Humorous Hindi Poem – दोस्तों इस पोस्ट में आपको कुछ बेहतरीन Hindi Poem Funny का संग्रह दिया गया हैं. इस Hindi Funny Poetry को हमारे हिन्दी के प्रसिद्ध और लोकप्रिय कवियों ने लिखी हैं. Funny Short Poems in Hindi लोगों को भरपूर मनोरंजन और आनंदित करती हैं. इस सभी Comedy Poem in Hindi को आप किसी आयोजन में भी सुना सकते हैं.
हास्य कविता मुस्कान के साथ जीवन के सभी पहलू के समस्याओं को आसान भाषा में प्रस्तुत कर देती हैं. और कुछ पल के लिए हमलोग इस Humorous Hindi Poem को सुनकर अपनी सभी समस्याओं को भूलकर मुस्करा उठते हैं.
आइए अब कुछ यहाँ पर नीचे Humorous Hindi Poem को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Hindi Poem Funny आपको पसंद आएगी. इस Hindi Funny Poetry को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
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1. Hindi Poem Funny – एक दिन मामला यों बिगड़ा
एक दिन मामला यों बिगड़ा
कि हमारी ही घरवाली से
हो गया हमारा झगड़ा
स्वभाव से मैं नर्म हूं
इसका अर्थ ये नहीं
के बेशर्म हूं
पत्ते की तरह कांप जाता हूं
बोलते-बोलते हांफ जाता हूं
इसलिये कम बोलता हूं
मजबूर हो जाऊं तभी बोलता हूं
हमने कहा-“पत्नी हो
तो पत्नी की तरह रहो
कोई एहसान नहीं करतीं
जो बनाकर खिलाती हो
क्या ऐसे ही घर चलाती हो
शादी को हो गये दस साल
अक्ल नहीं आई
सफ़ेद हो गए बाल
पड़ौस में देखो अभी बच्ची है
मगर तुम से अच्छी है
घर कांच सा चमकता है
और अपना देख लो
देखकर खून छलकता है
कब से कह रहा हूं
तकिया छोटा है
बढ़ा दो
दूसरा गिलाफ चढ़ा दो
चढ़ाना तो दूर रहा
निकाल-निकाल कर रूई
आधा कर दिया
और रूई की जगह
कपड़ा भर दिया
कितनी बार कहा
चीज़े संभालकर रखो
उस दिन नहीं मिला तो नहीं मिला
कितना खोजा
और रूमाल कि जगह
पैंट से निकल आया मोज़ा
वो तो किसी ने शक नहीं किया
क्योकि हमने खट से
नाक पर रख लिया
काम करते-करते टेबल पर पटक दिया-
“साहब आपका मोज़ा।”
हमने कह दिया
हमारा नहीं किसी और का होगा
अक़्ल काम कर गई
मगर जोड़ी तो बिगड़ गई
कुछ तो इज़्ज़त रखो
पचास बार कहा
मेरी अटैची में
अपने कपड़े मत रखो
उस दिन
कवि सम्मेलन का मिला तार
जल्दी-जल्दी में
चल दिया अटैची उठाकर
खोली कानपुर जाकर
देखा तो सिर चकरा गया
पजामे की जगह
पेटीकोट आ गया
तब क्या खाक कविता पढ़ते
या तुम्हारा पेटीकोट पहनकर
मंच पर मटकते
एक माह से लगातार
कद्दू बना रही हो
वो भी रसेदार
ख़ूब जानती हो मुझे नहीं भाता
खाना खाया नहीं जाता
बोलो तो कहती हो-
“बाज़ार में दूसरा साग ही नहीं आता।”
कल पड़ौसी का राजू
बाहर खड़ा मूली खा रहा था
ऐर मेरे मुंह मे पानी आ रहा था
कई बार कहा-
ज़्यादा न बोलो
संभालकर मुंह खोलो
अंग्रेज़ी बोलती हो
जब भी बाहर जाता हूं
बड़ी अदा से कहती हो-“टा….टा”
और मुझे लगता है
जैसे मार दिया चांटा
मैंने कहा मुन्ना को कब्ज़ है
ऐनिमा लगवा दो
तो डॉक्टर बोलीं-“डैनिमा लगा दो।”
वो तो ग़नीमत है
कि ड़ॉक्टर होशियार था
नीम हकीम होता
तो बेड़ा ही पार था
वैसे ही घर में जगह नहीं
एक पिल्ला उठा लाई
पाव भर दूध बढा दिया
कुत्ते का दिमाग चढ़ा दिया
तरीफ़ करती हो पूंछ की
उससे तुलना करती हो
हमारी मूंछ की
तंग आकर हमने कटवा दी
मर्दो की रही सही
निशानी भी मिटवा दी
वो दिन याद करो
जब काढ़ती थीं घूंघट
दो बीते का
अब फुग्गी बनाती हो फीते का
पहले ढ़ाई गज़ में
एक बनता था
अब दो ब्लाउज़ो के लिये
लगता है एक मीटर
आधी पीठ खुली रहती है
मैं देख नहीं सकता
और दुनिया तकती है
मायके जाती हो
तो आने का नाम नहीं लेतीं
लेने पहुंच जाओ
तो मां-बाप से किराए के दाम नहीं लेतीं
कपड़े
बाल-बच्चों के लिये
सिलवा कर ले जाती हो
तो भाई-भतीजों को दे आती हो
दो साड़ियां क्या ले आती हो
सारे मोहल्ले को दिखाती हो
साड़ी होती है पचास की
मगर सौ की बताती हो
उल्लू बनाती हो
हम समझ जाते हैं
तो हमें आंख दिखाती हो
हम जो भी जी में आया
बक रहे थे
और बच्चे
खिड़कियो से उलझ रहे थी
हमने सोचा-
वे भी बर्तन धो रही हैं
मुन्ना से पूछा, तो बोला-“सो रही हैं।”
हमने पूछा, कब से?
तो वो बोला-
“आप चिल्ला रहे हैं जब से।”
शैल चतुर्वेदी
2. Humorous Hindi Poem – क्या बताएं आपसे हम हाथ मलते रह गए
क्या बताएं आपसे हम हाथ मलते रह गए
गीत सूखे पर लिखे थे, बाढ़ में सब बह गए
भूख, महंगाई, ग़रीबी इश्क़ मुझसे कर रहीं थीं
एक होती तो निभाता, तीनों मुझपर मर रही थीं
मच्छर, खटमल और चूहे घर मेरे मेहमान थे
मैं भी भूखा और भूखे ये मेरे भगवान थे
रात को कुछ चोर आए, सोचकर चकरा गए
हर तरफ़ चूहे ही चूहे, देखकर घबरा गए
कुछ नहीं जब मिल सका तो भाव में बहने लगे
और चूहों की तरह ही दुम दबा भगने लगे
हमने तब लाईट जलाई, डायरी ले पिल पड़े
चार कविता, पांच मुक्तक, गीत दस हमने पढे
चोर क्या करते बेचारे उनको भी सुनने पड़े
रो रहे थे चोर सारे, भाव में बहने लगे
एक सौ का नोट देकर इस तरह कहने लगे
कवि है तू करुण-रस का, हम जो पहले जान जाते
सच बतायें दुम दबाकर दूर से ही भाग जाते
अतिथि को कविता सुनाना, ये भयंकर पाप है
हम तो केवल चोर हैं, तू डाकुओं का बाप है
हुल्लड़ मुरादाबादी
3. Funny Short Poems in Hindi – सीधा – सादा फेस हो
सीधा – सादा फेस हो , शांति का सन्देश हो।
जीवन में कभी ना करे झगड़ा, इतना सा विशेष हो।
होठों पे हो हरदम हंसी, मीठी सी हो बोली।
बातें खट्टी-मीठी जैसे नारंगी की गोली।।
खर्चा करे उतना जितनी हो इनकम।
ताकि गृहस्थी में कभी ना आये आर्थिक भूकंप।।
सुबह जल्दी उठकर सबके लिए चाय बनाये।
हम पिये चाय वह पढ़कर अख़बार सुनाये।।
रसोई में बनाये हर रोज नए पकवान।
रसोई नहीं जैसे हो हलवाई की दूकान।।
अवसर-अवसर पर पैर हमारे छूकर दे हमको सम्मान।
व्रत करे वो सारे जो पति को बनाते आयुष्मान।।
जब जाये हम बिस्तर पर और ट्विटर चलायें।
तो आके हमारे करीब पैरों को दबाये।।
जब भी दे आदेश तब ही पीहर जाये।
ससुराल से पीहर हमारी मर्जी पर ही आये।।
और तुरंत रहे तैयार जब हम लेने जाये ससुराल।
आप लोग सब जानते पेट्रोल का क्या है हाल।।
बस इतनी सी अर्जी हमारी।
बाकि गजानन मर्जी तुम्हारी।।
4. Hindi Poem Funny – बीवी जिंदगी में लाती है तूफ़ान
बीवी जिंदगी में लाती है तूफ़ान
ताकि जिंदगी युद्ध कर सकें घमासान
तहस नहस होता फिर जीवन का आराम
दूर से ही तुम्हारे दोस्त करे राम राम
मान ना सके पति माँ का भी आदेश
पत्नी आँखों ही आँखों में भेजे ऐसा सन्देश
जिदंगी बन जाती ऐसी जलती भट्टी
कि जिसमें डालती रहती पत्नी गैस
पत्नी का यह स्वरुप होता है
पति मन ही मन रोता है
कुछ भी कहो यारों
जो भी होता है अच्छा होता है
5. Humorous Hindi Poems – तुम भ्रष्टाचार विरोधी
‘तुम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में
शामिल मत हो जाना,
वरना पड़ेगा पछताना।
बंद हो जायेगा मिलना कमीशन,
रद्द हो जायेगा बालक का
स्कूल में हुआ नया एडमीशन,
हमारे घर का काम
ऐसे ही लोगों से चलता है,
जिनका कुनबा दो नंबर के धन पर पलता है,
काले धन की बात भी
तुम नहीं उठाना,
मुश्किल हो जायेगा अपना ही खर्च जुटाना,
यह सच है जो मैंने तुम्हें बताया,
फिर न कहना पहले क्यों नहीं समझाया।’
सुनकर समाज सेवक हंसे
और बोले
‘‘मुझे समाज में अनुभवी कहा जाता है,
इसलिये हर कोई आंदोलन में बुलाता है,
अरे,
तुम्हें मालुम नहीं है
आजकल क्रिकेट हो या समाज सेवा
हर कोई अनुभवी आदमी से जोड़ता नाता है,
क्योंकि आंदोलन हो या खेल
परिणाम फिक्स करना उसी को आता है,
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में
मेरा जाना जरूरी है,
जिसकी ईमानदारी से बहुत दूरी है,
इसमें जाकर भाषण करूंगा,
अपने ही समर्थकों में नया जोशा भरूंगा,
अपने किसी दानदाता का नाम
कोई थोडे ही वहां लूंगा,
बस, हवा में ही खींचकर शब्द बम दूंगा,
इस आधुनिक लोकतंत्र में
मेरे जैसे ही लोग पलते हैं,
जो आंदोलन के पेशे में ढलते हैं,
भ्रष्टाचार का विरोध सुनकर
तुम क्यों घबड़ाती हो,
इस बार मॉल में शापिंग के समय
तुम्हारे पर्स मे ज्यादा रकम होगी
जो तुम साथ ले जाती हो,
इस देश में भ्रष्टाचार
बन गया है शिष्टाचार,
जैसे वह बढ़ेगा,
उसके विरोध के साथ ही
अपना कमीशन भी चढ़ेगा,
आधुनिक लोकतंत्र में
आंदोलन होते मैच की तरह
एक दूसरे को गिरायेगा,
दूसरा उसको हिलायेगा,
अपनी समाज सेवा का धंधा ऐसा है
जिस पर रहेगी हमेशा दौलत की छाया।’’
दीपक भारदीप
6. Humorous Poem in Hindi – टीचर जी!
टीचर जी!
मत पकड़ो कान।
सरदी से हो रहा जुकाम।।
लिखने की नही मर्जी है।
सेवा में यह अर्जी है।।
ठण्डक से ठिठुरे हैं हाथ।
नहीं दे रहे कुछ भी साथ।।
आसमान में छाए बादल।
भरा हुआ उनमें शीतल जल।।
दया करो हो आप महान।
हमको दो छुट्टी का दान।।
जल्दी है घर जाने की।
गर्म पकोड़ी खाने की।।
जब सूरज उग जाएगा।
समय सुहाना आयेगा।।
तब हम आयेंगे स्कूल।
नहीं करेंगे कुछ भी भूल।।
7. Humorous Poems in Hindi – पति इस संसार का होवे
पति इस संसार का होवे सबसे बेचारा प्राणी।
वाइफ उसे चलाये ऐसे जैसे बैल चले तेल की घाणी।
घाणी का बैल बनकर खींचे गृह गृहस्थी।
जिंदगी पत्नी की हर हाँ के नीचे देखो पिसती।।
पीसने के साथ साथ घिसता जाये जीवन।
मुश्किल हो जाये खुशहाली और हरी के भजन।।
भजन संग बचपना हो खो गया कहीं।
बस जिम्मेदारी की पंखी चलाना हुआ सही।।
सही सलामत कुछ ना बचा अब देखो अरमान।
बीवी चबा गई इच्छाएं समझ के मीठा पान।
पान की दूकान और चाय का मजा गायब यारों संग।
शादी की वाइफ में सिर्फ पत्नी के ही रंग ढंग।।
रंग ढंग ऐसे की बात बात में होये तमाशा।
तमाशा चर रहा जिंदगी देखो अच्छा खासा।।
खास बनाने को जिंदगी में की थी शादी।
शादी ने कर दी जीवन की अच्छी खासी बर्बादी।
8. Hindi Funny Poetry – मुंह पे उंगली रखो
मुंह पे उंगली रखो तमाशा मत करो।
है चुप रहने की दवा मना मत करो।।
राम लाल जी बोले अपनी बीवी से
बीवी बड़ी भयंकर थी
जटा खोलें शिव शंकर थी
नेत्रों से ऐसी फूटी ज्वाला
“पीछे हटो ” कहकर
धक्का दे डाला।
शब्द बाणों के तो अपने विवाह दिवस से ही
राम लाल जी थे आदी
धक्का खाकर आज पता चला
क्या होती है शादी।
थोड़ी सी टूटी कमर
थोड़ी सी निकली आह
यह वही पत्नी थी
जिसको पाने के लिए मांगी थी दुआ
दुआ का प्रसाद क्या दे गया भगवान
पूजा की थी 5 साल
लेकर इस लड़की का नाम।
लेकिन अब लड़की बन गयी देवी
सो देवी पूजा उतारने को तैयार
जब भी कुछ बोले राम लाल जी
सीखा देती बोलने का शिष्टाचार।
किन्तु आज मामला हो गया था गर्म
भूल गए थे राम लाल जी पति धर्म
तो धर्म था पत्नी को ले जाना फिल्म दिखाने
और लाल जी घर चले आये गुन-गुनाते गाने।
तो इस तरह पत्नी के सपनों को खाक में मिलाकर
ढाई घंटे तक मेकअप की तपस्या करवाकर
आते ही बोल पड़े जानू आज क्या है खाने में
भूल गए सुबह वादा हुआ था फिल्म देखने जाने में।
फिल्म के साथ, बाहर खाने का भी था विचार
पत्नी ने तो कर भी दिया आस-पड़ोस में प्रचार
लेकिन पति देव आये पूरे दो घंटे लेट
गुस्सा तो आया कि कर दें दो-तीन थप्पड़ भेंट
किन्तु पत्नी थी क्षमाशील और दयावान
दो-तीन अपशब्द और एक धक्के से चलाया काम।
लेकिन पत्नी की इस हायतौबा ने
राम लाल जी का दिल कर दिया घायल
क्यों कि वो दो घंटे की देर इसलिए
खरीदने लगे थे पत्नी के लिए पायल
वही पायल जो दो दिन पहले पत्नी को
खूब पसंद थी आयी
और आज राम लाल जी की
रुकी सैलरी अचानक से आयी
ख़ुशी से लाल जी चले गए बाजार
आज पत्नी को पायल देनी उपहार
और बताना चाहते थे कितना है
दिल में पत्नी के लिए प्यार
किन्तु उससे पहले पत्नी ने बता दिया।
9. Comedy Poem in Hindi – महंगाई से है जनता त्रस्त
महंगाई से है जनता त्रस्त।
देख राजनीति हो रही मस्त।।
मस्ती के गोल गप्पे मीडिया खिलाये।
फालतू ख़बरों से सिर भी पकाये।।
ताकि दिमाग से आम मुद्दा रहे दूर।
अवश्य बिकाऊ जो छिपाने को मजबूर।।
राजनीति के शोर में हो गया खामोश।
जनता की सहने की आदी फिर किसे दोष।।
होशवाले देख ले रहे सिर्फ ट्वीट की चुस्की।
देख गरीबी ले रही इस रवैये से सिस्की।।
अब राजनीति का अर्थ लूट खसोट वोटों की।
क्या परवाह लोकतंत्र में आम जन के नोटों की।
अब बाजार गए तो मतलब पहुंचे कसाई खाना।
कटेगा जेब आटे दाल से ले इलायची की दाना दाना।।
वस्तुओं का मूल्य पूछ चुप हो जाती बड़बोली जुबान।
कसम खाती देख अब फिर ना आउंगी तेरी दूकान।।
पर बढ़ती कीमतें दूकान और दुकानदार के ऊपर नहीं।
यह तो अटके हैं कुछ अयोग्य नेताओं के निर्णय पर कहीं।।
10. Laughing Poem in Hindi – एक दिन बेटे से पूछा बेटा क्या बनोगे
एक दिन बेटे से पूछा बेटा क्या बनोगे?:
कौन सा प्रोफेश्न अपनाओगे,किस राह पर जाओगे
वह थोड़ा हिचकिचाया,फिर मुस्कराया और बोला
मैं नेता बनूंगा
मैं हुआ हैरान उसकी सोच पर परेशान
नेता बनना होता है क्या इतना आसान ?
फिर पूछा :बेटा नेता जैसी योग्यता कहां से लाओगे
लोगों में अपनी पहचान कैसे बनाओगे
वह बोला मुझे सब पता है
नेता गिरी का जिन बातों से नाता है
नेता के लिये मिनिमम कुयालिफिकेशन है—
पहली जमात से ऊपर पास हो या फेल
किसी न किसी केस में कम से कम एक बार हुई हो जेल
मैथ में करोडों तक गिनती जरुरी है इस के बिना नेतागिरी अधूरी है
माइनस डिविजन चाहे ना आये पर प्लस मल्टिपिकेशन बिना
नेता बनने की चाह अधूरी है
5 सइकालोजी थोड़ी सी जान ले
ताकि वोटर की रंग पहचान ले
डराईंग में कलर स्कीम का ज्ञाता हो
गिरगिट की तरह रंग बदलना आता हो
लाल, काले सफेद से ना घबराये
नेता की पोशाक में हर रंग समाये
पिताजी बस अब भाई दादाओं के हुनर जानना है
उसके लिये किसी अच्छे डान को गुरू मानना है
डाक्टर इंजीनियर बनकर मैं भूखों मर जाऊंगा
नेता बन कर ही होगा गाड़ी बंगला और विदेश जा पाऊंगा
मैंने सोचा, बहुमत में नेताओंको ऎसा पाया
और अपने बेटे की बुद्धि पर हर्शाया
11. बेहतरीन हास्य कविता – लोग ऐसी बात कर रहे हैं
लोग
ऐसी बात कर रहे हैं
हमारे नेता आजकल
रावण को भी मात कर रहे हैं
ये बात उड़ते-उड़ते
रावण तक पहुंची तो रावण बौखला गया
अपने से भी बड़े राक्षसों के दर्शन करने
वो लंकापति, वो दशानन
अानन-फानन में
सीधे दिल्ली आ गया
स्टेशन से बाहर आते-आते
घटना घट चुकी थी
टैक्सी करने के लिए
पैसे नहीं बचे थे
अगले की जेब कट चुकी थी
निराश, मायूस लंकेश
चेहरे पे उदासी
मन में क्लेश लिए वो
मुझसे टकराया, बोला-
भाई साब, आप भारतीयों के
हाथ जोड़ते हैं
आप की तरक्की देखकर तो
हम भी शरमा गए,
त्रेता में नाक काटने से चले थे
कलियुग में जेब काटने पर आ गए
वो तो भला हो
मंदोदरी का
सौ का नोट अलग से
अंटी में फंसा दिया था
वरना खाने के पैसे भी नहीं बचते
मुझे तो मरवा दिया था
मुझे क्या पता था
सीता को चुराकर
राम का दिल दुखाने के
मुझे ये फल भोगने पड़ेंगे
कि मैं फलों को तरस जाऊंगा
मेरी समझ में नहीं आ रहा
इन बचे हुए सौ रुपयों में
मैं क्या खाना खाऊंंगा ?
मैंने कहा-
राम को क्यों इल्जाम दे रहे हैं
राम को सताने वाले तो मजे ले रहे हैं
वो त्रेता होगा
जहां राम को सताने पर
मातम-पुर्सी मिलती है
ये कलियुग है रावण डार्लिंग!
यहां राम को सताओगे
तो कुर्सी मिलती हैै
और रही बात खाना खाने की
तो चिंंता मत कर
सामने ढाबे में
सत्तर-अस्सी रुपये में
बहुत बढ़िया थामंली मिल जाएगी
जा, मैं तेरा यहीं इंतजार कर रहा हूं
पहले खाना खा कर आ
रावण ढाबे में गया, और
जब रावण बाहर आया तो
अगले के कपड़े और मुंह
दोनों उतरे हुए थे,
मैंने कहा-
क्यों रावण,
कपड़े क्यों उतार लिए ?
बोला-
उतार लिए नहीं, उतरवा लिए
मैंने कहा-
तुम्हारे पास तो सौ रुपये थे
सुनकर रावण रुआंसा हो गया
पर किसी तरह अपने आंसू रोक लिए
बोला- मैं क्या करता
अगले ने सत्तर रुपये पर हैड के हिसाब से
सात सौ ठोंक दिए
पर अब मुझे कोई गिला नहीं है
अब मैं यही सोच कर नहीं रोता
जिन नेताओं के दर्शन करने के चक्कर में
मेरा ये हाल हो गया
अगर सच में उनके दर्शन हो जाते तो
मेरा क्या हाल होता ?
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