Poem on Goat in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बकरी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
बकरी पर कविता, Poem on Goat in Hindi
1. बकरी पर कविता
इक पुलिया थी बिलकुल संकरी
उसमें गुजर रही थी बकरी
सम्मुख वह दूजे को पाकर
काँप गई मन में घबराकर
अब बकरी ने युक्ति लगाई
मन ही मन में शक्ति जुटाई
बोली देखों मेरी बहना
आँख मूंदकर बैठी रहना
निकल गई उसके ऊपर से
कहीं न उसमें हुआ विवाद
अब तू ही बतला दे नानी
है ना, मुझे कहानी याद
2. Poem on Goat in Hindi
उस पथरीले टीले पर बकरी,
घास खोजती ऊपर पहुँची है।
इतनी ऊपर चढ़कर शायद अब,
नीचे वो कभी ना मुड़ पाएगी।
लड़खड़ाते पैर और गिरने की खैर,
पेट की खातिर,फिसलकर मर जाएगी।
हम भी कोई ना कोई,कहीं पर,
किसी टीले पर बढ़ रहे हैं।
मुँह में घास भरी है अपनी लेकिन,
पेट में और अधिक भर रहे हैं।
हरी घास के लालच में सब,
रिश्ते, सेहत पीछे छोड़ रहे हैं।
मैं मैं करते ,मैं की खातिर,
अपने टीलों पर लटक रहे हैं।
Bhagwati Prasad Pant
3. बकरी, बकरी कहाँ है तेरा
बकरी, बकरी कहाँ है तेरा,
प्यारा बच्चा बकरा।
कहीं कुड़ता होगा जाकर,
करता होगा नखरा।
इसको दूध पिलाती है तू
मोटा होता जाता।
सुंदर, कोमल, मखमल जैसा
रूप निखरता जाता॥
दूध पिलाती है तू सबको-
गाँधी बसते तेरे मन में।
भोजन थोड़ा ही करती है-
चरे घास तू सारे वन में॥
तू छोटी सी, कोई भी तो-
पाल तुझे सकता है।
तेरे ही बल पर कोई भी
पहलवान बन सकता है॥
तू गरीब की पालन कर्ता
उनको अपना दूध पिलाती
गाँधी जी के आर्दशों को
हर पल ही सबको बतलाती॥
सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
4. एक कहानी बड़ी पुरानी
एक कहानी बड़ी पुरानी, कहती रहती नानी।
शेर और बकरी पीते थे, एक घाट पर पानी।
कभी शेर ने बकरी को, न घूरा न गुर्राया।
बकरी ने जब भी जी चाहा, उससे हाथ मिलाया।
शेर भाई बकरी दीदी के, जब तब घर हो आते।
बकरी के बच्चे मामा को, गुड़ की चाय पिलाते।
बकरी भी भाई के घर पर, बड़े शान से जाती।
कभी मंगौड़े भजिए लड्डू, रसगुल्ले खा आती।
किंतु अचानक ही जंगल में, प्रजातंत्र घुस आया।
और प्रजा को मिली शक्तियों से अवगत करवाया।
ऊंच-नीच होता क्या होता, छोटा और बड़ा क्या।
जाति धर्म वर्गों में होता, कलह और झगड़ा क्या।
निर्धन और धनी लोगों में, बड़ा फासला होता।
एक रहा करता महलों में, एक सड़क पर सोता।
शेर भाई को जैसे ही, यह बात समझ में आई।
तोड़ी बकरी की गर्दन और बड़े स्वाद से खाई।
जो भी पशु मिलता उसको, वह उसे मार खा जाता।
जंगल में अब प्रजातंत्र का, वह राजा कहलाता।
प्रजातंत्र का मतलब भी, वह दुनिया को समझाता।
इसी तंत्र में जिसकी, जो मर्जी हो वह कर पाता।
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