Shikayat Shayari – आपको इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन शिकवा शिकायत शायरी का संग्रह दिया गया हैं. जिन्दगी में कुछ ऐसे पल आते हैं. जब किसी न किसी से हमलोगों को किसी बात को लेकर शिकायत होती हैं. शायरों ने शिकवा शिकायत को आधार मानकर बहुत सारे शायरी लिखी हैं.
अब आइए यहाँ पर कुछ Shikayat Shayari in Hindi में दी गई हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी 2 Lines Shikayat Shayari in Hindi आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
शिकवा शिकायत शायरी, Shikayat Shayari in Hindi
(1) शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है
रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है
– शहरयार
(2) चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है
लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई
– अख़्तर अंसारी अकबराबादी
(3) बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा
वो मिन्नतों से कहें चुप रहो ख़ुदा के लिए
– दाग़ देहलवी
(4) कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी
– मिर्ज़ा ग़ालिब
(5) कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है
– ख़ुर्शीद तलब
(6) ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
– चराग़ हसन हसरत
(7) चला जाता था ‘हातिम’ आज कुछ वाही-तबाही सा
जो देखा हाथ में उस के तिरे शिकवे का दफ़्तर था
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
(8) पा रहा है दिल मुसीबत के मज़े
आए लब पर शिकवा-ए-बेदाद क्या
इम्दाद इमाम असर
(9) हमें तो अपनी तबाही की दाद भी न मिली
तिरी नवाज़िश-ए-बेजा का क्या गिला करते
अर्शी भोपाली
(10) हाल-ए-दिल सुन के वो आज़ुर्दा हैं शायद उन को
इस हिकायत पे शिकायत का गुमाँ गुज़रा है
अब्दुल मजीद सालिक
शिकवा शिकायत शायरी
(11) वही हिकायत-ए-दिल थी वही शिकायत-ए-दिल
थी एक बात जहाँ से भी इब्तिदा करते
अज़ीज़ लखनवी
(12) आगे मिरे न ग़ैर से गो तुम ने बात की
सरकार की नज़र को तो पहचानता हूँ मैं
क़ाएम चाँदपुरी
(13) आप की क़समों का और मुझ को यक़ीं
एक भी वादा कभी पूरा किया
शोख़ अमरोहवी
(14) मुझे तुझ से शिकायत भी है लेकिन ये भी सच है
तुझे ऐ ज़िंदगी मैं वालिहाना चाहता हूँ
ख़ुशबीर सिंह शाद
(15) फ़लक से मुझ को शिकवा है ज़मीं से मुझ को शिकवा है
यक़ीं मानो तो ख़ुद अपने यक़ीं से मुझ को शिकवा है
उबैदुर्रहमान आज़मी
(16) पुर हूँ मैं शिकवे से यूँ राग से जैसे बाजा
इक ज़रा छेड़िए फिर देखिए क्या होता है
मिर्ज़ा ग़ालिब
(17) ज़रा सी बात थी अर्ज़-ए-तमन्ना पर बिगड़ बैठे
वो मेरी उम्र भर की दास्तान-ए-दर्द क्या सुनते
अज्ञात
(18) कितने शिकवे गिले हैं पहले ही
राह में फ़ासले हैं पहले ही
फ़ारिग़ बुख़ारी
(19) चाही थी दिल ने तुझ से वफ़ा कम बहुत ही कम
शायद इसी लिए है गिला कम बहुत ही कम
महबूब ख़िज़ां
(20) रौशनी मुझ से गुरेज़ाँ है तो शिकवा भी नहीं
मेरे ग़म-ख़ाने में कुछ ऐसा अँधेरा भी नहीं
इक़बाल अज़ीम
2 Lines Shikayat Shayari in Hindi
(21) शिकवा-ए-हिज्र पे सर काट के फ़रमाते हैं
फिर करोगे कभी इस मुँह से शिकायत मेरी
फ़ानी बदायुनी
(22) इश्क़ में शिकवा कुफ़्र है और हर इल्तिजा हराम
तोड़ दे कासा-ए-मुराद इश्क़ गदागरी नहीं
असर रामपुरी
(23) शिकवा अपनों से किया जाता है ग़ैरों से नहीं
आप कह दें तो कभी आप से शिकवा न करें
ख़लिश कलकत्वी
(24) सिर्फ़ शिकवे दिख रहे हैं ये नहीं दिखता तुझे
तुझ से शिकवे रखने वाला तेरा दीवाना भी है
विक्रम गौर वैरागी
(25) कह के ये और कुछ कहा न गया
कि मुझे आप से शिकायत है
आरज़ू लखनवी
(26) इक तेरी बे-रुख़ी से ज़माना ख़फ़ा हुआ
ऐ संग-दिल तुझे भी ख़बर है कि क्या हुआ
अर्श सिद्दीक़ी
(27) मेरी ही जान के दुश्मन हैं नसीहत वाले
मुझ को समझाते हैं उन को नहीं समझाते हैं
लाला माधव राम जौहर
(28) शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर किया
हम ने बे-शक बड़ा क़ुसूर किया
हसरत मोहानी
(29) बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे
जो शिकायत है हमें गर्दिश-ए-अय्याम से है
हसरत मोहानी
(30) आज उस से मैं ने शिकवा किया था शरारतन
किस को ख़बर थी इतना बुरा मान जाएगा
फ़ना निज़ामी कानपुरी
Rishte Shikayat Shayari
(31) चुप रहो क्यूँ मिज़ाज पूछते हो
हम जिएँ या मरें तुम्हें क्या है
लाला माधव राम जौहर
(32) देखने वाला कोई मिले तो दिल के दाग़ दिखाऊँ
ये नगरी अँधों की नगरी किस को क्या समझाऊँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
(33) हम अजब हैं कि उस की बाहोँ में
शिकवा-ए-नारसाई करते हैं
जौन एलिया
(34) तुम अज़ीज़ और तुम्हारा ग़म भी अज़ीज़
किस से किस का गिला करे कोई
हादी मछलीशहरी
(35) हम को आपस में मोहब्बत नहीं करने देते
इक यही ऐब है इस शहर के दानाओं में
क़तील शिफ़ाई
(36) सर-ए-महशर यही पूछूँगा ख़ुदा से पहले
तू ने रोका भी था बंदे को ख़ता से पहले
आनंद नारायण मुल्ला
(37) वो करें भी तो किन अल्फ़ाज़ में तेरा शिकवा
जिन को तेरी निगह-ए-लुत्फ़ ने बर्बाद किया
जोश मलीहाबादी
(38) किस मुँह से करें उन के तग़ाफ़ुल की शिकायत
ख़ुद हम को मोहब्बत का सबक़ याद नहीं है
हफ़ीज़ बनारसी
(39) हमारे इश्क़ में रुस्वा हुए तुम
मगर हम तो तमाशा हो गए हैं
अतहर नफ़ीस
(40) उन का ग़म उन का तसव्वुर उन के शिकवे अब कहाँ
अब तो ये बातें भी ऐ दिल हो गईं आई गई
साहिर लुधियानवी
Shikayat Shayari
(41) चुप रहो तो पूछता है ख़ैर है
लो ख़मोशी भी शिकायत हो गई
अख़्तर अंसारी अकबराबादी
(42) साफ़ इंकार अगर हो तो तसल्ली हो जाए
झूटे वादों से तिरे रंज सिवा होता है
क़ैसर हैदरी देहलवी
(43) हाँ उन्हीं लोगों से दुनिया में शिकायत है हमें
हाँ वही लोग जो अक्सर हमें याद आए हैं
राही मासूम रज़ा
(44) कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से
मगर सभी को शिकायत हवा से होती है
ख़ुर्शीद तलब
(45) सर अगर सर है तो नेज़ों से शिकायत कैसी
दिल अगर दिल है तो दरिया से बड़ा होना है
इरफ़ान सिद्दीक़ी
(46) कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
लब पे रह जाती है आ आ के शिकायत मेरी
दाग़ देहलवी
(47) बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा
वो मिन्नतों से कहें चुप रहो ख़ुदा के लिए
दाग़ देहलवी
(48) मोहब्बत ही में मिलते हैं शिकायत के मज़े पैहम
मोहब्बत जितनी बढ़ती है शिकायत होती जाती है
शकील बदायूनी
(49) क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
हफ़ीज़ जालंधरी
(50) रात आ कर गुज़र भी जाती है
इक हमारी सहर नहीं होती
इब्न-ए-इंशा
(51) आरज़ू हसरत और उम्मीद शिकायत आँसू
इक तिरा ज़िक्र था और बीच में क्या क्या निकला
सरवर आलम राज़
(52) शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है
रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है
शहरयार
(53) कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी
मिर्ज़ा ग़ालिब
(54) ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता
चराग़ हसन हसरत
(55) दिल की तकलीफ़ कम नहीं करते
अब कोई शिकवा हम नहीं करते
जौन एलिया
(56) ज़िंदगी से यही गिला है मुझे
तू बहुत देर से मिला है मुझे
अहमद फ़राज़
(57) कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोई
तू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
जौन एलिया
(58) गिला भी तुझ से बहुत है मगर मोहब्बत भी
वो बात अपनी जगह है ये बात अपनी जगह
बासिर सुल्तान काज़मी
(59) हम तो नाम भी नहीं लेते उनका किसी के सामने,
खुदा जाने उन्हें शिकायत किस बात से है।
(60) तोड़ दिया हमने सबसे रिश्ता उम्मीद का,
अब किसी से हम शिकायत नहीं करेंगे।
(61) उन्हीं में होता है रिश्ते निभाने का दम,
जो शिकवे और शिकायतें करते है कम।
(62) शिकायत है खुद से तेरा मुझे यूं छोड़ कर जाना,
फिर सोचा मर्ज़ी तुम्हारी थी तो
खुदा को क्यों बीच मे लाना।
(63) नहीं शिकायत रही अब मुझे तेरी नज़रअंदाज़गी से,
तू बकीयो को खुश रख हम तन्हा ही अच्छे है
(64) शिकायत तो बहुत है तेरे से ए-ज़िन्दगी,
पर चुप इसलिये हूँ
क्योंकि जो तूने मुझे दिया है
वह बहुतो के नसीब में नहीं।
(65) ना कर सका खुदा से शिकायत तुम्हारी,
आखिर मैंने मांगा भी तो
तुम्हे ही था अपनी दुआओ में।
(66) बहुत अंदर तक जला देती है वो शिकायतें,
जो बया नहीं होती
(67) शिकायत उन्हें कि हम याद नहीं करते,
भूले ही कहा थे जो उन्हें याद करते।
(68) जुदा तो एक दिन
सांसे भी हो जाती है,
तो शिकायत सिर्फ मोहब्बत से क्यों।
(69) इश्क़ है अगर शिकायत ना कीजिये,
और शिकवे है तो मोहब्बत ना कीजिये।
(70) यू तो कोई शिकायत नहीं मुझे मेरे आज से,
मगर कभी-कभी बीता हुआ कल बहुत याद आता है।
(71) मुझे छोड़कर वो खुश है तो शिकायत कैसी,
अब मैं उन्हें खुश भी ना देखूं तो मोहबत कैसी।
(72) शिकायत मौत से नहीं अपनो से थी मुझे,
ज़रा-सी आंख बंद क्या हुई
वो कब्र खोदने लगें
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