William Shakespeare Poems in Hindi – यहाँ पर आपको विलियम शेक्सपियर की प्रसिद्ध लोकप्रिय और काफी मसहुर कविता को दिया गया हैं. इन सभी कविताओं को लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
विलियम शेक्सपियर एक महान अंग्रेजी कवि काव्यात्मकत, नाटककार, और अभिनेता थे. इनका जन्म 23 अप्रेल 1564 को हुआ था. Shakespeare में एक उच्च कोटि की सृजनात्मक प्रतिभा थी. मानो उनको प्रकृति से वरदान मिला हो. इनके पिता का नाम जॉन शेक्सपियर और माता का नाम मेरी आर्डेन था.
अब आइए William Shakespeare Poems in Hindi को पढ़ते हैं. इस William Shakespeare Poem true love in Hindi को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
विलियम शेक्सपियर कविता, William Shakespeare Poems in Hindi
1. William Shakespeare Poems in Hindi – हे मेरी प्रिये !
हे मेरी प्रिये ! कहाँ भटक रही हो इधर उधर ?
रुको और सुनो तो ! अपने सच्चे प्रेम का स्वर ।
धुन उसकी साथ रहेगी हर उतार चढ़ाव में,
हे प्रिये ठहरो यहीं, क्षण हैं अब विश्राम के ।
प्रेमियों का मिलन ही धरता है यात्रा पर विराम,
कोई भी ज्ञानी पुरुष इस तथ्य से नहीं अनजान !
प्रेम क्या है ? किसे तनिक भी आभास है,
आज की मृगतृष्णा में छिपा आज का उल्लास है,
भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, पता नहीं,
पर, मिलन की देरी में सुनो कुछ लाभ नहीं ।
हे प्रिय ! चुम्बनों की वर्षा से अब न तुम भयभीत हो,
यौवन ही है जिसके हर क्षण में प्रेम की ही जीत हो !
अब यही रचना मूल अँग्रेज़ी में पढ़िए
O Mistress Mine
O mistress mine, where are you roaming?
O stay and hear! your true-love’s coming
That can sing both high and low;
Trip no further, pretty sweeting,
Journey’s end in lovers’ meeting-
Every wise man’s son doth know.
What is love? ’tis not hereafter;
Present mirth hath present laughter;
What’s to come is still unsure:
In delay there lies no plenty,-
Then come kiss me, Sweet and twenty,
Youth’s a stuff will not endure.
2. Shakespeare Poems in Hindi – मेरी प्रिया की आँखें
मेरी प्रिया की आँखें कहीं से नहीं है सूरज की तरह,
और कतई भी नहीं हैं उसके होंठ लाल मूँगे की तरह,
बर्फ़ की श्वेत चादर की भाँति नहीं हैं उसके गेहुए वक्ष,
और केश हैं उसके गुँथी हुए काली रस्सियों की तरह ।
मैंने देखा है लाल और सफ़ेद गुलाबों को दमिश्क होते हुए,
पर सच कहूँ तो वह रँग कहीं भी उसके गालों पर है ही नहीं,
सत्य है कि कर देते हैं कुछ इत्र जीवन का हर कण सुगन्धित,
परन्तु उन इत्रों की एक बूँद भी मेरी प्रिया की साँसों में नहीं ।
उसकी हर बात घोलती है मेरे कानों में अमृत, किन्तु,
मैं जानता हूँ कि उसकी बोली कहीं से भी महान सँगीत नहीं,
स्वीकारता हूँ कि नहीं देखी कोई देवी मैंने साक्षात चलते हुए,
पर मैंने देखा है अपनी प्रिया को सड़क पर डग धरते हुए ।
सुनो, क्यों न समझूँ मैं कि मेरा प्रेम है सर्वथा दुर्लभ प्रिये,
जीवन्त मेरा प्रेम सांस लेता है इन झूठी उपमाओं में परे !
अब यही रचना अँग्रेज़ी में पढ़िए
My mistress’ eyes are nothing like the sun
My mistress’ eyes are nothing like the sun;
Coral is far more red than her lips’ red;
If snow be white, why then her breasts are dun;
If hairs be wires, black wires grow on her head.
I have seen roses damasked, red and white,
But no such roses see I in her cheeks,
And in some perfumes is there more delight
Than in the breath that from my mistress reeks.
I love to hear her speak, yet well I know,
That music hath a far more pleasing sound.
I grant I never saw a goddess go;
My mistress when she walks treads on the ground.
And yet, by heaven, I think my love as rare
As any she belied with false compare.
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