिखने को कहा जाता हैं.
शिक्षा से हमारी जिन्दगी सुन्दर और सरल बनती हैं. शिक्षा के अभाव से हमारा जीवन शुन्य जैसे हो जाता हैं. अगर इन्सान शिक्षा को अपना परम मित्र बना लें तब उसका जीवन आनंदमय हो जाता हैं. शिक्षा ऐसी चीज हैं जिसे हम धन से प्राप्त नहीं कर सकते हैं. यह किसी से छीन नहीं सकते शिक्षा वह धन हैं. जो हमारा साथ किसी भी प्रस्थिति में नहीं छोड़ता हैं. यहाँ पर दी गई Hindi Poems for Students के लिए बहुत ही सहायक हैं.
हमारे जीवन में शिक्षा का इतना महत्व हैं. की इसे जीवन का आधार और गहना माना गाया हैं. अगर हमें जीवन में कुछ बनना हैं. और दुनिया के लिए कुछ अच्छा करना हैं. तो हमें अच्छी शिक्षा लेना जरुरी हैं. नहीं तो आपने वह कहावत तो सुनी होगी. “काला अक्षर भैंस बराबर” इसलिए हमें उतम शिक्षा लेने की कोशिश करनी चाहिए.
अब आइए कुछ नीचे Poem about Education in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. और हमें उम्मीद हैं की यह Motivational Poem for Students in Hindi और Poem On School in Hindi में आपको पसंद आएगी. इस शिक्षा के महत्व पर कविता को अपने Friend के साथ Share भी करें.
शिक्षा के महत्व पर कविता, Poem About Education in Hindi, Poem on School in Hindi
1. Poem About Education in Hindi – शिक्षा वैसी हो जिससे हो सके चरित्र-निर्माण
शिक्षा वैसी हो जिससे हो सके चरित्र-निर्माण,
जब होगा चरित्र-निर्माण तभी बनेगा भारत महान
शिक्षा अलख जगाती है, मानवता निर्मात्री है,
मनसा-वाचा-कर्मणा मानव को राह दिखाती है।
भाग-दौड़ की इस जिंदगी में स्थान हो शारीरिक शिक्षा का,
पाठ्यक्रम में स्थान हो योग-ध्यान-प्राणायामादि शिक्षा का
शरीर से चुस्त और मन से स्वस्थ रहना अत्यावश्यक है,
अन्यथा नई पीढ़ी जवानी में ही प्राप्त करेगी वृद्धावस्था को संभव है।
शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक विकास का माध्यम हो शिक्षा,
रोजी-रोटी के साथ-साथ जो कर्त्तव्य-ज्ञान दे वो हो शिक्षा
अहंकारी, प्रमादी, मर्यादा-च्युत होने से जो बचाए वैसी हो शिक्षा,
चरित्रहीन,उद्दंड, प्रपंची होने से जो रोके वैसी हो शिक्षा।
भौतिकता को रोके बौद्धिकता को जो बढ़ाये वैसी हो शिक्षा,
अज्ञानता को दूर करे राष्ट्रभक्ति जो सिखाए वैसी हो शिक्षा
सामाजिक विकृतियाँ रोके उन्नति को प्रेरित करे वैसी हो शिक्षा,
सेवा, दया, अपनत्व, सहिष्णुता जो बढाए वैसी हो शिक्षा।
मानवजीवन के परम लक्ष्य को जो प्राप्त कराये वैसी हो शिक्षा,
राष्ट्र-निर्माण में जो सहायक हो वैसी हो शिक्षा
केवल आत्मोन्नति और जीविकोपार्जन का लक्ष्य ही न हो शिक्षा,
आजीविका के साथ ही जो नैतिकता का भी ज्ञान कराये वैसी हो शिक्षा।
मानव का जो सम्पूर्ण विकास कराये वैसी ही शिक्षा,
सामाजिक व्यवहार सिखलाये जो वैसी हो शिक्षा
अज्ञानता के बंधन से जो मुक्त कराये वैसी हो शिक्षा,
छात्रों में जो सुसंस्कार भरे वैसी ही हो शिक्षा।
केवल साक्षरता और जीवन-यापन का उद्देश्य न हो हमारी शिक्षा,
जाति-धर्म-संप्रदाय से जो ऊपर उठाये वो हो शिक्षा
तमोगुण, रजोगुण का नाश कर जो सत्वगुण प्रदान करे वो हो शिक्षा,
मूल्यपरक ज्ञान प्रदानकर आदर्श-नागरिक-निर्माण का ध्येय हो शिक्षा।
आशीष कुमार सिंह
2. Hindi Poems For Students – अधकार को दूर कर
अधकार को दूर कर जो प्रकाश फैला दे।
बुझी हुई आश मे विश्वास जो जगा दे।।
जब लगे नामुमकिन कोई भी चीज।
उसे मुमकिन बनाने की राह जो दिखा दे वो है शिक्षा।।
हो जो कोई असभ्य, उसे सभ्यता का पाठ पढ़ा दे।
अज्ञानी के मन में, जो ज्ञान का दीप जला दे।।
हर दर्द की दवा जो बता दे.. वो है शिक्षा।
वस्तु की सही उपयोगिता जो समझाए।।
दुर्गम मार्ग को सरल जो बनाए।
चकाचौंध और वास्तविकता में अन्तर जो दिखाए।।
जो ना होगा शिक्षित समाज हमारा।
मुश्किल हो जाएगा सबका गुजारा।।
इसानियत और पशुता के बीच का अन्तर है शिक्षा।
शाति, सुकून और खुशियों का जन्तर है शिक्षा।।
भेदभाव, छुआछुत और अधविश्वास दुर भगाने का मन्तर है शिक्षा।
जहाँ भी जली शिक्षा की चिंगारी, नकारात्मकता वहा से हारी।।
जिस समाज में हों शिक्षित सभी नर-नारी।
सफलता-समृद्धि खुद बने उनके पुजारी।।
इसलिए आओ शिक्षा का महत्व समझे हम।
आओ पूरे मानव समाज को शिक्षित करें हम।।
Jyoti Singh Dev
3. Motivational Poem For Students in Hind – बहुत ज़रूरी होती शिक्षा
बहुत ज़रूरी होती शिक्षा,
सारे अवगुण धोती शिक्षा.
चाहे जितना पढ़ ले हम पर,
कभी न पूरी होती शिक्षा.
शिक्षा पाकर ही बनते है,
नेता, अफ़सर शिक्षक.
वैज्ञानिक, यत्री व्यापारी,
या साधारण रक्षक.
कर्तव्यों का बोध कराती,
अधिकारो का ज्ञान.
शिक्षा से ही मिल सकता है,
सर्वोपरि सम्मान.
बुद्धिहीन को बुद्धि देती,
अज्ञानी को ज्ञान.
शिक्षा से ही बन सकता है,
भारत देश महान.
4. Shiksha Poem in Hindi – ऐसी कोई करें पढ़ाई
ऐसी कोई करें पढ़ाई,, जिससे कोई ना जी चुराए ।
नई-नई हों बातें उसमें, सारी बातें मन को भाएँ ।।
बोझ हमें क्यों लगे पढ़ाई, मन कभी भी टिक ना पाए।
कितना कुछ भी याद करें हम, फुर्र से गायब हो जाए ।।
दे कोई ऐसा ज्ञान हमें भी, मन की गाँठें खुलती जाएँ।
जिज्ञासा हो शान्त सभी की, भीतर का तम मिटता जाए ।।
मिलकर ऐसी करें पढ़ाई, सबका मन ललचाता जाए ।
फिर कुछ करेंगे जग की खातिर, सबका घर रोशन हो जाए ।।
दीनदयाल शर्मा
5. Poem on School in Hindi – ज्ञान का भंडार हैं जहां
ज्ञान का भंडार हैं जहां।
इससे बेहतर जगह है कहां।।
पुस्तकों की यहां कमी नहीं।
ज्ञान की जहां अल्पता नहीं।।
गुरु का साथ है यहां।
मेरा विद्यालय से बेहतर विद्यालय है कहांं।।
ज्ञान का मंदिर है ये।
मेरे लिए जन्नत है ये।।
दोस्तों का साथ यहां।
जिंदगी का आनंद यहां मिला।।
यहां आकर ऐसा लगता।
जैसे देख लिया हो काला सपना।।
बच्चों के लिए है कोई जेल जैसा।
अपने लिए है जिंदगी का बड़ा कोना।।
शिक्षकों की डांट मिलती।
जिंदगी हमेशा कुछ नया सिखाती।।
रोज का वो लड़ाई झगड़ा।
फिर से एक हो जाना।।
कोई स्कूल जाने से डरता।
तो किसी की इच्छा नहीं होती।।
हर रोज कुछ नया सिखाता।
ऐसा है मेरा विद्यालय।।
6. Poem About Education in Hindi – नया-नया स्कूल खुला है
नया-नया स्कूल खुला है
चलो पढ़ाई करने को।
छोड़ो झगड़ा, वक्त पड़ा है
बहुत लड़ाई करने को।
क ख ग से क्ष त्र ज्ञ तक?
जल्दी-जल्दी पढ़ना है,
ए बी सी डी पढ़कर हमको
सबसे आगे बढ़ना है,
पढ़-लिखकर ही लोग मिलेंगे
हमें बड़ाई करने को।
अम्माँ को भी, बापू को भी
अलग-अलग समझााना है,
अपढ़ नहीं रह जाएँ वे,
स्कूल उन्हंे पहुँचाना है,
छोटों को ही आना होगा
अब अगुआई करने को।
रहे अँगूठाछाप बहुत दिन
तक, अपने ये घर वाले,
पर अब जोत जगाँगे
अक्षर की हम अक्षर वाले,
सही रास्ता दिखलाएँगे
सही कमाई करने को।
7. Hindi Poems For Students – आम और पीपल के छाव
आम और पीपल के छाव अब स्कूलों में नहीं मिलते,
कैफेटेरिया का चलन नया है पर यहां चनाचुर नही मिलते,
वक़्त के पाबन्द आज भी है स्कूल,
पर पुरानी घण्टियों के धुन नहीं मिलते…
श्यामपट्ट गोरी हो गई पर वो चॉक नहीं मिलते,
ICT और Plagiarism का बढ़ा है क्रेज़,
तभी किताबों में अब मोरपंख नहीं मिलते..
कक्षा में सब है पर ‘सर’ को ‘गुरुजी’ जैसे मान नहीं मिलते…
एकलव्य है या नहीं ढूंढो कि आयोदधौम्य को शिष्यों पर आज हक़ नहीं मिलते,
बैठक के तरीकों पर है जोड़ पर आज खुली हवा में वर्ग नहीं लगते,
पढ़ाने की शैली पर भी खूब हुआ है शोध,
पर कौशल ज्ञान पर हो सके जोड़, उस अनुकूल गुरुकुल के परिवेश नहीं मिलते…
लकड़ी तोड़ते कृष्ण,
मेड़ पे लेटे आरुणि,
भिक्षाटन करते राम,
अर्थात एक्सपीरिएंसल लर्निंग का कांसेप्ट तो हुआ है हिट,
पर आज जिनके वाकई मतलब हो,
वो एक्सपीरियंस नहीं मिलते…
आम और पीपल के छाव अब स्कूलों में नहीं मिलते,
कैफेटेरिया का चलन नया है पर यहां चनाचुर नही मिलते,
वक़्त के पाबन्द आज भी है स्कूल,
पर पुरानी घण्टियों के धुन नहीं मिलते…
सन्नी कुमार ‘अद्विक’
8. Motivational Poem For Students in Hindi – शिक्षकों की यहां है भरमार
शिक्षकों की यहां है भरमार।
हर रोज कुछ अलग बताते।।
नहीं सुनने पर इनकी।
पड़ती थी वो प्यारी मार।।
एक के बाद एक शिक्षकों का आना।
कुछ अलग विषयों का बताना।।
कोई शिक्षक लगता प्यारा।
तो कोई प्यार करता बच्चो को खूब सारा।।
हर किसी की जिंदगी यहां संवरती।
हर किसी को सही रास्ता ये बतलाता।।
एक बार आने के बाद जिसे कोई भूल नहीं सकता।
ऐसा है मेरा प्यारा विद्यालय।।
शिक्षक हमें मेथ समझाते।
फिर हम आपस में खूब ज्ञान बाटते।।
विज्ञान का ज्ञान हमें दिया जाता।
फिर कभी हम भी जादूगर बन जाते।।
अपना पर्यावरण है कितना प्यारा।
यह हमें शिक्षक बताते।।
फिर हम सब मिलकर।
कभी चित्रकारी भी करते।।
अनुशासन है यहां तगड़ा।
कभी उलंघन न कोई करता।।
मंदिर स्वरूप यह कहलाया।
आखिर इसने हर किसी की जिंदगी को जो सवारा।।
ज्ञान का भंडार हैं जहां।
इससे बेहतर जगह है कहां।।
गुरु का साथ है यहां।
मेरा विद्यालय से बेहतर विद्यालय है कहां।।
9. Poem On School in Hindi – शिक्षा एक अनमोल रत्न है
शिक्षा एक अनमोल रत्न है,गली-गली लगाओ नारा ।
एक साथ सब मिल–झुलकर,बोलो शिक्षा का जयकारा ।।
शिक्षा ही महान बनाती, शिक्षा ही जीना सिखाती ।
बिन शिक्षा पशु है मानव फैला दो ये बात जग सारा ।।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।
शिक्षा जैसा दान नही, शिक्षा से बडा कोई काम नही ।।
शिक्षा से ही जमीर जागता, शिक्षा से ही अज्ञान भागता ।
जब शिक्षित होगा नर-नारी, तभी मिटेगी दिक्कत सारी ।।
शिक्षा से ही तन मन खिलता,फैला दो ये बात जग सारा ।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।।
शिक्षा से लोभ, लालच मिटे तृष्णा, शिक्षा से ही मिले कृष्णा ।
शिक्षा से संस्कार मिले, शिक्षा से शिष्टाचार मिले ।।
शिक्षा से ही दौलत आती, शिक्षा ही मुकाम दिलाती ।
शिक्षित व्यक्ति भूखा नही रहता, फैला दो ये बात जग सारा ।।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।
शिक्षा में असली जान है, शिक्षा गीता का ज्ञान है ।।
शिक्षा में छुपे प्रकृति के राज,जिसे कहते हम विज्ञान है ।
शिक्षा से ही राज मिले, शिक्षा से ही ताज खुले ।।
शिक्षा ही इतिहास पलटती, फैला दो ये बात जग सारा ।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।।
जब पढोगे, तभी बढोगे, बनोगे एक दूजे का सहारा ।
विकास के पथ पर चलना है तो, खत्म करो नफरत का अंगारा ।।
शिक्षा ही बाईबल का कोना, शिक्षा ही मक्का मदीना ।
शिक्षा ही वेदों का सार, शिक्षा ही रब का दरबार ।।
शिक्षित ही अधिकार मांगता, फैला दो ये बात जग सारा ।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।।
शिक्षा ही स्वरूप बनाती, शिक्षा ही राह दिखाती ।
शिक्षा दीपक की वो लौ है,जो राज खोलती तिलिस्म का सारा ।।
लिख फलसफा तकदीर का, बहा देती अमृत की धारा ।
शिक्षा रही है हिन्द की धरोहर, शिक्षा पवित्र जैसे मानसरोवर ।।
फिर शिक्षा में क्यों पिछडे हम, फैला दो ये बात जग सारा ।
गली-गली लगाओ नारा, शिक्षा से मिटता अंधियारा ।।
10. Shiksha Poem in Hindi – माँ मुझको किताब मंगा दो
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
सीख सीख कर सारी बातें, तुमको भी बतलाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।
पांच जन्मदिन बीत गए हैं, अब स्कूल जाना है।
पढ़ लिखकर बनूँगा अफसर, ऐसा मैंने ठाना है।।
बैठके ऊंची कुर्सी पर, मैं भी हुकुम चलाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।।
गणवेश का कपडा लाना, अच्छे दर्जी से सिलवाना।
जूते मोज़े और स्वेटर, अपने हाथों से पहनाना।।
पहनकर कोट सबसे ऊपर, मैं भी टाई लगाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।।
बस्ता लाओ अच्छा सुंदर, छपा हो जिसपे भालू बंदर।
रबर पेन्सिल और किताबें, मम्मी रखना उसके अंदर।।
जेब में रखकर दस का नोट, मैं भी चिज्जी खाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।।
पढ़ लिखकर हम बने महान, पूरा हो सर्व शिक्षा अभियान।
माता पिता और गुरुजन का, बढ़ जाये देश का मान।।
पढ़े भारत बढे भारत, मैं ये बीड़ा उठाऊंगा।
माँ मुझको किताब मंगा दो, मैं भी पढ़ने जाऊंगा।।
राजेश कुमार अर्जुन
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