दादी पर कविता, Grandmother Poem in Hindi

Grandmother Poem in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन दादी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी Poem on Grandmother in Hindi आपको अपने बच्चपन की यादे ताजा कर देगी. इन सभी कविताओं को अपने दादी जी को भेजकर आप उनके प्रति अपने भावनाओं को प्रकट कर सकते हैं.

हम सभी को अपने दादी से एक अलग ही तरह का अनोखा रिश्ता होता हैं. दादी हमलोगों को सबसे ज्यादा प्यार करती हैं. हमलोग जब अपनी किसी जिद्द को पूरा करना चाहते हैं. तो सबसे पहले दादा – दादी के पास ही जाते हैं. और हमारी जिद्द पूरी हो जाती हैं. शायद वह हमारे माता – पिता उसे पूरा नहीं कर पाते. इसलिए हमें भी दादा – दादी जी से सबसे ज्यादा लगाव होता हैं.

अब आइए Grandmother Poem in Hindi को पढ़ते हैं. हमे उम्मीद हैं की यह सभी Kavita on Grandmother in Hindi आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

दादी पर कविता, Grandmother Poem in Hindi

Grandmother Poem in Hindi

1. Grandmother Poem in Hindi – मेरी प्यारी दादी-माँ

मेरी प्यारी दादी-माँ,
सब से न्यारी दादी-माँ।
बड़े प्यार से सुबह उठाए,
मुझको मेरी दादी-माँ।

नहला कर कपड़े पहनाए,
खूब सजाए दादी-माँ।
लेकर मेरा बैग स्कूल का,
संग-संग जाए दादी-माँ।

आप न खाए मुझे खिलाए,
ऐसी प्यारी दादी-माँ ।
ताज़ा जूस, गिलास दूध का,
हर रोज़ पिलाए दादी-माँ।

सुंदर कपड़े और खिलौने,
मुझे दिलाए दादी-माँ।
बात सुनाए, गीत सुनाए,
रूठूँ तो मनाए दादी-माँ।

यह करना है, वह नहीं करना,
मुझको समझाए दादी-माँ।
लोरी देकर पास सुलाए,
ये मेरी प्यारी दादी-माँ।

श्याम सुन्दर अग्रवाल

2. दादी पर कविता – दादा-दादी चुप क्यों रहते

दादा-दादी चुप क्यों रहते?
कारण मैंने जान लिया है।

पापा जी दफ्तर जाते हैं
और लौटते शाम को।
थक जाते हैं इतना
झट से पड़ जाते आराम को।

मम्मी को विद्यालय से ही
समय कहाँ मिल पाता है?
बहुत पढ़ाना पड़ता उनको,
सर उनका चकराता है।

दादा-दादी से बातें हों
ढेरों कैसे? तुम्हीं बताओ।
वक्त ने उन पर बुरी तरह जब
अपना पंजा तान लिया है।

हम बच्चे पढ़-लिख कर आते,
होमवर्क में डट जाते।
फिर अपने साथी बच्चों संग
खेला करते, सुख पाते।

और समय हो, तो कविता की,
चित्रकथा की पुस्तक पढ़ते।
मौज-मजे में, खेल-तमाशे में
ही तो उलझे हैं रहते।

दादा-दादी का कब हमको,
ख्याल जरा भी है आता?
हम सबने तो जमकर उनकी
ममता का अपमान किया है।

लेकिन जो भी हुआ, सो हुआ
अब ऐसा न हो सोचें।
उनके मन के सूने उपवन
में हम खुशियों को बो दें।

दादा-दादी से हम जी भर,
बतियाएँ, हँस लें, खेलें।
दादा-दादी रहें न चुप-चुप
नहीं अकेलापन झेलें।
मैंने यह सब जब गाया तो
मेरे सारे साथी बोले –
‘हाँ, हम ऐसा करेंगे, हमने
अपने मन में ठान लिया है।

दादी पर कविता

3. Short Poem on Grandmother in Hindi – असली दाँत गिर गए कब के

असली दाँत गिर गए कब के
नकली हैं मजबूत,
इनके बल पर मुस्काती है
क्या अच्छी करतूत।
बड़े बड़ों को आड़े लेती
सब छूते हैं पैर,
नाकों चने चबाने पड़ते
जो कि चाहते खैर।
उनका मुँह अब नहीं पोपला
सही सलामत आँत,
कभी नहीं खट्टे हो सकते
दादी जी के दाँत।

4. Poem on Grandmother in Hindi – रोज अलस्सुबह

रोज अलस्सुबह
बुआर कर कचरा
घर के एक कोने में
एकत्र करती माँ

ढालिया साफ कर
दादी डाल देती
बकरी की मिंगणियाँ
उसी ढेर में
किसीदिन टोकनी में भर
यह कचरा
सिर पर उठा
गाँव बाहर
रोड़ी में डाली आती माँ
उसी रोड़ी में जो
दादी के नाम से
जानी जाती थी
पूरे गाँव में
अपने खेतों में डालने
दरवाजे के किसान
मोल भाव कर
खरीदते रोड़ी
बैलगाड़ियों में भर ले जाते
इस तरह आड़े वख्त
रोड़ी कमाती
साल में दो-एक बार रुपये
हमारे लिए
हर शादी में सबसे पहले
उसे ही पूजते हम
वही थी हमारी रिद्धि-सिद्धि

एक दिन अनायास
सब कुछ लुट गया
नहीं रही रोड़ी
साफ हो गया मैदान
अब वहाँ पर
खड़ी है
तेरी समिति की इमारत!

5. Kavita on Grandmother in Hindi – जब भी याद आती हैं अम्मा

जब भी याद आती हैं अम्मा
तो याद आते हैं दो गोरे हाथ
कोयले में सने हुए
दिखते हैं पैर जो फटकर
पत्थर हो चुके हैं
जिनमें उग चुके हैं
छोटे-छोटे पेड़

देखती हूँ सुन्दर चेहरा
जो नींद में ही हूँका
देता जाता है दादा की पूरे
दिन की कहानी पर
और मैं याद करते-करते
धीरे से लेट जाती हूँ
अम्मा की गोद में।

प्रज्ञा रावत

6. Grandmother Poem in Hindi – दादाजी की पोती जी से बड़े मजे की छनती है

दादाजी की पोती जी से बड़े मजे की छनती है।
पोती लुढ़क –लुढ़क कर चलती
लोट-पोट हो जाती है।
दादाजी भी चलते डगमग
ऐनक जब खो जाती है।
इसीलिए शायद दोनों में कुछ ज्यादा ही बनती है।

दादाजी हो चले पोपले
दलिया, खिचड़ी खाते हैं
पोतीजी के दाँत दूध के
चीजे नरम चबाते हैं।
हलवा- पूरी खा कर दोनों की ही दावत मनती है।

अभी हाल पोती का मुंडन
धूम-धाम से किया गया।
दादाजी के सिर पर मुश्किल
से उगता है बाल नया ।
दादाजी हैं बड़े सयाने, पोती भी गुणवंती है।

बालस्वरूप राही

7. दादी पर कविता – मम्मी की फटकारों से

मम्मी की फटकारों से
हमें बचाती दादी माँ।
कितने प्यारे वादे करती-
और निभाती दादी माँ।
पापा ने क्या कहा-सुना,
सब समझाती दादी-माँ!
चुन्नू-मुन्नू कहाँ गए,
हाँक लगाती दादी माँ।
ऐनक माथे पर फिर भी
शोर मचाती दादी माँ।
‘हाय राम! मैं भूल गई’-
हमें हँसाती दादी माँ।
गरमा-गरम जलेबी ला,
हमें खिलाती दादी माँ।
कभी शाम को अच्छी सी
कथा सुनाती दादी माँ,
खूब डाँट दे पापा को,
भौहें चढ़ाती दादी माँ।
हम भी गुमसुम हो जाएँ,
रोब जमाती दादी माँ!

बाबूराम शर्मा ‘विभाकर’

8. Short Poem on Grandmother in Hindi – दादी माँ तुम हमेशा चिन्ता करती हो

दादी माँ तुम हमेशा चिन्ता करती हो
अपने बेटे, बहुओं, पोते-नातियों की
चिट्ठियों की चिन्ता
बाहर जब कभी होता है
अँधेरा या हवा का शोर
या वह ऋतु आती है
जब अमरूद पकते हैं
और शब्द होता है
बीते हुए खामोश दिनों का

अपनी झुकी हुई झुर्रियों वाली
गरदन पर चादर लपेटे
तब तुम धीमी आग, गर्म रोशनी होती हो

दादी माँ, युधिष्ठिर के लिए दुःखी होना
तुम्हारे महाभारत का हिस्सा है
अब दुर्योधन की पीठ पर
प्रतिष्ठा का कम्पयुटर कारखाना है
गँधारी आँख पर बँधी पट्टी नहीं खोलती
आँख और हाथ के बीच दहशत भरा जंगल है
तुम्हारी आँख के पास दतर होता
तब यमराज तुम से हँस-हँस कर बातें करता
अश्वत्थामा दूध के लिए रो-रो कर मरता रहा
दूध का दुःख उन दिनों भी था
बाबुओं की जंघाएँ तगड़ी, गरदनें पुष्ट थीं
द्रौपदी की पीठ पर
सांसदों की हँसी, धर्म व्यापार था

दादी माँ, अब आग तपने
और भूभल में लाल हुए
शकरकंद खाने की चिन्ता छोड़ो
तुम्हारे नाती-पोते
बबलगम चिगलते
अँगरेजी मदरसों में पढ़ते
बड़े हो रहे हैं।

9. Poem on Grandmother in Hindi – दादी माँ का क्या कहना

दादी माँ का क्या कहना,

सोने-चाँदीका गहना है।

दया-धर्म की सूरत दादी,

ममता की है मूरत दादी।

अनुभव की गठरी है दादी,

जीवन की पटरी है दादी।

माना इनकी उम्र पकी है,

लेकिन दादी नहीं थकी है।

धीरे-धीरे चलती दादी,

आशीषों में फलती दादी।

पूरे घर का हाथ बंटाती,

जी-भर सब पर प्यार लुटाती।

दादी से घर, है घर दादी,

सबसे बड़ी धरोहर दादी।

प्यार-भरी पिचकारी दादी,

लगती माँ से प्यारी दादी।

डॉ. रामनिवास ‘मानव’

10. Kavita on Grandmother in Hindi – दादी अम्मा आओ ना

दादी अम्मा आओ ना,

कहानी हमें सुनाओ ना।

गुमसुम मत रहा करो,

मन की बातें कहा करो।।

हम साथी, सखी-सहेली,

खुद को न समझो अकेली।

पापा जब देर से आएँ,

कुछ मीठी डाँट लगाएँ।।

मम्मी को पास बुलाना,

बात पते की जरा बताना

बलदाऊ राम साहू

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