गुलजार साहब की मशहूर शायरी, Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines

Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines – दोस्तों इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन Gulzar Sahab Ki Shayari का संग्रह दिया गया हैं. यहाँ पर गुलजार साहब के लिखे हुए लोकप्रिय Heart Touching Gulzar Shayari और Gulzar Shayari on Life in Hindi में दिया गया हैं. जो आपको बहुत ही पसंद आयगी.

भारतीय फिल्म जगत के मशहूर लोकप्रिय गीतकार, पटकथा लेखक, निर्देशक, लेखक और विश्व प्रसिद्ध शायर गुलजार का जन्म 18 अगस्त 1936 को दिना झेलम पंजाब जो अब पाकिस्तान में हैं. वहां पर हुआ था. गुलजार जी का पूरा नाम सम्पूर्ण सिंह कालरा हैं. भारत पाकिस्तान बटवारे के बाद इनका परिवार अमृतसर पंजाब में आ गाया. गुलजार जी 9 भाई बहनों में माँ – बाप के चौथे संतान थे.

गुलजार साहब ने अपने जीवन में बहुत ही संघर्ष किया हैं. वह पंजाब से मुम्बई चले आए. मुम्बई के वर्ली में उन्होंने एक गैरेज में काम करने लगे. और वहीं से उन्होंने शौकिया तौर पर शायरी और कविता लिखना शुरू कर दिया था.

फिर वह फिल्म जगत से जुड़े गए. और वंदनी फिल्म जो 1963 में आई थी. इसी से उन्होंने अपने फिल्म में गाने लिखने की शुरुआत की. फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और कई बड़े मुकाम हासिल किया.

गुलजार साहब को 2009 में “जय हो” गीत के लिए अस्कर अवार्ड से सम्मनित किया गया. 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2004 में पद्द भूषण और ग्रेमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चूका हैं.

अब आइए कुछ Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह Heart Touching Gulzar Shayari आपको बहुत ही पसंद आयगी. इस Gulzar Sahab ki Shayari को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर जरुर करें.

गुलजार साहब की मशहूर शायरी, Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines

Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines


(1) कोई न कोई रहबर रस्ता काट गया
जब भी अपनी रह चलने की कोशिश की

Koee Na Koee Rahabar Rasta Kaat Gaya
Jab Bhee Apanee Rah Chalane Kee Koshish Kee

(2) सुनो….ज़रा रास्ता तो बताना.
मोहब्बत के सफ़र से, वापसी है मेरी..

Suno.. Jara Rasta To Batana.
Mohabbat Ke Safar Se Wapasi Hain Meri.

(3) उठाए फिरते थे एहसान जिस्म का जाँ पर
चले जहाँ से तो ये पैरहन उतार चले
Uthae Phirate The Ehasaan Jism Ka Jaan Par
Chale Jahaan Se To Ye Pairahan Utaar Chale

(4) काई सी जम गई है आँखों पर
सारा मंज़र हरा सा रहता है

Kaee See Jam Gaee Hai Aankhon Par
Saara Manzar Hara Sa Rahata Hai

(5) कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की

Kitanee Lambee Khaamoshee Se Guzara Hoon
Un Se Kitana Kuchh Kahane Kee Koshish Kee

(6) आ रही है जो चाप क़दमों की
खिल रहे हैं कहीं कँवल शायद

Aa Rahee Hai Jo Chaap Qadamon Kee
Khil Rahe Hain Kaheen Kanval Shaayad

Shayari By Gulzar

(7) आँखों से आँसुओं के मरासिम पुराने हैं
मेहमाँ ये घर में आएँ तो चुभता नहीं धुआँ
Aankhon Se Aansuon Ke Maraasim Puraane Hain
Mehamaan Ye Ghar Mein Aaen To Chubhata Nahin Dhuaan

(8) शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है

Shaam Se Aankh Mein Namee See Hai
Aaj Phir Aap Kee Kamee See Hai

(9) कोई अटका हुआ है पल शायद
वक़्त में पड़ गया है बल शायद

Koee Ataka Hua Hai Pal Shaayad
Vaqt Mein Pad Gaya Hai Bal Shaayad

(10) आइना देख कर तसल्ली हुई
हम को इस घर में जानता है कोई

Aaina Dekh Kar Tasallee Huee
Ham Ko Is Ghar Mein Jaanata Hai Koi

(11) काँच के पीछे चाँद भी था और काँच के ऊपर काई भी
तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी

Kaanch Ke Peechhe Chaand Bhee Tha Aur Kaanch Ke Oopar Koi Bhi
Teeno The Ham Vo Bhee The Aur Main Bhee Tha Tanhaee Bhi

(12) यूँ भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता
कोई एहसास तो दरिया की अना का होता

Yoon Bhee Ik Baar To Hota Ki Samundar Bahata
Koee Ehasaas To Dariya Kee Ana Ka Hota

Gulzar Shayari in Hindi

(13) वो उम्र कम कर रहा था मेरी
मैं साल अपने बढ़ा रहा था

Vo Umr Kam Kar Raha Tha Meree
Main Saal Apane Badha Raha Tha

(14) बहुत मुश्किल से करता हूँ, तेरी यादों का कारोबार,
मुनाफा कम है, पर गुज़ारा हो ही जाता है

Bahut Mushkil Se Karata Hun Teri Yaadon Ka Karobar,
Munafa Kam Hain,Par Guzara Ho Jata Hain..

(15) हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हे नहीं तोड़ा करते

Haath Chhooten Bhee To Rishte Nahin Chhoda Karate
Vaqt Kee Shaakh Se Lamhe Nahin Toda Karate

(16) आप के बाद हर घड़ी हम ने
आप के साथ ही गुज़ारी है

Aap Ke Baad Har Ghadee Ham Ne
Aap Ke Saath Hee Guzaaree Hai

(17) ज़मीं सा दूसरा कोई सख़ी कहाँ होगा
ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है

Zameen Sa Doosara Koee Sakhee Kahaan Hoga
Zara Sa Beej Utha Le To Ped Detee Hai

(18) सहर न आई कई बार नींद से जागे
थी रात रात की ये ज़िंदगी गुज़ार चले

Sahar Na Aaee Kaee Baar Neend Se Jaage
Thee Raat Raat Kee Ye Zindagee Guzaar Chale

Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines

(19) कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है

Kal Ka Har Vaaqia Tumhaara Tha
Aaj Kee Daastaan Hamaaree Hai

(20) खुली किताब के सफ़्हे उलटते रहते हैं
हवा चले न चले दिन पलटते रहते है

Khulee Kitaab Ke Safhe Ulatate Rahate Hain
Hava Chale Na Chale Din Palatate Rahate Hai

(21) तुम्हारी ख़ुश्क सी आँखें भली नहीं लगतीं
वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएँ, भेजी हैं

Tumhaaree Khushk See Aankhen Bhalee Nahin Lagateen
Vo Saaree Cheezen Jo Tum Ko Rulaen, Bhejee Hain

(22) दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई
जैसे एहसान उतारता है कोई

Din Kuchh Aise Guzaarata Hai Koee
Jaise Ehasaan Utaarata Hai Koee

(23) तक़लीफ़ ख़ुद की कम हो गयी
जब अपनों से उम्मीद कम हो गयी

takleef khud ki kam ho gayi
Jab apno se ummeed kam ho gayi

(24) कल का हर वाक़िआ तुम्हारा था
आज की दास्ताँ हमारी है

Kal ka har waqia tumhara tha
Aaj ki dastaan humari hai

Gulzar Sahab ki Shayari

(25) इतना क्यों सिखाये जा रही हो ज़िंदगी
हमें कौन सी सदियाँ गुज़ारनी है यहाँ

Itna kyon sikhaye ja rahi ho zindgi
Humein koun si sadiyan guzarni hai yahan

(26) मिलने जो पहुंचा मैं दुश्मनो के घर
वहां अपने ही दोस्तों से मुलाक़ात हो गयी

Milne jo pahuncha main dushmno ke ghar
Wahan apne hi doston se mulaqat ho gayi

(27) सुना है काफी पढ़ लिख गए हो तुम
कभी वो भी पढ़ो जो हम कह नहीं पाते हैं

Suna hai kaafi padh likh gaye ho tum
Kabhi wo bhi padho jo hum kah nahi paate hain

(28) मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूँ
मगर रोज़ सुबह ये मुझ से पहले जाग जाती हैं

Main har raat saari khwahishon ko khud se pahle sula deta hun
Magar roj subah ye mujh se pahle jaag jati hain

(29) सोचता था दर्द की दौलत से एक मैं ही मालामाल हूँ
देखा जो गौर से तो हर कोई रईस निकला

Sochta tha dard ki doulat se ek main hi malamaal hu
Dekha jo gour se to har koi raees nikla

(30) जब मिला शिकवा अपनों से ही तो ख़ामोशी ही भली
अब हर बात पे जंग हो यह जरुरी तो नहीं

Jab mila shikva apno se to khamoshi hi bhali
Ab har baat pe jung ho yah jaruri to nahi

Heart Touching Gulzar Shayari

(31) कभी ज़िंदगी एक पल में गुज़र जाती है
और कभी ज़िंदगी का एक पल नहीं गुज़रता

Kabhi zindgi ek pal mein guzar jati hai
Aur kabhi zindgi ka ek pal nahi guzrta

(32) कभी तो चौंक के देखे कोई हमारी तरफ़
किसी की आंख में हम को भी इंतिज़ार दिखे

Kabhi to chaunk ke dekhe koi humaari tarf,
Kisi ki aankh me hum ko bhi intzaar dikhe

(33) लोग कहते है कि खुश रहो
मगर मजाल है कि रहने दे

Log khte hai ki khush raho,
Magar majal hai ki rhne de

(34) हँसता तो मैं रोज़ हूँ
मगर खुश हुए ज़माना हो गया

Hasta to main roz hu
Magar khush hue zamana ho gaya.

(35) साथ साथ घूमते है हम दोनों रात भर¸
लोग मुझे आवारा उसको चांद कहते है

Sath-sath ghoomte hai hum dono raat bhar,
Log mujhe aawara usko chand khte hai.

(36) नाराज हमेशा खुशियां ही होती है¸
गमों के कभी इतने नखरे नही रहे।

Gulzar Shayari on Life in Hindi

Naraz humesha khushiya hi hoti hai,
Gamo ke kabhi itne nakhre nahi rahe.

(37) अगर किसी से मोहब्बत बेहिसाब हो जाए¸
तो समझ जाना वह किस्मत में नही।

Agar kisi se mohabbat behisab ho jaye,
To smjh jana wah kismat me nahi.

(38) बहुत छाले है उसके पैरों में ¸
कमबख्त उसूलों पर चला होगा।

Bhut chhale hai uske pairo me,
Kambakht usulo par chala hoga.

(39) तुझसे कोई शिकवा शिकायत नही है
जिंदगी तूने जो भी दिया हैं वही बहुत है।

Tujhse koi shikwa shikayat nahi hai,
Zindgi tune jo bhi diya hai wahi bhut hai.

(40) कैसे गुजर रही है¸ सब पूछते है¸
कैसे गुजारता हूं कोई नही पूछता ।
Kaise guzar rahi hai sab poochte hai,
Kaise guzarta hu koi nahi poochta.

(41) वह जो सूरत पर सबकी हंसते है
उनको तोहफे में एक आईना दीजिए

Wah jo soorat par sabki haste hai,
Unko tohfe me ek aaine dijiye.

(42) कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती हैं
और कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता

Kabhi zindgi ek pal me guzar jaati hai
Aur kabhi zindgi ka ek pal nahi guzrta

Motivational Gulzar Shayari

(43) कौन कहता हैं कि हम झूठ नहीं बोलते
एक बार खैरियत तो पूछ के देखियें

Kaun khta hai ki hum jhuth nahi bolte,
Ek baar khairiyat to pooch ke dekhiye

(44) अपने साये से चौंक जाते हैं,
उम्र गुजरी है इस क़दर तनहा.

Apne Saaye Se Chaunk Jaate Hain,
Umar Guzri Hai Is Qadar Tanha.

(45) कोई खामोश ज़ख्म लगती है,
ज़िन्दगी एक नज़्म लती है.

Koi Khamosh Zakhm Lagti Hai,
Zindagi Ek Nazm Lati Hai.

(46) रोई है किसी छत पे, अकेले ही में घुटकर,
उतरी जो लबों पर तो वो नमकीन थी बारिश।

Royi Hain Kisi Chhat Pe, Akeli Hi Me Ghutkat,
Utari Jo Labon Par To Wo Namkin Thi Barish..

(47) वो चीज़ जिसे दिल कहते हैं,
हम भूल गए हैं रख के कहीं।

Wo Chiz Jise Dil Kahate Hain,
Ham Bhul Gaye Hain Rakh Ke Kahi….

(48) ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा.

Zindagi Yu Hui Basar Tanha,
Kafila Sath Aur Safar Tanha.

2 Lines Gulzar Shayari

(49) सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूं जी भरा सा रहता है.

Sahma Sahma Dara Sa Rahta Hai
Na Jane Kyu Jee Bhara Sa Rahta Hai.

(50) एक ही ख्वाब ने सारी रात जगाया है
मैने हर करवट सोने कि कोशिश की।

Ek Hi Khwab Ne Saari Raat Jagaya Hai
Mai Ne Har Karvat Sone Ki Koshish Ki.

(51) दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किसकी आहट सुनता हूँ विराने मे।

Dil Par Dastak Dene Kaun Aa Nikla Hai
Kis Ki Aahat Sunta Hun Virane Me.

(52) तुझे पहचानूंगा कैसे तुझे देखा ही नहीं
ढूँढा करता हूं तुम्हें अपने चेहरे में ही कहीं.

Tujhe Pechanoonga Kaise Tujhe Dekhaa Hi Nahin,
Dhoondhaa Karta Hoon Tumhe, Apne Chehare Main Kahin.

(53) तकलीफ खुद ही कम हो गई,
जब अपनों से उम्मीदें कम हो गई.

Takleef Khud Hi Kam Ho Gai,
Jab Apno Se Ummeeden Kam Ho Gai.

(54) तजुर्बा बता रहा हूँ ऐ दोस्त दर्द, गम, डर जो भी हो बस तेरे अन्दर है
खुद के बनाए पिंजरे से निकल कर तो देख, तू भी एक सिकंदर है.

Tajurba Bata Raha Hoon Aey Dost Dard, Gam, Dar Jo Bhi Ho Bas Tere Andar Hai.
Khud Ke Banay Pinjare Se Nikal Kar To Dekh, Tu Bhi Ek Sikandar Hai.

(55) महफ़िल में गले मिलकर वह धीरे से कह गए,
यह दुनिया की रस्म है, इसे मुहोब्बत मत समझ लेना.

Mahafil Mein Gale Milkar Vah Dheere Se Kah Gae,
Yah Duniya Ki Rasm Hai, Ise Mohabbt Mat Samajh Lena.

(56) हमने अक्सर तुम्हारी राहों में रुक कर,
अक्सर अपना ही इंतज़ार किया.

Hamne Aksar Tumhari Rahon Mein Ruk Kar,
Aksar Apna Hi Intezaar Kiya.

Gulzar ki Shayari in Hindi

(57) वक़्त भी हार जाते हैं कई बार ज़ज्बातों से,
कितना भी लिखो, कुछ न कुछ बाकि रह जाता है.

Waqt BhI Haar Jaate Hain Kai Baar Zajbaaton Se,
Kitna BhI Likho, Kuch Naa Kuch Baki Rah Jaata Hai.

(58) बदल जाओ वक़्त के साथ या वक़्त बदलना सीखो,
मजबूरियों को मत कोसो, हर हाल में चलना सीखो.

Badal Jaate Waqt Ke Sath Ya Waqt Badalna Seekho,
Majbooriyon Ko Mat Koso, Har Haal Mein Chalana Seekho.

(59) कितनी लम्बी ख़ामोशी से गुज़रा हूँ
उन से कितना कुछ कहने की कोशिश की.

Kitni Lambee Khaamoshee Se Guzara Hoon
Un Se Kitana Kuchh Kahane Kee Koshish Kee.

(60) मोहब्बत ज़िन्दगी बदल देती है,
मिल जाए तब भी और ना मिले तब भी…!!!

Mohabbat zindagi badal deti hai,
Mil jaaye tab bhi aur naa mile tab bhi…!!!

(61) ये इश्क़ मोहब्बत की रिवायत भी अजीब है
पाया नहीं है जिसको उसे खोना भी नहीं चाहते

Ye ishq mohabbat ki riwayat bhi ajeeb hai
Paya nahin hai jisko use khona bhi nahin chahte

(62) उस उम्र से हमने तुमको चाहा है,
जिस उम्र में हम जिस्म से वाकिफ ना थे…!!!

Us umra se humne tumko chaha hai,
Jis umra mein hum jism se waqif naa the…!!!

Gulzar Shayari on Love

(63) यूँ तो रौनकें गुलज़ार थी महफ़िल, उस रोज़ हसीं चहरों से…
जाने कैसे उस पर्दानशी की मासूमियत पर हमारी धड़कने आ गई!!

Yun to raunakein gulzaar thi mehfil, us roz haseen cheharon se…
Jaane kaise us pardanashin ki maasoomiyat par hamaari dhadakane aa gayi!!

(64) नज़र झुका के उठाई थी जैसे पहली बार,
फिर एक बार तो देखो मुझे उसी नज़र से!

Nazar jhuka ke uthai thi jaise pehali baar,
phir ek baar to dekho mujhe usi nazar se!

(65) जागना भी कबुल है तेरी यादों में रातभर,
तेरे अहसासों में जो सुकून है वो नींद में कहाँ!

Jaagna bhi kabul hai teri yaadon mein raatbhar,
Tere ehsaason mein jo sukoon hai wo neend mein kahaan!

(66) सफल रिश्तों के बस यही उसूल है,
बातें भूलिए जो फिजूल है!!

Safal rishton ke bas yahi usool hai,
Baatein bhooliye jo fizool hai!!

(67) कुछ रिश्तों में मुनाफा नहीं होता,
लेकिन ज़िन्दगी को अमीर बना देते हैं!

Kuch rishton mein munaafa nahin hota,
Lekin zindagi ko ameer bana dete hain!

(68) धागे बड़े कमजोर चुन लेते हैं हम,
और फिर पूरी उम्र गांठ बांधने में ही निकल जाती है !!

Dhaage bade kamzor chun lete hain hum,
Aur phir poori umar gaanth bandhane mein hi nikal jaati hai !!

(69) अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े
खता किसी और की थी और हाथ हमें जोड़ने पड़े

Apne usool kabhi yun bhi todne pade
Khata kisi aur ki thi aur haath hume jodne pade

Gulzar Shayari on Life

(70) ऐ हवा उनको खबर कर दे मेरी मौत की,
और कहना कफ़न की ख्वाहिश में मेरी लाश उनके आँचल का इंतज़ार करती है!

Ae hawa unko khabar kar de meri maut ki,
Aur kehna kafan ki khwahish mein meri laash unke aanchal ka intezar karti hai!

(71) फर्क था हम दोनों की मोहब्बत में
मुझे उससे ही थी उसे मुझसे भी थी

Farq tha hum dono ki mohabbat mein
Mujhe usse hi thi use mujhse bhi thi

(72) एक खूबसूरत सा रिश्ता खत्म हो गया
हम दोस्ती निभाते रहे और उसे इश्क़ हो गया

Ek khoobsurat sa rishta khatam ho gaya
Hum dosti nibhate rahe aur use ishq ho gaya

(73) मिल गया होगा कोई गजब का हमसफ़र,
वरना मेरा यार यूँ बदलने वाला नहीं था!

Mil gaya hoga koi gajab ka hamasafar,
Warna mera yaar yun badalne waala nahin tha!

(74) कोई समझे तो एक बात कहूं साहब…
तन्हाई सौ गुना बेहतर है मतलबी लोगों से..!!!

Koi samjhe to ek baat kahun saahab…
Tanhai sau guna behtar hai matlabi logon se..!!!

(75) पलक से पानी गिरा है,
तो उसको गिरने दो
कोई पुरानी तमन्ना,
पिंघल रही होगी!!”

Palak se pani gira hai
To usko girne do,
Koi purani tamanna
Pighal rahi hogi.

Shayari By Gulzar

(76) देर से गूंजते हैं सन्नाटे,
जैसे हमको पुकारता है कोई.
कल का हर वाक़िया था तुम्हारा,
आज की दास्ताँ है हमारी .

Der Se Gunjte Hain Sannatey,
Jaise Humko Pukarta Hai Koi.
Kal Ka Har Waqia Tha Tumhara,
Aaj Ki Dastan Hai Hamari.

(77) मिलता तो बहुत कुछ है
ज़िन्दगी में
बस हम गिनती उन्ही की
करते है जो हासिल न हो सका

Milta to bahut kuch hai
Zindagi me
Bas hum ginti unhi ki
Karte hai jo hasil na ho ska

(78) वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी
वो नफ़रत भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते
वो शहर भी तुम्हारा था
वो अदालत भी तुम्हारी थी

Wo mohabbat bhi tumhari thi
Wo nafrat bhi tumhari thi
Hum apni wafa ka insaf kisse mangte
Wo shehar bhi tumhara tha
Wo adalat bhi tumhari thi

(79) गए थे सोचकर की बात
बचपन की होगी
मगर दोस्त मुझे अपनी
तरक्की सुनाने लगे

Gaye the sochkar ki baat
Bachpan ki hogi
Magar dost mujhe apni
Tarakki sunane lage

(80) याद आएगी हर रोज़ मगर
तुझे आवाज़ ना दूँगा
लिखूँगा तेरे ही लिए हर ग़ज़ल
मगर तेरा नाम ना लूँगा

Yaad aayegi har roz magar
Tujhe aawaz na dunga
Likhunga tere hi liye har gazal
Magar tera naam na lunga

(81) उम्र जाया कर दी लोगो ने
औरों में नुक्स निकालते निकालते
इतना खुद को तराशा होता
तो फरिश्ते बन जाते

Umar jaya kar di logo ne
Auron me nuks nikalte nikalte
Itna khud ko tarasha hota
To frishte ban jate

Gulzar Shayari in Hindi

(82) आदतन तुमने कर दीए वादे,
आदतन हमने एतबार किया…
तेरी राहों में बारहाँ रुक कर,
हमने अपना ही इंतज़ार किया…
अब ना मांगेंगे ज़िन्दगी या रब,
यह गुनाह हमने जो एक बार किया…!!

Aadatan tumne kar diye vaade,
Aadatan humne aitbar kiya…
Teri raahon mein baarhan ruk kar,
Humne apna hi intezaar kiya…
Ab naa mangenge zindagi yaa rab,
Yeh gunaah humne jo ek baar kiya…!!

(83) मेरे दिल में एक धड़कन तेरी है
उस धड़कन की कसम तू ज़िन्दगी मेरी है
मेरी तो हर सांस में एक सांस तेरी है
जो कभी सांस रुक जाये तो मौत मेरी है

Mere dil mein ek dhadkan teri hai
Us dhadkan ki kasam tu zindagi meri hai
Meri to har saans mein ek saans teri hai
Jo kabhi saans ruk jaye to maut meri hai

(84) मेरे दर्द तो भी आह का हक़ है
जैसे तेरे हुस्न तो निगाह का हक़ है
मुझे भी एक दिल दिया है भगवन ने
मुझ नादान को भी एक गुनाह का हक़ है

Mere dard to bhi aah ka haq hai
Jaise tere husn to nigaah ka haq hai
Mujhe bhi ek dil diya hai bhagwan ne
Mujh naadan ko bhi ek gunaah ka haq hai

(85) वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी
वो नफ़रत भी तुम्हारी थी
हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते
वो शहर भी तुम्हारा था वो अदालत भी तुम्हारी थी…

Wo mohabbat bhi tumhari thi
Wo nafrat bhi tumhari thi
Hum apni wafa ka insaaf kis se mangte
Wo shehar bhi tumhara tha wo adalat bhi tumhari thi…

(86) इतने बुरे नहीं थे हम
जितने इलज़ाम लगाये लोगो ने,
कुछ किस्मत ख़राब थी
कुछ आग लगाई लोगो ने…

Itne bure nahin the hum
jitne ilzaam lagaye logo ne,
Kuch kismat kharab thi
kuch aag lagai logo ne…

(87) मेरी कोई खता तो साबित कर,
जो बुरा हूँ तो बुरा तो साबित कर!
तुम्हें चाहा है कितना तू क्या जाने,
चल मैं बेवफा ही सही…
तू अपनी वफ़ा तो साबित कर!!

Meri koi khata to saabit kar,
Jo bura hoon to bura to saabit kar,
Tumhe chaha hai kitna tu kya jaane,
Chal main bewafa hi sahi…
Tu apni wafa to saabit kar!!!

Gulzar Shayari in Hindi 2 Lines

(88) खुदा ने पुछा की क्या सजा दूं
उस बेवफा को,
हमने भी कह दिया बस उसे मोहब्बत हो जाये
किसी बेवफा से…!!!

Khuda ne poocha ke kya saza doon
us bewafa ko,
Humne bhi keh diya bas use mohabbat ho jaye
kisi bewafa se…!!!

(89) अगर कोई ज़ोर देकर पूछेगा
हमारी मोहब्बत की कहानी,
तो हम भी धीरे से कहेंगे
मुलाक़ात को तरस गए…!!!

Agar koi ZOR dekar poochega
humari mohabbat ki kahani,
To hum bhi dheere se kahenge
MULAQAT ko taras gaye…!!!

(90) जब भी दिल यह उदास होता है
जाने कौन आस-पास होता है,
कोई वादा नहीं किया लेकिन
क्यों तेरा इंतज़ार रहता है…

Jab bhi dil yeh udas hota hai
jaane kaun aas-paas hota hai,
Koi wada nahi kiya lekin
kyun tera intezaar rehta hai…

(91) तन्हाई अच्छी लगती है
सवाल तो बोहोत करती है पर…
जवाब के लिए ज़िद्द नहीं करती…

Tanhai acchi lagti hai
Sawal to bohot karti hai par…
Jawab ke liye zidd nahin karti…

(92) कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं

(93) अच्छी किताबें और अच्छे लोग
तुरंत समझ में नहीं आते हैं,
उन्हें पढना पड़ता हैं

(94) थोड़ा सा रफू करके देखिए ना
फिर से नई सी लगेगी
जिंदगी ही तो है

Gulzar Sahab ki Shayari

(95) सुनो…
जब कभी देख लुं तुमको
तो मुझे महसूस होता है कि
दुनिया खूबसूरत है

(96) घर में अपनों से उतना ही रूठो
कि आपकी बात और दूसरों की इज्जत,
दोनों बरक़रार रह सके

(97) कैसे करें हम ख़ुद को
तेरे प्यार के काबिल,
जब हम बदलते हैं,
तो तुम शर्ते बदल देते हो

(98) तन्हाई की दीवारों पर
घुटन का पर्दा झूल रहा हैं,
बेबसी की छत के नीचे,
कोई किसी को भूल रहा हैं

(99) आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।

(100) समेट लो इन नाजुक पलो को
ना जाने ये लम्हे हो ना हो
हो भी ये लम्हे क्या मालूम शामिल
उन पलो में हम हो ना हो

Heart Touching Gulzar Shayari

(101) टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ
में फिर से निखार जाना चाहता हूँ
मानता हूँ मुश्किल हैं…
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ

(102) मैंने मौत को देखा तो नहीं
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं
जीना ही छोड़ देता हैं

(103) उन्हें ये जिद थी कि हम बुलाये
हमें ये उम्मीद थी कि वो पुकारे
हैं नाम होंठो पे अब भी लेकिन
आवाज में पड़ गयी दरारे

(104) ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं
ना पास रहने से जुड़ जाते हैं
यह तो एहसास के पक्के धागे हैं
जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं

Gulzar Shayari on Life in Hindi

(105) सिर्फ शब्दों से न करना
किसी के वजूद की पहचान,
हर कोई उतना कह नहीं पाता
जितना समझता और महसूस करता है!!

Sirf shabdon se naa karna
kisi ke wajood ki pehchaan,
Har koi utna keh nahin pata
jitna samajhta aur mehsoos karta hai!!

(106) ऐब” भी बहुत हैं मुझमे,
और “खूबियां” भी…
ढूंढने वाले तू सोच,
तुझे चाहिये क्या मुझमे…

Aib” bhi bahut hain mujhme,
aur “khoobiyan” bhi…
Dhoondhne wale tu soch,
tujhe chahiye kya mujhme…

(107) तुझे बेहतर बनाने की कोशिश में
तुझे ही वक़्त नहीं दे पा रहे हम,
माफ़ करना ऐ ज़िन्दगी…
तुझे ही जी नहीं पा रहे हम..!!

Tujhe behtar banane ki koshish mein
tujhe hi waqt nahin de pa rahe hum,
Maaf karna ae zindagi…
tujhe hi jee nahin pa rahe hum..!!

(108) फर्क है दोस्ती और मोहब्बत में…
बरसो बाद मिलने पर मोहब्बत नज़रें चुरा लेती है,
और दोस्ती गले लगा लेती है…

Farq hai dosti aur mohabbat mein…
Barso bad milne par mohabbat nazarein chura leti hai,
aur dosti gale laga leti hai…

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