Poem About Birds in Hindi – इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय चिड़ियों पर कविताएँ का संग्रह दिया गया हैं. अक्सर स्कूल में भी Poem On Birds in Hindi में लिखने को कहा जाता हैं. यह कविताएँ आपको पंक्षी पर कविता लिखने में सहायक होगी.
इस प्रकृति में हमारे आस पास अनेक प्रकार के सुन्दर और विचित्र पक्षी रहते हैं. जिनको देखकर और इनकी आवाजे को सुनकर हमें प्रकृति की खूबसूरती का ऐहसास होता हैं.
प्रकृति में जीव जन्तुओं को ईश्वर ने सुन्दर और अद्भुत तरीके से बनाया हैं. पंक्षियों की तो एक अनोखी ही दुनिया होती हैं. जीवन को जीभर के जीना, खुले आकाश में उड़ना यह हमें कुछ सिख अवश्य देते हैं.
पंक्षियों का हौसला जिस प्रकार से बुलंद होती हैं. हमें भी अपने जीवन में लगातार प्रयास करते रहना चाहिए. एक पक्षी तिनका – तिनका चुनकर इकट्ठा करके अपना आशियाना बानाता हैं. और एक तेज हवा का झोंका उस आशियाना को उजाड़ देता है. तब भी उनका हौसला कम नहीं होता और फिर से तिनका – तिनका चुनकर अपना नया आशियाना बना लेते हैं. पंक्षियों के हौसले को देखकर हमें भी सीख लेनी चाहिए. और जीवन में हमें भी निरंतर अग्रसर रहना चाहिए.
पंक्षियों को आधार मानकर हमारे कवियों ने पक्षियों पर कविताएँ लिखी हैं. दोस्तों आइये अब कुछ निचे Poem About Birds in Hindi में दी गई हैं. इसे पढ़ते हैं. यह Poem On Birds in Hindi में आपको पसंद आयगी. इस पंक्षी पर कविता को अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें.
चिड़ियों पर कविताएँ, Poem About Birds in Hindi, Poem On Birds in Hindi
1. Poem About Birds in Hindi – चिड़िया निकली है आज लेने को दाना
चिड़िया निकली है आज लेने को दाना
समय रहते फिर है उसे घर आना
आसान न होता ये सब कर पाना
कड़ी धूप में करना संघर्ष पाने को दाना
फिर भी निकली है दाने की तलाश में
क्योकि बच्चे है उसके खाने की आस में
आज दाना नही है आस पास में
पाने को दाना उड़ी है दूर आकाश में
आखिर मेहनत लायी उसकी रंग मिल गया
उसे अपने दाने का कण पकड़ा
उसको अपनी चोंच के संग
ओर फिर उड़ी आकाश में जलाने को
अपने पंख भोर हुई पहुँची अपने ठिकाने को
बच्चे देख रहे थे राह उसकी आने को
माँ को देख बच्चे छुपा ना पाए अपने मुस्कुराने को
माँ ने दिया दाना सबको खाने को
दिन भर की मेहनत आग लगा देती है
पर बच्चो की मुस्कान सब भुला देती है
वो नन्ही सी जान उसे जीने की वजह देती है
बच्चो के लिए माँ अपना सब कुछ लगा देती है
फिर होता है रात का आना सब सोते है
खाकर खाना चिड़िया सोचती है
क्या कल आसान होगा पाना दाना
पर अपने बच्चो के लिए उसे कर है दिखाना
अगली सुबह चिड़िया फिर उड़ती है लेने को दाना
गाते हुए एक विस्वास भरा गाना
आशीष राजपुरोहित
2. Poem On Birds in Hindi – कलरव करती सारी चिड़िया
कलरव करती सारी चिड़िया,
लगती कितनी प्यारी चिड़िया
दाना चुगती, नीड बनाती,
श्रम से कभी न हारी चिड़िया
भूरी, लाल, हरी, मटमैली,
श्रंग-रंग की न्यारी चिड़िया
छोटे-छोटे पर है लेकिन,
मीलो उड़े हमारी चिड़िया
3. चिड़ियों पर कविताएँ – कौन सिखाता है चिड़ियों को
कौन सिखाता है चिड़ियों को,
ची ची ची ची करना ?
कौन सिखाता फुदक फुदक कर,-
उनको चलना फिरना ?
कौन सिखाता फुर्र से उड़ना,
दाने चुग-चुग खाना ?
कौन सिखाता तिनके ला ला,
कर घोंसले बनाना ?
कुदरत का यह खेल वही,
हम सबको, सब कुछ देती,
किन्तु नहीं बदले में हमसे,
वह कुछ भी है लेती ||
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी
4. Short Poem on Birds in Hindi – प्रात: होते ही चिड़िया रानी, बगिया में आ जाती
प्रात: होते ही चिड़िया रानी, बगिया में आ जाती,
चूं चूं करके शोर मचाकर बिस्तर में मुझे जगाती |
तिलगोजे जैसी चोंच है उसकी,
मोती जैसी आंखें |
छोटे छोटे पंजे उसके
रेशम जैसी आंखें |
मीठे मीठे गीत सुनाकर,
तू सबका मन बहलाती |
छोटे छोटे दाने चुग कर
बड़े चाव से खाती |
चारो तरफ फुदक फुदक कर,
तू अपना नाच दिखाती |
नन्हे नन्हे तिनके चुनकर,
तू अपना घोंसला बनाती |
रात होते ही झट से
तू घोंसले में घुस जाती |
पेड़ो की शाखाओ में तू,
अपना बास बनाती |
5. Poems About Birds in Hindi – सोने की चिड़िया कहे जानेवाले देश में
सोने की चिड़िया कहे जानेवाले देश में
सफेद बगुलों ने आश्वासनों के इन्द्रधनुषी
सपने दिखाकर निरीह मेमनों की आंखें
फोड़ डाली हैं
मेमने दाना-पानी की जुगाड़ में व्यस्त हैं.
सफेद बगुले आलीशान पंचतारा होटलों
में आजादी का जश्न मना रहे हैं
प्रवासी पक्षियों के समूह सोने की चिड़िया
कहे जाने वाले देश के वृक्षों पर अपने घोंसले
बना रहे हैं और देशी चिड़ियों के समूह
खाली वृक्ष की तलाश में भटक रहे हैं
कुछेक साल देशी चिड़िया को लगातार सौंदर्य
का ताज पहनाया गया और प्रवासी पक्षी
अपना स्थान बनाने की खुशी में गीत गुनगुना रहे हैं
वृक्ष पर बैठे प्रवासी पक्षियों की बीट से
पुण्य भूमि पर पाश्चात्य गंदगी फैल रही है
विश्व गुरु कहे जानेवाले देश में गुरु पीटे जा रहे हैं
और चेले प्रेमिकाओं संग व्यस्त हैं
शिक्षा व्यवस्था का बोझ गदहों की पीठ पर
लाद दिया गया है
अपने निहित स्वार्थ के लिए सफेद
बगुले लगातार देश को बांटने की साजिश में लगे हैं
देश जितना बंटेगा कुर्सियां उतनी ही सुरक्षित होंगी
महाभारत आज भी जारी है
भूखे-नंगे लोग युद्ध क्या करेंगे, मारे जा रहे हैं
बिसात आज भी बिछी है
द्युत खेला जा रहा है ‘कौन बनेगा करोड़पति’
जैसे टीवी सीरियल देखकर बच्चे ही नहीं,
तथाकथित बुद्धिजीवी भी फोन डायल कर रहे हैं
हवा में तैर रहा है बिना परिश्रम के
करोड़पति बनने का सवाल –
प्रवासी पक्षी अगली सदी तक कितने अण्डे देंगे?
राकेश प्रियदर्शी
6. पंछी पर कविता – हम पक्षी हुए होते
काश !
हम पक्षी हुए होते
इन्हीं आदिम जंगलों में घूमते हम
नदी का इतिहास पढ़ते
दूर तक फैली हुई इन घाटियों में
पर्वतों के छोर छूते
रास रचते इन वनैली वीथियों में
फुनगियों से
बहुत ऊपर चढ़
हवा में नाचते हम
इधर जो पगडंडियाँ हैं
वे यहीं हैं खत्म हो जातीं
बहुत नीचे खाई में फिरती हवाएँ
हमें गुहरातीं
काश !
उड़कर
उन सभी गहराइयों को नापते हम
अभी गुज़रा है इधर से
एक नीला बाज़ जो पर तोलता
दूर दिखती हिमशिला का
राज़ वह है खोलता
काश !
हम होते वहीं
तो हिमगुफा के सुरों की आलापते हम
कुमार रवींद्र
7. Poem About Birds in Hindi – एक मुक्त पक्षी उछलता
एक मुक्त पक्षी उछलता
हवा में और उड़ता चला जाता
जहाँ-जहाँ तक बहाव
समोता अपने पंख नारंगी सूर्य किरणों में
जमाता आकाश पर अपना अधिकार।
लेकिन वह पक्षी जो करता विचरण अपने सँकरे पिंजरे में
कदाचित ही वह हो पाता अपने क्रोध से बाहर
काट दिए गए हैं उसके पंख, बान्ध दिए गए हैं पैर
इसलिए खोलता अपना गला वह गान के लिए।
गाता है पिंजरे का पक्षी भयाकुल स्वर में
गीत अज्ञात पर जिसकी चाह आज भी
उसकी यह धुन सुनाई देती सुदूर पहाड़ी तक
कि पिंजरे का पक्षी गाता है मुक्ति का गीत।
मुक्त पक्षी का इरादा एक और उड़ान का
और मौसमी बयार बहती मन्द-मन्द
होती सरसराहट वृक्षों की
मोटी कृमियाँ करती प्रतीक्षा सुबह चमकीले लॉन में
और आकाश को करता वह अपने नाम।
लेकिन पिंजरे का पक्षी खड़ा है अपने सपनों की क़ब्र पर
दु:स्वप्न की कराह पर चीख़ती है उसकी परछाई
काट दिए गए हैं उसके पंख, बाँध दिए गए हैं पैर
इसलिए खोलता अपना गला वह गान के लिए।
गाता है पिंजरे का पक्षी
भयाकुल स्वर में गीत अज्ञात
पर जिसकी चाह आज भी
उसकी यह धुन सुनाई देती सुदूर पहाड़ी तक
कि पिंजरे का पक्षी गाता है मुक्ति का गीत।
8. Poem On Birds in Hindi – मैं पंछी आज़ाद मेरा कहीं दूर ठिकाना रे
मैं पंछी आज़ाद मेरा कहीं दूर ठिकाना रे।
इस दुनिया के बाग़ में मेरा आना-जाना रे।।
जीवन के प्रभात में आऊँ, साँझ भये तो मैं उड़ जाऊँ।
बंधन में जो मुझ को बांधे, वो दीवाना रे।। मैं पंछी…
दिल में किसी की याद जब आए, आँखों में मस्ती लहराए।
जनम-जनम का मेरा किसी से प्यार पुराना रे।। मैं पंछी…
9. चिड़ियों पर कविताएँ – प्यार पंछी सोच पिंजरा दोनों अपने साथ हैं
प्यार पंछी सोच पिंजरा दोनों अपने साथ हैं,
एक सच्चा, एक झूठा, दोनों अपने साथ हैं,
आसमाँ के साथ हमको ये जमीं भी चाहिए,
भोर बिटिया, साँझ माता दोनों अपने साथ हैं।
आग की दस्तार बाँधी, फूल की बारिश हुई,
धूप पर्वत, शाम झरना, दोनों अपने साथ हैं।
ये बदन की दुनियादारी और मेरा दरवेश दिल,
झूठ माटी, साँच सोना, दोनों अपने साथ हैं।
वो जवानी चार दिन की चाँदनी थी अब कहाँ,
आज बचपन और बुढ़ापा दोनों अपने साथ हैं।
मेरा और सूरज का रिश्ता बाप बेटे का सफ़र,
चंदा मामा, गंगा मैया, दोनों अपने साथ हैं।
जो मिला वो खो गया, जो खो गया वो मिल गया,
आने वाला, जाने वाला, दोनों अपने साथ हैं।
बशीर बद्र
10. Short Poem on Birds in Hindi – कौन देस से आए ये पंछी
कौन देस से आए ये पंछी
कौन देस को जाएंगे
क्या-क्या सुख लाए ये पंछी
क्या-क्या दुख दे जाएंगे
पंछी की उड़ान औ’ पानी
की धारा को कोई सहज समझ नहीं पाता
पंछी कैसे आते हैं
पानी कैसे बहता है
अगर कोई समझता है भी
मुझको नहीं बतलाता है।
कुमार विकल
11. Poems About Birds in Hindi – मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता
मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता
तो बस्ती-बस्ती में फिरता रहता
सुन्दर नग-नद-नालों का यार होता
मस्ती में अपनी झूमता रहता । मैं भी अगर …
आदमी का गुण मुझ में न होता
ईर्ष्या की आग में न जलाता होता
स्वार्थ के युद्ध में न मरता-मारता
बम्ब-मिसाइल की वर्षा न करता । मैं भी अगर…
आंखों में दौलत का काजल न पुतता
शान के लिए पराया माल न हड़पता
हर मानव मेरा हित-बंधु होता
रंग-रूप पर अपना गर्व करता । मैं भी अगर…
तब सारा जग मेरा अपना होता
पासपोर्ट-वीज़ा कोई न खोजता
स्वच्छन्द वन-वन में घूमता होता
विश्व –भर मेरा अपना राज्य होता । मैं भी अगर …
प्यार के गीत जन-जन को सुनाता
आवाज़ से अपनी सब को लुभाता
मानवता की वेदी पर सिर झुकाता
सागर की उर्मिल का झूला झूलता ।
मैं भी अगर एक छोटा पंछी होता ।।
जनार्दन कालीचरण
12. दिशाहीन यह मन पंछी सा
दिशाहीन यह मन पंछी सा
आस की टहनी पर जब बैठा।
जग मकड़ी के जैसे आकर
पंखों पर इक जाल बुन गया।
सूरज की सतरंगी किरणें
ख़्वाव दिखा कर चली गईं।
सांझ ढली, सूरज डूबा
मैं जग के हाथों हार गया।
13. जब-जब मुझे लगता है
जब-जब मुझे लगता है
कि घट रही है आकाश की ऊँचाई
और अब कुछ ही पलों में मुझे पीसते हुए
चक्की के दो पाटों में तबदील हो जाएंगे धरती-आसमान
तब-तब बेहद सुकून देते हैं पंछी
आकाश में दूर-दूर तक उड़ते ढेर सारे पंछी
बादलों को चोंच मारते
अपनी कोमल लेकिन धारदार पाँखों से
हवा में दरारें पैदा करते ढेर सारे पंछी
ढेर सारे पंछी
धरती और आकाश के बीच
चक्कर मारते हुए
हमें एहसास दिला जाते हैं
आसमान के अनंत विस्तार
और अकूत ऊँचाई का!
14. आंधी आई जोर शोर से
आंधी आई जोर शोर से,
डाले गिरी इधर-उधर से,
उड़ा घोसला, फूटे अंडे,
किस से दुःख की बात करेगी,
अब किस से ये फ़रियाद करेगी,
अब ये चिड़िया क्या करेगी|
14. तेरे आने के बाद
तेरे आने के बाद
एक पक्षी
मेरे अन्दर घोंसला बनाता है
गहराइयों में खो जाता है।
तेरे जाने के बाद
एक पक्षी
खुले आकाश में उड़ता है
उकाब की भांति
अंतरिक्षों को चीरता है
और खो जाता है।
15. नाचता मोर सबको सुहाता
नाचता मोर सबको सुहाता,
नाच नाच के अपने पंख फैलाता,
विशेषताएँ तो इसकी अनेक,
आवाज़ करके यह शोर मचाता,
उड़ उड़ कर नाच दीखता,
अपने पंखो से सबका मन भेलाता,
भारत का राष्ट्रीय पक्षी कहलाता,
कभी कभी है यह हवा में भी उड जाता|
16. वह चिड़िया जो
वह चिड़िया जो
चोंच मार कर
दूध-भरे जुंडी के दाने
रुचि से, रस से खा लेती है
वह छोटी संतोषी चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे अन्नं से बहुत प्याेर है।
वह चिड़िया जो-
कंठ खोल कर
बूढ़े वन-बाबा के खातिर
रस उँडेल कर गा लेती है
वह छोटी मुँह बोली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे विजन से बहुत प्याँर है।
वह चिड़िया जो-
चोंच मार कर
चढ़ी नदी का दिल टटोल कर
जल का मोती ले जाती है
वह छोटी गरबीली चिड़िया
नीले पंखों वाली मैं हूँ
मुझे नदी से बहुत प्याूर है।
17. आजाद है वो उन्हें आज़ादी से रहने दो
आजाद है वो उन्हें आज़ादी से रहने दो,
हद आकाश है जिनकी,
आकाश ही रहने दो…..
कुछ देना है तो स्वच्छ हवा दो,
दाना पानी ना मांगे वो….
आकाश में उड़ान,
भरते ही अच्छे लगते वो….
पिंजरों में ना बांदो तुम,
पिंजरों में ना बांदो तुम||
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Very nice