Phool Shayari in Hindi : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय फूल शायरी का संग्रह दिया गया हैं. जिस तरह फूल काटों के बीच में रहकर भी अपनी खुशबू बिखेरता रहता हैं. उसी तरह हमे भी अपनी विषम परस्थितियों में भी सकारात्मक सोच बनाए रखनी चाहिए.
आइये कुछ नीचे Phool Shayari in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी फूल शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
फूल शायरी, Phool Shayari in Hindi
(1) इतना नाराज़ हो क्यूँ उस ने जो पत्थर फेंका
उस के हाथों से कभी फूल भी आया होगा
(2) फूल खिले हैं लिखा हुआ है तोड़ो मत
और मचल कर जी कहता है छोड़ो मत
(3) फूल ही फूल याद आते हैं
आप जब जब भी मुस्कुराते हैं
(4) अगरचे फूल ये अपने लिए ख़रीदे हैं
कोई जो पूछे तो कह दूँगा उस ने भेजे हैं
इफ़्तिख़ार नसीम
(5) आज भी शायद कोई फूलों का तोहफ़ा भेज दे
तितलियाँ मंडला रही हैं काँच के गुल-दान पर
शकेब जलाली
(6) काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें
अख़्तर शीरानी
(7) काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ
शकील बदायूनी
(8) मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई
वो शख़्स आ के मिरे शहर से चला भी गया
परवीन शाकिर
फूल शायरी
(9) लोग काँटों से बच के चलते हैं
मैं ने फूलों से ज़ख़्म खाए हैं
अज्ञात
(10) मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँ
वो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
अफ़ज़ल इलाहाबादी
(11) हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं
बिस्मिल सईदी
(12) फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं
काँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं
वसीम बरेलवी
(13) फूल गुल शम्स ओ क़मर सारे ही थे
पर हमें उन में तुम्हीं भाए बहुत
मीर तक़ी मीर
(14) वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
परवीन शाकिर
(15) फूल से आशिक़ी का हुनर सीख ले
तितलियां ख़ुद रुकेंगी सदायें न दे
– बशीर बद्र
(16) ख़ुशबू की तरह जीना भी आसान तो नहीं
फूलों से क़तरा- क़तरा निचोड़ा गया मुझे
– नसीम निकहत
Phool ki Shayari
(17) मैं तेरा बिस्तर रखूं आबाद तू आँगन मेरा
मैं बदन भर फूल हूँ और तू दिया भर आग है
– इशरत आफ़रीं
(18) आया है सुबह नींद से उठ रसमता हुआ
जामा गले में रात के फूलों बसा हुआ
– मुबारक आबरू
(19) चुभे पांवों में कांटे याद आया
कि हमने फूल ठुकराए बहुत हैं
– समीना असलम
(20) तस्वीर मैंने मांगी थी शोखी तो देखिए
इक फूल उसने भेज दिया है गुलाब का
– अन्दलीब शादानी
(21) अब के हम बिछड़े तो शायद ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
– अहमद फ़राज़
(22) ख़ुशबू का अहतिराम हवाएं न कर सकीं
फूलों को अपनी शाख पे मर जाना चाहिए
– अंजुम बाराबंकवी
(23) ये नर्म मिजाज़ी है कि फूल कुछ कहते नहीं
वरना कभी दिखलाइए कांटों को मसलकर
– अज्ञात
(24) फूल तो दो दिन बहारे जां फिज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
– ज़ौक़
(25) ग़म-ए-उम्र-ए-मुख़्तसर से अभी बे-ख़बर हैं कलियाँ
न चमन में फेंक देना किसी फूल को मसल कर
– शकील बदायुनी
Phool Shayari in Hindi
(26) कांटों से घिरा रहता है चारों तरफ से फूल
फिर भी खिला रहता है, क्या खुशमिजाज़ है
– अज्ञात
(27) काँटों से गुज़र जाता हूँ दामन को बचा कर
फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ
– शकील बदायुनी
(28) काँटों से दिल लगाओ जो ता-उम्र साथ दें
फूलों का क्या जो साँस की गर्मी न सह सकें
– अख़्तर शीरानी
(29) सच है एहसान का भी बोझ बहुत होता है
चार फूलों से दबी जाती है तुर्बत मेरी
– जलील मानिकपूरी
(30) हम ने काँटों को भी नरमी से छुआ है अक्सर
लोग बेदर्द हैं फूलों को मसल देते हैं
– अज्ञात
(31) हवा की तरह वो आए तो फूल बन जाऊं
चमन के रंग मेरी चूड़ियों में भर जाएं
– रेहाना रूही
(32) हम जान छिड़कते हैं जिस फूल की ख़ुशबू पर
वो फूल भी कांटों के बिस्तर पे खिला होगा
– माधव मधुकर
(33) हाथ काँटों से कर लिए ज़ख़्मी
फूल बालों में इक सजाने को
(34) ज़िन्दगी भर फूल ही भिजवाओगे
या किसी दिन खुद भी मिलने आओगे
(35) पहले उसकी खुशबू मैंने खुद पर तारी की
फिर मैंने उस फूल से मिलने की तैयारी की
(36) अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
(37) तोहफ़ा, फूल, शिकायत, कुछ तो लेकर जा
इश्क़ से मिलने ख़ाली हाथ नहीं जाते
(38) ये जो है फूल हथेली पे इसे फूल न जान
मेरा दिल जिस्म से बाहर भी तो हो सकता है
(39) फूल सा नाजुक दिल होता हैं,
इश्क़ में संभालना मुश्किल होता हैं.
(40) आपके होठों पर सदा खिलता गुलाब रहे,
आप जिन्हें चाहे वो सदा आपके पास रहे.
(41) ख़ुशी के फूल उन्हीं के दिलों में खिलते हैं,
जो अपनो से अपनो की तरह मिलते हैं.
(42) वो तो ख़ुश-बू है हवाओं में बिखर जाएगा
मसअला फूल का है फूल किधर जाएगा
परवीन शाकिर
(43) फूल तो दो दिन बहारे जां फिज़ा दिखला गए
हसरत उन गुंचों पे है जो बिन खिले मुरझा गए
ज़ौक़
(44) फूल तो फूल हैं आँखों से घिरे रहते हैं
काँटे बे-कार हिफ़ाज़त में लगे रहते हैं
वसीम बरेलवी
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