Poem on Bharat in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में Bharat Desh Bhakti Kavita का कुछ संग्रह दिया गया हैं. इन सभी Poem on India in Hindi को हमारे लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई हैं. इन सभी कविता को आप 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस और 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भी होने वाले आयोजन में सुना सकते हैं.
यह सभी Poem on Bharat in Hindi कविता हमारे अन्दर देशप्रेम की भावना को जागृत करती हैं. और इस तरह की कविताएँ हमारे तमाम स्वतंत्रता सेनानियों और भारत माँ की सपूतों की याद दिलाती हैं.
सभी भारतवासी हमेशा यही चाहते हैं. की हमारे देश की शान और पहचान सदा निराली बनी रहे. हमारे देश में विविधता में ही एकता हैं. और यही हमारे देश की ताकत हैं.
अब आइए यहाँ पर कुछ Poem on Bharat in Hindi में दिया गया हैं. इसको पढते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Bharat Desh Bhakti Kavita आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
Poem on Bharat in Hindi, Bharat Desh Bhakti Kavita
1. Bharat Desh Kavita
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
यह जन्मभूमि, यह कर्मभूमि, यह अपनी पहचान है,
जो न करे सम्मान इसका, उसका जीना बेकार है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
दिवानों की दिवानगी में, भारत इसका नाम है,
इसकी सीमा रक्षा हेतु, जीवन अपना कुर्बान है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
इसकी ओर उठी हर बुरी नजर को, वीरों ने हर बार झुकाया है,
हर जीत के बाद लहराता, तिरंगा जिसकी शान है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
इसके सम्मान को कभी कोई न कम कर पाया है,
बढ़ते हुए दुश्मनों के दल को, वीरों ने मार भगाया है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
आजाद, भगत, बोस जैसे युवा, इस देश की पहचान है,
इनके जीवन से प्रेरित, हर भारतवासी महान है,
हमको अपनी मातृभूमि से बेहद प्यार है।
जय हिन्द, जय भारत।
वन्दना शर्मा
2. Bharat ki Kavita
देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा
धरती पे जैसे स्वर्ग उतारा।
ऊँचे पहाड़ों में फूलों की घाटी।
प्यारे पठारों में खनिजों की बाटी।
हरे-भरे खेतों में सरगम बजाएँ।
नदियों के पानी में चाहूँ मैं तरना।
मन ये गगन में उड़े रे।
ऐसे ये जी से जुड़े रे।
दूर मेरा देश ये गाँवों में बसता।
मुझको पुकारे है एक-एक रस्ता।
पैठा पवन मेरे पाँव में।
आना जी तू भी गाँव में।
देश मेरा प्यारा, दुनिया से न्यारा।
धरती पर जैसे स्वर्ग है।
जाँ भी इसे उत्सर्ग
अभिरंजन कुमार
3. Poem on India in Hindi
मेरे देश की माटी ऐसी, जहां जन्म लेते भगवान
मेरा भारत देश महान, मेरा भारत देश महान
जिसकी सुहानी सुबह है होती, होती सुनहरी शाम है
वीर बहादुर जन्मे जिसमें वही मेरा भारत महान है
भारत की माटी के पुतले लोहे के माने जाते हैं
गांधी, तिलक, बोस, नेहरू, इस नाम से जाने जाते हैं
फिर बने सोने की चिड़िया हम सबका है ये अरमान
मेरा भारत देश महान, मेरा भारत देश महान
4 जहाँ हर चीज है प्यारी, सभी हैं चाहत के पुजारी
प्यारी जिसकी हर सुबह, वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ ग़ालिब की ग़ज़ल है, वो प्यारा ताज महल है
प्यार का एक निशां, वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहाँ फूलों का बिस्तर है, जहाँ अम्बर की चादर है
सुहाना हर इक मंजर है, वही है मेरा हिन्दुस्तां
वो झरने और हवाएँ, सभी मिल जुल कर गायें
प्यार का गीत जहां, वही है मेरा हिन्दुस्तां
जहां कभी होली तो दिवाली है, वो बिंदिया चुनरी पायल
वो साडी मेहंदी काजल, वही है मेरा हिन्दुस्तां
कही पे नदियाँ बलखाएं, कहीं पे पंछी इतरायें
बसंती झूले लहराएं, जहां अन्गिन्त हैं भाषाएं
सुबह जैसे ही चमकी, बजी मंदिर में घंटी
और मस्जिद में अजां, वही है मेरा हिन्दुस्तां
लो फिर स्वतंत्र दिवस आया, तिरंगा सबने लहराया
लेकर फिरे यहाँ-वहां, वहीँ है मेरा हिन्दुस्तां
4. Bharat Desh Bhakti Kavita
जो प्रकृति की गोद में बसा है।
स्वर्ग-सा सारा जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
मैदान गिरि वनों में हरियालियाँ लहकती।
आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है।।
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है।।
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है।।
जिसके बड़े रसीले फल कंद नाज मेवे।
सब अंग में सजे हैं वह देश कौन-सा है।।
जिसके अनंत धन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है।।
रामनरेश त्रिपाठी
5. Poem on Bharat in Hindi
मेरा भारत सारे जहान में प्यारा है,
किसान, व्यापारियों का यहां बसेरा है,
यहाँ की संस्कृति आदर करना सिखलाती है,
अमीर गरीब की बराबरी का पाठ पढ़ाती है,
गंगा, यमुना का मीठा जल यहां बहता है,
धर्मों के नाम का वेद भाव न यहां रहता है,
यहाँ की संस्कृति साथ रहना सिखाती है,
हर प्रांत को साथ रहने का पाठ पढ़ाती है,
भारत देश में देवताओं का वास है,
हिंदू, मुस्लिमों का समूह यहां आस पास है,
पत्थर में भी यहां भगवान को पूजा जाती है,
इसिलिए भारत देश देव भूमि कहलाता है,
धर्म स्थलों से भारत है भरपुर,
इसिलिए विदेशी भी यहां आने को है मजबूर,
जंगल और नादियां हैं भारत का श्रृंगार,
समुंदरी टैटू पर होता यहां बड़ा व्यापार,
भारत ऐसे ही नहीं महान कहलाता है,
हर संस्कृति को यहां अपना जाना है,
मंदिर मस्जिद की गूंज यहां रहती है,
मेरे मन में भारत के प्रति आधार की भावना बहती है,
Aruna Gupta
6. Bharat Desh Kavita
भारत कहो या इसको हिंदुस्तान,
इसमे बसती है हम सब जान,
हमारे भारत में सब रहते हैं मिलजुलकर,
इसमे बहता है नदियों का स्वर,
अनेकता में एकता ही हमारे भारत की शान है,
इसी कारण ये हमारे भारत वासियों की जान है,
कई प्रकार के धर्मो से ये विद्यमान हैं,
संस्कार और संस्कृति ही भारत की पहचान हैं,
नफ़रत की भावना को भी बड़े प्यार से सहते हैं,
ये वो देश है जिसे हिंदुस्तान कहते हैं,
भगवान को यहां वृक्ष और
नदियों में पूजा जाता,
यही कारण है की हमारा
भारत देश महान कहलाता है,
गंगा, यमुना, नर्मदा, नदियां इसका श्रृंगार है,
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाईयों का प्रेम यहां बेशुमार है,
इतिहास, काला, संस्कृति से भारत भरपूर है,
धर्म स्थलो और भवनो के लिए ये मशहूर है,
भारत जैसा देश नहीं इस जहान में,
सुदृढ़ प्रेम है यहां के देशवासियों में,
यहाँ सब को गले लगाया जाता है,
तभी तो भारत देश महान कहलाता है,
Aruna Gupta
7. Bharat ki Kavita
ज़य ज़य भारत भारतीं !
क़ोटि क़ोटि कठो से बोलें,
ज़य भारत ज़य भारती !
ज़य ज़य भारत भारतीं !
उत्तर मे हिमालय सुशौभित
दक्षिण मे साग़र आलोकित
ज़िसका हैं हर कण आलोक़ित
बारी – बारीं आक़र ऋतुए
जिसक़ो सदा सवारती,
ज़य ज़य भारत भारती !
ज़िसका आगन बडा सलोना
हरा भरा ज़िसका हर कोंना
ज़िसकी धरती उगलें सोना
ज़िसके चप्पें-चप्पें पर
श्री वैंभव हैं को वारतीं,
ज़य ज़य भारत भारतीं !
हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख़, ईसाई
जैंन, बौंद्ध हैं भाई -भाई
सबनें हैं आवाज़ लगाई,
आओं मिलक़र आज़ उतारे
भारत माँ क़ी आरती,
ज़य ज़य भारत भारती !
कौटि कौटि कंठो से बोलें,
ज़य भारत ज़य भारती,
ज़य ज़य भारत भारती !
इन्दरराज बैद
8. Poem on India in Hindi
मनमोहिनी प्रकृति, क़ी गोद मे ज़ा ब़सा हैं।
सुख़ स्वर्ग सा ज़हा हैं, वह देश कौंन सा हैं !!
ज़िसका चरण निरन्तर, रत्नेंश धो रहा हैं।
ज़िसका मुक़ूट हिमालय, वह देश कौंन सा हैं !!
नदियां जहां सुधा क़ी, धारा ब़हा रही हैं।
सीचा हुआं सलोना, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके बडे रसीलें, फ़ल कुद नाज़ मेवे।
सब अंग मे सजें है, वह देश कौनसा हैं !!
ज़िसमे सुगन्ध वालें, सुन्दर प्रसून प्यारें।
दिन रात हंस रहे है, वह देश कौंनसा हैं !!
मैंदान गिरि वनो मे, हरियालिया लहक़ती।
आन्नदमय जहां हैं, वह देश कौंनसा हैं !!
ज़िसके अनंन्त धन सें, धरती भरी पडी हैं।
संसार का शिरोंमणि, वह देश कौंनसा हैं !!
9. Bharat Desh Bhakti Kavita
नही, ये मेरे देश की आखे नही है
पुते गालो के ऊपर
नकली भवो के नीचे
छाया प्यार के छलावे बिछाती
मुकुर से उठाई हुई
मुस्कान मुस्कुराती
ये आखे
नही, ये मेरे देश की नही है…
तनाव से झुर्रियां पड़ी कोरो की दरार से
शरारे छोड़ती घृणा से सिकुड़ी पुतलिया
नही, ये मेरे देश की आखें नही है…
वन डालियों के बीच से
चौकी अनपहचानी
कभी झाकती है
वे आखें,
मेरे देश की आखें,
खेतो के पार
मेड़ की लीक धारे
क्षिति-रेखा को खोजती
सूनी कभी ताकती हैं
वे आखें…
उसने
झुकी कमर सीधी की
माथे से पसीना पोछा
डलिया हाथ से छोड़ी
और उड़ी धूल के बादल के
बीच मे से झलमलाते
जाड़ो की अमावस मे से
मैले चाद-चेहरे सुकचाते
मे टकी थकी पलके
उठाई
और कितने काल-सागरो के पार तैर आई
मेरे देश की आंखे…
10. Poem on Bharat in Hindi
मेरा भारत महान
जिसके साये में बहती है नदियाँ अगन
चांदनी में नहाए हुए हिम शिखर
स्वर्ग उतरा हो स्वागत में जिसके यहाँ
भोर हौते ही रवि जाते विखर
ऐसा प्यारा वतन मेरा भारत महान
जिसकी गोदी में लालों की संख्य अगन
वक्त आने पर हड्डी भी दे डालते
डोम बनकर के मरघट पैर धुनी रचे
खून से अपनें जलने का कर मानते
ऐसा प्यारा चमन
मेरा भारत महान
जौहरों में यहाँ ललनाएँ कुछ कम नहीं
वक्त आने पर लक्ष्मी बन जाती हैं
इससे पहले कि दामन पकड़ ले कोई
पद्मिनी आन पर अपने मिट जाती हैं
ऐसा प्यारा वतन
मेरा भारत महान
दूर पूरब से उठकर पवन हो मग्न
लोरिया गाके वृक्षों को छू जाता हैं
फिर भी भुक्ते नहीं वो गर्दिशो में कभी
घास की रोटियाँ खा के मिट जाता हैं
ऐसा प्यारा चमन
मेरा भारत महान
एक ही राष्ट्र ऐसा है जग में यहाँ
भिन्नता में जहाँ एकता दिव्य हैं
हिन्द की भाषा हिंदी की शब्दावली
जहाँ खोजिये वहां मिल जाती हैं
ऐसा प्यारा वतन
मेरा भारत महान
11. Poem on India in Hindi
लहराती हरियाली हो, महकाता मधुरेश हो
नई जिन्दगी झूमे जिसमें, ऐसा मेरा देश हो
हर घर में हो नया तराना, हर घर में हो गीत नया
मेहनत की ममता में डूबा, जागे फिर संगीत नया
नयें रंग हो, नव उमंग हो, नई बात हो, नयें ढंग हो
नव विकास की नई किरण में, तम का कहीं न लेश हो
ऐसा मेरा देश हो.
पर्वतों को भी तोड़ चले जो टकराएं तूफ़ान से
कोटि चरण प्रस्थान करें, नव पौरुष से अभिमान से
गगन गहरता गूंजे गान, जागे सारा हिंदुस्तान
डगर डगर से नगर नगर से, निविड़ मितिश्रा शेष हो
ऐसा मेरा देश हो.
मिट्टी का मोती मुस्काएं, खेतों में खलिहानों में
अपनेपन का दीप नया फिर जागे किसानों में
अपनी धरती हो निर्धन की, पूरी हो आशा जन जन की
कोई रहे न भूखा नंगा, ना कोई दरवेश हो
ऐसा मेरा देश हो
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