Relationship Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ रिश्तों पर बेहतरीन शायरी का संग्रह दिया गया हैं. रिश्ते इन्सान के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. रिश्ते एक दुसरे के प्रति विस्वास बढ़ाते हैं. एक सच्चा रिश्ता हमें प्रेम करना एवं त्याग करना भी सिखाता हैं. और एक दुसरे के सुख दुःख में शामिल होने के लिए प्रेरित करता हैं.
अब आइये यहाँ पर कुछ नीचे True Relationship Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी रिश्तों पर शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
रिश्तों पर बेहतरीन शायरी, True Relationship Shayari in Hindi
(1) चलो कहीं पे तअल्लुक़ की कोई शक्ल तो हो
किसी के दिल में किसी की कमी ग़नीमत है
– आफ़ताब हुसैन
(2) सरहदें रोक न पाएँगी कभी रिश्तों को
ख़ुश्बूओं पर न कभी कोई भी पहरा निकला
– अज्ञात
(3) दिल के रिश्ते अजीब रिश्ते हैं
साँस लेने से टूट जाते हैं
– मुस्तफ़ा ज़ैदी
(4) रखे रखे हो गए पुराने तमाम रिश्ते
कहाँ किसी अजनबी से रिश्ता नया बनाएँ
– साबिर
(5) एक रिश्ता भी मोहब्बत का अगर टूट गया
देखते देखते शीराज़ा बिखर जाता है
– नुशूर वाहिदी
(6) क्या क़यामत है कि तेरी ही तरह से मुझ से
ज़िंदगी ने भी बहुत दूर का रिश्ता रक्खा
– आलोक मिश्रा
(7) ‘तलब’ बड़ी ही अज़िय्यत का काम होता है
बिखरते टूटते रिश्तों का बोझ ढोना भी
– ख़ुर्शीद तलब
(8) रिश्ता बहाल काश फिर उस की गली से हो
जी चाहता है इश्क़ दोबारा उसी से हो
– इरशाद ख़ान ‘सिकंदर’
(9) ऐसे रिश्ते का भरम रखना कोई खेल नहीं
तेरा होना भी नहीं और तेरा कहलाना भी
– वसीम बरेलवी
(10) दामन किसी का हाथ से जाता रहा मगर
इक रिश्ता-ए-ख़याल है जो टूटता नहीं
– अज्ञात
(11) नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
– जौन एलिया
(12) रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे
हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे
– शकील जमाली
(13) एक महाज़ पे हारे हैं हम
ये रिश्ता क्या कम रिश्ता है
– शारिक़ कैफ़ी
(14) दिल से दुनिया का जो रिश्ता है अजब रिश्ता है
हम जो टूटे हैं तो कब शहर सलामत होगा
– असद बदायुनी
(15) इन रातों से अपना रिश्ता जाने कैसा रिश्ता है
नींदें कमरों में जागी हैं ख़्वाब छतों पर बिखरे हैं
– राहत इंदौरी
(16) मौसम मौसम याद में तेरी तन्हा हम ने काट दिए
इक लम्हे के मेल का रिश्ता सच है कोई रिश्ता भी
– सय्यद आरिफ
(17) ख़ामोशी का शोर से रिश्ता
ये भी अजब सी बात है यारों
– मुशताक़ सदफ़
(18) सच के धागे से जो बने रिश्ता
उम्र भर उस्तुवार रहता है
– इब्न-ए-मुफ़्ती
(19) मैं सितारा नहीं हूँ सूरज हूँ
गहरा रिश्ता है मेरा मिट्टी से
– ख़लील रामपुरी
(20) बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है..
यहां मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है..!
(21) एक मैं हूँ कि समझ नही सका खुद को आज तक !!!
और एक ये दुनिया वाले हैं जो न जाने क्या क्या समझ लेते हैं.
(22) मुलाकातें जरूरी हैं,
अगर रिश्ते निभाने हैं,
वरना लगाकर भूल जाने से,
तो पौधे भी सूख जाते हैं…
(23) अक्सर हम जिन्दगी में अपने बहुमूल्य रिश्तों
को अपने झूठे अभिमान के आग में जला कर नष्ट कर देते हैं…
(24) खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैं,
हँसती आँखों में भी जख्म गहरें होते हैं,
जिनसे अक्सर रूठ जाते है हम
असल में उनसे ही रिश्ते ज्यादा गहरे होते हैं…
(25) तुझे तो मिल गये होंगे,
कई नये साथी लेकिन
मुझे आज भी हर मोड़ पर
तेरी कमी महसूस होती हैं.
(26) झुकने से रिश्ता गहरा हो,
तो झुक जाओ,
पर हर बार आपको ही झुकना पड़े,
तो रूक जाओ…
(27) सारी जिन्दगी रखा हैं,
रिश्तों का भ्रम…
लेकिन सच पूछो तो
कोई भी अपने सिवा
अपना नही होता…
(28) कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,
कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
रिश्ते तो मिलते हैं मुकद्दर से,
बस उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो…
(29) कुछ खास रिश्ते कुछ खास समय में परखे जाते हैं…
औलाद – बुढ़ापे में
दोस्त – मुसीबत में
पत्नी – ग़रीबी में
रिश्तेदार – जरूरत में
(30) रिश्ते और विश्वास दोनों मित्र हैं…
रिश्ते रखो या ना रखो पर
पर विश्वास ज़रूर बनाये रखना…
क्योकि जहाँ विश्वास होता हैं
वहाँ रिश्ते अपने आप बन जाते हैं…
(31) किसी भी रिश्ते की सिलाई,
अगर भावनाओं से हुई हैं तो टूटना मुश्किल हैं
और अगर स्वार्थ से हुई हैं तो टिकना मुश्किल हैं…
(32) दिल से बने जो रिश्ते उनका नाम नही होता,
इनका कभी भी निरर्थक अंजाम नही होता,
अगर निभाने का जज्बा दोनों तरफ से हो,
तो ये पाक रिश्ता कभी बदनाम नही होता…
(33) रिश्ते पंछियों के समान होते हैं,
जोर से पकड़ो तो मर सकते हैं,
धीरे से पकड़ो तो उड़ सकते हैं,
लेकिन प्यार से पकड़ के रखो,
तो जिन्दगी भर साथ रह सकते है…
(34) माफ़ी मागने से कभी यह साबित नही होता
कि हम गलत हैं और वो सही हैं…
माफ़ी का असली मतलब हैं कि हममें रिश्ता
निभाने की काबलियत उससे ज्यादा हैं…
(35) रिश्तों की ही दुनिया में अक्सर ऐसा होता हैं,
दिल से इन्हें निभाने वाल ही रोता हैं,
झुकना पड़े तो झुक जाना अपनों के लिए
क्योकि हर रिश्ता एक नाजुक समझौता होता हैं.
(36) वक्त कुछ यूँ कट गया,
हम दोनों के हिस्से आधा-आधा बंट गया…
(37) हमारी ‘कद्र’ उन्हें तब होगी..
जब मतलब के ‘रिश्ते’ और
रिश्तों का ‘मतलब’ समझ आएगा…
(38) रिश्ते-नाते कभी जिन्दगी के साथ-साथ नही चलते,
रिश्ते एक बार बनते हैं और फिर जिन्दगी रिश्तों
के साथ साथ चलती हैं…
(39) साथ छोड़ने वालों को तो एक बहाना चाहिए,
वरना निभाने वाले तो मौत के दरवाजे तक साथ नही छोड़ते.
(40) रिश्ते कभी भी “कुदरती” मौत नही मरते
इनका हमेशा ‘इंसान’ ही कत्ल करता हैं
‘नफ़रत’ से
‘नजरअंदाजी’ से
तो कभी ‘गलतफ़हमी’ से…!!!
(41) दिल से लिखी बात दिल को छू जाती हैं,
ये अक्सर अनकही बात कह जाती हैं,
कुछ लोग दोस्ती के मायने बदल देते हैं,
और
कुछ लोगो की दोस्ती से दुनिया बदल जाती हैं.
(42) किसी को नजरों में ना बसाओ,
क्योकि नजरों में सिर्फ “सपने” बसते हैं,
बसाना ही हैं तो दिल में बसाओ,
क्योकि दिल में सिर्फ “अपने” बसते हैं.
(43) निकाल के जिस्म से जो अपनी जान देता हैं,
बड़ा ही मजबूत है वो पिता जो कन्यादान देता हैं…
(44) कोई मुझ से पूछ बैठा
“बदलना” किसे कहते हैं?
सोच में पड़ गया हूँ
मिसाल किस की दूँ?
“मौसम” की या “अपनों” की.
(45) शब्द उतने ही बाहर निकालने चाहिए,
जिन्हें वापिस भी लेना पड़े तो खुद
को तकलीफ ना हो…
(46) खुद के इस हुनर को जरूर आजमाना,
जब जंग हो अपनों से तो हार जाना…
(47) अपने गमों की तू नुमाईस न कर,
अपने नसीब की यूँ आजमाईस न कर,
जो तेरा हैं वो ख़ुद तेरे दर पर चल के आयेग,
रोज उसे पाने की ख्वाहिश न कर…
(48) एक मिनट लगता हैं,
रिश्तों का मजाक उड़ाने में,
और सारी उम्र बीत जाती हैं,
एक रिश्ते को बनाने में…
(49) हर रिश्ते में विश्वास रहने दो,
जुबान पर हर वक्त मिठास रहने दो,
यही तो अंदाज हैं जिन्दगी जीने का,
न खुद रहो उदास, न दूसरों को रहने दो…
(50) मशहूर होना पर मगरूर न होना,
कामयाबी के नशे में चूर न होना,
मिल जाए सारी कायनात आपको
मगर इसके लिए कभी ‘अपनों’ से दूर न होना…
(51) न तेरी शान कम होती और न तेरा रूतबा घटा होता,
जो गुस्से में कहा, वही हँस के कहा होता…
(52) रिश्तों में प्यार की मिठास रहे,
एक न मिटने वाल एहसास रहे,
कहने को छोटी से हैं ये जिन्दगी,
लम्बी हो जाए अगर अपनों का साथ रहे.
(53) जरूरी नहीं कि सारे सबक किताबों से ही सिखे,
कुछ सबक ज़िन्दगी और रिश्ते भी सिखा देते हैं।
(54) कोई रिश्ता जब खामोसी से टूटता है तो,
साथ में कोई न कोई एक शक़्स भी टूट जाता है।
(55) रिश्ते निभाना हर किसी के बस कि बात नहीं,
अपना दिल भी दुखाना पड़ता है,,
किसी और की ख़ुशी के लिए।
(56) उंगलियां ही निभा रही है,
रिश्ते आजकल जुबां से।
निभाने का वक़्त कहाँ है,
सब टच में बिजी हैं,,
पर टच में कोई नही है।
(57) मेहंदी की तरह रिश्ते होते चले गए,
शुरू में गहरे फिर फीके होते चले गए।
(58) छुपे-छुपे से रेहते हैं सरेआम नही होते,
कुछ रिशते सिर्फ अहसास हैं, उनके नाम नही होते।
(59) किसी को नजरों में न बसाओ,
क्योंकि नजरों में सिर्फ सपने बसते हैं।
बसाना ही हैं तो दिल में बसाओ,
क्योंकि दिल में सिर्फ अपने बसते हैं।
(60) रिश्तों की दलदल से कैसे निकलेंगे,
हर साज़िश के पीछे अपने निकलेंगे।
(61) समझ नहीं आता कि,
लापरवाह है रिश्ते या बेपरवाह।
(62) वो मेरे घर नहीं आता मैं उस के घर नहीं जाता,
मगर इन एहतियातों से तअल्लुक़ मर नहीं जाता।
(63) कुछ ऐसे हो गए हैं इस दौर के रिश्ते,
जो आवाज तुम ना दो तो बोलते वो भी नहीं।
(64) तबाही की बड़ी ख़्वाहिश थी,
तभी तो दिल लगा बैठे थे।
ज़रा भी इल्म ना था उनके इन इरादों का,
बंजर जमीं से हरियाली की आस लगा बैठे थे।
(65) कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
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