चूहे पर कविता, Poem On Rat in Hindi

Poem On Rat in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय चूहे पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. स्कूलों में छोटे बच्चों को चूहा या जानवरों पर कविता लिखने को दिया जाता हैं. उनके लिए यह सभी Famous Poems about Rats बहुत ही उपयोगी होगी.

हिंदू धर्म में भगवान गणेशजी की सवारी चूहा को ही माना जाता हैं. कई जगहों पर तो मुसक यानि चूहे की पूजा भी की जाती हैं.

अब आइए नीचे कुछ Famous Poems about Rats in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी चूहे पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

चूहे पर कविता

Poem On Rat in Hindi

1. पाँच चूहे

पांच चूहे घर से निकले
करने चले शिकार
एक चूहा पीछे छुटा
बाकी रह गये चार

चारों ने मस्ती में आकर
बजाई पीपी बीन
एक चूहे को बिल्ली खा गई
बाकी रह गये तीन

तीनों ने मिलकर ठानी
चलो चलें अब घर को
एक चूहे ने बात न मानी
बाकी बच गये दो

बचे खुचे जो दो चूहे थे
वे थे बड़े ही नेक
चील झपट ले गई एक को
बाकी रह गया एक

वह चूहा था बड़ा रंगीला
बना फिल्म का हीरो
वह भी फोटो बन गया भैया
बचा अजी बस जीरो

2. सुन चूहे की गप्प

लाल किले में रहूँ नहाऊं
जमुना जी के जल में
महरौली में रोटी खाऊं
सोऊ ताजमहल में

सुबह सुबह उठकर लंदन भागू
हडबड हडबड हप्प
सुन चूहे की गप्प

भालू मेरी बगिया सींचे
बन्दर पलंग बिछाए
लोरी गाकर गधा सुलाए
हाथी पाँव दबाए

दूर खड़ी छज्जे पर बिल्ली
चुए लार टपटप्प
सुन चूहे की गप्प

बाल पकड़कर शेर बब्बर के
मैं वह मजे चखाऊं
याद करे नानी को अपनी
बोले म्याऊं म्याऊं

कर जाऊं मैं उस पाजी का
सारा राज हड़प्प
सुन चूहे की गप्प

3 पूछ रहे बिल्ली के बच्चे

पूछ रहे बिल्ली के बच्चे,
डूबे गहन विचार में।

चूहे क्यों न बिकते हैं मां,
मेलों या बाज़ार में।

हम तो घात लगाकर बिल के,
बाहर बैठे रहते हैं।

लेकिन चूहे धता बताकर,
हमें छकाते रहते हैं।

बीत कई रातें जाती हैं,
दिन जाते बेकार में।

अगर हाट में चूहे बिकते
गिनकर कई दर्जन लाते।

अगर तौल में भी मिलते तो,
क्विंटल भर तुलवा लाते।

बेफिक्री से मस्ती करते,
तीजों में, त्योहार में।

जब भी मरजी होती चूहे,
छांट-छांट कर ले आते।

दाम, अधिक मोटे, तगड़ों के,
मुंह मांगे हम दे आते।

दाम न होते अगर गांठ में,
लाते माल उधार में।

4 चूहा कितना छोटा

चूहा कितना छोटा है।
पर ऊधम करता ज्यादा है।।

सारे घर में घुमा करता है।
छुप-छुपकर तो हमें देखता।।

रातों को भी नहीं सोने देता।
सारी रात धमा चैकड़ी करता।।

अपने दोस्तों को घर में लाकर।
रात भर करता कटर-कटर।।

रात को हमें नहीं सोने देता।
खुद तो दिन में सो लेता।।

अनाज हमरा खूब खाता।
फिर भी हर चीज खाता।।

कपड़ों को हमारे कुतर देता।
किताबों को भी नही छोड़ता।।

हर चीज को वो काटा करे।
किशी का न वो लिहास करे।।

चूहे राजा मान भी जाओ।
अब ना तुम हमको सताओ।।

वरना हम बिल्ली को लायेंगे।
तुम्हारी हम संख्या घटायेंगे।।

फिर तुम हमसे कुछ न कहना।
मान भी जाओ अब सीधे वरना।।
(सागर)

5 गिल्लू

यह है मेरा नन्हा गिल्लू
पकड़े जब तब माँ पल्लू
पतली पतली इसकी मूँछ
झाड़ू सी है इसकी पूंछ

पैरों का यह स्टूल बनाता
झट से उस पर बैठ जाता है
दोनों हाथ में काजू पकड़े
कूट कुट कर फिर मुँह से कुतरे

गोल गोल है आँख नचाता
गोदी में फट से चढ़ जाता
पापा जब भी घर पर आते
पैरों में लिपटा ही जाता
घुड़की दे जब उसे भगाते
खाली जूते में घुस जाता
“भावना शेखर”

6 नन्हा चूहा

नन्हा चूहा दौड़ रहा था
मेरे पूरे घर भर में
उसके पीछे भाग रहा था
सोनू घर आंगन में
चूहा था शैतान बड़ा
झट चढ़ता पर्दों पर
कभी टांड पे मूँछ हिलाता
कभी भागता टीवी पर
परेशान हो सोनू बोला
माँ दे दो चूहेदानी
कैद करूँगा जब उसमें तो
याद आएगी इसको नानी
रोटी की लालच में चूहा
भूला सोनू की चालाकी
कुतर के रोटी ज्यों ही घूमा
बंद हुई खट चूहेदानी

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