Poem on Hadtal in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ हड़ताल पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
हड़ताल पर कविता, Poem on Hadtal in Hindi
1. हड़ताल पर कविता
क्रान्ति के लिए जली मशाल (समूहगान)क्रान्ति के लिए जली मशाल
क्रान्ति के लिए उठे क़दम !
भूख के विरुद्ध भात के लिए
रात के विरुद्ध प्रात के लिए
मेहनती ग़रीब जाति के लिए
हम लड़ेंगे, हमने ली कसम !
छिन रही हैं आदमी की रोटियाँ
बिक रही हैं आदमी की बोटियाँ
किन्तु सेठ भर रहे हैं कोठियाँ
लूट का यह राज हो ख़तम !
तय है जय मजूर की, किसान की
देश की, जहान की, अवाम की
ख़ून से रंगे हुए निशान की
लिख रही है मार्क्स की क़लम !
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर मेंहर ज़ोर जुल्म की टक्कर में, हड़ताल हमारा नारा है !
तुमने माँगे ठुकराई हैं, तुमने तोड़ा है हर वादा
छीनी हमसे सस्ती चीज़ें, तुम छंटनी पर हो आमादा
तो अपनी भी तैयारी है, तो हमने भी ललकारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
मत करो बहाने संकट है, मुद्रा-प्रसार इंफ्लेशन है
इन बनियों चोर-लुटेरों को क्या सरकारी कन्सेशन है
बगलें मत झाँको, दो जवाब क्या यही स्वराज्य तुम्हारा है ?
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
मत समझो हमको याद नहीं हैं जून छियालिस की रातें
जब काले-गोरे बनियों में चलती थीं सौदों की बातें
रह गई ग़ुलामी बरकरार हम समझे अब छुटकारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर हड़ताल हमारा नारा है !
क्या धमकी देते हो साहब, दमदांटी में क्या रक्खा है
वह वार तुम्हारे अग्रज अँग्रज़ों ने भी तो चक्खा है
दहला था सारा साम्राज्य जो तुमको इतना प्यारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
समझौता ? कैसा समझौता ? हमला तो तुमने बोला है
महंगी ने हमें निगलने को दानव जैसा मुँह खोला है
हम मौत के जबड़े तोड़ेंगे, एका हथियार हमारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर हड़ताल हमारा नारा है !
अब संभले समझौता-परस्त घुटना-टेकू ढुलमुल-यकीन
हम सब समझौतेबाज़ों को अब अलग करेंगे बीन-बीन
जो रोकेगा वह जाएगा, यह वह तूफ़ानी धारा है
हर ज़ोर जुल्म की टक्कर में हड़ताल हमारा नारा है !
2. Poem on Hadtal in Hindi
परेशान पिता ने
जनता के अस्पताल में फोन किया
‘डाक्टर साहब
मेरा पूरा परिवार बीमार हो गया है
बड़े बेटे आंदोलन को बुखार
प्रदर्शन को निमोनिया
तथा
घेराव को कैंसर हो गया है
सबसे छोटा बेटा ‘बंद’
हर तीन घंटे बाद उल्टियां कर रहा है
मेरा भतीजा हड़ताल सिंह
हार्ट अटैक से मर रहा है
डाक्टर साहब, प्लीज जल्दी आइए
प्यारी बिटिया ‘सांप्रदायिकता’ बेहोश पड़ी है
उसे बचाइए।’
डाक्टर बोला, ‘आई एम सौरी
मैं सिद्धांतवादी आदमी हूं
नाजायज़ बच्चों का इलाज नहीं करता हूं।’
(हुल्लड़ मुरादाबादी की हास्य कविता)
3. आज हड़ताल है
आज हड़ताल है
हो रही चारों तरफ इस बात की जांच और पड़ताल है
कहीं कोई दुकान खुली तो नहीं
कहीं कोई गुमटी सजी तो नहीं
घूम रहे सड़कों पर राजनैतिक कार्यकर्ता
समाजवाद और गांधीवाद के अभिकर्ता
आम आदमी को अधिकार दिलाने के लिए
भूखे को रोटी से मिलाने के लिए
लेकिन है परेशान पास का सब्जीवाला
जिसका आज निकल गया है दिवाला
नहीं मिल पाएगी आज शाम को रोटी
क्या पाएगी मेरी छोटी-सी बेटी
रोटियां छीन ली हैं इन गांधीवादियों ने
रोटियां छीन ली हैं इन समाजवादियों ने
न्याय और इंसाफ दिलाने के वास्ते
भूखे को रोटी से मिलाने के वास्ते
जिंदा रहने के सपने हो गए हैं दफन इन नारों में
स्वस्थ आदमियों को इन्होंने खड़ा किया बीमारों में
उन्होंने हड़ताल कर सेंक ली ‘राजनैतिक’ रोटियां
आज हड़ताल है
लेकिन भूख की तड़प से चिल्लाती रही हमारी बिटिया।
4. जब तक मालिक की नस-नस को हिला न दे भूचाल
जब तक मालिक की नस-नस को हिला न दे भूचाल
जारी है हड़ताल हमारी जारी है हड़ताल
न टूटे हड़ताल हमारी न टूटे हड़ताल
हम इतने सारों को मिल ये गिद्ध अकेला खाता
और हमारे हिस्से का भी अपने घर ले जाता
हक़ माँगें हम अपना तो ये ग़ुंडों को बुलवाता
हम सबका शोषण करने को चले ये सौ-सौ चाल
सावधान ऐसे लोगों से जो बिचौलिया होते
और हमारे बीच सदा जो बीज फूट के बोते
और कि जिनके दम पर अफ़सर-मालिक चैन से सोते
देखेंगे उनको भी जो हैं सरकारी दलाल
सही-सही माँगों को लेकर जब हम सामने आए
इसके अपने सगे सिपाही बंदूक़ें ले आए
जाने अपने कितने साथी इसने ही मरवाए
लेकिन सुन लो अब हम सारे जलकर बने मशाल
जारी है हड़ताल हमारी जारी है हड़ताल
न टूटे हड़ताल हमारी न टूटे हड़ताल
5. कर दो जी, कर दो हड़ताल
कर दो जी, कर दो हड़ताल
पढ़ने लिखने की हो टाल
बच्चे घर पर मौज उड़ाएं
पापा मम्मी पढ़ने जाए
मिट जाए जी का जंजाल
कर दो जी, कर दो हड़ताल
जो न हमारी माने बात
उसके बांधों कस कर हाथ
कर दो उसको घोटम घोट
पहनाकर केवल लंगोट
भेजो उसको नैनिताल
कर दो जी, हड़ताल
राशन में भी करो सुधार
रसगुल्लों का हो भरमार
दो दिन में कम से कम एक
मिले बड़ा सा मीठा केक
लड्डू हो जैसे फुटबाल
कर दो जी, कर दो हड़ताल
हम भी सब जाएंगे दफ्तर
बैठेंगे कुर्सी पर डटकर
जो हमको दे बिस्कुट टोफी
उसको सात खून की माफ़ी
6. अपनी दशा उदास बनाए
अपनी दशा उदास बनाए
चौराहे पर मुंह लटकाए
आज सुबह से नल था मौन
पता नहीं था कारण कौन?
मैंने पूछा तनिक पास से
भैया दीखते क्यों उदास से
बोले क्या बतलाऊं तुमको
रोज सहन करता हूँ मार
कान ऐंठता जो भी आता
टांग बाल्टी मुझे सताता
लड़ते मेरे पास खड़े हो
बच्चे हों या मर्द बड़े हो
नहीं किसी को दूंगा पानी
इसलिए हड़ताल मनानी
पास रखी बोली तब गागर
हम हैं रीते तुम हो सागर
जल्दी प्यास बुझाओ मेरी
सोच रहे क्या कैसी देरी
नली को दया घड़े पर आई
पानी की झट धार लगाई
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