Poem on Hunger in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय भूख पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. पेट की भूख को मिटाने के लिए ही हमें रोज अपने काम पर लग जाना पड़ता हैं. आज भी दुनिया में ऐसे लोग हैं जिन्हें रोज एक बार का भी खाना नसीब नहीं होता हैं.
अब आइए नीचे कुछ Hunger Poem in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी भूख पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
भूख पर कविता
1. अकाल और उसके बाद
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास
कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त
कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।
दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद
कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद।
नागार्जुन
2. भूख
भूख सबसे पहले दिमाग़ खाती है
उसके बाद आंखें
फिर जिस्म में बाक़ी बची चीज़ों को
छोड़ती कुछ भी नहीं है भूख
वह रिश्तों को खाती है
मां का हो बहन या बच्चों का
बच्चे तो उसे बेहद पसन्द हैं
जिन्हें वह सबसे पहले
और बड़ी तेज़ी से खाती है
नरेश सक्सेना
3. भूख
गेहूँ की पौध में टपकती हुई लार
लटे हुए हाथ की
आज की बालियों के सेहत पूछती है।
कोई नारा नहीं, न कोई सीख
सांत्वना के बाहर एक दौड़ती ज़रूरत
चाकू की तलाश में मुट्ठियाँ खोलती है फैली हुई
हथेली पर रख देती है…
एक छापामार संकेत
सफ़र रात में तै करना है।
आततायी की नींद
एतवार का माहौल बना रही है
लोहे की जीभ : उचारती है
कविता के मुहावरे
ओ आग! ओ प्रतिकार की यातना!!
एक फूल की कीमत
हज़ारों सिसकियों ने चुकाई है।
भूख की दर्शक-दीर्घा से कूदकर
मरी हुई आँतों का शोर
अकाल की पर्चियाँ फेंकता है।
आ मेरे साथ, आ मेरे साथ आ!
हड़ताल का रास्ता हथियार के रास्ते से
जुड़ गया है।
पिता की पसलियों से माँ की आँखों से गुज़र
भाई के जबड़े से होती हुई मेरे बेटे की तनी हुई
मुट्ठी में आ! उतर! आ!
ओ आटे की शीशा!
चावल की सिटकी!
गाड़ी की अदृश्य तक बिछी हुई रेल
कोशिश की हर मुहिम पर
मैं तुम्हें खोलूँगा फिश-प्लेट की तरह
बम की तरह दे मारूँगा तेरे ही राज पर
बीन कर फेंक दूँगा
मेहनतकश की पसलियों पर
तेरा उभार बदलाव को साबित करता है
जैसे झोंपड़ी के बाहर
नारंगी के सूखे छिलके बताते हैं :
अंदर एक मरीज़ अब
स्वस्थ हो रहा है
ओ क्रांति की मुँहबोली बहन!
जिसकी आंतों में जन्मी है
उसके लिए रास्ता बन
धूमिल
4. गरीबी एवं भूख पर कविता
हाथ तेरे गंदे है, आजा मै तुझको खिलाता हूँ ।
सुना नहीं अब जिसने वो हाल तुझे सुनाता हूँ ।।
है भारत ये,भारत उनका जिनकी शानो-शौकत है।
ऐ गरीब तेरी इनायत क्या,तू तो बंदा परवर का है।।
यहाँ अमीर की बेटी पार्लर में इतना खर्चा करती है।
जितने में गरीब की बेटी अपने ससुराल को जाती है।।
है भारत ये भारत ————————– ।।1।।
सरकारें आती-जाती है,वादों से सपने सजाते है ।
भर के अपनी झोली को वो,फिर दबे पाँव चले जाते है।।
कहीँ अमीरी का आलम है,कहीँ घूसखोरी का आतंक ।
गरीब का दामन सूली पर है,और पंछी गाना भूल गये।।
है भारत ये भारत ————————- ।।2।।
संस्कार-सभ्यता की रस्में अब गरीबों पर ही निर्भर है।
दुपट्टा चाहे कितना फटा हो,फिर भी उनके सर पर ही है।।
कुछ लोग जताने गरीबों के हक के लिए लडते-भिडते है।
कुछ पल में ही वो अमीर बनकर जाने किधर को जाते है।।
है भारत ये भारत ———————— ।।3।।
सपनें,अरमान,उम्मीद,भरोसा सबकुछ बांधे रहता हूँ।
है कोई नहीँ जग में मेरा क्यूँ आशाएं जगाए रखता हूँ।।
रोना-धोना क्या इस जग में, जब सोना उसी फुटपाथ पे है।
हम लाख गुना है उनसे जिनका न कभी पेट भरता है।।
है भारत ये भारत ———————– ।।4।।
5. भूख सताती क्यों है
मम्मी भूख सताती क्यों है?
बार बार फिर आती क्यों है?
पूड़ी सब्जी रोटी खाओ
चावल दाल हजम कर जाओ
कितना दूध दही पी जाओ
रबड़ी खीर मलाई खाओ
चाट मिठाई चट कर जाओ
लोटा भर पानी पी जाओ
लेकिन पेट न भर पाता है
फिर फिर खाली हो जाता है
इतना खाने पीने पर भी
एकदम नहीं बुझाती क्यों है?
मम्मी भूख सताती क्यों है?
कैसा है यह पेट अनोखा
बार बार देता है धोखा
भर जाने पर इतराता है
भोजन से मुंह बिचकाता है
फिर चाहे कुछ भी ले आओ
मन कहता सब दूर हटाओं
खेलो कूदों या सो जाओ
लेकिन फिर खाली होने पर
सूखी रोटी भाती क्यों है
मम्मी भूख सताती क्यों है
भरा हुआ जब होता पेट
मन करता है जाऊं लेट
करूँ न कुछ भी बस सो जाऊं
मीठे सपनों में खो जाऊं
भूख शांत जब हो जाती है
गहरी नींद तभी आती है
सोकर सारी रात बिताओ
सुबह उठो फिर खाओ खाओ
लगती है जब भूख जोर की
सारी नींद उड़ाती क्यों है
मम्मी भूख सताती क्यों है
मम्मी बोली सुनो ध्यान से
क्यों हो इतने परेशान से
बिना भूख तुम क्या खाओगे
सारे स्वाद कहाँ पाओगे
मजा चाट का लोगे कैसे
दावत खूब छ्कोगे कैसे
कैसे फिर बलवान बनोगे
अच्छे अच्छे काम करोगे
अब तो समझ गये होंगे न
बार बार फिर आती क्यों है
सबको भूख सताती क्यों हैं
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