गुड़िया पर कविता, Gudiya Hindi Poem

Gudiya Hindi Poem – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ गुड़िया पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

गुड़िया पर कविता, Gudiya Hindi Poem

Gudiya Hindi Poem

1. गुड़िया पर कविता

मेरी गुड़िया, मेरी गुड़िया ।

हँसी ख़ुशी की है ये पुड़िया ।।

मै इसको कपड़े पहनाती ।

इसको अपने साथ सुलाती ।।

ये है मेरी सखी सहेली ।

नहीं छोड़ती मुझे अकेली ।।

ना ये ज्यादा बात बनाये ।

मेरी बातें सुनती जाये ।।

गाना इसको रोज़ सुनाती ।

लेकिन खाना ये नहीं खाती ।।

2. Gudiya Hindi Poem

मेले से लाया हूँ इसको
छोटी सी प्यारी गुड़िया,
बेच रही थी इसे भीड़ में
बैठी नुक्कड़ पर बुढ़िया.

मोल-भाव करके लाया हूँ
ठोक-बजाकर देख लिया,
आँखें खोल मूंद सकती है
वह कहती है पिया-पिया.

जड़ी सितारों से है इसकी
चुनरी लाल रंग वाली,
बड़ी भली हैं इसकी आँखें
मतवाली काली-काली.

ऊपर से है बड़ी सलोनी
अंदर गुदड़ी है तो क्या?
ओ गुड़िया तू इस पल मेरे
शिशुमन पर विजयी माया.

रखूगा मैं तुझे खिलौनों की
अपनी अलमारी में,
कागज़ के फूलों की नन्हीं
रंगारंग फुलवारी में.

नये-नये कपड़े-गहनों से
तुझको रोज़ सजाऊँगा,
खेल-खिलौनों की दुनिया में
तुझको परी बनाऊँगा.

3. एक छोटी सी गुड़िया

एक छोटी सी गुड़िया
हो वो जादू की पुड़िया
उसकी मुस्कान की हो आदत
उस रब की हो जो रहमत
एक नन्ही परी आसमा से उतर आए
हर माँ का ख्वाब हक़ीक़त हो जाए
नही……
मेरी गुड़िया
ये दुनिया खराब है
फिरते बन के सब नवाब है
यहाँ जीना एक ख्वाब है
परीयों के देश मे ही अच्छी
मेरी परी मेरी बच्ची
होगा खुद के लिए लड़ना
ज़िन्दगी को घुट घुट के
यहाँ पड़ेगा तुम्हें मरना
तेरे अपने ही कहेंगे तुम्हे
ये ना करना, वो ना करना
तुम कभी यहां ना आना
खराब है जमाना
पड़ेगा तुम्हें खुद को
कई नज़रों से बचाना
बुरी नहीं है ये सोच
नही चाहती कोई भी माँ
अपनी परी को पाने पर
इस दुनिया में खोते जाना
मत आना… तुम मत आना…..

4. खिल-खिल हँसे चुलबुली गुड़िया

खिल-खिल हँसे चुलबुली गुड़िया,
गुड़िया है आफत की पुड़िया!

दिन भर नाचे, मुझे नचाए,
तुतलाए जब गाना गाए।

झालर वाला धानी लहँगा,
सिर पर ओढे़ लाल चुनरिया।

आँखों में चंचलता ऐसी,
हर पल नई शरारत जैसी।

बस्ता ले पढ़ने को बैठे,
चुपके से खा जाए खड़िया।

अम्माँ की ऐनक को पहने,
लेकर बेंत चले क्या कहने?

ऐसी नकल उतारे नटखट,
गुड़िया से बन जाए बुढ़िया।
सरिता शर्मा

5. गुड़िया कितनी थकी हुईं तुम

गुड़िया कितनी थकी हुईं तुम
बार बार लेती जमुहाई
कल कर लेना और पढ़ाई

लगातार लिखते पढ़ते यों
सिर तक अपना बिना उठाए
एक एक करके तुमने तो
लगभग सभी विषय निपटाए
देखो भूख प्यास तक अपनी
पढ़ने के आगे बिसराई

होमवर्क पूरा करने में
लगे ढ़ाई घंटे है पूरे
लिखते लिखते हाथ थके पर
कुछ सवाल रह गये अधूरे
मेरी नन्ही सोनचिरैया
तुम दिखतीं कितनी कुम्हलाई

बस्ता अलमारी में धर दो
उठो, हाथ मुंह धोकर आओ
तनिक ठुमककर नाच दिखा दो
या मीठा सा गाना गाओ
चलो, बाग़ में चलते हैं हम
ठंडी हवा जहाँ सुखदाई

6. दादीजी का प्यार दुलार

दादीजी का प्यार दुलार
पापा का पल पल दुत्कार
कब तक झेलेगी छुटकी
कैसे खेलेगी छुटकी

सोनपरी कहतीं दादी
बिटिया रानी शहजादी
पापा तो नकचढ़ी कहें
चाहें वह खामोश रहे
देते है बन्दरघुड़की
दादी कहें डली गुड़ की
देती हरदम शाबासी
पापा कहे उल्टबाँसी
दिल पर ले लेगी छुटकी
कैसे खेलेगी छुटकी

दादी कहतीं खूब पढों
चाँद सितारे नभ छू लो
कथा कहानी भी कहती
खुश रखती खुद खुश रहती
पापा कोसों लड़की कह
घर के कामों में खुश रह

छुटकी नहीं रहेगी चुप
रोना नहीं उसे छुप छुप
धरती बेलेगी छुटकी
नभ से खेलेगी छुटकी

7. मुझे चिढाकर पूछा करते

मुझे चिढाकर पूछा करते
मुझसे मेरे दादाजी
बोलो, तुमको कौन है प्यारा
मम्मी जी या पापाजी

क्या जवाब दू सोच सोचकर
होती मुझको हैरानी
मम्मी की है रानी बेटी
पापा की है बिटिया रानी

मैं कह देती मम्मी प्यारी
प्यारे प्यारे पापाजी
मम्मी पापा से भी प्यारे
लेकिन मेरे दादाजी

दादाजी के होठों पर तब
आ जाती मुस्कान बड़ी
कान पकड़कर मेरा कहते
मुनिया तू शैतान बड़ी

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