Khwahish Shayari – यहाँ पर Khwahish Shayari in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. हम सभी के दिल में कुछ ख्वाहिश होते हैं. उन ख्वाहिश को पूरा करने के लिए हमलोग अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करते हैं. कुछ ख्वाहिश पूरी होती हैं तो कुछ ख्वाहिश अधूरी रह जाती हैं. शायरों ने ख्वाहिश को आधार मानकर बहुत सारे ख्वाहिश पर शायरी, अधूरे ख्वाहिश पर शायरी लिखी हैं.
अब आइए यहाँ पर कुछ ख्वाहिश पर शायरी, अधूरे ख्वाहिश पर शायरी दी गई हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी 2 Line Khwahish Shayari आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
ख्वाहिश शायरी, Khwahish Shayari in Hindi
(1) छोटी छोटी सी ख़्वाहिशों के लिए
कोई ज़िंदा रहा हमेशा से
– ताजदार आदिल
(2) रोते रोते हँसी मेरी ख़्वाहिश
मिल गई इक नई ख़बर शायद
– जाफ़र साहनी
(3) उस ने बड़ा मोहतात रवय्या रखा फिर भी
लहजे से झलकता रहा ख़्वाहिश का इरादा
– रफ़ीक़ ख़याल
(4) फिर थकी हारी एक ख़्वाहिश ने
ज़ानू-ए-शब पे सर को जा रक्खा
– जीना क़ुरैशी
(5) मन ख्वाहिशों में अटका रहा
और जिंदगी हमें जी कर चली गई
(6) ख़्वाहिश ये नहीं की तारीफ़ हर कोई करे
कोशिश ये ज़रूर है की कोई बुरा ना कहे
(7) मेंरी हर ख्वाहिश पूरी हो गई
जब से वो मेरी हो गयी
(8) ख्वाहिश तो थी इश्क़ के दरिया में उतरने की,
पर हिम्मत न जुटा सका खुद को बर्बाद करने की
(9) रस्सी जैसी जिंदगी तने तने हालात
एक सिरे पर ख्वाहिश है दूसरे पर औकात
(10) चाहे दुनिया कितनी भी खिलाफ हो
ख्वाहिश है मेरी हमेशा तुम मेरे साथ हो
2 Line Khwahish Shayari
(11) चहरे पर कभी उदासी ना रहे तुम्हारी
इसलये कुछ ख्वाहिशें मैंने अपने दिल मे दफना दिए
(12) ख्वाहिशें कुछ कुछ यूँ भी अधूरी रही,
पहले उम्र नही थी, अब उम्र नही रही
(13) ये ख्वाहिश कभी मेरी अधूरी ना रहे
हम दोनों मैं कभी दूरी ना रहे
(14) कहने को दिल में तो बहुत से बाते हैं,
मुख़्तसर लफ़्ज़ों में मेरी आखरी ख्वाहिश हो तुम
(15) छोटी छोटी खुशियाँ ही जीने का सहारा बनती है
ख्वाहिशों का क्या है वह तो हर पल बदलती रहती है
(16) मेरे टूटने की वजह मेरे जोहरी से पूछो
उस की ख्वाहिश थी कि मुझे थोडा और तराशा जाये.!!
(17) ज़िन्दगी ने मेरे मर्ज का एक कारगर इलाज बताया
वक़्त को दवा कहा और ख्वाहिशो का परहेज़ बताया
(18) पूरी जिन्दगी न जाने मैं क्या चाहता रहा,
कुछ अधूरी ख्वाहिशों को मैं पालता रहा
(19) कोशिशों के बाद भी जो मुकम्मल ना हो सके
तेरा नाम भी उन्हीं ख्वाहिशों में शामिल है
(20) तकदीर का ही खेल है सब
पर ख्वाहिशें है की समझती ही नहीं
ख्वाहिश शायरी
(21) मेरे अपनों के चेहरे पर उदासी न आ जाएँ,
मैंने कुछ ख्वाहिशों को दिल में दफन कर दिया
(22) जख्म बहुत मिले पर हँसते रहे हम,
ख्वाहिश पूरी करने को मरते रहे हम.
(23) ज़ख्म बहुत गहरे थे फिर भी मुस्कराते रहे हम
हर पल ख्वाहिशें पूरी करने को मरते रहे हम
(24) छोटे थे तब हर ख्वाहिश ख़ुशी में बदल जाती थी,
बड़े हुए तबसे हर ख्वाहिश दर्द ही देती है
(25) ख्वाहिश तो बस अब यही है आंख खुले
तो तेरा साथ हो
आंखे अगर बन्द हो तो तेरा ही ख्वाब हो
(26) कुछ मुकदमे दायर होने चाहिए हम पर भी
अपनी ख्वाहिशों का कत्ल किए बैठे हैं हम
(27) हजार ख्वाहिशें हमने एक साथ तौल कर देखी
उफ्फ तेरी ये चाहत फिर भी सब पर भारी निकली
(28) ख्वाहिशों से भरा पड़ा है घर इस कदर
रिश्ते जरा सी जगह को तरसते हैं
(29) ज़िन्दगी तो पूरी कट जाती है पर
कुछ ख्वाहिशें अधूरी ही दम तोड़ देती है
(30) ख्वाहिश नहीं है कि टूट कर चाहो तुम मुझे,
ख्वाहिश बस इतनी है कि टूटने न देना मुझे.
Khwahish Shayari in Hindi
(31) उम्र बड़ी लम्बी होती है मोहब्बत की,
हमने सारी उम्र उनकी ख्वाहिश में गुजार दी
(32) कुछ यूँ बिखरी पड़ी है मेरी ख्वाहिशें जैसे सितारे,
ना जाने क्यों पर अपने भी अब हमें नही लगते हमारे.
(33) हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
(34) एक अजीब रिश्ता है मेरे और ख्वाहिशों के दरमियां
वो मुझे जीने नहीं देती और में उन्हें मरने नहीं देता
(35) ये कैसी ख्वाहिश है कि मिटती ही नहीं..
जी भर के तुझे देख लिया फिर भी नजर हटती नहीं..
(36) तुम आरजू तो करो मोहब्बत करने की
हम इतने भी गरीब नहीं की मोहब्बत ना दे सके
(37) खैरात की ख्वाहिश कभी ना थी हमे…
मोहब्बत की आरजू थी मोहब्बत के बदले…
(38) मैं खुद की ख्वाहिशों को जता नहीं पाया
मसला कुछ ऐसा था की मै खामोश बहुत था
(39) ख़्वाब, ख्वाहिश और लोग
जितने कम हो उतना अच्छा है.
(40) कुछ खास फर्क नहीं पड़ता ख्वाहिशें अधूरी रहने पर.
बहुत करीब से सपनों को टूटते हुए देखा है..
(41) ज़िन्दगी तो पूरी कट जाती है पर
कुछ खव्हिशें अधूरी ही दम तोड़ देती है
(42) अब की बार, अजीब सी ख्वाहिश जगी है
कोई मुझे टूट कर चाहे और,मै बेवफा निकलू
(43) मेरे गुनाह मुझे….
मेरे सामने ही गिनवा दो दोस्तों,……
ख़्वाहिश है की ….
जब कफ़न में छुप जाऊँ तो बुरा न कहना…
(44) तेरी ख्वाहिश कर ली
तो कौन सा गुनाह कर लिया.
लोग तो अपनी इबादत में
पूरी कायनात मांग लेते है.
(45) शायद उम्मीदें ही होती हैं ग़म की वजह,,,,
वरना ख़्वाहिशें रखना कोई गुनाह नही!😊
(46) मेरे नसीब की बारिश
कुछ इस तरह से होती रही मुझपे
कि ख्वाहिशे सुखती रही
और पलके भीगती रही.
(47) मुझे मालूम है कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशें अधूरी हैं,
मगर जिंदा रहने के लिए कुछ गलतफहमियां जरूरी हैं
(48) गरीबों की दहलीज पर नहीं आना चाहिए,
इससे पहले ख्वाहिशों को मर जाना चाहिए.
(49) दिल में इश्क़ की छुपी ख्वाहिशें
जुबाँ पर आती नहीं,
उन्हें मेरे दिल का हाल पता है
पर वो अपने दिल का हाल बताती नहीं.
(50) टूटा हुआ दिल कभी हमारा नही होता,
जिन्दगी में ख्वाहिशों का किनारा नही होता.
(51) बेवजह की ख्वाहिशें पालकर,
ख्वाहिशों के पीछे भागते है,
दिन में सुकून मिलता नही है,
अब रातों में भी जागते है.
(52) मेरे अपनों के चेहरे पर उदासी न आ जाएँ,
मैंने कुछ ख्वाहिशों को दिल में दफन कर दिया.
(53) मेरी ख़्वाहिश है कि फिर से मैं फ़रिश्ता हो जाऊँ
माँ से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊँ
– मुनव्वर राना
(54) नाम तेरा मेरी जुबां पर यूँ ही आ जाता है,
जब कोई मेरी आखिरी ख्वाहिश पूछता है.
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