Gursimran Singh Poem in Hindi – यहाँ पर Gursimran Singh Famous Poems in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. गुरसिमरन सिंह का जन्म 15 जनवरी 2001 को हुआ था. कविताएँ लिखना इनका शौक हैं. हिंदी, पंजाबी और अंग्रेजी भाषाओं में कविताएँ लिखते हैं.
आइए अब यहाँ पर Gursimran Singh ki Kavita in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं.
हिन्दी कविता गुरसिमरन सिंह, Hindi Poetry Gursimran Singh
1. असीम
पर्वत से ऊंचा कद तेरा…..
सागर से गहरी जड़ तेरी..
लफ़्ज़ों में बयां कैसे करूँ??
ऐ खुदा!! है भी अगर फिर भी ओझल…
इस बेनज़र से सीमा तेरी।
2. मेरे लाखों गुनाहों की क्या है मजाल
मेरे लाखों गुनाहों की क्या है मजाल
तेरी रहमत के आगे हर एक फीका है।
“असल में सीखा तो कुछ भी नहीं हमने”
बस पैगाम यही तेरे फरिश्तों से सीखा है
कर आईने पे ऐतबार ये गुज़ारिश करूँ
तौबा करने का गुर तू सिखा दे मुझे ।
सुना है तुझको पाने का यही तरीका है।
3. नाकाम होने की भी इंतहा हो चली
अब तो नाकाम होने की भी इन्तहा हो चली
खुद से पूछूँ यही कि जा रहा किस गली
यूं तो गलत नहीं दी जाती तेरी दरियादिली कि मिसालें
अपने आप से लड़ सकूँ, दम इतना भी नहीं मुझमें
गिरते रहने का सिलसिला ये थम ना रहा
चलते रहने की कोशिश में आज फिर गिर पड़ा
पैरों के निशां देखे खुद के जो पलट के
मंज़र ऐसा दिखा, खुद पे ही यकीं ना रहा
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