Dikhawa Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय दिखावा शायरी का संग्रह दिया गया हैं. इस समय हर कोई एक दुसरे के सामने दिखावा का नाटक कर रहा हैं. हर कोई अपने आप को एक दुसरे से बेहतर और सबसे अच्छा होने का दिखावा कर रहा हैं. जबकि सचाई कुछ और ही होती हैं. दोस्तों हमें जीवन में दिखावे की जिन्दगी से दूर रहना चाहिए. और एक साचा जीवन जीना चाहिए.
आइये कुछ नीचे Dikhawa Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी दिखावा शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
दिखावा शायरी, Dikhawa Shayari in Hindi
(1) जितनी छोटी हस्ती हैं उतना ज्यादा किया बखान हैं,
खाने को रोटी नहीं और संगमरमर से बना मकान हैं.
अंकुश तिवारी
(2) दिखावे की जिन्दगी, दिखावे की मुस्कान
खुद को आईने में तू देख कितना बदल गया इंसान.
(3) दिखावे की ज़िन्दगी की इतनी कहानी हैं,
हकीकत एक दिन सबके सामने आनी हैं.
(4) जिन्हें अपने बारे में पता नहीं
वो औरों को जानने का दावा करते है,
लोग उतने अच्छे है नहीं
जितना होने का दिखावा करते हैं
(5) दिखावे की दुनिया में दिखाते ही रह गये,
जो सादगी में थे वो हमसे आगे निकल गये.
(6) बड़ा नकली सा हो गया है जमाना,
सबको है यहाँ दिखाना,
दिखावट के चक्कर में मंजूर है
अपनों को गवाना.
दिखावा शायरी
(7) झूठी शान के परिन्दें ज्यादा ही फड़फड़ाते है,
सादगी की उड़ान, बाज की तरह ऊँचा उड़ कर दिखाते हैं.
(8) बाहरी दिखावे से पहले
अपने घर में झाँक कर देखो,
ये खोखली नुमाइशें
घर में सुख नहीं लायेंगी.
(9) बेमतलब जोड़ गुना भाग लगाते है,
लोग बातों बातों में आग लगाते है,
और जिन्हें पसंद होते है पंछी बहुत
जनाब वो पिंजरे नहीं बाग़ लगाते है.
(10) मतलब वाली दूकान में
अब इश्क़ बिकती हुई एक “सामान” है,
सिक्को की गूँज बहरी कर रही,
एहसास अनसुनी से परेशान है.
(11) अक्सर लाखों उड़ा देते हैं लोग दिखावे में,
पैसों की कमी हो जाती है गरीबों के इलाके में.
(12) दिखावे से दूर हकीकत से वास्ता हो,
ज़िन्दगी सरल हो भले ही कठिन रास्ता हो.
Jhoota Dikhawa Shayari
(13) प्यार करके दिखावो,
पर दिखावे का प्यार कभी मत करना,
दिल जितना दर्द सह ले
किसी से उतना ही प्यार करना.
(14) नकली-नकली सा लगने लगा है ये जमाना,
दिखावे का कितना बढ़ गया है फ़साना.
(15) उनमें सादगी होता है जो रहते हैं गाँव में,
दिखावा बढ़ जाता है जो रहते है पैसों की छाँव में.
(16) अब तो दोस्त भी रूठने लगे हैं,
शायद मेरे दिखावे से ऊबने लगे हैं.
(17) अक्सर दिखावे का प्यार ही ज्यादा_शोर करता है,
वरना सच्ची मोहबत तो इशारो मे ही ‘सिमट’ जाती हैं…
(18) बनावटी_दुनिया में इंसानियत का तमाशा देखा,
आज हाथ उठे भी “मदद” को तो दिखावे के लिए !
(19) इस मतलबी दुनिया में… इश्क सिर्फ दिखावा है…
तुझे भी ‘धोखा’ मिलेगा… ये मेरा दावा है…
(20) दिखावा_मत कर मेरे शहर में शरीफ होने का…
हम ‘खामोश’ तो है लेकिन ना-समझ नहीं…!!
(21) जब प्यार है ही नहीं तो “दिखावा” क्यों करते हो
जब निभा ही नहीं सकते है तो वादा क्यों करते हो
(22) एक_नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं,
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो ”जिन्दगी” बीत जाती हैं…
Matlabi Rishte Rishte Dikhawa Shayari
(23) झूठ को सच साबित करने के लिए दावा ”मत” किया करो,
चाहते नहीं हो अगर तो चाहने का दिखावा मत किया करो।
(24) बड़ा_नकली सा हो गया है ‘जमाना’,
सबको है यहाँ दिखाना,
दिखावट के चक्कर में मंजूर है
अपनों को गवाना.
(25) रिश्ता अब दुनिया से दुनिया की ही तरह_निभाना पड़ता है,
अंदर से कुछ और बहार से कुछ और बन कर दिखाना पड़ता है।
(26) ये नकाब_पहन कर मेरे दिल के दरवाज़े पर आया मत करो,
”दुश्मन” हो तो खुल कर कहो मुझे अपना दोस्त बताया मत करो।
(27) लोग कुछ इस कदर दिखावटी बन जाते हैं
एक कदम मयखाने में रखते है
और दूसरा मंदिर में दिखाते है..!
(28) क्या उम्मीद रखना उन
दिखावटी हमदर्द से
जो दर्द में असली
रंग दिखाया करते है..!
(29) दुखो का बाजार
खोल रखा है मैने
कोई मुस्कुराहट दे
दो दिखावे के लिए..!
(30) तुम्हे क्या बताएं अपने
राज-ऐ-गम जनाब
फितरत तो तुम्हारी
भी दिखावे की तरह है..!
(31) तुम झूठ कहना हम सच मान लेगे
तुम हमदर्दी का दिखावा करना
हम उसे मोहब्बत समझ लेगे..!
(32) बिठाकर मतलब की कश्ती
पर मुझे डुबाना चाहते है
मेरे कुछ अपने जो मुझे झूठा
दिलासा देकर गिराना चाहते है..!
(33) दिखावा तो यहां आजकल
हर शख्स करता है
मुझे तो वो चाहिए जो
मेरी सादगी पर मरता है.!!
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