Poem on Mountain in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय पर्वत पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Mountain Poem in Hindi आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
पर्वत पर कविता
1. तेरी खूबशूरती का दीदार
तेरी खूबशूरती का दीदार करते हैं,
जब भी मन हो घूमनें का
तेरी ही बात करते हैं
ख्यालों में हम हरदम
तेरी वादियों में होते हैं।
ये पहाड़ियाँ होती ही ऐसी हैं,
सबको अपना बनाती हैं।
हम जाते हैं बिताने
सबसे हँसी लम्हा पहाड़ों पर।
पर कभी ना सोचा हमने
क्या छोड़कर बदले में आते हैं।
चार धाम, पंच प्रयाग,
या फिर कश्मीर की हँसी वादियाँ।
सब कुछ तो मिलता है इन पहाड़ों में
फिर भी हम लौटते हैं ऐसे,
जैसे फिर वापस ना आयेंगे।
फैलाते है हर तरफ कचरा,
कहीं प्लासटिक तो कहीं बोतल।
क्या हम घूमने थे आये,
या कोई दुश्मनी पुरानी है।
सहम जाते हैं ये पर्वत,
जब देखते हैं यह मंजर।
खूबशूरत है जो दुनिया
उसे यूँ बरबाद ना करना।
आओ जब भी पहाड़ों पर
इसे बच्चों की तरह सहेज कर रखना।
2. इन पहाङी वादियो में धूल सी क्यों छा गयी
इन पहाङी वादियो में धूल सी क्यों छा गयी,
यह विकास की आंधी कैसी आयी है।
दरक रहे हैं न जाने कितने हिस्से मेरे पहाङ के,
ये टूटते पत्थर, फिसलती मिट्टी, न जाने कब कहर बन जायेगी।
प्रकृति को प्रकृति ही जुदा करने की
किसने यह तरकीब बनायी है।
सङकों के माया जाल में,
हम बन बैठे अनजान हैं।
ये कल-कल करती नदियाँ,
हर पल गिरते झरने,
और पुराने बजारो की रौनक,
कहीं गुम होते जा रहे हैं।
वो सूरज का ढलना, पहाङो में छिपना,
धूल की चादर में सिमटता जा रहा है।
चिङियों का चहकना, नदियों का कल-कल,
मशीनी आवाजों से दबता जा रहा है।
फिर आती है वर्षा, करती है तांडव,
मंजर तबाही का हमको है दिखाती।
रुलाता है हमको हर छोटा नुकसान अपना,
पर पेङों का कटना, बेघर जानवरों का होना,
क्यों नहीं हमको हे रुलाता।
जिन्दगी जीने का मायना बदला है हमने,
हर जगह मोल- भाव करते हैं यूँ ही।
विकास की आँधी चली कुछ इस कदर है,
भूल जाते हैं हम, हमको इसी प्रकृति ने है बनाया।
संजोयेंगे हम तो, प्यार करती रहेगी,
बिखेरेंगे हम तो, सन्तुलन वो खुद है बनाती।
इंतजार क्यों उस दिन का है करना,
जब बनना पड जाये मूकदर्शक हमको।
3. पर्वत ही पर्वत
पर्वत पर चढ़कर देखो
पर्वत के आगे पर्वत
पर्वत के पीछे देखो
पर्वत के पीछे पर्वत
पर्वत के दाएं पर्वत
पर्वत के बाएँ पर्वत
पर्वत के ऊपर पर्वत
पर्वत के नीचे पर्वत
ऊंचे पर्वत, छोटे पर्वत
सूखे पर्वत भूरे पर्वत
काले पर्वत, नीले पर्वत
उजले और सजीले पर्वत
चारों ओर जहाँ भी देखो
बस, पर्वत ही पर्वत
“राजा खुगशाल”
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