Poem on Lion in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ शेर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
शेर पर कविता, Poem on Lion in Hindi
1. शेर पर कविता
जंगल का राजा है शेर
बहुत हिम्मत वाला होता ये
तेज़ नुकीले दांत हैं जिसके
जो भी आए आगे इसके
करदे पल में उसको ढेर
सबको बहुत डराने वाला
बड़ी-बड़ी मूंछे मटकाने वाला
दहाड़ जब भी लगाता है
सारा जंगल डर जाता है
जंगल में ये राज है करता
दबे पाव शिकार ये करता
जंगल का राजा कहलाता
पर चिड़ियाघर में भी पाया जाता
2. Poem on Lion in Hindi
एक कहानी बड़ी पुरानी, कहती रहती नानी।
शेर और बकरी पीते थे, एक घाट पर पानी।
कभी शेर ने बकरी को, न घूरा न गुर्राया।
बकरी ने जब भी जी चाहा, उससे हाथ मिलाया।
शेर भाई बकरी दीदी के, जब तब घर हो आते।
बकरी के बच्चे मामा को, गुड़ की चाय पिलाते।
बकरी भी भाई के घर पर, बड़े शान से जाती।
कभी मंगौड़े भजिए लड्डू, रसगुल्ले खा आती।
किंतु अचानक ही जंगल में, प्रजातंत्र घुस आया।
और प्रजा को मिली शक्तियों से अवगत करवाया।
ऊंच-नीच होता क्या होता, छोटा और बड़ा क्या।
जाति धर्म वर्गों में होता, कलह और झगड़ा क्या।
निर्धन और धनी लोगों में, बड़ा फासला होता।
एक रहा करता महलों में, एक सड़क पर सोता।
शेर भाई को जैसे ही, यह बात समझ में आई।
तोड़ी बकरी की गर्दन और बड़े स्वाद से खाई।
जो भी पशु मिलता उसको, वह उसे मार खा जाता।
जंगल में अब प्रजातंत्र का, वह राजा कहलाता।
प्रजातंत्र का मतलब भी, वह दुनिया को समझाता।
इसी तंत्र में जिसकी, जो मर्जी हो वह कर पाता।
3. Hindi Poem On Lion
जंगल का राजा है शेर
यहाँ वहां यह भागे
किस दिन छुट्टी होती इसकी
अम्मा मुझे बता दें
इसकी छुट्टी कैसी?
करता बड़े बड़ों की छुट्टी
इसीलिए तो सबने
कर ली, कर ली कुट्टी
“सरोजनी प्रीतम”
4. Short Poem On Lion In Hindi Language
डिस्कवरी पर हमने देखा
एक तमाशा ऐसा
जंगल के राजा के पीछे
लगा जंगली भैंसा
पहले तो था खूब सताया
शेर ने उस भैंसे को
लेकिन उसके अत्याचारों
को सहता कैसे वो
भैंसे ने जो जोश में आकर
राजा को फिर पटका
अकड़ शेर में थी राजा की
पल में उसको झटका
शेरो को भी कभी कभी तो
सवा शेर मिल जाते हैं
अगर हौसला हो जाए तो
तख्त ताज हिल जाते हैं
5. सुनो गधे की एक कहानी
सुनो गधे की एक कहानी
उसने की कैसी शैतानी
जब होती थी रात घनेरी
तब करता था नित फेरी
चुपके चुपके बाहर जाता
खेतों से गेहूं खा आता
गेहूं खा खा मस्ती छाई
तब क्या उसके में आई
अब आगे की सुनो कहानी
देखो औघाओ मत रानी
खाल बाघ की उसने पाई
उसने सूरत अजब बनाई
पहनी उसने खाल बदन में
चला खेत चरने फिर बन में
खाल पहन ली ऐसे वैसे
गदहा बाघ बना हो जैसे
फिर खुश होकर सीना ताने
दिन में चला खेत को खाने
डरे किसान देखकर सारे
भागे झटपट बिना बिचारे
तब कुछ गदहे बोले ही ज्यों
यह भी बोला चीपों चीपों
खुली बाघ की कलई सारी
तब तो शामत छाई भारी
डंडे लगे धड़ाधड पड़ने
लगे गधे के पैर उखड़ने
भगा वहां से यह बेचारा
सभी तरफ से हिम्मत हारा
गिरते पड़ते घर को धाया
मरते मरते प्राण बचाया
“सोहनलाल द्वेदी”
6. शेर घायल है
शेर घायल है मगर दहाड़ना नहीं भूला
एक बार में सौ को पछाड़ना नहीं भूला।
कुत्ते समझ रहे हैं कि, शेर तो हो चुका है ढ़ेर
उन्हें कौन समझाए कि, ये तो समय का है फेर।
साज़िश और षड्यंत्र के बल पर, हुआ यह सब
वरना आज तक कोई, शेर को मार सका है कब।
विरोधियों ने बैठक बुलाई, नई-नई योजना बनाई
सिंह को वश में करने के लिए, चक्रव्यूह रचना सुझाई।
चौकन्ना एक चीता, हालात जो सब समझ चुका था
ऐसे ही एक जाल में, बहुत पहले खुद फंस चुका था।
कुत्ते गीदड़ सियार लोमड़ी, बेशक सब गए हो मिल
अपनी ही चाल में फंसेगे सब, नहीं अब ये मुश्किल।
शेर ज़ख़्मी है लेकिन शिकार करना नहीं भूला
पंजों से अपने घातक प्रहार करना नहीं भूला।।
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