Poem on Paisa in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ पैसे पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
पैसे पर कविता, Poem on Paisa in Hindi
1. पैसे पर कविता
पापा मुझको आज बताओ
इस पैसे की अजब कहानी
रुपया नोट सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
क्यों पैसे ही देकर मिलता
मुझको छोटा बड़ा सामान
जहाँ भी देखें पैसे पर ही
रहता सदा ही सबका ध्यान
पैसे से होती है क्या आसानी
रुपया नोट सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
पापा बोले सच है जानो
पैसे का है जटिल खेल
इन पैसों ने हल कर डाले
लेन देन दुनिया के निराले
पैसों की है सब मेहरबानी
रुपया नोट, सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
गाँव शहर की सारी उपजें
लेकर हम आते बाजार
बेच उनको वापस ले जाते
वस्त्र दवा घर की भड्सार
रीती नीति मन जाए सुहानी
रुपया नोट सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
इसी तरह मैं वेतन पाता
घर के सारे खर्च उठाता
टैक्स जो भी लेती सरकार
विकास करे उससे भरमार
ताकत से इसकी लड़े सेनानी
रुपया नोट सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
बैंक में पैसा जमा कराएं
और बचत पे ब्याज पाए
बैंक से कर्ज लेते बाजार
बढ़े इंडस्ट्री और व्यापार
बैंक है वित्त के बड़े ज्ञानी
रुपया नोट सिक्का धेला
शक्लें है जानी पहचानी
अवधेश सिंह
2. Poem on Paisa in Hindi
है लोभ बढ़ गया दुनिया में,
मैं जो बात करूं नादानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।
जहां रुतबा पहले ज्ञान का था,
प्रश्न आत्म सम्मान का था।
इज्जत इंसान की होती थी,
राज धर्म ईमान का था।
आज की पीढ़ी इन सब से,
एकदम ही अनजानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।
पैसा है तो सब कुछ है,
ये बात सिखाई जाती है।
दूर करे इंसान से जो,
वो किताब पढ़ाई जाती है।
है रिश्तेदारी पैसे की,
प्यार कहां रूहानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।
गरीब को मिलता न्याय कहां,
कानून तो अभी अंधा है।
पैसों से मिलता न्याय यहां,
जुर्म बन गया धंधा है।
अन्याय देख खामोश है सब,
खून बन गया पानी है।
पागल कर दे इंसान को जो,
पैसे की अजब कहानी है।
घर बड़े और दिल अब छोटे हैं,
इंसान नीयत के खोटे हैं।
भ्रष्ट हो रहे हैं अब सब,
नौकरियों के कोटे हैं।
हो कैसे उन्नति देश की,
सबके मन में बेइमानी है।
पागल कर दे इंसान को जो
पैसे की अजब कहानी है।
Sandeep Kumar Singh
3. Hindi Poem on Paisa
“गरीबी तोड़ देती है जो रिश्ता ख़ास होता है,
पराये अपने होते हैं जब पैसा पास होता है।
तभी तक पूछते जग में कि जब तक चार पैसे हैं,
मुसीबत में न कोई पूछता कि आप कैसे हैं? ’’
पैसा ही दुनिया में अब सबका नाम करता है।
पैसा ही देखो आज फिर बदनाम करता है।
न ब्यूटी आती काम न डिग्री से होता नाम,
गाँधी जी तस्वीरों से बनते सबके काम।।
यह भूख कैसी भूख जो मिटती नहीं भाई,
चाँदी की चमचम और ये सिक्कों की खनकाई,
आँख का पानी भी, पैसा सोखती भाई।
यह भूख ऐसी भूख जो मिटती नहीं भाई।।
पैसा नहीं सर्वस्व फिर भी मोल इसका है,
दुनिया में पैसा ही नही तो बोल किसका है?
दुनिया में पैसा ही नही तो बोल किसका है?
– डा.धनंजय कुमार मिश्र
4. मैं पैसा हूं
मैं ऐसा वैसा नहीं हूं
मैं पैसा हूं ।
मुझे पाने की ज़िद में है अक्सर लोग
कहते हैं भगवान जैसा हूं
हां मैं पैसा हूं।
बने रिश्ते बिगाड़ देता हूं नए रिश्ते बनाता हूं ,
दोस्त को दुश्मन और दुश्मन को दोस्त बनाता हूं
हां मैं पैसा हूं।
कइयों की जिंदगी बचाता हूं
कइयों का मुकद्दर बनाता हूं ।
वह चीज़ हूं साहब ,
किसी को गरीब किसी को अमीर बनाता हूं
हां मैं पैसा हूं
मेरे रंग अनेक है अनेक मूल्यों का होता हूं
कल धातु कागज़ का था अब डिजिटल हो गया हूं ।
पैसा हूं साहब हर पटल पर हो गया हूं ।
मुझे लोग हाथो की मैल कहते हैं ,
लेकिन ये मैल जल्दी चढ़ता नहीं हूं ।
मुझे पाने मे मशक़्क़त करनी पड़ती है
पैसा हूं साहब हरकत करनी पड़ती है ।
मैं कोई शासक नहीं हूं
लेकिन देश चलाता हूं ।
पैसा हूं साहब बड़ा तेज़ चलाता हूं ।
मैं इतना बूढ़ा तो नहीं हूं ,
लेकिन कई शहंशाहों की तारीख बताता हूं ।
पैसा हूं साहब बात बारीक बताता हूं
मो० सबरे आलम
5. पैसे के बिना दुनियां में कुछ नहीं होता
पैसे के बिना दुनियां में कुछ नहीं होता
पैसा नहीं होता तो इंसा, इंसा नहीं होता
हर वक्त हर लम्हा हर मोड़ पर है जरूरी
पैसे के लिए इंसा चैन से नहीं सोता
लोग कहते हैं कि प्यार में पैसा नहीं लगता
लेकिन पैसे के बिना प्यार का अहसास नहीं होता
रहने के लिए पैसा, खाने के लिए पैसा
जीने के लिए पैसा, मरने के लिए पैसा
मान है पैसा, सम्मान है पैसा
जान है पैसा, पहचान है पैसा
खुदा की खुदाई,भगवान है पैसा
इन्सान की जरूरत, ईमान है पैसा
धर्म, कर्म, जीवन का सार है पैसा
रिश्तों की बुनियाद, घरबार है पैसा
लोगों की जिन्दगी है, संसार है पैसा
हर एक जिन्दगी का आधार है पैसा
मौज है मस्ती है, झनकार है पैसा
भीख मांगते बच्चों की करूण पुकार है पैसा
स्वर है,गीत है, संगीत है पैसा
संस्कार, परम्परा, रीत है पैसा
पैसे के दम पर बदल जाते हैं यहाँ लोग
हमदम है हमसफर है, मीत है पैसा
बच्चा है, बुढ़ापा है जवानी है पैसा
गरीबी की मार, अमीरी की निशानी है पैसा
जरा भूंखे के पेट से पूछकर देखो
सुकड़ती आँतों की कहानी है पैसा
आदि है अनादि है अन्त है पैसा
वर्तमान युग के लिए सन्त है पैसा
राजा है, प्रजा है, सरकार है पैसा
इन्सानी जिन्दगी की दरकार है पैसा
पैसा है पास तो हर काम है आसां
जीवन की मशीनरी का औजार है पैसा
धर्म की आड़ में, होते हैं काले काम
जुर्म की नाव और पतवार है पैसा
पैसे के लिए फूटते हैं रोज यहाँ बम
आतंकियों के हाथ का हथियार है पैसा
पैसों की चाहत में बिक जाता है यहाँ हुस्न
जिस्म का बाजार है, व्यापार है पैसा
इस पैसे की चाह में हम अन्धे हो गए
फेंक कर संस्कृति की पोशाक नंगे हो गए
दहशत और पाप के अन्धेरों में खो गए
अंहकार की गहरी नींद में सो गए
– प्रमोद कुमार ‘‘सतीश’’
6. Short Poem On Paisa In Hindi Language
गरीबी तोड़ देती है जो रिश्ते ख़ास होते हैं
गैर भी अपना होते हैं, जो पैसे पास होते हैं।
जब आपके पास पैसे हैं
सब पूछते हैं, आप कैसे हैं
पैसो के कारन सोच में परिवर्तन देखो
तुम्हारे अपने भी नहीं पहचानते, ज़रा दर्पण देखो
आज पैसे से पांडित्य है, पैसे से प्रसंशा है
आज पैसे से सिफारिस है, पैसे से अनुसंसा है।
पास पैसे हो तो मुर्ख को भी अपने सोच में दम लगता है
पास पैसे ना हो, तो सिक्षित को भी अपनी शक्ति कम लगता है
पास पैसे हो तो, महिलाओ में मर्दो सा जोश होता है
पास पैसे ना हो तो, मर्दो में महिलाओ सा अफ़सोस होता है
लगता है पैसो से जीवन है
महिमा है, मोहब्बत है, जन्नत है
पास पैसे ना हो तो जीवन
जहन्नुम है, जिल्लत है, किल्लत है।
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