Poem On Computer in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ कंप्यूटर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
कंप्यूटर पर कविता, Poem On Computer in Hindi
1. कंप्यूटर पर कविता
मित्र मेरा कंप्यूटर प्यारा
मुझको इससे मिले सहारा
मम्मी पापा ऑफिस जाते
यह मेरा साथी है प्यारा
यह मुझको गाने सुनवाता
इसके संग मैं डांस दिखाता
मैं चाहूँ जब, फिल्म चलाऊं
कभी दोस्त से बात बनाऊं
जब चाहूँ मैं चित्र बनाना
नहीं मुझे कॉपी ब्रश लाना
कंप्यूटर पर चित्र बनाओ
जो चाहे वह रंग सजाओ
घर बैठे ई मेल भेज दो
नहीं डाकिए का अब काम
इंटरनेट से जुड़कर तो
सबकुछ होता, कितना आसान
यह जादू का डिब्बा है
या परीलोक से आया है
सच कहता हूँ अपने संग
झोली भर खुशियाँ लाया हैं.
“अलका अग्रवाल”
2. Poem On Computer in Hindi
गुल्लू का कंप्यूटर आया
पूरा गाँव देख मुस्काया
दादी के चेहरे पर लाली
ले आई पूजा की थाली
गुल्लू सबको बता रहा था
लाइट कनेक्शन सता रहा हैं
माउस उठा कर छुटकू भागा
अभी अभी था नींद से जगा
अंकल ने सब तार लगाए
गुल्लू को कुछ समझ न आए
कंप्यूटर तो हो गया चालू
न स्क्रीन छुओं मत शालू
जिसे खोजना हो अब तुमको
गूगल में डालो तुम उसको
कक्का कहें चबाकर लैय्या
मेरी भैंस खोज दो भैया
बड़े जोर का लगा ठहाका
खिसियाए से बैठे काका
“प्रदीप शुक्ल”
3. Hindi Poem On Computer
बहुत देर से कंप्यूटर पर बैठी चिड़ियाँ रानी
खट खट खट खट छाप रही थी कोई बड़ी कहानी
तभी अचानक चिड़ियाँ ने जब गर्दन जरा घुमाई
किंतु न जाने किस कारण वह जोरों से चिल्लाई
कौआ भाई फुदक फुदक कर शीघ्र वहां पर आए
तुम्हें क्या हुआ बहिन चिरैया कौआजी घबराए
चिड़ियाँ बोली पता नहीं है कैसी ये लाचारी
हुआ दर्द गर्दन में मुझकों कौआ भाई भारी
तब कौए ने गिद्ध वैद्य से उसकी जांच कराई
वैद्यराज ने सवाईकल की बिमारी पाई
कंप्यूटर पर बहुत देर थी बैठी चिड़ियाँ रानी
जोर पड़ा गर्दन पर सच में की तो थी नादानी
कंप्यूटर पर बहुत देर मत बैठों मेरे भाई
बहुत देर जो बैठा उसको यह बीमारी आई
“प्रभुदयाल श्रीवास्तव”
4. Short Poem On Computer In Hindi Language
आज का सबसे तेज़ उपकरण
कौन है भला सोचो सब जन ?
उसके साथ है एक की का बोर्ड
साथ में तार वाला चूहा लोड
टीवी जैसा उसका मोनिटर
हाँ भई वो है कम्प्यूटर
चाहे गणित का कोई सवाल
या हो दूर अन्तरिक्ष का हाल
ये कंप्यूटर है सब बतलाता
सोचने में ना देर लगाता
इक्कीसवीं सदी में इसी कारण वश
हो रहा मानव का विकास
– अनुष्का सूरी
5. सोचता हूँ कंप्यूटर सा जीवन व्यतीत करूँ
सोचता हूँ कंप्यूटर सा जीवन व्यतीत करूँ,
स्वयं का हार्डवेयर-सॉफ्टवेयर अपडेट करूँ।
ऊर्जा मिल जाये वृद्धजनों से आशीर्वाद में,
स्विच ऐसा मैं संस्कारों का ऑन करूँ।
रैम सी चिपकी हो हृदय से मेरे संगिनी,
साथ मिलकर मैं उसके सिस्टम बूट करूँ।
सोचता हूँ…
न कर पाये दिल में आसानी से लॉगिन,
मैं पासवर्ड कोई ऐसा रिसेट करूं।
आजकल वायरस बहुत है आस-पास मेरे,
सोचता हूँ एंटीवायरस भी ऑप्टूडेट करूँ।
फेंक दूँ बुरे विचारों को रिसायकलबिन में,
बार-बार खुद को ऐसे रिफ्रेश करूँ।
सोचता हूँ…
भर दूँ रिश्तों के एप्लीकेशन से इसे,
मालवेयर कभी न इनस्टॉल करूं।
कूकीज करता रहूँ नित् प्रायः साफ,
प्रोसेसर पे कभी न ओवरलोड करूं।
हिस्से बना लूँ दिल की हार्डडिस्क में कई,
कुछ डाटा उनमें प्राइवेट भी सेव करूँ।
सोचता हूँ…
जुड़ जाऊँ नेटवर्क से अपने यारों के,
फिर चैटिंग उनसे दिन रात करूं।
एक क्लिक पर हो जाये सब काम मेरे,
मैक्रो मैं कुछ ऐसा ईजाद करूं।
मेलोडी सॉन्ग बजते रहे बैकग्राउंड में,
आनन्द जीवन में ऐसा प्राप्त करूँ।
सोचता हूँ…
आर्य विकास
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