भगत सिंह शायरी, Bhagat Singh Shayari in Hindi

Bhagat Singh Shayari – दोस्तों आज इस पोस्ट में शहीद भगत सिंह पर बेहतरीन शायरी का कुछ संग्रह दिया गया हैं. जो जोश भर देने वाली देशभक्ति शायरी हैं. इस Shaheed Bhagat Singh Shayari को आप 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के दिन इस्तेमाल कर सकते सकते हैं. या किसी समारोह आयोजन में भी सुना सकते हैं.

यह सभी शहीद भगत सिंह शायरी हमारे अन्दर देशप्रेम की भावना को जागृत करती हैं. और इस तरह की Bhagat Singh Shayari in Hindi हमें तमाम स्वतंत्रता सेनानियों और वीर सपूतों की याद दिलाती हैं.

अब आइए यहाँ पर कुछ Bhagat Singh Shayari 2 Line दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी शहीद भगत सिंह शायरी आपको पसंद आएगी. इसे अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेयर करें.

भगत सिंह शायरी, Bhagat Singh Shayari in Hindi

Bhagat Singh Shayari in Hindi

(1) ‘दिल दे तो इस मिजाज का परवरदिगार दे
जो गमों की घड़ी भी खुशी से गुजार दे’

(2) कौन कहता है मर गए ये लोग
कौम को जिंदा कर गये ये लोग
-असर लखनवी

(3) अगर अब भी न समझोगे तो मिट जाओगे दुनिया से
तुम्हारी दास्तां तक भी न होगी दास्तानों में
-इकबाल

(4) शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरनेवालों का यही बाकीं निशां होगा
-हितैषी

(5) दरो-दीवार पे हसरत से नजर रखते हैं
रुखसत, ऐ अहले वतन हम तो सफर करते हैं
-अख्तर

(6) गाजियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की
तख्ते-लंदन तक चलेगी तेग हिंदोस्तान की
-जफर

(7) मातृभूमि के लिए मर मिटना कबूल है हमें,
केवल स्वतंत्र भारत के स्वप्न का जुनून है हमें.

(8) वतन से ख़ूबसूरत कोई सनम नही होता हैं,
तिरंगे से ख़ूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता हैं.

शहीद भगत सिंह शायरी

(9) भगत सिंह ने अपनी जान दे दी इस आजादी के लिए,
और आपस में हम लड़ रहे है छोटी-छोटी बातों के लिए.

(10) कर दी जिसने कुर्बान अपनी जवानी वतन के खातिर,
आओ हम भी खून से लिखे अपनी कहानी वतन के खातिर.

(11) वतन के रखवाले है हम,
शेर-ए-जिगर वाले है हम,
मौत से हमें क्यों डर लगेगा,
मौत के बांहों में पाले हुए है हम.

(12) मेरी सोच स्वतंत्र और गतिमान है,
भगत सिंह हूँ, जेल में भी आजाद हैं.

(13) भगत सिंह ने अपनी खून से इन्कलाब लिखा था,
जो आज भी हमारे दिलों पर उनका हस्ताक्षर हैं.

(14) लिख रहा हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इन्कलाब लाएगा,
मैं रहूँ या न रहूँ पर ये वादा है मेरा तुमसे कि
मेरे बाद वतन पर मरने वालों का सैलाब आएगा.

(15) ना तन से प्यार है, ना धन से प्यार हैं,
हमें तो बस अपने वतन से प्यार हैं.

(16) तिरंगा हो कफ़न मेरा बस यहीं अरमान रखता हूँ,
भारत माँ का इस हृदय में अमिट सम्मान रखता हूँ.

Shaheed Bhagat Singh Shayari

(17) मेरे सर पे कर्जा है भगत सिंह की चीखों का,
मेरा हृदय आभारी है उनकी दी हुई सीखों का.

(18) सीने में आग और हृदय में देशभक्ति का जूनून रखते है,
क्योंकि हमारे दिलों-दिमाग में भगत सिंह बसते हैं.

(19) लिख दो लहू से अमर कहानी वतन के खातिर,
कर दो कुर्बान हंसकर ये जवानी वतन के खातिर.

(20) सीने में जूनून आंखों में देशभक्ति की चमक रखता हूं,
दुश्मन की सांस थम जाए आवाज में इतनी धमक रखता हूं।

(21) वह मुझे मार सकते हैं लेकिन वह मुझे मेरे विचारों को नहीं मार सकते,
वह मेरे शरीर को कुचल सकते हैं मेरी आत्मा को नहीं।

(22) दिल दे तो इस मिज़ाज का परवरदिगार दे
जो ग़म की घड़ी को भी ख़ुशी से गुज़ार दे
-दाग़ देहलवी

(23) उस इंक़लाब की दस्तक सुनाई देती है
जो बस्तियों को मिटा देगा ज़लज़लों की तरह
– सैफ़ अली

(24) देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब ‘फ़िराक़’
कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़
– फ़िराक़ गोरखपुरी

Bhagat Singh Shayari 2 Line

(25) आओ, मिलकर इन्कलाबे ताजहतर पैदा करें,
दहर पर इस तरह छा जाएं कि सब देखा करें।
-मज़ाज लखनवी

(26) काम है मेरा तग़य्युर नाम है मेरा शबाब
मेरा ना’रा इंक़िलाब ओ इंक़िलाब ओ इंक़िलाब
– जोश मलीहाबादी

(27) जो अब तक ना खौला,वो खून नहीं पानी है,
जो देश के काम ना आये,वो बेकार जवानी है.

(28) जब इश्क और क्रांति का अंजाम
एक ही है तो रांझा बनने से अच्छा है
भगत सिंह बन जाओ।

(29) ज़िन्दगी तो अपने दम पर ही जी
जाती है दूसरों के कंधों पर तो
सिर्फ जनाजे उठाये जाते हैं.

(30) लिख रहा हूं अंजाम जिसका कल आगाज आएगा,
मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा।

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