Ahmad Faraz Shayari in Hindi – दोस्तों आज यहाँ पर आपको अहमद फराज की शायरी का कुछ चुनिन्दा कलेक्शन दिया गया हैं. आपको यहाँ पर Faraz Shayari in Hindi में दिया गया हैं. जो आपको बहुत पसंद आयगा.
अहमद फराज साहब का जन्म 14 जनवरी 1931 को पाकिस्तान के नौशेरा शहर में हुआ था. इनका असली नाम सैयद अहमद शाह हैं. इनको आधुनिक उर्दू के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में से एक माना जाता हैं. इनको उस ज़माने के ग़ालिब भी कहा जाता था. अहमद फराज साहब का निधन 25 अगस्त 2008 को हुआ था.
उर्दू के उम्दा शायरों में शुमार इनके गजलों और नज्मों में जो दर्द छुपा रहता हैं. उस दर्द को एक आम इन्सान भी आसानी से समझ सकता हैं. आइये अब अहमद फराज दुवारा लिखी गई शायरी को पढ़ते हैं.
अहमद फ़राज़ शायरी, Ahmad Faraz Shayari in Hindi
(1) रूठ जाने की अदा हम को भी आती है फ़राज़
काश होता कोई हम को भी मनाने वाला.
Ruth Jane Ki Adaa Ham Ko Bhi Aati Hai Faraz
Kaash Hota Koi Ham Ko Bhi Manaane Waala.
(2) उसकी बातें मुझे खुशबू की तरह लगती हैं
फूल जैसे कोई सेहरा में खिला करता है.
Uski Baatein Mujhe Khusboo Ki Tarah Lagti Hain
Phool Jaise Koi Sehara Mein Khila Karta Hai.
(3) आँखों में हया हो तो
पर्दा दिल का ही काफी है फ़राज़
नहीं तो नकाबों से भी होते हैं
इशारे मोहब्बत के.
Aankhon Mein Haya Ho To
Parda Dil Ka Hi Kaafi Hai Faraz,
Nahin To Naqabon Se Bhi Hote Hain
Ishaare Mohabbat Ke.
(4) मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया.
Mohabbat Ke Andaz Juda Hote Hain Faraz
Kisi Ne Toot Ke Chaaha Aur Koi Chaah Ke Toot Gaya.
(5) एक पल जो तुझे भूलने का सोचता हूँ फ़राज़
मेरी साँसें मेरी तकदीर से उलझ जाती हैं.
Ek Pal Jo Tujhe Bhoolane Ka Sochata Hun Faraz
Meri Saanse Meri Taqdir Se Ulajh Jati Hai.
Faraz Shayari in Hindi
(6) फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की.
Fursat Mile To Kabhi Hamein Bhi Yaad Kar Lena Faraz
Badi Pur Raunak Hoti Hai Yaadein Hum Faqiron Ki.
(7) दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो.
Dosti Apni Bhi Asar Rakhti Hai Faraz
Bahut Yaad Aayenge Jara Bhool Ke Dekho.
(8) दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए.
Deewar Kya Giri Mere Kachche Makan Ki Faraz
Logon Ne Mere Ghar Se Raste Bana Liye.
(9) वो बारिश में कोई सहारा ढूँढता है फ़राज़
ऐ बादल आज इतना बरस
की मेरी बाँहों को वो सहारा बना ले.
Wo Barish Mein Koi Sahara Dhoondata Hai Faraz
E Badal Aaj Itna Baras,
Ki Meri Bahon Ko Wo Sahara Bana Le.
(10) वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता.
Wo Roz Dekhta Hai Dube Hue Suraj Ko Faraz
Kaash Main Bhi Kisi Sham Ka Manzar Hota.
Ahmad Faraz Hindi Shayari
(11) इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं.
Is Tarah Gaur Se Mat Dekh Mera Haath Ae Faraz
In Laqiron Mein Hasraton Ke Siwa Kuch Bhi Nahi.
(12) बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला.
Bach Na Saka Khuda Bhi Muhabbat Ke Takaazon Se Faraz
Ek Mahboob Ki Khatir Sara Jahan Bana Dala.
(13) उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती.
Us Shakhs Se Bas Itna Sa Talluk Hai Faraz
Wo Pareshan Ho To Humein Neend Nahin Aati.
(14) अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.
Apne Hi Hote Hai Jo Dil Pe Waar Karte Hai Faraz,
Warna Gairon Ko Kya Khabar Ki Dil Ki Jagah Kaun Si Hai.
(15) माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना
Mana Ki Tum Guftgoo Ke Fan Mein Mahir Ho Faraz
Wafa Ke Lafz Pe Atako ToHumein Yaadn Kar Lena.
Faraz Shayari in Hindi
(16) एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है.
Ek Nafrat Hi Nahi Duniya Mein Dard Ka Sabab Faraz
Mohabbat Bhi Sakoon Walon Ko Badi Taklif Deti Hai.
(17) तुम्हारी दुनिया में
हम जैसे हजारों हैं “फ़राज़”
हम ही पागल थे
जो तुम्हे पा के इतराने लगे.
Tumhari Duniya Me
Ham Jaise Hazaron Hai “Faraz”
Hum Hi Pagal The
Jo Tumhe Pa Ke Itraane Lage
(18) ऐसा डूबा हूँ
तेरी याद के समंदर में “फ़राज़”
दिल का धड़कना भी
अब तेरे कदमों की सदा लगती है.
Aise Duba Hun
Teri Yaad Ke Samandar Me “Faraz”
Dil Ka Dhadakna Bbhi
Ab Tere Kadmon Ki Sda Laggti Hai.
(19) वो शख्स जो कहता था
तू न मिला तो मर जाऊंगा “फ़राज़”
वो आज भी जिंदा है
यही बात किसी और से कहने के लिए.
Wo Shakhas Jo Kehta Tha
Tu Na Mila To Marr Jaunga “Faraz”
Wo Aaj Bhi Zinda Hai
Yahi Baat Kise Aur Se Kahne Ke Liye.
(20) वहाँ से एक पानी की बूँद
ना निकल सकी “फ़राज़”
तमाम उम्र जिन आँखों को हम झील लिखते रहे.
Wahan Se Ek Pani Ki Bund
Na Nikal Saki “Faraz”
Tamaam Umar Jin Aankhon Ko Ham
Jheel Likhte Rahe.
Ahmad Faraz Hindi Shayari
(21) ये कह कर मुझे मेरे दुश्मन हँसता छोड़ गए
तेरे दोस्त काफी हैं तुझे रुलाने के लिए.
Ye Kah Kar Mujhe Mere Dushman
Hansta Chhod Gaye,
Tere Dost Kaafi Hain Tujhe Rulane Ke Liye.
(22) उसकी जफ़ाओं ने मुझे
एक तहज़ीब सिख दी है फ़राज़
मैं रोते हुए सो जाता हूँ पर
शिकवा नहीं करता.
Uski Zafaaon Ne Mujhe
Ek Tahzeeb Sikha Di Hai Faraz
Main Rote Hue So Jaata Hun Par
Shikwa Nahin Karta.
(23) जो कभी हर रोज़ मिला करते थे फ़राज़
वो चेहरे तो अब ख़ाब ओ ख़याल हो गए.
Jo Kabhi Har Roz Mila Karte The Faraz
Wo Chehare To Ab Khab-O-Khyal Ho Gaye.
(24) मुझको मालूम नहीं हुस्न की तारीफ फ़राज़
मेरी नज़रों में हसीन वो है जो तुझ जैसा हो.
Mujuhko Maloom Nahi Husn Ki Taarif Faraz
Meri Nazaron Mein Haseen Wo Hai
Jo Tujh Jaisa Ho.
(25) कांच की तरह होते हैं गरीबों के दिल फ़राज़
कभी टूट जाते हैं तो कभी तोड़ दिए जाते हैं.
Kaanch Ki Tarah Hote Hain
Gareebon Ke Dil Faraz
Kabhi Tut Jaate Hain To
Kabhi Tod Diye JaateHain.
Faraz Shayari in Hindi
(26) मैं अपने दिल को ये बात कैसे समझाऊँ फ़राज़
कि किसी को चाहने से कोई अपना नहीं होता.
Main Qpne Dil Ko Ye Baat Kaise Samjhaun Faraz
Ki Kisi Ko Chahane Se Koi Apna Nhai Hota
(27) हमारे बाद नहीं आएगा
तुम्हे चाहत का ऐसा मज़ा फ़राज़
तुम लोगों से खुद कहते फिरोगे की
मुझे चाहो तो उसकी तरह.
Hamare Baad Nahi Aayega Tumhe
Chaahat Ka Aisa Maza Faraz
Tum Logon Se Khud Kehate Firoge Ki
Mujhe Chaaho To Uski Tarah.
(28) उस से बिछड़े तो मालूम हुआ की
मौत भी कोई चीज़ है फ़राज़
ज़िन्दगी वो थी जो हम उसकी
महफ़िल में गुज़ार आए.
Us Se Bichhade To Maloom Hua Ki
Maut Bhi Koi Cheez Hai Faraz
Zindagi Wo Thi Jo Ham Uski
Mahafil Mein Gujaar Aaye.
(29) वफ़ा की लाज में उसको मना लेते तो अच्छा था फ़राज़
अना की जंग में अक्सर जुदाई जीत जाती है.
Wafa Ki Laaz Mein Usko
Mana Lete To Achcha Tha Faraz
Ana Ki Jang Mein Aksar Judai Jeet Jaati Hai,
(30) किस किस से मुहब्बत के वादे किये हैं तू ने फ़राज़
हर रोज़ एक नया शख्स तेरा नाम पूछता है.
Kis Kis Se Muhabbat Ke Wade Kiye Hain Tune Faraz
Har Roz Ek Naya Shakhs Tera Naam Puchhata Hai.
Ahmad Faraz Hindi Shayari
(31) कसूर नहीं इसमें कुछ भी उनका,
हमारी चाहत ही इतनी थी की उन्हें गुरूर आ गया..
Kasoor Nahin Ismain Kuch Bhi Unka,
Hamari Chaahat Hi Itani Thi Ki Unhein Guroor Aa Gaya..
(32) तू भी तो आईने की तरह बेवफ़ा निकला,
जो सामने आया उसी का हो गया..
Tu Bhi To Aaine Ki Tarah Bewafa Nikal,
Jo Samane Aaya Usi Ka Ho Gaya..
(33) कभी कभी तो रो पड़ती हैं यूँ ही आँखें,
उदास होने का कोई सबब नहीं होता..
Kabhi Kabhi To Ro Padti Hain Yun Hi Aankhe,
Udaas Hone Ka Koi Sabab Nahin Hota..
(34) हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए,
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था..
Hum Apni Ruh Tere Zism Mein Chhod Aaye,
Tujhe Gale Se Lagana To Ek Bahaana Tha…
(35) नाकाम थीं मेरी सब कोशिशें उस को मनाने की,
पता नहीं कहाँ से सीखीं जालिम ने अदाएं रूठ जाने की.
Nakam Thi Meri Sab Koshishen Us Ko Manaane Ki,
Pata Nahin Kahan Se Seekhi
Jaalim Ne Adaayen Ruth Jaane Ki..
Ahmad Faraz Shayari in Hindi
(36) उसे तेरी इबादतों पे यकीन है नहीं,
जिस की ख़ुशियां तू रब से रो रो के मांगता है..
Use Teri Ibaadaton Pe Yakeen Hai Nahin,
Jis Ki Khushiyan Tu Rab Se Ro Ro Ke Maangta Hai..
(37) फिर इतने मायूस क्यूँ हो उसकी बेवफाई पर,
तुम खुद ही तो कहते थे की वो सब से जुदा है..
Phir Itne Maayus Kyun Ho Uski Bewafaai Par,
Tum Khud Hi To Kehate The Wo Sab Se Juda Hai..
(38) किताबों से दलीलें दूं या खुद को सामने रख दूं,
वो मुझ से पूछ बैठी हैं मुहब्बत किसको कहते हैं..
Kitabon Se Daleelein Du Ya Khud Ko Saamane Rakh Du,
Wo Mujh Se Punchh Baithi Hain
Muhabbat Kisko Kehate Hai……
(39) कौन देता है उम्र भर का सहारा,
लोग तो जनाज़े में भी कंधे बदलते रहते हैं..
Kaun Deta Hai Umar Bhar Ka Sahara,
Log To Janaje Mein Bhi Kandhe Badalte Rehate Hai…
(40) बस यही आदत उसकी मुझे अच्छी लगती है,
उदास कर के मुझे भी वो खुश नहीं रहता…
Bas Yahi Aadat Uski Mujhe Achchi Lagti Hai,
Udaas Karke Mujhe Wo Bhi Khush Nahi Rehta..
(41) अकेले तो हम पहले भी जी रहे थे,
क्यूँ तन्हा से हो गए हैं तेरे जाने के बाद..
Akele To Hum Pehle Hhi Jee Rahe The,
Kyu Tanha Se Ho Gaye Hain Tere Jane Ke Baad
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अब उसे रोज ना सोचू तो बदन टूटता है फ़राज़ एक अरसा गुज़रा है उसकी मोहब्बत का नशा किए हुए
कोई दिल दरवाजा खटखटाता है
अहमद फिरोज शायर का वो शेर याद आता है
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