Poem on Electricity in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बिजली पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
बिजली पर कविता, Poem on Electricity in Hindi
1. बिजली पर कविता – बहुत हुआ अब
बिजली रानी
बहुत हुआ अब
छोड़ो आना जाना
सोचो, सर पर
इम्तहान है
गरमी करती
परेशान है,
पंखे कूलर
बंद करा के
नहीं कयामत ढाना
तुमको क्या
तुम चली अचानक
हम भुगतें
परिणाम भयानक
इधर मेज पर
प्रेस अधूरी
उधर किचन में खाना
थोड़े दिन जो साथ निभाओ
सच्ची खूब
दुआएं पाओ
बारिश के आते ही फिर से
नखरे भले दिखाना
2. Poem on Electricity in Hindi – कहाँ गई बिजली
मम्मी, बिजली कहाँ गई है
उसको जरा बुलाओ न
इस गर्मी में जाती क्यों है
उसको डांट लगाओ ना
देखो कितना हाल बुरा है
मेरा गर्मी के मारे
हुआ पसीने से मैं लथपथ
भीग गए कपड़े सारे
दफ्ती लेकर हवा डुलाते
दर्द हो गया हाथों में
बिजली जाने कहाँ मरी है
कहाँ लगी है बातों में
3. Hindi Poem On Electricity – बिजली रानी
वाह वाह भई बिजली रानी
तुम भी करती हो मनमानी
एक बार क्या चली गई फिर
आने में बस आनाकानी
जन्म दिवस था मेरा उस दिन
केक काटने वाला था
पूरा घर था जगमग जगमग
सभी ओर उजियारा था
यार दोस्त सब पहुँच गये थे
घर पर सबका खाना था
मम्मी पापा मस्त मग्न थे
चाचा को बस आना था
सजे हुए गुब्बारों के संग
सब मेहमान हमारे खुश थे
लगता नीले आसमान में
सारे चाँद सितारे खुश थे
इधर उधर मैं दौड़ रहा था
केक रखा था आंगन में
चाक़ू लेकर पास गया तो
देख तुम्हे घबराया मन में
लुका छिपी का खेल तुम्हारा
पहले तो मैं समझ न पाया
लेकिन यह क्या, चली गई तुम
फिर तो सबने शोर मचाया
चली गई तुम फिर न आई
लौटी हो दस घंटे बाद
कहाँ रही, क्या क्या कर डाला
भूल भाल सारी फरियाद
वादा करो नहीं जाओगी
हंसी ख़ुशी के अवसर पर
दिन और रात रहोगी संग संग
तभी लगोगी तुम सुंदर
4. Short Poem On Electricity In Hindi Language – मत कर मनमानी
बिजली रानी बिजली रानी
क्यों करती इतनी मनमानी
कहाँ गई यह नहीं बताती
अपने मन से आती जाती
तुम बिन सब चौपट हो जाता
सारा काम पड़ा रह जाता
बोलो कैसे करूं पढ़ाई?
तुम बिन देता नहीं दिखाई
अब से यह करके दिखलाना
मेरा साथ मत छोड़ जाना
“नीलम राकेश”
5. बिजली बचाओ
भारत संस्कृति का देश हैं
देश में आने वाली योजनाओं को अपनाओं
देश को आगे बढ़ाने के लिए
धन पैसा देश में ही लगाओ
माना बिजली से ज्यादा काम करते हैं
पर व्यर्थ की बिजली न जलाओ
जितनी हो सके उतनी अधिक बिजली बचाओ।।
आज के जीवन में बिजली से ज्यादा काम होते हैं
पर बिजली को उपयोग से ज्यादा न जलाओ
माना बिजली से ज्यादा काम होते हैं
पर व्यर्थ की बिजली न जलाओ
जितनी हो सके उतनी अधिक बिजली बचाओ।।
व्यर्थ मे पंखे चलते
व्यर्थ मे कूलर चलते
व्यर्थ में लाइटें ए.सी.चलते
भारत में ऐसे बिजली का बिल न बढ़ाओ
माना कि बिजली से ज्यादा काम होते हैं
पर व्यर्थ की बिजली न जलाओ
जितनी हो सके उतनी बिजली बचाओ।।।2
सामाजिक लेखिका
रौली मिश्रा
6. बिजली रानी बिजली रानी
बिजली रानी बिजली रानी,
करती हो अपनी मनमानी।
कोई समय नहीं आने का,
निश्चित है तुम्हारे जाने का।
बेवक्त चली तुम जाती हो,
गर्मी में बड़ा सताती हो।
कैसे अपनी करें पढ़ाई,
मुसीबत में हम फंसे हैं भाई।
दिन भर हम स्कूल में रहते,
मास्टरजी की मार को सहते।
पढ़ने को रात ही मिलती है,
समस्या कोई ये सुलझाओ।
मच्छर काटें, न सोने देते,
समय पर आकर हमें बचाओ।
क्यों करती हो ऐसी नादानी,
जबकि तुम हो खूब सयानी।
बिजली रानी… बिजली रानी,
अब छोड़ो अपनी मनमानी।।
गरमी कहर बरपाती है…
सूरज दादा क्यों करते गुस्सा,
इक बात हमें बतलाओ जी।
क्या झगड़ा करके आए घर से,
कुछ रहम तो हम पर खाओ जी।
पंखा-कूलर चलते तेजी से,
उमस यह दिन भर रहती है।
पड़ती बड़े जोर की गरमी,
ये गरमी कहर बरपाती है।
आईसक्रीम और खाई कुल्फी,
न इससे राहत मिलती।
नींबू पानी, जूस पिया है,
खीरा भी तो खाया है।
गरमी रानी तरस करे न,
पसीना बहुत ही आया है।
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