Safar Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय सफर शायरी का संग्रह दिया गया हैं. हमें ताउम्र जीवन में किसी मंजिल की तलाश में सफर करना पड़ता हैं. जिसमे हमें बहुत सारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं. इस सफ़र में कभी सुख ख़ुशी का अनुभव होता हैं. तो कभी दुःख और परेशानियों का भी सामना करना पड़ता हैं.
आइये कुछ नीचे Safar Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी सफर शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
सफर शायरी, Safar Shayari in Hindi
(1) दहशत सी होने लगी है इस सफर से,
अब तो ए-जिंदगी कहीं तो पहुँचा दे,
खत्म होने से पहले !
(2) अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम हैं
रुख़ हवाओं का जिधर का है उधर के हम हैं
-निदा फ़ाज़ली
(3) आज तक उस थकान से दुख रहा है बदन,
एक सफ़र किया था मैंने ख़्वाहिशों के साथ
(4) बड़े बड़े ग़म खड़े हुए थे रस्ता रोके राहों में
छोटी छोटी ख़ुशियों से ही हम ने दिल को शाद किया
-निदा फ़ाज़ली
(5) ज़िंदगी यूं हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
– गुलज़ार
(6) है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को
कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है
– शहरयार
(7) किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
-अहमद फ़राज़
(8) इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई
हम न सोए रात थक कर सो गई
-राही मासूम रज़ा
(9) मुझे ख़बर थी मेरा इन्तजार घर में रहा,
ये हादसा था कि मैं उम्र भर सफ़र में रहा
-साक़ी फ़ारुक़ी
(10) डर हम को भी लगता है रस्ते के सन्नाटे से
लेकिन एक सफ़र पर ऐ दिल अब जाना तो होगा
– जावेद अख़्तर
Safar Shayari in Hindi
(11) ग़म हो कि ख़ुशी दोनों कुछ दूर के साथी हैं
फिर रस्ता ही रस्ता है हँसना है न रोना है
-निदा फ़ाज़ली
(12) ज़िंदगी एक सुहाना सफर है,
अगर साथ एक मनचाहा हमसफ़र है।
(13) वो जीवन में क्या आये बदल
गयी जिंदगी हमारी,
वरना सफर-ए-जिंदगी
कट रही थी धीरे-धीरे!
(14) वापसी का सफर अब मुमकिन नही,
हम तो निकल पड़े आँख से आँसू की तरह।
(15) तेरी जिंदगी की असलियत का
जब तुझ पर असर होगा,
असल में उस समय ही
शुरू तेरे जीने का सफ़र होगा।
(16) यूँ तो ए ज़िन्दगी तेरे सफर से
शिकायतें बहुत थी,
मगर दर्द जब दर्ज कराने पहुँचे
तो कतारें बहुत थी।
(17) काश, तेरी जुदाई की कोई सरहद होती,
पता तो रहता अभी कितना
सफर और तय करना है।
(18) ज़िंदगी के सफर में किसी के
साथ का क्या भरोसा,
अकेले आये थे अकेले जाना है!
सफर शायरी दो लाइन
(19) रस्ते कहाँ खत्म होते हैं जिंदगी के सफर में,
मंजिल तो वही है जहां ख्वाहिशें थम जाएँ!
(20) बादलों की ओट से सूरज निकलने वाला है,
सफर जारी रखो, वक्त बदलने वाला है।
(21) इरादे मजबूत हो तो सब मुमकिन है,
कोई सफर ऐसा नही जो मुश्किल है।
(22) एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों
जिसमे पैर नहीं दिल थक जाते हैं।
(23) अजीब सा सफर है ये ज़िंदगी,
मंजिल मिलती है मौत के बाद!
(24) अकेले ही तय करने होते है कुछ सफर,
हर सफर में हमसफर नहीं होते।
(25) उम्मीद की रोशनी है जब तक,
सफर जारी है तब तक,
मंजिल मिलेगी आज नहीं तो कल तक।
(26) ना पूछो कि मेरी मंज़िल कहाँ हैं,
अभी तो सफ़र का इरादा किया है,
ना हारूँगा हौंसला उम्र भर,
ये मैंने किसी से नहीं खुद से वादा किया है।
(27) निकला था घर से मंजिल
की और आज तक मालूम नहीं पड़ा
अभी सफर कितना बाकी है।
(28) दिल से मांगी जाए तो हर दुआ में
असर होता है, मंजिलें उन्हीं को मिलती
हैं जिनकी जिंदगी में सफ़र होता है।
(29) बहुत कुछ सिखाया जिंदगी के सफर
अनजाने ने, वो किताबों में दर्ज़ था
ही नहीं जो पढ़ाया सबक ज़माने ने।
(30) जरूरत कहा ख़तम होती है
जिंदगी के सफर में,
चलते ही रहना पड़ेगा मंजिल
को पाने में।
सफर शायरी
(31) गलती कबूल करने और गुनाह,
छोड़ने में कभी देर ना करें,
क्योकिं सफर जितना लम्बा होगा,
वापसी उतनी ही मुश्किल हो जायेगी।
(32) ना थके हैं कभी पैर,
ना कभी हिम्मत हारी है,
जज्बा है कुछ बनने का ज़िंदगी में,
इसलिये सफर जारी है।
(33) अजीब सी पहेलियां हैं मेरे हाथों की लकीरों में,
लिखा तो है सफर मगर मंजिल का निशान नहीं !
(34) जिन्दगी के सफर में ये बात भी आम रही
की मोड़ तो आये कई मगर मंजिले गुमनाम रही !
(35) अब जाना मैंने ज़िंदगी क्या है,
सफर में भी हूँ लेकिन जाना कहीं नहीं है !
(36) वो जीवन में क्या आये बदल गयी जिंदगी हमारी,
वरना सफर ए-जिंदगी कट रही थी धीरे-धीरे !
(37) किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िल
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा!
(38) मायूस हो गया हूँ जिंदगी के सफर से,
कुछ इस कदर,
कि ना खुद से मिल पा रहा हूँ ना मंजिल से !
(39) हमे तो पता था की तू कहीं,
और का मुसाफीर था,
हमारा शहर तो बस यूं ही तेरे,
रास्ते मैं आ गया था !
(40) चल वहीं ऐ दिल जहाँ हमसफर है मेरा ,
ये अजनबी रास्ते वो आखिरी सफर है तेरा !
Suhana Safar Shayari
(41) इस सफर में नींद ऐसी खो गई,
हम न सोए रात थक कर सो गई ।
(42) मंजिल बड़ी हो तो सफर में कारवां छूट जाता है,
मिलता है मुकाम तो सबका वहम टूट जाता है ।
(43) कोई हसीं नज़ारा तो चाहिये नज़र के लिए,
मंज़िल न सही राह तो चाहिए सफ़र के लये।
(44) ज़िन्दगी के सफर में कही ख्वाब टूट जाते हैं,
संभाल सकें जो अक्सर वो हाथ छूट जाते हैं।
(45) यू तो कई मुसा़फीर आये और गये,
पर वो जो कुछ पल ठहरा,
जिदगीं के मायने बदल गये।
(46) अभी तो बस चंद लफ़्ज़ों में ही
समेट कर रखा है तुम्हें,
किताबों का सफ़र तो अभी बाकी ही है।
(47) कशमकश के इस सफर को छोड़ नहीं पाता हूं,
हर मोड़ पे तुझे छोड़कर तुझमें ही मिल जाता हूं।
(48) थोड़ी सी मुस्कुराहट बरकरार रखना,
सफर में अभी और भी किरदार निभाने हैं।
(49) उम्र बिना रुके सफर कर रही है,
और हम ख़्वाहिशें लेकर वहीं खड़े हैं।
(50) ये भी है कि मंजिल तक पहुंचे नहीं हैं हम,
ऐसा भी नहीं है कि सफर ख़त्म हो गया।
(51) यू ही हाथ थाम मेरा साथ निभाना,
जिंदगी का सफर संग है तेरे बिताना।
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