Poem on Maths in Hindi, Funny Poem on Maths Teacher in Hindi

Poem on Maths in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में Funny Poem on Maths Teacher in Hindi का कुछ संग्रह दिया गया हैं. यह सभी Maths Kavita को हमारे लोकप्रिय कवियों ने लिखा हैं.

गणित एक महत्वपूर्ण विषय हैं. जिसे एक कठिन विषय माना जाता हैं. गणित विषय से काफी डर लगता हैं. गणित के सूत्र से बड़े से बड़े कठिन सवालों का हल निकल जाता हैं. किसी को गणित विषय आसान लगता हैं. तो किसी को चक्रव्यूह के समान लगता हैं. और वह गणित के सवालों में उलझ जाते हैं.

अब आइए नीचे कुछ Poem on Maths in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Funny Poem on Maths आपको पसंद आएगी. इस Maths Par Kavita को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

Poem on Maths in Hindi, Funny Poem on Maths Teacher in Hindi

Poem on Maths in Hindi

1. Maths Kavita

अब मैं जीवन के इस मोड़ पर
रोजमर्रा के गणित से डरती हूँ
तुम्हारे और मेरे बीच होने वाले दौराहे
से वापिस मुड़ जाती हूँ
प्रेम में भी त्रिकोण से डरती हूँ
ज्यामिति की उन सब आड़ी तिरछी रेखाओं से
जो कभी मुझे किसी असीमित छोर पर न ले जाए
और कभी कभी अपने मन के
उलझे सुलझे आंकलन से भी डरती हूँ
सीधी लाइन भी समांतर हो जाती है
अब यह भी मुझे डराती है
सम्भावना के मूल्यांकन अब खुशी नहीं देते मुझे
मैं अब ग्राफ के जंजाल में कहाँ फंसती हूँ
किताबों के गणित में हमेशा प्रथम रही मैं
अपनी जिंदगी की द्वितीय श्रेणी में सफर करती हूँ
सुनो, यूँ तो सुलझा लेती हूँ मेट्रिक्स भी
पर वर्ग और वृत की सतहों में घिरती हूँ
हाँ, अब मैं जिंदगी के गणित से डरती हूँ.

2. Maths Par Kavita

जीवन एक गणित है, इसे बनाना पड़ता है
कभी करते हैं जोड़ तो, कभी घटाना पड़ता है
चलती नहीं कभी समांतर, ऊंच नीच हो जाते हैं
सम विषम के खेल में, कितने आड़े आते हैं
कभी सुख की बिंदु पाते, तो वक्र का दुख भी होता है
आड़े तिरछे जीवन रेखा, अश्रु बीज फिर बोता है
कभी करते हैं गुणा तो, भाग भी करना पड़ता है
जीवन के इस गणित को, हल भी करना पड़ता है ।

3. Funny Poem on Maths 

होड़ मची संख्याओं के बिच, है कौन सबसे महान
किसकी पूजा हो पहले, किसकी हो पहले पहचान
सब अपनी करते थे बड़ाई, फिर उनमें हो गई लड़ाई

किसी की बुद्धि काम न आई, फिर सबने मिलकर सभा बुलाई
जज बने युनिवर्सल दादा, इम्पटी, सिंगल्टन, पेपर, सबसेट
सब थे मध्य मौजूद, अकड दिखाकर जीरों बोला
अपनी वकील हूँ मैं खुद

संख्याओं ने तब कहा विनय से-
हे युनिवर्सल दादा ! जरा करें हम सबकी पहचान
जीरों अकड रहा है कब से, दिखा रहा है जूठी शान
मुछ पर अपनी ताव देकर अकड़कर फिर जीरों बोला- हाँ हाँ हाँ

जिस पर मेरी नजर बढ़े, हो जाए वो मालामाल
जिस पे मेरी नजर चढ़े, पल में कर दूँ उसकों कंगाल
आगे किसी के जब लग जाऊं, एक को मैं दस बनाऊ
अगर पीछे कभी ना आऊ, फिर मैं उनका भाव घटाऊ

भाग लगे जब किसी को मुझसे, खजाना हो उसका अनन्त
गुणा करो जब किसी किसी को मुझसे, कर देता उसका अंत
जन्म हुआ भारत में मेरा, पूरे विश्व ने अपनाया

जब चाहा किसी को जीरो, और किसी को अनन्त बनाया
संख्याओं के इलेक्शन में, फिर जीरो का हुआ सलेक्शन
सब संख्या लौटे अपने घर दादा से लेकर बनेडिक्शन

4. Poem on Maths in Hindi

मुझे भिन्न कहते है
किसी पांचवी क्लाश के क्रुद्ध बालक की
गणित पुस्तिका में मिलूगी
एक पाँव पर खड़ी डगमग
मैं पूर्ण इकाई नही
मेरा अधोभाग
मेरे माथे से जब भारी पड़ता है
लोग मुझे मानते है ठीक ठाक
अंग्रेजी में प्रॉपर फेक्शन

अगर कही गलती से
मेरा माथा
मेरे अधोभाग पर भारी पड़ जाता है
लोगों के गले यह नही उतरता
और मेरे माथे पर बट्टा लग जाता है
इम्प्रॉपर फेक्शन का

क्या माथा अधोभाग से भारी होना
इतना अनुचित है मेरे मेरे मालिक मेरे आका?
क्या इससे बढ़ जाती है मेरी दुरुहता?
कितने बरस और अभी रहेगे आप
इस पांचवी कक्षा के बालक की मनोदशा से?
लगातार मुझे कांटते छांटते

गोदी में मेरी
नन्ही इकाइयां बिठाकर
वही लगड़ी भिन्न बनाते
फिर होल नम्बर फलां बटा फला ?

कब तक बाँटना कब तक छांटना
देखिए मुझे अंतिम दशमलव तक
फिर कहिये, क्या मैं बहुत भिन्न हूँ आपसे ?

5. Maths Kavita

एक दो तीन चार
आज शनि है कल इतवार
पांच छः सात आठ
याद करुगा सारा पाठ
इसके आगे नौ और दस
हो गई गिनती पूरी बस

6. Maths Par Kavita

सूझ-बूझ से गणित को सरल बनाना पड़ता है
कभी जोड़ना पड़ता है तो कभी घटाना पड़ता है
गुणाकार और भागाकार खूब किया जाता है
मगर जीवन का शेष, अंत में शून्य ही आता है

जीवन एक वृत्त है और ख़ुशी उसका केंद्र बिंदु
जीवन को बड़ा बनाने के लिए खूब पैसा कमाते है
स्वास्थ्य की परवाह किये बिना जी जान लगाते है
हकीकत में हम खुशियों से बहुत दूर हो जाते है.

जीवन रुपी गणित के समस्या रुपी सवाल
हर किसी की जिंदगी में आते है,
इन समस्याओं से हम भाग नहीं पाते है
थोड़ी कोशिश करने पर इसका हल पाते है.

7. Funny Poem on Maths 

गणित के पन्नों में तू
इश्क खोजा करती है.
खुद सवाल बनकर
अपने आप से उलझा करती है.
मैं तो एक स्टेप बढ़कर
खुद सिंगल समीकरण हो जाता हूँ.
x ,के बीन y कहाँ निकाल पाता हूँ.
मेरी ग्राफ का क्या पता?
उसी लाइन से होकर
तेरी गली से गुजर जाता हूँ.
जोड़-घटा के प्रेम
शून्य सा कर जाता हूँ.
जहाँ से चला मैं
वहीं लुढ़क जाता हूँ.
अपने को हमेशा बराबर के बाहर पाता हूँ.
तेरी तस्वीर को सर्वंग्समता करता हूँ.
तुम खुद समरूप हो जाती है
ज्यामिति के बीन त्रिकोणमिति
कहाँ बन पाती है.
मैं भी तो तुम्हारी प्यार में
थीटा कोण पर झुक जाता हूँ.
तुम बेश हुआ करती हो
मै ह्यपोटेनुस हो जाता हूँ.
मैं उन्नयन कोण पर जाता हूँ.
तू अवनमन कोण चली जाती है.
मै तनहा हो जाता हूँ
तुम टेन से कट हो जाती है
ख़ामख़ा
तू मौसम की तरह बरष जाती है.
मल्टीपल मिलन
क्रॉस कर जाती है.
जब भाग न लगे तो
परिमेयकरण से साथ हो जाती है.
एक दूजे की चाहत
गणित के पन्नो में दफन हो जाती है.
हल तो सैकड़ो प्रश्न होते हैं
परन्तु जीवन का गणित कभी न हल हो पाता है.
पढ़ते-पढ़ते कितने सदी गुजर गए
कभी प्रेम-गणित पूरा न हो पाता है.
कुमार राकेश

8. Poem on Maths in Hindi

था एक छोटी उम्र का नौजवान,
श्रीनिवास रामानुजन है जिसका नाम,
भारत माँ की गोद में जन्मा
सदी का एक सुपुत्र महान।

बचपन में थी कुछ ऐसी लगन
संख्याओं में थी उसकी जान,
बड़ी-बड़ी समीकरणों को
पल में कर देता था आसान।

असम्भव को बना सम्भव
दर दिखाया वो नादान
हार्डी भी हो गया था अचंभित
देख उसके परिणाम।

जाने कैसे हल करता था
सरस्वती माँ का था उसपे अनोखा वरदान
छोटे से जीवन अंतराल में
गणित को दे गया एक नई पहचान।

हैरान थी दुनिया देख उसकी योग्यता
महान गणितज्ञ भी करते थे सलाम
उस जैसा ना था ना होगा कभी अरूण
दिखा दिया उसने करके ऐसा काम.
अरुण कुमार गर्ग

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