Poem on Waterfall in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन झरना पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. झरना का दृश्य अपनी तरफ आकर्षित करता हैं. इससे निकलने वाली कल – कल की ध्वनि एक मधुर संगीत की तरह सभी को अपनी ओर मोहित कर देता हैं. झरना को अधार मानकर हमारे हिंदी के कई लोकप्रिय कवियों ने झरने पर कविता लिखी हैं.
झरने से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता हैं. यह हमेशा हमें अपने जीवन में आनेवाली सभी बाधाओं को दूर करते हुए निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता हैं. क्योंकि झरने का काम हैं. बहना और रास्ते में आने वाले पत्थर को धकेलकर निरंतर आगे की तरफ बढ़ना.
दोस्तों आइए अब नीचे कुछ Poem on Waterfall in Hindi Language में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी झरना पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
झरना पर कविता, Poem on Waterfall in Hindi
1. झरना पर कविता
झ़र-झ़र बहता जाये झरना,
बात हमे बतलाये झरना।
आगें हम बढते ही जाए,
कभीं न पीछे वापस आये,
आगे जो पत्थर टक़राए।
उसकों भी हम पार कर जाये,
कभीं न भय सें वहीं रुक जाये,
साहस सें आगे बढ जाये।
हो चाहें कितनी भी कठिनाईं,
कभीं भी न हम हारें ओ भाईं,
निडर व्यक्ति वहीं कहलाये।
जो साहस सें आगे बढते जाये,
झरने जैंसे बहते जाये.
झरना हमे यहीं सिख़लाए।
झरझर बहता जाये झरना
सदा हमे बतलाये झरना।
-रौशनी
2. Poem on Waterfall in Hindi
सुब़ह का झ़रना, हमेशा हसने वाली औरते
झ़ूटपुटे की नदियॉ, खामोश गहरी औरते।
सडकों बाजारों मकानो दफ्तरो में रात-दिन
लाल-पीली सब्ज नीली, ज़लती बुझ़ती औरते।
शहर मे एक बाग हैं और बाग मे तालाब हैं
तैरती है उसमे सातो रंग वाली औरते।
सैकड़ो ऐसी दुकाने है जहां मिल जाएगी
धात की, पत्थर की, शीशें की, रबर की औरते।
इनकें अन्दर पक़ रहा है वक्त का आतिश-फ़िशान
कि पहाड़ो को ढ़के है बर्फ जैसी औरते।
3. Poem on Waterfall in Hindi Language
पर्वतमालाओं में उस दिन तुमको गाते छोड़ा,
हरियाली दुनिया पर अश्रु-तुषार उड़ाते छोड़ा,
इस घाटी से उस घाटी पर चक्कर खात छोड़ा,
तरु-कुंजों, लतिका-पुंजों में छुप-छुप जाते छोड़ा,
निर्झरिनी की गोदी के
श्रृंगार, दूध की धारा,–
फेंकते चले जाते हो
किस ओर स्वदेश तुम्हारा?
लतिकाओं की बाहों में रह-रह कर यह गिर जाना!
पाषाणों के प्रभुओं में बह-बह कर चक्कर खाना,
फिर कोकिल का रुख रख कर कल-कल का स्वर मिल जाना
आमों की मंजरियों का तुम पर अमृत बरसाना।
छोटे पौधों से जिस दिन
उस लड़ने की सुधि आती
तप कर तुषार की बूँदें
उस दिन आँखों पर छातीं।
किस आशा से, गिरि-गह्वर में तुम मलार हो गाते,
किस आशा से, पाषाणों पर हो तुषार बरसाते,
इस घाटी से उस घाटी में क्यों हो दौड़ लगाते,
क्यों नीरस तरुवर-प्रभुओं के रह-रह चक्कर खाते?
किस भय से हो, वन–
मालाओं से रह-रह छुप जाते,
क्या बीती है, करुण-कंठ से
कौन गीत हो गाते?
4. पहाडको शिखरबाट
पहाडको शिखरबाट
देखेँ झरेको जल।
मेरो मनमा बत्ती बले
हजारौँ झलमल।।
त्यो पानीको झरनामा
शक्ति कति छ लुकेको।
देख्न सके कति त्यसमा
बत्ती बिजुली बलेको।।
तर हाय त्यसै नै पग्ली
पानी व्यर्थ बहन्छ।।
के हामी मानिसका
हृदयका गिरिमा
छैनन् यस्तै अटूट
निर्मल जलका झरना?
हामी भित्र भए यदि यस्ता
सुन्दर झरना हजार!
हाय छ कस्तो अपशोच!
अझ छ अँध्यारो संसार!
5. यह जीवन क्या है?
यह जीवन क्या है? निर्झर है, मस्ती ही इसका पानी है।
सुख-दुख के दोनों तीरों से चल रहा राह मनमानी है।
कब फूटा गिरि के अंतर से? किस अंचल से उतरा नीचे?
किस घाटी से बह कर आया समतल में अपने को खींचे?
निर्झर में गति है, जीवन है, वह आगे बढ़ता जाता है!
धुन एक सिर्फ़ है चलने की, अपनी मस्ती में गाता है।
बाधा के रोड़ों से लड़ता, वन के पेड़ों से टकराता,
बढ़ता चट्टानों पर चढ़ता, चलता यौवन से मदमाता।
लहरें उठती हैं, गिरती हैं; नाविक तट पर पछताता है।
तब यौवन बढ़ता है आगे, निर्झर बढ़ता ही जाता है।
निर्झर कहता है, बढ़े चलो! देखो मत पीछे मुड़ कर!
यौवन कहता है, बढ़े चलो! सोचो मत होगा क्या चल कर?
चलना है, केवल चलना है! जीवन चलता ही रहता है!
रुक जाना है मर जाना ही, निर्झर यह झड़ कर कहता है!
6. Poem on Waterfall in Hindi for Class 10
मधुर हैं स्रोत मधुर हैं लहरी
न हैं उत्पात, छटा हैं छहरी
मनोहर झरना।
कठिन गिरि कहाँ विदारित करना
बात कुछ छिपी हुई हैं गहरी
मधुर हैं स्रोत मधुर हैं लहरी।
कल्पनातीत काल की घटना
हृदय को लगी अचानक रटना
देखकर झरना।
प्रथम वर्षा से इसका भरना
स्मरण हो रहा शैल का कटना
कल्पनातीत काल की घटना।
कर गई प्लावित तन मन सारा
एक दिन तब अपांग की धारा
हृदय से झरना-
बह चला, जैसे दृगजल ढरना।
प्रणय वन्या ने किया पसारा
कर गई प्लावित तन मन सारा
प्रेम की पवित्र परछाई में
लालसा हरित विटप झाँई में
बह चला झरना।
तापमय जीवन शीतल करना
सत्य यह तेरी सुघराई में
प्रेम की पवित्र परछाई में।।
7. Short Poem on Waterfall in Hindi
और एक झरना बहुत शफ़्फ़ाक था,
बर्फ़ के मानिन्द पानी साफ़ था,-
आरम्भ कहाँ है कैसे था वह मालूम नहीं हो:
पर उस की बहार,
हीरे की हो धारा,
मोती का हो गर खेत,
कुन्दन की हो वर्षा,
और विद्युत की छटा तिर्छी पड़े उन पै गर आकर,
तो भी वह विचित्र चित्र सा माकूल न हो।
8. तमाम शोरगुल से भरे माहौल में
तमाम शोरगुल से भरे माहौल में
स्मृतियो की ऊँची पहाड़ी पर टिका
अक्सर वक्त-बेवक्त झरने लगता है
मन के भीतर का झरना
कई-कई जंगलों के बेतरतीब से पेड़ो मुलाक़ात करते
टेबो-घाटी के कई-कई खूबसूरत मोड़ों के सूनेपन
से गुज़रते निहारते उन्हें
आती है दूर से पुकारती हिरनी झरने की आवाज़
अपने करीब और करीब बुलाती हुई
आदिवासी नृत्य के मोहक घेरे में फँसे मन में पसरता
उनके गीतों से टपकता आदिम उल्लास
मुंडारी के बोल न जानने के बावजूद
और तेज होने लगी थी पानी के गिरने की आवाज़
एक ज़ादू के देश में पहुँच गए थे हम
गँवाकर बीते समय की सारी याददाश्त
ऊपर समझदार लड़की की तरह सलीके से
बही जा रही थी पहाड़ी पथ्थरों पर हिरनी नदी
दिखी औचक बदलती हुई पाला
उछल कर कूद पड़ी नीचे की ओर
दौड़ा बचाने को पीछे से आता पानी का रेला
पर वह भागी जाती थी कुलाँचे भरती हिरनी की तरह
सारे अवरोधों को रौंदती-कुचलती
कितना मादक और कितना सुरीला पथ्थरों पर
पानी का संगीत
क़ुदरत ने कैसे किया होगा इस इंद्रजाल का अविष्कार
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