Ajnabi Shayari in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय अजनबी पर शायरी का संग्रह दिया गया हैं. दोस्तों जीवन में रोज कुछ अजनबी लोग मिलते रहते हैं. उनमे से कुछ अजनबी के साथ बात करना समय बिताना अच्छा लगने लगता हैं. हमारा मन करता हैं की उस अजनबी से हम रोज मिलें.
अब आइए यहाँ पर कुछ Ajnabi Shayari in Hindi में दी गई हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी अजनबी शायरी आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
अजनबी पर शायरी, Ajnabi Shayari in Hindi
(1) सताती है तुम्हारी याद जब मुझ को शब-ए-हिज्राँ
मुझे ख़ुद अपनी हस्ती अजनबी मालूम होती है
– अफ़रोज़ आलम
(2) जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है
ज़िंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है
– शहरयार
(3) अजनबी मुझ से आ गले मिल ले
आज इक दोस्त याद आए मुझे
– आसिफ़ रज़ा
(4) रहगुज़र भी तिरी पहले थी अजनबी
हर गली अब तिरी रहगुज़र हो गई
– अशहर हाशमी
(5) बदला न अपने-आप को जो थे वही रहे
मिलते रहे सभी से मगर अजनबी रहे
– निदा फ़ाज़ली
(6) सहर के साथ चले रौशनी के साथ चले
तमाम उम्र किसी अजनबी के साथ चले
– ख़ुर्शीद अहमद जामी
(7) कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है
– मंज़ूर हाशमी
(8) गो मुझे एहसास-ए-तन्हाई रहा शिद्दत के साथ
काट दी आधी सदी एक अजनबी औरत के साथ
– अनवर शऊर
(9) ख़ुद को कितना भुला दिया मैं ने
तू भी अब अजनबी सा लगता है
– अब्दुर्रहमान मोमिन
(10) इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर.
अजनबी शायरी 2 लाइन
(11) वजह पुछने का तो मौका ही कहाँ मिला?
वो लहजे बदलते गये और हम अजनबी बनते गये .
(12) चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई बात नही,
लेकिन रवैये अजनबी हो जाये तो बडी तकलीफ देते हैं .
(13) बेनाम आरजू की वजह ना पूछिए,
कोई अजनबी था रूह का दर्द बन गया.
(14) हमसे मत पूछिए जिंदगी के बारे में,
अजनबी क्या जाने अजनबी के बारे में.
(15) महफ़िलों में फिरता रहता हूँ अजनबी सा,
तन्हाइयों में भी तन्हाईयाँ नसीब नहीं होती.
(16) खुशी देने वाले अपने तो होते ही है,
पर गम देने वाले भी अजनबी नही होते.
(17) अजनबी थे तो अच्छा था,
इस जान पहचान ने कम्बखत फासले बढ़ा दिए.
(18) अजनबी बनकर निकल जाओ तो अच्छा है,
सुलग जाती है उम्मीदें बेवजह.
(19) मेरे अज़ीज़ ही मुझ को समझ न पाए हैं,
हम अपना हाल किसी ✒ अजनबी से क्या कहते.
(20) जहाँ भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का,
वँहा से अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा.
अजनबी पर शायरी
(21) ऐसा न हो कि ताज़ा हवा अजनबी लगे,
कमरे का एक-आध दरीचा खुला भी रख.
(22) अगर दोस्त ना मिलते तो कभी यकीन नहीं होता की,
अजनबी लोग भी अपनों से ज्यादा प्यारे हो सकते है.
(23) तेरा नाम था आज किसी अजनबी की जुबान पे,
बात तो जरा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया.
(24) जाते हुए उसने देखा मुझे चाहत भरी निगाहों से,
मेरी भी आँखों से आंसुओं की बरसात हुई.
(25) जहाँ भूली हुई यादें दामन थाम लें दिल का,
वहां से अजनबी बन कर गुज़र जाना ही अच्छा है.
(26) मंजिल का नाराज होना भी जायज था,
हम भी तो अजनबी राहों से दिल लगा बैठे.
(27) न जाने इतनी मोहब्बत कहाँ से आ गयी उस अजनबी के लिए,
की मेरा दिल भी उसकी खातिर अक्सर मुझसे रूठ जाया करता है.
(28) मैं तो खुद अपने लिए अजनबी हूँ तू बता
मुझ से जुदा हो कर तुझे कैसा लगा.
(29) वजह तक पूछने का मौका ही ना मिला,
बस लम्हे गुजरते गए और हम अजनबी होते गए.
(30) हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद,
हम अजनबी के अजनबी ही रहे, इतनी मुलाकातो के बाद.
Ajnabi Shayari 2 Lines
(31) बदल लेंगे हम खुद को इतना,
की तुम भी न पहचान पाओगे हमें.
अगर कभी सोचोगे हमारे बारे में,
हमें पूरी तरह ✒ अजनबी पाओगे.
(32) कल तक सिर्फ़ एक अजनबी थे तुम..
आज दिल की एक एक धड़कन की बंदगी हो तुम.
(33) इस दुनिया मेँ अजनबी रहना ही ठीक है,
लोग बहुत तकलीफ देते है अक्सर अपना बना कर.
(34) अजनबी था तो मेरे जवाबों पर तुम्हे यकीन था
कम्बख्त जान का सबब बन गयी है ये जान पहचान.
(35) उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही,
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है?
(36) वक्त ने बदल दी, तेरे मेरे रिश्ते की परिभाषा,
पहले दोस्ती, फिर अपनापन और अब अजनबी सा अहसास.
(37) उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्ते
महफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे.
(38) आँखें भिगोने लगी है अब तेरी बातें,
काश तुम अजनबी ही रहते तो अच्छा होता.
(39) इस अजनबी शहर में पत्थर कहां से आया है,
लोगों की भीड़ में कोई अपना ज़रूर है.
(40) प्यार का ज़ज़्बा भी क्या क्या ख्वाब दिखा देता है,
अजनबी चेहरों को महबूब बना देता है.
2 Line Ajnabi Shayari
(41) मैं खुद भी अपने लिए अजनबी हूं,
मुझे गैर कहने वाले तेरी बात मे दम है.
(42) अजनबी शहर में एक दोस्त मिला,
वक्त नाम था पर जब भी मिला मजबूर मिला.
(43) तेरा नाम था आज किसी अजनबी की ज़ुबान पे,
बात तो ज़रा सी थी पर दिल ने बुरा मान लिया.
(44) जिंदगी अजनबी मोड़ पर ले आई है,
तुम चुप हो मुझ से और मैँ चुप हूँ सबसे.
(45) कल तक तो सिर्फ़ एक ✒ अजनबी थे तुम,
आज दिल की हर एक धड़कन पर हुकूमत है तुम्हारी.
(46) अजीब किस्सा है ‘जिन्दगी’ का,
“अजनबी” हाल पूछ रहे हैं और अपनो को “खबर” तक नहीं..
(47) सदियों बाद उस अजनबी से मुलाक़ात हुई,
आँखों ही आँखों में चाहत की हर बात हुई.
(48) वो तारों की तरह रात भर चमकते रहे,
हम चाँद से तन्हा सफ़र करते रहे,
वो तो बीते वक़्त थे उन्हें आना न था,
हम यूँ ही सारी रात करवट बदलते रहे।
(49) अनजान ही अच्छे होते है साहब
जानने वाले दिल बहुत दुखाते है।.
(50) क्या बताएं अपने हाल जनाब हम
अजनबियों को कुछ बताते नहीं और
हमारे अपने हमे पूछते ही नहीं।
(51) कभी अनजान राहों पर भी मेरा नाम लिखते थे
वो मेरे शहर में बसते हैं अब अजनबी बन कर.
(52) ज़रा सी ज़िंदगी है, अरमान बहुत हैं,
हमदर्द नहीं कोई, इंसान बहुत हैं,
दिल के दर्द सुनाएं तो किसको,
जो दिल के करीब है, वो अनजान बहुत हैं।
(53) कई अजनबी तेरी राह में मेरे पास से यूँ गुज़र गए
जिन्हे देख कर ये तड़प हुई तेरा नाम लेके पुकार लूँ .
(54) चला दिल पे खंजर और वो दिल के पार हो गया
एक अजनबी मुलाकात हुई थी उनसे हमारी
मगर ना जाने क्यों उनसे प्यार हो गया।.
(55) सीने में दबा दर्द में सब को दिखाऊंगा
अजनबी समझती है अब वो हमे
ये गम भरा किस्सा में अब सब को बताऊंगा।
(56) जब भी मिलती है अजनबी सी लगती है
ना जाने क्यूँ हर रोज़ ये जिन्दगी इतने रंग
बदलती है..
(57) अक्सर पूछते है लोग अलग होने की वजह
मै अपनी कमी बताकर तेरी इज्जत बचा लेती हु..
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