Zindagi Se Pareshan Shayari in Hindi – आपको इस पोस्ट में कुछ जिन्दगी से परेशान शायरी का संग्रह दिया गया हैं. दोस्तों सभी के जीवन में उतार – चढ़ाव आता हैं. इसे समय का खेल कहा जाता हैं. जिसके साथ जैसा बीत रहा होता हैं. वह इन्सान जिन्दगी को वैसे ही समझ बैठता हैं. लेकिन ऐसा नहीं हैं. हमारे जीवन में कभी सुख तो कभी दुःख आते रहते हैं. जीवन में कुछ भी स्थाई नहीं हैं. समय के अनुसार सब बदलते रहता हैं. इसलिए हमें ज्यादा परेशान होने की जरुरत नहीं हैं.
अब आइये यहाँ पर कुछ नीचे Kismat Zindagi se Pareshan Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी जिन्दगी से परेशान शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
जिन्दगी से परेशान शायरी, Zindagi Se Pareshan Shayari in Hindi
(1) माना कि मुझ पर तेरे अहसान बहुत हैं
मगर ए जिन्दगी तुझसे हम परेशान बहुत हैं,
कोई नहीं मिलता है जो बाँट ले दर्द मेरा
मतलब से मिलने वाले इन्सान बहुत हैं।
(2) एक मैं हूँ जो उसे अपनी हर ख़ुशी में शामिल करता हूँ
और एक वो है जो मुझे बस अपनी परेशानी में याद करता है…!!
(3) कोई समय से परेशान कोई समाज से परेशान है,
कोई अपने कल से परेशान कोई अपने आज से परेशान है…!!
(4) ग़मों से भरा है जिन्दगी का सफ़र
हर शख्स आगे बढ़ रहा है,
मौत ही है इसकी आखिरी मंजिल
सबका तजुर्बा यही कह रहा है।
(5) खुशियाँ कहाँ नसीब होती हैं सबको यहाँ
जिन्दगी तो बस एक मुफलिसी का दौर है साहब।
(6) कहाँ पूरी होती हैं यहाँ मुँह मांगी मुरादें कभी,
कुछ और नहीं बस भरोसे का नाम है जिन्दगी।
(7) अगर मेरी जिन्दगी तेरे साए में गुजर जाए,
तो जिन्दगी ही क्या मेरी तो मौत भी संवर जाए।
(8) सुन सको तो सुनो जिन्दगी की सुरमयी सरगम को,
वरना जिन्दगी में रोने के बहाने बहुत हैं।
(9) जरूरतों की फिकर में आँखें जाग रही हैं,
बस इसी तरह हमारी जिन्दगी भाग रही है।
(10) मंजिले उन्हीं को मिलती हैं
जिनकी रगों में जूनून होता है,
मुसीबतों से भरी जिन्दगी का
बस यही उसूल होता है।
Kismat Zindagi se Pareshan Shayari
(11) तेरी यादों का दौर आज भी मुसलसल जारी है,
जिन्दगी गुजर रही है बस मौत की तैयारी है।
(12) एक ही बार में क्यों नहीं ख़त्म करती ये किस्सा ए जिन्दगी,
किश्तों में मिलता दर्द अब संभाला नहीं जाता।
(13) दो वक़्त की रोटी ढूँढने निकला था घर से दूर,
आज सुकून की तलाश में जिन्दगी गुजर रही है।
(14) जिन्दगी से उलझने की अब औकात नहीं हमारी,
इसलिए अब हम अपने अल्फाजों से उलझते हैं।
(15) खामोश जिंदगी के कुछ ऐसे हालात हैं,
इंसानियत मर गयी और
इंसान जिंदा लाश हैं।
(16) कभी मचलता था ये दिल और अब बहुत सुधर गया है,
जब से जिन्दगी से बुरा वक़्त गुजर गया है।
(17) लिख सको तो लिख लो मेहनत से मुकद्दर अपना,
खाली पन्नों से भरी किताब है जिंदगी।
(18) शोर शराब तो बस जिन्दगी का है,
मौत के बाद तो सब मौन होगा।
(19) किस्सा सबकी जिन्दगी का बस इतना सा है कि
जिंदगी बनाने के चक्कर में जीना भूल गए हैं।
(20) इस दुनिया में खुश होना बड़ा ही आसान हैं,
यहाँ तो हर कोई दूसरों की ख़ुशी से परेशान हैं…!!
जिन्दगी से परेशान शायरी
(21) जो अपनी क़ाबलियत से अनजान होता हैं,
वो इस दुनिया में बड़ा परेशान होता हैं…!!
(22) कुछ लोग को नही कहने नहीं आता,
यही आदत परेशानी का सैलाब है लाता…!!
(23) परेशानियों का जब परवान चढ़ा,
कौन अपना कौन पराया पता पड़ा…!!
(24) सोचा नहीं था ज़िन्दगी में ऐसे भी फ़साने होंगे,
रोना भी आएगा और आंसू भी छुपाने होंगे…!!
(25) जो हर हाल में हर हाल पुछा करते थे,
आज कुछ पूछो उनसे तो परेशान हो जाते हैं…!!
(26) वो ना मिली इस बात पर सुबह शाम रोकर,
परेशान हो गया हूँ परेशान होकर…!!
(27) परेशानी की वजह पूछते हो सनम,
लगता है तुमने कभी आइना नहीं देखा…!!
(28) जो तो हाल पूछ ले हाल-ऐ-दिल का,
हर मसला हल हो जाए हाल-ऐ-दिल का…!!
(29) परेशान कर पूछते हैं परेशानी क्या है,
ना जाने ऐसे लोगो की कहानी क्या है…!!
(30) एक अँधेरा कमरा और उसमे बैठा वीरान मैं,
हो रही है बारिश बहुत लगता है आसमान भी परेशान है…!!
Zindagi Se Pareshan Shayari in Hindi
(31) खुदा रहम न करे तो हर कोई परेशान हो जाएँ,
जान ही ले ले अगर ये जिंदगी आसान हो जाएँ…!!
(32) कुछ लोग परेशान हैं तेरे-मेरे साथ से,
वैसे भी ये पूरा जमाना परेशान हैं किसी न किसी बात से…!!
(33) अपनी परेशानियों को हमने बढ़ा ली हैं,
हमने जो अपनी आदतें बिगाड़ ली हैं…!!
(34) कितना लड़ूँ आख़िर मैं भी इक इंसान हूँ,
वक़्त थोड़ा बुरा है इसलिए परेशान हूँ…!!
(35) अपनी मेहनत से तू बना अपनी पहचान,
जिंदगी में तू होगा सबसे कम परेशान…!!
(36) दिल में बसने वाले इक एहसान कर,
अब इस दिल को और न परेशान कर…!!
(37) मुस्कुराते हैं झूठा बहुत हम बहार बड़े शान से,
बस हम और हमारा दिल ही जानते हैं अंदर से हैं हम कितने परेशान से…!!
(38) तेरे मेरे रिश्ते का आखिर कल क्या होगा,
ये जो परेशान हाल-ऐ-दिल है इसका हल क्या होगा…!!
(39) परेशान होता भी और करता भी हूँ सबको,
मुझे ले क्यों नहीं जाता पूछता हूँ मैं रब को…!!
(40) न बोलती हो और न शरारत करके हैरान करती हो,
आजकल बड़े अदब से तुम हमे परेशान करती हो…!!
(41) सुन सको तो सुनो क्या मेरा दिल कहता हैं,
हर वक़्त ये तुम्हारे लिए परेशान रहता हैं…!!
(42) परेशानियां को बिलकुल परे रख कर,
चल दौड़ इस ज़िन्दगी के अग्निपथ पर…!!
(43) घूमा करते थे जो क़दम मोहोब्बत की गलियों में बड़े शान से,
आज बैठे है आँखों में आंसू लिए परेशान से…!!
(44) कभी पूरा कमरा तो कभी दिल का एक कोना परेशान करता है,
कभी तेरा ना होना और कभी खुद का होना मुझे परेशान करता है…!!
(45) अपनी जिंदगी में वो बहुत परेशान होते हैं,
जिनके दिल में भी दिमाग होते हैं…!!
(46) बोलने वालों की बोलती बंद कर बेज़ुबान मत कर,
ऐ ज़िन्दगी अब इतना भी परेशान मत कर…!!
(47) तुमने कहा था हर शाम हाल पूछोगे हमारा,
तुम बदल गए हो या तुम्हारे शहर में शाम नहीं होती…!!
(48) इतना भी क्या परेशान होना कल के लिए,
क्या पता कब साँसे टूट जाएँ और ये जग छूट जाएँ…!!
(49) माना कि हम पर तेरे अहसान बहुत हैं
मगर ए जिन्दगी तुझ से हम परेशान बहुत हैं,
कोई नहीं मिलता है जो बाँट ले दर्द मेरा
मतलब से मिलने वाले इन्सान बहुत हैं…!!
(50) ऐ जिंदगी तेरी परेशानियों को
हरा कर फिर जीत जाऊंगा मैं
बुरे दौर को खत्म कर फिर अपनी
काबिलियत साबित कर जाऊंगा मैं…!!
(51) अपनी लगन से हर परेशानी को रास्ते से हटा दे,
तू यहाँ बस जीने नहीं जीतने आया है
ये सारी दुनिया को बता दे…!!
(52) मायने ज़िन्दगी के बदल गये अब तो,
कई अपने मेरे बदल गये अब तो,
करते थे बात आँधियों में साथ देने की,
हवा चली और सब मुकर गये अब तो…!!
(53) हाथ पकड़ कर रोक लेते अगर,
तुझ पर ज़रा भी ज़ोर होता मेरा,
ना रोते हम यूँ तेरे लिये,
अगर हमारी ज़िन्दगी में तेरे सिवा कोई ओर होता…!!
(54) किसी और को क्या दुखी करूंगा मैं तो अपने दुःख से परेशान हूँ,
किसी और को क्या परेशान करूंगा मैं, मैं तो खुद से परेशान हूँ।
(55) परेशानियां लाख थी तो भी परेशान नहीं रहता था,
एक तू क्या गई मैं परेशान हो गया।
(56) इतना परेशान ना था ज़िन्दगी से पहले,
जितना परेशान हुआ हूँ तुझे ज़िन्दगी बनाने के बाद।
(57) परेशानियां भी परेशान है मेरे परेशान होने से,
एक वही खुश है जिसकी वजह से परेशान हूँ मैं।
(58) परेशानियां भी परेशान हो उठी है
जब मैं बैठकर अपनी परेशानी सुनाता हूँ।
(59) अपनों की साजिशों से परेशान है ज़िन्दगी,
गैरों से पूछती है तरीक़ा निजात का।
(60) वक़्त ने फसाया है लेकिन मैं परेशान नहीं हूँ,
हालातों से हार जाऊं मैं वो इंसान नहीं हूँ।
(61) तुम क्या परेशान हो वजूद से मेरे,
मैं तो परेशान हूँ खुद से मेरे।
(62) परेशानियों पुरज़ोर लगी है हौंसले तोड़ने को,
मगर हौंसले तैयार ही नहीं हो रहे उड़ान रोकने को।
(63) कैसे गुज़ारा हो खुशियों का ये मालूम नहीं
मगर ज़ेहन में हर पल एक नयी परेशानी पल रही है।
(64) ज़िन्दगी में किसी को ज़िन्दगी मत बनाना,
वरना ज़िन्दगी से तुम परेशान हो जाओगे।
(65) तनहा परेशान पागल सा फिरता हूँ,
जो बरसता रहे आँखों में लिए एक बादल सा फिरता हूँ।
(66) हर सुबह हर शाम किया है,
ज़िंदगी तूने मुझे परेशान किया है।
(67) जिनके पेड़ पर फल अच्छे नहो होते
वो दूसरों को ही अपनी परेशानी की जड़ बताते हैं।
(68) ज़रुरत आदमी को दिखती है दरवाज़े का मुँह,
ख़ुशी से किसकी खुद्दारी बाजार जाती है।
(69) परेशानियां है परेशानियों के हल कहाँ है,
जो कल सब कहते थे साथ देंगे आज वो सब कहाँ है।
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