Shailesh Lodha Shayari : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय शैलेश लोढ़ा की शायरी का संग्रह दिया गया हैं. शैलेश लोढ़ा का जन्म 8 नवम्बर 1969 को जोधपुर राजस्थान के एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था. यह पेशे से एक अभिनेता, कवि, लेखक, हास्यकार, व्यंगकार है. टीवी सिरिअल तारक मेहता का उल्टा चश्मा जो टेलिविज़न पर सबसे ज्यादा दिन तक चलने वाला सिरिअल हैं. इसमें इन्होने तारक मेहता का किरदार निभाया है.
अब आइये यहाँ पर कुछ नीचे Shailesh Lodha Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी शैलेश लोढ़ा की शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
शैलेश लोढ़ा शायरी, Shailesh Lodha Shayari in Hindi
(1) 21वीं सदी का बस इतना सा प्रभाव है,
पहले अभाव में खुशियां थीं,
अब खुशियों का अभाव है.
शैलेश लोढ़ा
(2) छत नहीं रहती, दहलीज नहीं रहती दीवारों दर नहीं रहता
घर में बुजुर्ग ना हो तो घर, घर नहीं रहता।
शैलेश लोढ़ा
(3) हम जुल्फ की तारीफ़ में सारी रात गीत गा देते है,
सुबह दाल में एक बाल आ जाएँ मुंह पर खींच कर मार देते है.
शैलेश लोढ़ा
(4) ताले है चाबियाँ है पर उनका आभास खत्म हो गया है,
पड़ोसी है लेकिन उनका विश्वास खत्म हो गया है.
शैलेश लोढ़ा
(5) सच है इरादे हमारे विध्वंसक नहीं है,
अकारण युद्ध के हम भी प्रशंसक नहीं है,
अहिंसा के पुजारी है हम लेकिन
सुन ले दुनिया अहिंसक है हम नपुंसक नहीं है.
शैलेश लोढ़ा
(6) जिस दिन तू शहीद हुआ ना जाने
किस तरह तेरी माँ सोई होगी
मैं तो बस इतना जानू कि वो गोली भी
तेरे सीने में उतरने से पहले रोई होगी.
शैलेश लोढ़ा
(7) आदमी बन जो धरा का भार कंधो पर उठाये
बाँट दे जग को ना अमृत बूँद अधरों पर लगाये
है जरूरत आज ऐसे आदमी की विश्व को फिर
विश्व का विष सिंधु पी जाए मगर हिचकी ना आये.
शैलेश लोढ़ा
(8) सहजता थी सादगी थी बंदगी थी
ये वाट्सअप और फेसबुक नहीं थी
तब ज़िंदगी थी ,
(9) सुकून जिसे कहते हैं अक्सर नहीं मिला
नींद नहीं मिली कभी बिस्तर नहीं मिला
सारे चमक चेहरे पे पसीने की है ज़नाब
विरसे में हमे कभी कोई जेवर नहीं मिला
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