Narazgi Shayari – दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको कुछ नाराजगी शायरी इन हिंदी का संग्रह दिया गया हैं. आइए इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी Narazgi Shayari in Hindi में पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
नाराजगी शायरी, Narazgi Shayari in Hindi
(1) या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन से
कल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
– जिगर मुरादाबादी
(2) दोनों जहान दे के वो समझे ये ख़ुश रहा
याँ आ पड़ी ये शर्म कि तकरार क्या करें
– मिर्ज़ा ग़ालिब
(3) भूले से कहा मान भी लेते हैं किसी का
हर बात में तकरार की आदत नहीं अच्छी
– बेख़ुद देहलवी
(4) सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो
लाभ तकरार से नहीं होता
– महावीर उत्तरांचली
(5) जब मुलाक़ात हुई तुम से तो तकरार हुई
ऐसे मिलने से तो बेहतर है जुदा हो जाना
– अहसन मारहरवी
(6) फूल कर ले निबाह काँटों से
आदमी ही न आदमी से मिले
– ख़ुमार बाराबंकवी
(7) तुम्हारे साथ में गुजरा
हर लम्हा मुझे याद आता है
तुम्हारी नाराजगी देखकर
ये दिल टूट जाता है.!!
(8) तेरी यादो के बवंडर में
रोज खुद को खो दिया करती हूं
जब भी याद आती है
तुम्हारी तो रो दिया करती हूं..!
(9) नाराज हूँ मै उससे उसने मनाया भी नही
वो लोगो से कहता फिरता है बेवफा हूँ मै !
(10) जब नफरत करते थक जाओ
एक मौका प्यार को भी दे देना !
नाराजगी शायरी 2 लाइन
(11) जब तड़पेगी तू प्यास से
तूझे वो बादल याद आएगा
जब छोड़ जाएगा तूझे वो
तब तूझे ये पागल याद आएगा !
(12) तू एक नज़र हम को देख ले
बस इस आस में कब से बेकरार बैठे है !
(13) आज तो दिल भी धमकियाँ दे रहा है
करो याद उसे वरना धड़कना छोड़ दूंगा !
(14) नफरत करोगे तो अधुरा किस्सा हूँ मै
मुहब्बत करोगे तो तुम्हारा ही हिस्सा हु मै !
(15) ज़िन्दगी का ये हूनर भी आज़माना चाहिए
जंग अगर अपनो से हो तो हार जाना चाहिए !
(16) कब तक रह पाओगे आखिर यूँ दूर हमसे
मिलना पड़ेगा कभी न कभी ज़रूर हमसे
नज़रे चुराने वाले ये बेरुखी है कैसी
कह दो अगर हुआ है कोई कसूर हम से !
(17) उसकी हर गलती भूल
जाता हूँ जब वो मासूमियत
से पूछती है नाराज है क्या !
(18) जिंदगी मे अपनापन तो हर
कोई दिखाता है पर अपना है
कौन यह वक़्त ही बताता है !
(19) लडाई कितनी भी हो हम
फिर भी तुमको मना सकते
है सोचा तुमसे बात करने
की फिर याद आता है तुमने
कहा था आप जा सकते है !
(20) मत पूछो कैसे गुजरता है
हर पल तुम्हारे बिना कभी
बात करने की हसरत कभी
देखने की तमन्ना !
नाराजगी शायरी हिंदी
(21) काश ये दिल बेजान होता
ना किसी के आने से धडकता
ना किसी के जाने पर तडपता !!
(22) इतना तो बता जाओ
खफा होने से पहले
वो क्या करे जो तुम
से खफा हो नहीं सकते !!
(23) चेहरे अजनबी हो जाये तो कोई
बात नही लेकिन रवैये अजनबी
हो जाये तो बडी तकलीफ देते है!
(24) तु हर साँस के साथ याद आती है
अब तु ही बता तेरी याद को रोक दूँ
या अपनी साँस को !
(25) अजीब शख्स है नाराज हो
के हंसता है मैं चाहता हूँ
खफा हो तो खफा ही लगे !
(26) मुझसे नाराज़ हो क्या
जो नज़रे हमसे चुराते हो
वो कौनसी ऐसी बात है
जो होथो मै अपनी दबाते हो !
(27) तुम्हारी हर अदा है सबसे नियारी
जब रूठ जाती हो तुम
तो लगती हो बहुत प्यारी !!
(28) यही सोचकर कोई सफाई
नही दी हमने कि इल्जाम झूठे
भले है पर लगाये तो तुमने है !
(29) खुद के बनाए रिश्तो मै
उलझता जा रहा हूं
एक तुझे पाने की ज़िद मै
खुद को खोता जा रहा हूं !
(30) देखा है जिंदगी मनाने को कुछ
इतने करीब से लगने लगे है
तमाम चेहरे अजीब से !
Narazgi Shayari in Hindi
(31) ठुकरा दिया तूने अच्छा
किया मुझे मोहब्बत
चाहिए अहसान नही !
(32) तुम हो मेरी धड़कन
तुम हो मेरी जान मान जाओ न अब
और कितना करेंगे हमें परेशान !
(33) मैंने वफा को बेवफा होते देखा है
मैंने अपनी मोहब्बत को
किसी ओर के बाहों में सोते देखा है !
(34) ना जाने किस बात पे आप नाराज है हमसे,
ख्वाबों मे भी मिलते है तो बात नही करते।
(35) नाराज हमसे खुशियाँ ही होती है,
गमों के तो इतने नखरे नही होते।
(36) नसीबों का मारा मैं
तेरी मोहब्बत से हारा मैं
तू दिल में बस गयी है ऐसे
तुझसे नाराज़गी में भी रोया मैं।
(37) यूँ तो हम रोज तुम्हे याद करते हैं,
दौर नाराजगी का ख़त्म हो
तो फिर बात करते हैं।
(38) शिकायतें करनी छोड़ दी हैं मैंने उससे,
जिसे फर्क मेरे आँसुओं से नहीं पड़ता,
मेरे नाराजगी से क्या होगा।
(39) आज कुछ लिख नही पा रहा,
शायद कलम को मुझसे नाराजगी है।
(40) तेरे हुस्न पे मर गए थे हम,
काश तेरा दिल पहले देख लिया होता।
(41) मैं चुप हुआ तो ये दिल रोने लगा,
तू नाराज़ क्या हुआ मेरी दुनियाँ ही बदल गयी।
(42) तुम्हें दिल से चाहा था हमने,
मगर तुम हुए ना हमारे,
हम ही से ही ये बेरुखी क्यों,
सभी दोस्त है तुमको प्यारे।
(43) जिंदगी की नाराजगी लगता है,
मुझसे खत्म हीं नहीं होगी,
जिसे हद से ज्यादा चाहा,
वो कभी मेरी नहीं होगी।
(44) वो शख्स कुछ नाराज़ सा था मुझ से,
शायद नाराजगी के साथ अकेले घर जा रहा था,
चेहरा भी कुछ खामोश सा था उसका,
लेकिन शोर उसकी आंखो में नजर आ रहा था।
(45) तेरी बात को खामोशी से मान लेना,
ये भी अंदाज़ है मेरी नाराज़गी का।
(46) ना आँखों में चमक, ना होंठों पर कोई हलचल है,
तेरी नाराजगी का ऐसा असर है कि अब तो गम हर पल है।
(47) नाराज़गी है न जाने फिर भी ये दिल क्या चाहता है,
ख्याल तुम्हारा अक्सर रूठने के बाद भी आता है।
(48) नाराज़गी भी है लेकिन किसको दिखाऊं,
प्यार भी है लेकिन किस से जताऊँ,
वो रिश्ता ही क्या जिसमे भरोसा ही नहीं,
अब उनपर हक़ ही नहीं कैसे बताऊं।
(49) आज मौसम भी कमबख्त खुशमिज़ाज है,
क्या करे अब हमारा यार थोड़ा नाराज है।
(50) देखो नाराज़गी मुझसे ऐसे भी जताती हैं वो,
छुपाती भी कुछ नही जताती भी कुछ नही।
(51) इससे आगे एक और कदम बड़ लो ना,
नरागज़ी छोड़कर मुझसे बात कर लो ना।
(52) तुझसे नहीं तेरे वक्त से नाराज़ हूँ,
जो तुझे कभी मेरे लिए मिला ही नहीं।
(53) नखरे तेरे, नाराजगी तेरी,
देख लेना, एक दिन जान ले लेगी मेरी।
(54) मुझको छोड़ने की वजह तो बता देते,
मुझसे नाराज़ थे या मुझ जैसे हज़ारों थे।
(55) यहाँ सब खामोश है कोई आवाज़ नहीं करता,
सच बोलकर कोई किसी को नाराज़ नहीं करता।
(56) उसकी ये मासूम अदा मुझे खूब भाति है,
नाराज मुझसे होती है गुस्सा सबको दिखाती है।
(57) बेशक मुझपे गुस्सा करने का हक़ है तुम्हे,
पर नाराजगी में हमारा प्यार मत भूल जाना।
(58) फितरत में नहीं हैं किसी से नाराज होना,
नाराज वो होतें हैं जिन्हें अपने आप पर गुरूर होता है।
(59) इंसान की हर बात खामोशी से मान लेना
यह भी अंदाज़ होता है नाराज़गी का।
(60) किसी को मनाने से पहले यह अवश्य जान लें
कि वो तुमसे नाराज है या परेशान।
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