Poem on Sports in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय खेल पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. खेल से हमारे शरीर और मष्तिष्क दोनों स्वस्थ रहता हैं. सरकार भी स्कूलों और कलेजों में खेल की कई प्रतियोगिता कराती हैं. जिससे खेल के प्रति लोग जागरूक हो. प्रतेक वर्ष 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता हैं.
अब आइए नीचे कुछ Sports Poem in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी खेल पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
खेल पर कविता
1. खेल में भी करियर बनाने लगे है युवा
खेल में भी करियर बनाने लगे है युवा,
अपने हुनर का दम दिखाने लगे है युवा,
जो उनके खेलने के खिलाफ थे
अब उनको भी अपने खेल से चौकाने लगे है युवा।
मौका नहीं मिलता बेटियों को
इस बात का गम है,
जिन बेटियों को मौका मिला
उन्होंने दिखाया अपना दम है.
कुछ भी कर सकती है बेटियां
उन्होंने ये कर के दिखाया है,
कई गोल्ड मेडल लाकर
पूरी दुनिया को बताया है.
अब हर कोई जागरूक होने लगा है,
अब कोई खेल छोटा न रहा
अब तो ये बड़ा होने लगा है.
अब किसी बच्चे की पढ़ाई न हो अधूरी,
पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी है जरूरी।
– दुनियाहैगोल
2. खेल पर कविता
सिंधु, साक्षी और दीपा ने,
गौरव देश का बढ़ाया है,
अपने उच्च प्रदर्शन से रियो ओलंपिक में,
भारत को सम्मान दिलाया है,
बेटियां कम नहीं है बेटो से,
ये सबको अहसास दिलाया है,
अपने मातपिता, परिवार के संग,
देश का सिर गर्व से ऊँचा उठाया है,
रखती हैं हौसला बेटियां भी,
छूने का बुलंदियां आसमान की,
उनको गर पंख फैलाने दो,
पहचान उन्हें भी बनाने दो,
ऐसा करिश्मा इन बेटियों ने,
करके दिखलाया है,
अपनी मेहनत और लगन से,
ओलिम्पक खेल में नया इतिहास रचाया है।।
– By:Dr Swati Gupta
3. क्रिकेट खेल पर कविता
खूब करिश्मा दिखाता है बैट,
हुनरमंद हाथों में जब आता है बैट,
कोहली का साथ हो तो
चौका-छक्का खूब लगता है बैट.
क्रिकेट में सबको बल्लेबाजी भाती है,
पर सबको बल्लेबाजी कहाँ आती है,
रोहित शर्मा थोड़ी देर टिक जाए तो
बैट निश्चित ही शतक बनाती है.
अच्छे बॉल पर भी रन लाता है बैट,
जब अच्छे खिलाड़ी के हाथों में आता है बैट,
जो खिलाड़ी खेल नहीं पाते है
उनको आउट करवाता है बैट.
दर्शको से ताली खूब बजवाता है बैट,
सबके हृदय में ख़ुशी की लहर दौड़ाता है बैट,
जीत की उम्मीद लगी रहती है
जब धोनी के हाथों में होता है बैट.
अच्छी खिलाड़ी के हाथो में ही भाता है बैट,
अच्छी गेंद पर आउट हो जाता है बैट,
थोड़ा सा सबको मायूस कर जाता है बैट
जो दिखलाये चतुराई उसको जीत दिलाता है बैट.
4. खेल का महत्व
बच्चे हो या बूढ़े सबको पसंद है खेल-कूद,
खेलों से अच्छा हो जाता हमारा मूड.
ताकत के साथ-साथ बढ़ता है दिमाग,
पूरे शरीर में लगती है तंदरूस्ती की आग.
खेलने से होता है बीमारियों का नाश,
खेल भी एक आहार है अपने लिए ख़ास.
मेहनत और विश्वास से हम भी होंगे बड़े,
पदक जीतकर सबसे आगे होंगे खड़े.
पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी जरूरी है,
दोनों आपस में जुडी हुई एक कड़ी है.
– Prafful Sharma
5. खेल खेल में संवरे जीवन
खेल खेल में संवरे जीवन, खेल खेल में उपहार मिले।
कभी कभी ऐसी पहचान की सारे जहाँ में प्यार मिले।।
प्यार मिले प्रशंसा संग, खुशियों के है रंग खिले।
शरीर हो सेहत में फिट, देखो जी अंग अंग मिले।।
अंग खिले निखरा यौवन, मानो बिखरा पड़ा हो सावन।
सपने होते पूरे सारे, हो गया जीवन सच मन भावन।।
मन भावन मिले जीवनसाथी, प्रतिभा को सब सलाम करे।
घर परिवार से शहर तक, आप जी सब का नाम करें।।
नाम करे देश का विदेशों में लहरा दें तिरंगा प्यारा।
देख आप को पा जाते दूजे देखो जीवन में यह किनारा।।
किनारा मंजिल राह की देखो जी बन जाते आप तस्वीर।
खेल बना खेल खेल में खेलने वाले की यह तकदीर।।
तक़दीर है यह खेल में, खेल इंडिया खेल।
विनर होगा वह भी, जो पढाई में हुआ फ़ैल।।
— Lokesh Indoura
6. जला दी तुमने मशाल जो स्पोर्ट्स के जहांन में
जला दी तुमने मशाल जो स्पोर्ट्स के जहांन में।
नाम होगा फिर तुम्हारा देखना जी महान में।।
महान बनने के लिए चाहिए बस मुट्ठी भर हिम्मत।
फिर देखना देख कैसे बदलती तेरी किस्मत।।
किस्मत तो लिखते लोग अपने जूनून से।
महान वही नहीं जो लिख गए अपने खून से।
खून तो गेम्स में भी देश के लिए धड़केगा।
इक साहस की चिंगारी से बदन में शोला भड़केगा।।
भड़क उठेगी ज्वालाएं, देश को पदक दिलाने में।
विरोधी खिलाडी के मैदान से छक्के छुड़ाने में।।
छुड़ाये जायेंगे फिर पटाखे, दिवाली मनाई जाएगी घर घर।
टीवी में आएगा अपना हीरो सबको नजर।।
नजर डालोगे खेल में जी तो नजरिया बदल जायेगा।
केवल पढाई पढाई से शायद यह जीवन फिसल जायेगा।।
फिसल जाये क्यों सम्भालिये इसे खेल खेल में।
दौलत शोहरत सब कुछ सच में पालेंगे आप खेल खेल में।
7. खेलों का अब दौर चला है
खेलों का अब दौर चला है
चमका लो अपना जीवन
लक्ष्य पूरा होगा तेरा
नहीं राह में कोई बंधन
खेल जहाँ में दुनिया भर
बस एक कोई अपनाना है
सफलताओं का प्यारे
इसमें अपार खजाना है
सोच गई पुरानी वह कि
खेलो कूदो हो जाओ ख़राब
अब तो पढाई के संग खेल
हो जाओगे जी आप नवाब
मिलेंगे भले ही चुनौतियां
जहाँ में तुमको अपार
पर इन को जितने में ही
तो जीवन को मिले सच्चा उपहार
ना रहो जी अब पीछे
बस लेके आ जाओ जी जूनून
देखना बिछायेगा पलकें
तुम्हारे लिए आसमान से मून
तारों से चमकोगे तुम
इस ख़ूबसूरत जहान में
होगी तुम्हारी गिनती प्यारे
इक प्यारे इंसान में
सो ठान लो जिद्द
यदि कर कुछ दिखाना
देखोगे फिर बस तुम्हारी ओर
देखेगा सारा ज़माना
8. बच्चे हो या बूढ़े सबको पसंद है खेल-कूद
बच्चे हो या बूढ़े सबको पसंद है खेल-कूद,
खेलों से अच्छा हो जाता हमारा मूड.
ताकत के साथ-साथ बढ़ता है दिमाग,
पूरे शरीर में लगती है तंदरूस्ती की आग.
खेलने से होता है बीमारियों का नाश,
खेल भी एक आहार है अपने लिए ख़ास.
मेहनत और विश्वास से हम भी होंगे बड़े,
पदक जीतकर सबसे आगे होंगे खड़े.
पढ़ाई के साथ-साथ खेल भी जरूरी है,
दोनों आपस में जुडी हुई एक कड़ी है.
9. खेल जरूरी है जीवन में
खेल जरूरी है जीवन में ,तन मन का करता यह विकास!
जीवन का हिस्सा बना खेल,जीवन में लाता है प्रकाश!!
यह तनाव को करता दूर, रोगों का करता है ये नास!
इससे आती है तंदुरस्ती,और होता है बुद्धि विकास!!
खेल खेलने से तन थकता,मन ना थकता बहुत बार!
इससे शरीर में आती ताकत,रोगों का ये है हथियार!!
खेल जरूरी है जीवन में……
Anurag Purohit
10. कहाँ खेलें क्रिकेट
लो जी हम तो हैं तैयार
आए नहीं बाकी के चार
कब से खड़े सजाकर हैट
हाथों में पकड़े हैं बैट
सोनू मोनू सोच रहे हैं
कहाँ पर मिलें खुले मैदान
कंक्रीट के जंगल हैं अब
कारण से हम नहीं अनजान
छक्के जब जब दूर गए
घरों के शीशे टूट गए
कान पकड़ कर आंटी लाए
मम्मी को ये बात न भाए
हमको बात समझ में आई
स्टेडियम में खेलो भाई
“शील कौशिक”
11. समझ न आता
रोज होंठ अपने रंगती
दादी खाकर पान
पर मैं तो झट कहती
बच्चों को करता नुक्सान
दादा शतरंज खेल सदा ही
चलते तरह तरह की चाल
पर मैं चलती तो कहते
चलना चाल बुरी है बात
चाचा क्रिकेट खेल सदा ही
जीतते ट्रॉफी सम्मान
पर मैं खेलूँ तो कहते
नहीं तुम्हारे बस की बात
पापा बैठ दोस्तों के संग
हँस हँस पीते और पिलाते
पर मैं पिउं तो झट कहते
यह है बड़ी गंदी बात
मम्मी कहती कर नकल बड़ों की
देख बड़ों के काम
पर जब करती चपत लगातीं
आफत आ जाती राम
नहीं समझ में मेरे आता
जरा बताओ तो तुम भैया
ये बड़े करके मना हमें
क्यों करते है ऐसे काम??
“मंजु महिमा”
12. हँस हँस मारें छक्का
खेल खेल में चुन्नू मुन्नी
करते है तकरार
चुन्नू भैया रूठ गये तो
दिल में पड़ी दरार
बने मूर्ति ऐसे वह तो
फूल के हो गये कुप्पा
करी गुदगुदी मुन्नी ने तब
हँस हँस मारें छक्का
इधर उधर को दोनों दौड़े
हँस हँस देखे कक्का
कोई किसी के हाथ न आए
हो रही धक्कम धक्का
“राकेश चक्र”
13. आओ खेलें खेल नया
हाथ में लकड़ी, आँख पे चश्मा गोल लगा
आधी धोती पैरों में है, आधी से है बदन ढँका
चरखा अहिंसा, सत्याग्रह से, लेकर आया आजादी
राष्ट्रपिता वह कहलाता
क्या नाम तुम्हें उसका आता?
श्वेत कबूतर के पंखों सी पहनी जिसने है अचकन
बच्चों के संग खेलकर आ जाता जिसमें बचपन
लाल गुलाब सा कोमल दिल हैं, प्यार की उसमें है धडकन
शांति, अहिंसा, पंचशील से बना हुआ जिसका जीवन
बच्चों का चाचा कहलाता
क्या नाम तुम्हें उसका आता?
कद छोटा था मगर हिमालय जैसा अडिग इरादा
देश की जनता का प्यारा था, लगता सीधा सादा
अठारह महीने गीता के, अठारह अध्याय बने
ताशकंद से दिल्ली तक, जब रोते रोते लोग चले
जो सदा बहादुर कहलाता
क्या तुम्हें उसका आता?
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