Poem on Corruption in Hindi – इस पोस्ट में आपके लिए कुछ भ्रष्टाचार पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह Poem on Bhrashtachar in Hindi में हमारे लोकप्रिय कवियों दुवारा लिखी गई हैं. भ्रष्टाचार हमारे देश में एक महामारी की तरह फ़ैल चुका हैं. इसको खत्म करना अब शायद नामुमकिन लग रहा हैं. क्योकि यहाँ पर चपरसी से लेकर नेता, आईएस अधिकारी तक भ्रष्टाचार से लिप्त आपको मिल जायेंगे.
हमारे कुछ महापुरुषों ने “भ्रष्टाचार मुक्त भारत” का सपना देखा था. जो अब एक सपना ही लग रहा हैं. क्योकिं सरकारी तंत्र से लेकर निजी तंत्र तक भी भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त हो चूका हैं. इसलिए भारत में भ्रष्टाचार एक गंभीर सम्स्या बन चुकी हैं. यह दीमक की तरह देश को अंदर से खोखला करता जा रहा हैं. आज के समय में रिश्वत दिए बिना तो आप किसी भी काम के सरकारी या निजी तंत्र में होने के बारे में सोच भी नहीं सकते हैं.
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए देश में बहुत सारे कानून भी बनाए गए हैं. जिसे रोकने के लिए बाते तो बहुत होती हैं. लेकिन यह कम होने के वावजूद और तेजी से बढ़ रहा हैं. कुछ लोग तो पकड़ें तो जाते हैं. लेकिन मूल सम्स्या जस की तस बनी हुई हैं.
अब आइए कुछ नीचे Poem on Corruption in Hindi में दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह Poem on Bhrashtachar in Hindi में आपको पसंद आएगी. इस भ्रष्टाचार पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
भ्रष्टाचार पर कविता, Poem on Corruption in Hindi, Poem on Bhrashtachar in Hindi
1. Corruption Poem in Hindi – सच, झूठ, झूठ
सच, झूठ, झूठ?
छोड़ यार, चल लूट
बेशुमार बार-बार
कुछ भी ना जाए छूट
दे मिटा, ना पटा
कोई गर गया रूठ
देख मौका, दे दे धोखा
तोड़ मार, डाल फूट
छल कपट, जोर झपट
हर भरोसा, जाए टूट
छोड़ कायदा, बस फायदा
सीधा चला, अपना ऊंट
सच, झूठ, झूठ, झूठ?
छोड़ यार, चल लूट
2. Poem on Bhrashtachar in Hindi – कैसा ये भारत निर्माण
कैसा ये भारत निर्माण
भ्रष्टाचारी मौज मनाएं
रंगरेलियां मनाने स्विट्जरलैंड जाएं
दूध मलाई नेता खाएं
बंद एसी कमरों में बैठ,
देश लूटने की योजना बनाएं.
कुपोषण और गरीबी में आत्महत्या कर रहा किसान
ऐसा है भारत निर्माण.
सौदों में नेता दलाली खाएं
धन विदेशी बैंकों में जमा कराएं
सीबीआई को बनाकर अपने हाथों की कठपुतली
घोटालों पर पर्दा गिराए
विरोधियों पर लाठी बरसाए, झूठे मुकदमों में फंसाए
इनकी कथनी करनी का अंतर करा रहा इनकी पहचान
ऐसा है भारत निर्माण
घोटालेबाजों को है संरक्षण, जनता का हो रहा है शोषण
महंगाई से नहीं राहत का लक्षण
ऐसा है भारत निर्माण
Sh. Virender Puri
3. Bhrashtachar Par Kavita – इस देश की है बीमारी
इस देश की है बीमारी, यह भूखे भ्रष्टाचारी
जिस थाली में खाना खाते, यह छेद उसी में करते है.
लात गरीब के पेट पर मार, घर अपना ये भरते है
इस देश की है बीमारी, ये धनवान भिखारी
ले हाथ कटोरा घर घर जाते मोसम जो चुनावों का आता
अल्लाह के नाम पर दे दे वोट, गाना बस इनको एक ही आता.
इस देश की है बीमारी, ये मूल्यों के व्यापारी
नीलम देश को कर दे ये, जो इनका बस चल जाये
भारत माँ को कर शर्मिंदा, ये उसकी कोख लजाये.
इस देश की है बीमारी, ये दानव अत्याचारी
खून चूसकर जनता का, ये अपना राज चलाये
जो खाली रह गया इनका पेट, नरभक्षी भी बन जाये
इस देश की है बीमारी, देखो इनकी गददारी
गाय का चारा खाते ये, कोयले की कालिख लगाते ये
धरती माँ का सोदा कर, उसको भी नोच खाते ये
इस देश की है बीमारी, ये भूखे भ्रष्टाचारी.
Monika Jain
4. भ्रष्टाचार पर कविता – शराफत की जमाने अब कहां
शराफत की जमाने अब कहां
यूं अकेले मत पड़ो यहां-वहां
समूहों के झुंड आसपास हैं,
कोई साधारण कोई खास है
हर कोई खींचने की फिराक में,
मना करो, आ जाते है आंख में
जंगल छोड़ भेड़िए शहरों में आने लगे,
सुंदर लिबासों में शरीफों को लुभाने लगे
ख्वाब बेचने का व्यापार चल पड़ा,
लालच में हर कोई मचल पड़ा
समूहों में हर चीज जायज हो जाती,
विचारधाराएं खारिज हो जाती.
नहीं दौर के तर्क नए,
सत्य स्वयं भटक गया,
इंसान इंसानियत छोड़,
समूहों में अटक गया.
ईमान कम बचा,
नियति तो बहुत स्पष्ट है,
शिकायत किससे करें,
जब पूरा तंत्र ही भ्रष्ट है.
Ashok Madrecha
5. Poem on Corruption in Hindi – माता पिता ने पढ़ा लिखाकर
माता पिता ने पढ़ा लिखाकर, तुमको अफसर बना दिया..
आज देखकर लगता है की, सबसे बड़ा एक गुनाह किया..
रिश्वत लेने से अच्छा था, भिक्षा लेकर जी लेते..
मुह खोलकर मांगे पैसे, बेहतर होंठ तुम सी लेते..!!
लाखों का धन है तो भी, क्यों आज भिखारी बन बैठे..
काले धन की पूजा करके, जाने केसे तन बैठे..
भूल गए, बचपन में तुम भी, खिलौना देख रो देते थे..
आज कैसे, उन नन्हे हाथों से, खेलने का हक़ ले बैठे..!!
एक आदमी पेट काट कर, अपना घर चलाता है..
खून पसीना बहा बहा कर, मेहनत की रोटी खाता है..
खुद भूका सो जाये पर, बच्चो की रोटी लाता है..
तू उनसे छीन निवाला, जाने कैसे जी पता है..!!
6. Corruption Poem in Hindi – व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
मुनाफाखोरी की बीमारी लगी सभी को
महंगाई से जनता त्रस्त हो गई तभी तो
न्याय मिलने में देरी हो रही है
राष्ट्रिय संपत्ति चोरी हो रही है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है
सडको का हाल बेहाल है
दूर दूर तक न कोई अस्पताल है
सरकार आँखे मूंदे बैठी है
चोरो का अड्डा तो पुलिस चौकी है
व्यवस्था परिवर्तन का समय आ गया है
भ्रष्टाचार पूरी तरह छा गया है।
7. Poem on Bhrashtachar in Hindi – समाज सेवक की पत्नी ने कहा
समाज सेवक की पत्नी ने कहा
‘तुम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में
शामिल मत हो जाना,
वरना पड़ेगा पछताना।
बंद हो जायेगा मिलना कमीशन,
रद्द हो जायेगा बालक का
स्कूल में हुआ नया एडमीशन,
हमारे घर का काम
ऐसे ही लोगों से चलता है,
जिनका कुनबा दो नंबर के धन पर पलता है,
काले धन की बात भी
तुम नहीं उठाना,
मुश्किल हो जायेगा अपना ही खर्च जुटाना,
यह सच है जो मैंने तुम्हें बताया,
फिर न कहना पहले क्यों नहीं समझाया।’
सुनकर समाज सेवक हंसे
और बोले
‘‘मुझे समाज में अनुभवी कहा जाता है,
इसलिये हर कोई आंदोलन में बुलाता है,
अरे,
तुम्हें मालुम नहीं है
आजकल क्रिकेट हो या समाज सेवा
हर कोई अनुभवी आदमी से जोड़ता नाता है,
क्योंकि आंदोलन हो या खेल
परिणाम फिक्स करना उसी को आता है,
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन में
मेरा जाना जरूरी है,
जिसकी ईमानदारी से बहुत दूरी है।
8. Bhrashtachar Par Kavita – भ्रष्टाचार लूट की कमाई में बहार ही बहार है
भ्रष्टाचार लूट की कमाई में बहार ही बहार है
हर्रे लगे फिटकरी बाबू साहब का राज है
गौशाला बना दिया चौपाल खरीद लिया
गांव के गांव चरवाहों से चारा सब हड़प लिया
जाति धर्म संप्रदाय के नाम पर कब तक वोट मांगोगे
कब तक करोगे गुमराह जनता को
कब तक नासमझ उन्हें समझोगे
माना पैसा बड़ा साधन है पर समय इससे ज्यादा बलवान है
हम क्यों करें इस पर विचार करें नित नया भ्रष्टाचार
धन है तो जन है और जन है तो व्यापार
पैसे बटोरकर जाओगे कहां यार
आएगी जब बारी तो होगी विनाशकारी
हंसेगी दुनिया सारी रोने की होगी बारी
छोड़ो इस फिलॉसफी को करो अपना काम
भ्रष्टाचार है धर्म अपना भ्रष्टाचारी नाम
जिस थाली में खाएंगे छेद उसी में बनाएंगे
जनता का पैसा लूट लूट कर
उनको थाल चटाएगें
समय परिवर्तनशीला है उसकी अजब लीला है
कभी नाव पर गाड़ी तो कभी गाड़ी पर नाव है
कौन जाने अबकी किसकी बारी है
देखना अब यह है कि नाव पर किसकी सवारी है।।
9. भ्रष्टाचार पर कविता – अस्पताल हो या शमशान
अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग।
एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन।
डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला।
जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल–बाला।
10. Poem on Corruption in Hindi – महंगाई और बेरोजगारी से
महंगाई और बेरोजगारी से, देश हमारा हुआ लाचार।
कोई न पाया इससे पार, भारत में फैला भ्रष्टाचार।
नजरों में इनकी खजाना था, चुनाव लड़के भाग्य आजमाना था।
जीते चुनाव और बन गये नेता, अब भी न इनका गुजारा होता।
किये घोटाले अरबों कमाये, जनता के दुख इन्हें नजर न आये।
क्षेत्र में अपने कितना खर्च किया, कागजों ने झेला इसका भार।
कोई न पाया इससे पार, भारत में फैला भ्रष्टाचार।
घोटालों में कमी नहीं है, नजरों में इनकी यही सही है
जमीन को भी नहीं छोड़ा है, निर्बलों की गर्दन को मरोड़ा है।
अपंगों को और अपंग बनाया, उनके जीवन को जंग बनाया
सत्ता हाथ में आते ही, ये बन जाते हैं सरमायेदार
कोई न पाया इससे पार, भारत में फैला भ्रष्टाचार।
घोटालों में आया खेल, अपराधी को नहीं होती है जेल
मंत्रियों ने ऐसे काम किये, आदर्श से बने घर अपने नाम किये।
जब नहीं भरा इनका झोला, तब नजर आया इनको कोयला
घोटाले ना रुकते अब तो, बस बदल रहे उनके प्रकार।
कोई न पाया इससे पार, भारत में फैला भ्रष्टाचार
कुछ निजी कंपनियां खुद में मस्त, भ्रष्टाचार में ये रहती व्यस्त
पूरा चाहिए इनको काम, तनख्वाह बढ़ाने का नहीं है नाम।
प्रेम भरा स्वभाव यहां है, अच्छाई न जाने कहां है
आचार-विचार-और सदाचार, सब में लिप्त है भ्रष्टाचार।
कोई न पाया इससे पार, भारत में फैला भ्रष्टाचार।
11. Corruption Poem in Hindi – भ्रष्टाचार की फैली महामारी है
भ्रष्टाचार की फैली महामारी है
हर एक को रिश्वत लेने या देने की बीमारी है
कब होगा भारत भ्रष्टाचार मुक्त
समय आ गया है जब सब हो जाये एकजुट
अब तो ऐसे भारत का निर्माण होगा
जिसमे भ्रष्टाचार का न नामोनिशान होगा
पहले व्यवस्था परिवर्तन लाना है
जनलोकपाल बिल पास कराना है
लोकपाल को सबके ऊपर बिठाना है
हर भ्रष्टाचारी को जेल के अंदर पहुचाना है
भ्रष्टाचारियो को मिलने लगेगी कड़ी सजा
फिर न देगा कोई किसी को दगा
इसलिए आओ हम सब मिलकर लगाये ये नारा
जन लोकपाल बिल पास हो हमारा
12. Poem on Bhrashtachar in Hindi – ये चिंता नहीं चिताएँ हैं
ये चिंता नहीं चिताएँ हैं .
देश में अनेक समस्याएँ हैं.
जिसका मुँह काला और कैरेक्टर है ढीला -ढाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
जिसने देश का निकाला दिवाला,
सिस्टम को हिला डाला,
छीना जिसने मुँह से निवाला,
ईमान की नीव हिला डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला.
बर्थ या डेथ सर्टिफिकेट हो बनाना,
चलता नहीं कोई बहाना,
पड़ता है ज़्यादा कीमत चुकाना,
दफ्तर में चाहिए प्रमोशन या स्कूलों में एड्मिशन ,
तो देनी होगी डोनेशन.
अस्पताल हो या शमशान हर जगह लगती है कमीशन.
बैंको से चाहिए लोन या लगाना हो टेलीफोन,
बच सका है इससे कौन ?
खेलों में फिक्सिंग या रेलों में टिकटिंग,
हर जगह है सेटिंग.
एग्जामिनेशन हो या इलेक्शन,
हर तरफ है करप्शन.
डाला है इसने मजबूरी का फंदा,
जिससे परेशान है हर बन्दा,
जिसने जीवन में ज़हर घोल डाला,
इंसान की फिरत ही बदल डाला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल-बाला .
जिसने समाज का बेड़ा गर्क कर डाला
हमीने उसे पला,
हर तरफ है उस करप्शन का बोल – बाला.
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