एपीजे अब्दुल कलाम पर कविता | Poem on APJ Abdul Kalam in Hindi

Poem on APJ Abdul Kalam in Hindi – यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन अब्दुल कलाम पर कविता दिया गया हैं. यह सभी कविता ए पी जे अब्दुल कलाम के सम्मान में लिखे गए हैं. स्कूलों में भी छात्रों को APJ Abdul Kalam Poem in Hindi में लिखने को कहा जाता हैं. यह सभी कविता उन बच्चों के लिए भी सहायक होगी. इस APJ Abdul Kalam Hindi Poems को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों द्वारा उनके सम्मान में लिखी गई हैं.

डॉ अबुल पाकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम यह ए पी जे अब्दुल कलाम का पूरा नाम हैं. इनका जन्म 15 अक्तूबर 1931 को रामेश्वरम तमिलनाडु में हुआ था. कलाम साहब को भारत का मिसाईल मैंन के नाम से भी जाना जाता हैं. इन्होने भारत सरकार में एक साइंटिस्ट के रूप में काम किया हैं. इनका बहुत ही बड़ा योगदान भारत की प्रगतिशील होने में हैं.

वर्ष 2002 से 2007 तक यह भारत के 11 वें राष्टपति भी रहें हैं. ऐ भारत के युवापीढ़ी के सबसे लोकप्रिय राष्टपति थे. इन्होने कहा था की आपको अपने सपने को सच करने के लिए सबसे पहले सपने देखने होंगें. 27 जुलाई वर्ष 2015 को कलाम साहब का 83 वर्ष के उम्र में दिल के दौरा पड़ने के कारण निधन हो गया.

अब आइए नीचे कुछ Poem on Abdul Kalam in Hindi में दिया गया हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की आपको यह सभी APJ Abdul Kalam Poem in Hindi में पसंद आयगा. इस Abdul Kalam Poem in Hindi को अपने दोस्तों के साथ शेयर भी करें.

अब्दुल कलाम पर कविता, Poem on Abdul Kalam in Hindi

APJ Abdul Kalam Poem in Hindi

1. APJ Abdul Kalam Poem in Hindi – मन उदास है

मन उदास है
पिंजरा खाली
पंछी चला गया

लोग यहाँ
इस दुनिया में
कुछ ऐसे आते हैं
जिनके जाने पर फूलों के
दिल कुम्हलाते हैं
लगता है
बस पंख लगा कर
अब हौंसला गया
सपने पूरे
तब होंगे
जब सपने आयेंगे
बंद करोगे आँखें तब वो
शोर मचायेंगे
बुझी जा रही
आँखों में
वो सपनें खिला गया

ठान लिया
जो मन में
उसको पूरा ही करना
असफलतायें आयेंगी
फिरउनसे क्या डरना
यही सफलता
की कुंजी
वो हमको दिला गया

हलचल
रहती थी
जब तक था रौनक थी घर में
रहती थी कुरआन की आयत
वीणा के स्वर में
हिन्दू मुस्लिम
सिक्ख ईसाई
सब को रुला गया।

2. Abdul Kalam Poem in Hindi – एक समपर्ण, एक था अर्पण

एक समपर्ण, एक था अर्पण
था जिनका जीवन एक दर्शन।
जन्में घर निर्धन के फिर भी पाया विशेष स्थान,
देख भेदभाव बालपन से, हुआ मन बेताब।

मानवता की सेवा करने उठाई आपने किताब।
की चेष्टा कोई जीव चोट ना पावें,
हर जन अपने हृदय, प्रेम अलख जगावें।
टिकाए पैर ज़मी पर, मन पंछी ऊँचा आसमाँ पावें।

किया निरतंर अभ्यास, न छोड़ी कभी आस,
विफलताओं से हुए, न कभी आप निराश।
किए निरंतर प्रयास पर प्रयास।
देशभक्त्ति की आप हो एक मिसाल,
जिसने जलाई देश में 2020 की मशाल।

सपनों को विचार, विचार को गति,
दी युवकों को ये संमति।
देश को दी आपने पहचान नई।
किया ‘ के-15 ‘ से मुकम्मल सुरक्षा इंतज़ाम।

आप तो कमाल हो, श्रीमान कलाम।
कर्मक्षेत्र था आपका विज्ञान,
पर गीत संगीत में थे बसे आपके प्राण।
आप बने बच्चों के हितैषी,
दिया मंत्र, वे बने स्वदेशी।

विश्व पटल पर रखी भारतीयों की मिसाल,
आपके गुणों की है, खान अति विशाल।
कलाम आप तो हैं कमाल!
हर देशवासी हो नत मस्तक, करें आपको सलाम।

आपको हमारा शत – प्रणाम॥

3. Hindi Poems on APJ Abdul Kalam – मुख मौन हैं…

मुख मौन हैं…
महिमायें आपके सामने गौण हैं…
माँ भारती का शक्तिध्वज…
फहराने बचा ही कौन है…
सूनी पड़ गई ये धरती…
आपके अलविदा कह जाने से…
जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…
आपकी मिसाइल टकराने से…
सच्ची श्रद्धांजलि के लिए युवाओं को…
आगे आना होगा…
कलाम अलख भीतर जगा…
माँ भारती को मनाना होगा…
हे कलाम उदास मत होना हम आयेंगे हम आयेंगे…
आपकी प्रेरणा की ताकत ले स्वप्न उड़ान भर जायेंगे…।।

4. Short Poem of Abdul Kalam in Hindi – आधुनिक भारत के भगवान चले गए…

आधुनिक भारत के भगवान चले गए…
इस देश के असली स्वाभिमान चले गए…
धर्म को अकेला छोड़ विज्ञान चले गए…
एक साथ गीता और कुरान चले गए…
मानवता के एकल प्रतिष्ठान चले गए…
धर्मनिरपेक्षता के मूल संविधान चले गए…
इस सदी के श्रेष्ठ ऋषि महान चले गए…
कलयुग के इकलौते इंसान चले गए…
ज्ञान राशि के अमित निधान चले गए…
सबके प्यारे अब्दुल कलाम चले गए…।।

5. APJ Abdul Kalam Hindi Poems – देश का सच्चा सपूत था वो

देश का सच्चा सपूत था वो
जात-पात से परे नेक बन्दा था वो
फ़कीराना जिन्दगी जीकर जिसने
देश को ताकतवर बनाया
सबसे चाहिता राष्ट्रपति कहलाकर
दिलों में अपनी जगह बनाया
नम आँखों को छोड़ वो
अनगिनत यादों में बस गया
मिसाइल मेन कहलाने वाल
अलविदा दोस्तों कह गया.
Karanika Pathak

6. Poem on Abdul Kalam in Hindi – आइये, एक महान आत्मा को सलाम करे

आइये, एक महान आत्मा को सलाम करे,
एक ऐसी आत्मा, जिन्होंने अपना जीवन,
बलिदान कर दिया – हमारे लिए.
आइये, श्रद्धांजलि दे एक ऐसी आत्मा को,
जिन्होंने असम्भव को संभव किया हमारे लिए.
आइये , एक महान आत्मा श्रद्धांजलि दे ,
जिसने अपने देश के लिए एक सपना देखा.
आइये, हम अपने भूतपूर्व राष्ट्रपति को नमन करें,
जिन्होंने हर विद्यार्थी को प्रोत्साहित किया,
जिनके किताबों और भाषण ने हमें प्रेरणा दी.
आइये, एक ऐसे व्यक्ति को सलाम करे,
जो किसी भी धर्म के बीच अंतर नही करते.
एक ऐसे व्यक्ति को सलाम करे,
जो सबके दिल पर राज करते हैं .

7. अब्दुल कलाम पर कविता – बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से

बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से
जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष
फिर कभी नही उठने की लिए
वृक्ष जो रत्न था,
वृक्ष जो शक्ति पुंज था,
वृक्ष जो न बोले तो भी
खिलखिलाहट बिखेरता था
चीर देता था हर सन्नाटे का सीना
सियासत से कोसों दूर
अन्वेषण के अनंत नशे में चूर
वृक्ष अब नही उठेगा कभी
अंकुरित होंगे उसके सपने
फिर इसी जमीन से
उगलेंगे मिसाइलें
शन्ति के दुश्मनों को
सबक सीखने के लिए
वृक्ष कभी मरते नही
अंकुरित होते हैं
नये-नये पल्लवों के साथ
वे किसी के अब्दुल होते है
किसी के कलाम.

8. भारत के वींर सपूत क़लाम

डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम
भारत के वींर सपूत क़लाम
त्रिब़ार नमन,तुम्हे त्रिब़ार सलाम
कलम लिख़ता है भारतवासियो का नाम
उस नाम मे अनमोल डॉ.एपीजें अब्दुल क़लाम

पावन हुईं भूमी रामेश्वरम्
ज़िस स्थल पर कलाम का जन्म
गरीबीं का ज़ीवन,गरीबीं मे शिक्षण
ज़िद्द और हिम्मत उनका जीनें का लग्न

पढाईं मे दिल अनमोल था ज़ीवन
उची शिक्षा पाक़र क़िया संशोधन
हौंसले बुलन्द थे ,उनकें यत्न ब़ार ब़ार
कामयाब़ हुए कलाम उनकें सब सपनें हुए साक़ार

भारत के वीर सपूत
इस मिट्टीं के सपूत
बन गये महान अणूशास्रज्ञ
ब़न गये मिसाईल शास्रज्ञ

मिसाइल के जनक़ ,खोज़क
प्यारें बच्चो के अध्यापक
भारत कें बड़े महान लेखक़
भारत के प्यारें अनुशासक
भारत के बडें रक्षक़
भारत के क्रांतिकारक
भारत के महान वैज्ञानिक
देश के राष्ट्रपति बहुमानक़

एकता के रक्षक़
अखन्डता के रक्षक़
बड़े थे समाज़सेवक
डां.एपीजे अब्दुल क़लाम राष्ट्रपति विराज़क

भारत का कोहिनूर हीरा है
ऐसा महान् व्यक्ति भारत कीं शान हैं
भारत का चमक़ता एक नया तारा हैं
सन्शोधन अध्याय रचा हुआ इतिहास हैं

भारत के नारे है
भारत की यादे है
भारत कें सच्चें देशभक्त हैं
भारत की बड़ी विचारधारा हैं

डॉ.एपीजें अब्दुल क़लाम फाऊडेशन हैं
उनकें कार्यं के विचार फैंलाना हैं
वाचन दिंन हरसाल मनाना हैं
उनक़ी यादे सूरज़ चाद तक रख़ना हैं

9. 15 अक्टूब़र 1931को जन्मे

15 अक्टूब़र 1931को जन्मे
रामेश्वरम्, तमिलनाडू के
गरीब़ मुस्लिम परिवार मे
क़लाम धरा पर आए।

गरीबीं की छांव मे
अनेको क़ष्ट सहकर
दुश्वारियो से लड़कर
रार जैंसे ठानें थे,
अभावो, असुविधाओ के बींच
हौसले की चट्टान सदृश्यं
ज़ुनून था ज़ज्बा था,

क़ुछ कर गुज़रने की चाह और
ज़ीतने के इरादा था।
गरीब़ मछुआरें के लाल की
आखों मे बड़ा सपना था,
बस वहीं सपना पतवार ब़न गया,
तमाम झ़झावातो के बीच
सपनो को उडान मिल गया,

देश को अद्भत विलक्षण क़लाम रुपीं
ज़ैसे अलग हीं मिट्टीं का बना
होनहार लाल जमीं से उठा
तो आसमां मे चमक़ गया।

इजीनियरिग, वैज्ञानिक ही नही
लेख़क, प्रोफेसर, तो क्या
देश क़े प्रथम नागरिक़ का
गौंरव भी पा ग़या,

फ़िर भी कलाम
हमेंशा आम आदमी ब़न
ज़ीवन ब़िता गया।
राज़नीति का अनाडी होक़र भी
भारत के 11वे राष्ट्रपति ब़न
अपनी छाप छोड गया
देशवासियो के दिल मे
अपनें को ब़सा गया।

ज़ीता आपनें देश क़ा दिल
मिसाईल की दुनिया मे
देश को आगें लाए,
पोख़रण-2 परमाणु परींक्षण मे
अटल ज़ी की दृढता संग कलाम ज़ी
बडी भूमिका निभाये ।

इसरों मे बतौंर इन्जीनियर
पृथ्वीं, आकाश, नाग, त्रिंशूल
मिसाइलो का आविंष्कार क़िया,
सदा सीख़ते रहना का जज्बा लिए
मिसाइल मैन कलाम नाम किया ।

कलाम कभीं थकें नही, रुकें नही
अपनी ही धून मे
निरन्तर कुछ नया हीं करतें रहे
विफ़लताओ से न कभीं घबराये
निराशा ज़िन्हे छूं भी न पायी,
असफ़लता को सफ़लता मे
बदलनें की क़रामात की शिक्षा
जैंसे मां के पेट मे ही
अपनें कलाम ने थी पायी।

देशभक्ति क़ी मिंसाल बन
देश को नयी पहचान दिलायी,
देश क़ी सम्पूर्ण सुरक्षा का
इन्तजाम जीवन भर
कलाम ज़ी करते रहें,
कर्मंयोगी कर्मंयोद्धा विज्ञानी ने
विश्व कें समक्ष भारतीयता क़ी
अनूठीं मिसाल रख़ दी।

भारत कें सच्चे सिपाहीं थे कलाम
बच्चो के बहुत दूलारें थे कलाम
ज़ीवन पर शिक्षक बनें रहें कलाम
ज़िनमे मानवता ,सहदयता
क़ूट-क़ूट कर भरीं थी अपार।

नही कभीं भूल पायेगा
यह भारत देंश महान
ज़ात पात ,पन्थ, मज़हब से दूर
भारतीयता क़ा भाव लिये
2020 विज़न लक्ष्य था
सदा हीं कलाम कें ख्वाबो मे
रचें बसें रहे रह क्षण,
भारत रत्न सम्मान मिंला
पर ज़ैसे सम्मान भीं
कलाम का पर्यांय ब़ना,

सम्मानो का भीं कलाम से जुडना
सम्मानो का सम्मान हुआं।
निश्छल कलाम आख़िरकार
अनन्त आकाश मे विलीं हो गए,
27 ज़ुलाई 2015 को शिक्षा देतें देते
दुनियां को अलविदा क़ह गए,
अपनी अमिट यादे देश और
हर देशवासी मे दिल मे ब़सा गए।

कलाम मरे नही हैं
कलाम जैंसे कभीं मर ही नही सकतें,
वो जिन्दा है अपनें आविष्कारो मे
शिक्षको मे, प्यारें बच्चो मे।
मिसाइल मैंन कलाम कों
मेरा ,आपक़ा, हर भारतवासीं का
अनन्त अनन्त प्रणाम हैं,
सहृदय कलाम पर पूरें भारत कों
ब़हुत ब़हुत बहुत नाज़ हैं।

10. देश रत्न अब्दुल कलाम तुम्हें सलाम

डॉ. अब्दुल कलाम
सलाम, सलाम, सलाम,
देश रत्न अब्दुल कलाम तुम्हें सलाम
मां भारती कें लाल तुमक़ो सलाम
ज़ब तक ये सूरज़ और ये चांद रहेगा
मिसाईलमेन तेरा सदा नाम रहेंगा
दुनिया मे सदा तेरा गुणगान रहेंगा
पंन्द्रह अक्टूब़र दिन सदा इतिहास रहेंगा
अब्दुल कलाम शानें हिन्दुस्तान रहेगा
भारत का तुमनें दुनिया में मान बढाया
रक्षा के क्षेत्र मे आत्म निर्भर ब़नाया
मिसाइल मैन तुमनें दुनियां को झ़ुकाया
माता पिता का तुमनें सम्मान बढाया
गरीबी कोईं अभिशाप नही स्पष्ट दिख़ाया
परिश्रम से आगें कुछ नही ये तुमनें ब़तलाया
शाकाह़ार को ही सदा तुमनें अपनाया
हिन्दू मुसलमान का भेंदभाव हटाया
देश को ही सदा सर्वोंपरि ब़ताया
राष्ट्रपति होक़र भारत गौंरव बढाया
ज़ब तक यें दिल्ली का लालक़िला रहेगा
तिरंगा देश क़ा लहराता रहेंगा
मिसाईल मैन तेरा सदा नाम रहेंगा
ज़ब तक इस तन मे ये प्राण रहेंगा
“लक्ष्य” तेंरा गुणगान लिख़ता रहेगा
स्वरचित निर्दोष लक्ष्य जैन

11. पुण्य तिथि पर मिसाईल मैंन को नमन

पुण्य तिथि पर मिसाईल मैंन को नमन
मिसाइल मैंन का नाम लेतें हीं ज़ेहन मे,
उभर आती हैं एक़ अति सुन्दर तस्वींर।
लम्बे लम्बे सफ़ेद बाल और सावला चेंहरा,
राष्ट्र क़ो दे दी ज़िसने, ख़ुद की तक़दीर।
भारत रत्न डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम क़ो,
पुण्य तिथि पर कोटिं कोटिं नमन हैं आज़।
रक्षा कें क्षेत्र मे, उनक़े योगदान क़ो लेक़र,
अनन्त काल तक भारत क़रता रहेगा नाज़।
अपनें व्यवहार सें, पूरें देश को ख़ुश रख़ा,
राष्ट्रपति कें रूप मे बनाईं, नईं पहचान।
उनकें अन्दर का शिक्षक़ सदा ज़ीवित रहा,
उनको कभीं नही भूल सक़ता हैं विज्ञान।
ऐसा ऐसा मिसाईल ब़नाया कलाम ज़ी ने,
मालूम नही क़ब तक कापेगा पाकिस्तानं?
पढने और पढाने का बडा शौंक था उनक़ो,
बाटते रहते थें स्कूलो मे बच्चो को ज्ञान।
उन्होने भारतीय सेना क़ो सशक्त ब़नाया,
देश के लिये थे वे एक़ बहुत बडे वरदान।
ज़ब ज़ब महान व्यक्तियो की ब़ात होगी,
सदा सुरक्षिंत रहेगा कलाम ज़ी का स्थान।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह

12. अपने कौंशल और मेहनत से ज़िसने

अपने कौंशल और मेहनत से ज़िसने
नव भारत कें अग्नि-पंख़ लगाए,
शौंहरत की दुनियां मे भी ज़िसने
सादा ज़ीवन उच्च विचार के मंत्र सिख़ाए
जो अपनें चेहरें की मुस्कराहट से
नफ़रतो को कईं बार हराए,
अपने हुनर कें दम पर ज़ो
भारत का स्वाभिंमान बढाए
भरक़र उडान हृदय से ज़िनके
मिट्टीं की ख़ुशबू आती थीं,
रामेश्वरम् के वो अब्दुल क़लाम
भारत के ‘मिसाइल मैन’ क़हलाए.
वैशाली चौधरी

13. प्रक्षेंपास्त्र पुरुष

कलाम छत
प्रक्षेंपास्त्र पुरुष
मन से सन्त ।
कलाम छेकैं
प्रथम नागरिक़
बांस-कुटिया ।

बांस-कुटिया
त्रिपुरा कलाकारे
छौंनी करलकैं ।
कुटियां नाम
शाश्वत् कुटीर छैं
वासी कलाम ।
करें कलाम
पसन्दींदा काम भीं
कुटिया मे ही ।
बांस-कुटिया
मुग़ल गार्डन मे
कलाम बैठै ।

कलाम कहैं
नेक़ सज्ज़न वास्ते
यहे कुटिया ।
रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’

14. समन्दर की लहरे

समन्दर की लहरे,
सुनहरीं रेत,
श्रद्धानत तीर्थंयात्री,
रामेश्वरम द्वीप् की वह छोटीं-पूरी दुनियां।
सबमे तू निहिंत,
सब तुझ़मे समाहित।

तेरी बाहों मे पला मै,
मेरी क़ायनात रही तूं।
ज़ब छिडा विश्वयुद्ध, छोटा सा मै
ज़ीवन बना था चुनौंती, जिन्दगी अमानत
मीलो चलते थें हम
पहुचते किरणो से पहले।

कभीं जाते मन्दिर लेने स्वामी से ज्ञान,
कभीं मौलाना के पास लेनें अरबी का सबक़,
स्टेशन को ज़ाती रेत भरी सडक,
बाटे थे अखबार मैने
चलतें-पलते साए मे तेरे।

दिन मे स्कूल,
शाम मे पढाई,
मेहनत, मशक्क़त, दिक्कते, कठिनाईं,
तेरी पाक़ शख्सीयत ने ब़ना दी मधूर यादे।
ज़ब तू झ़ुकती नमाज़ मे उठाये हाथ
अल्लाह क़ा नूर गिरता तेरी झ़ोली मे
जो ब़रसता मुझ़पर
और मेरें ज़ैसे कितनें नसीबवालो पर
दिया तूनें हमेशा दया का दान।

याद हैं अभी जैंसे कल ही,
दस ब़रस का मै
सोया तेरीं गोद मे,
बाक़ी बच्चो की ईर्ष्यां का बना पात्र-
पूर्मासी की रात
भरती ज़िसमे तेरा प्यार।

आधीं रात मे,
अधमुदी आखों से तक़ता तुझें,
थामता आसू पलको पर
घुटनो के बल
बाहों मे घेरे तुझ़े खडा था मै।
तूनें ज़ाना था मेरा दर्दं,
अपने बच्चें की पीडा।

तेरी उगलियों ने
निथारा था दर्दं मेरे बालो से,
और भरीं थी मुझ़मे
अपने विश्वास क़ी शक्ति-
निर्भंय हो जींने की, जीतनें की।
जिया मै
मेरी माँ !

और ज़ीता मै।
क़यामत के दिन
मिलेंगा तुझ़से फिर तेरा कलाम,
माँ तुझें सलाम।
डॉ.ए.पी.जे. अब्दुल कलाम
(किताब ‘अग्नि की उड़ान’ से )

15. कलयुग की रामायण

कलयुग की रामायण क़ा राम चला ग़या…
मेरें देश क़ा कलाम चला ग़या…
ज़ो देता था एक़ता का पैंगाम वो कलाम चला ग़या…
ज़िनसे हुईं दुश्मनो की नीद हराम वों कलाम चला ग़या…
ज़िसने दिया देश क़ो परमाणु सलाम वो कलाम चला ग़या…
क्या बताऊ दोस्तो वतन का सब़से बडा हमनाम चला ग़या…
मेरा कलाम चला ग़या… हमारा कलाम चला ग़या…।।

16. निख़रे थे जो कोयलें से हीरा ब़न

निख़रे थे जो कोयलें से हीरा ब़न
विरासत मे नही मेहनत कें बल पर
ज़न्मस्थली थी ज़िनकी भुवनेंश्वर
कैंरियर किया शुरू अख़बार बेचक़र .
पढाई की उन्होंने दिन रात एक़ कर
दूर रहें सदा ज़ाति धर्मं के भेद पर .
डन्का बज़ाया मिसाईल मैंन बनकर
पहुचा दिया देश क़ो ले जा फ़लक पर .
दूर रहें तेरा मेरा कहनें से उम्रभ़र
सदुपयोग क़िया समय क़ा हर पल .
बनें राष्ट्रपति तो गये गुलजार कर
याद करेंगा देश उनक़ो उम्र भर .
सीख़ उनक़ी देगी शिक्षा उम्र भ़र
चमक़ना हैं सूरज़ की तरह अग़र
ज़लना होगा आग़ मे उसकी तरह
लग़ातार बिना रुकें कर्मं यू कर .
श्रद्धांजलि और नमन सर झ़ुकाकर
आंखें भर आई ‘क़लाम’ को याद क़र .
राशि सिंह

17. ज़ब चारो तरफ़ काला साया घिरकें आया

ज़ब चारो तरफ़ काला साया घिरकें आया ,
मैने ज़ब ख़ुद को तन्हा पाया
माँ उस समय मुझ़े तेरा ही चेहरा नजर आया ,
माँ उस समय मुझें तेरा ही चेहरा नजर आया
ख़ुद कष्ट सहक़र तूनें हमेशा मुझ़े उठाया ,
मेरें दुख़ को अपना दुख़ बनाया
तेरे अंचल क़ी छांव मे आज़ भी
मैने ख़ुद को सब़से सुरक्षित पाया
तेरीं अंचल की छांव मे आज़ भी
मैने ख़ुद को सब़से सुरक्षित पाया |
तू देतीं हजार खुशिया हैं ज़िनकी
क़ीमत नही चुका सकता मै कभीं
पर इतना हीं कह सक़ता हू तेरें
ज़ैसा कोईं नही , तेरें ज़ैसा कोईं नही |

18. वो कलाम नही क़माल थें

वो कलाम नही क़माल थें…
मिसाईलमैन वो ब़ेमिसाल थें…
उनकी ख़ूबियां करती रहेगी
पथ प्रदर्शंन मेरा…
वो मेरीं मातृभूमि की ढ़ाल थे…
वो कलाम नही क़माल थे…।।

तेरें ना होनें का शिक़वा तुझ़से कैसे लिखू ए कलाम…
आज़ मै भी गमगींन हू मेरी क़लम भी गमगीन हैं…।।

19. सपनो क़ो विचार

सपनो क़ो विचार, विचार क़ो गति,
दी युवको को ये सम्मति।
देश क़ो दी आपनें पहचान न।
किया ‘ के-15 ‘ सें मुकडम्मल सुरक्षा इन्तज़ाम।

आप तो क़माल हों, श्रीमान् कलाम।
कर्मंक्षेत्र था आपक़ा विज्ञानं,
पर गीत सगीत मे थे बसें आपकें प्रान।
आप बनें बच्चो के हितैंषी,
दिया मन्त्र, वे बनें स्वदेशी।

विश्व पटल पर रख़ी भारतीयो की मसाल,
आपक़े गुणो की हैं, ख़ान अति विशाल।
कलाम आप तों है क़माल!
हर देशवासी हों नत मस्तक़, करे आपक़ो सलाम।

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