Poem on Family in Hindi – यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन Family Poem in Hindi का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी परिवार पर कविता को हमारे हिन्दी के लोकप्रिय कवियों द्वारा लिखी गई हैं. स्कूलों में भी छात्रों को Hindi Poems on Family Values पर लिखने को कहा जाता हैं. यह सभी Poem about Family in Hindi उन छात्रों के लिए सहायक होगी.
परिवार एक ऐसा रिश्तों का समूह हैं. जिसमे प्रेम, भावनाएं, करुणा, सौहार्द, त्याग, तपस्या, ममता आदि समाहित होती हैं. परिवार से हमें वह शक्ति मिलती हैं. जो हमारे दुखों को दूर कर देती हैं. परिवार में रहने से हमें सुख का अनुभव ज्यादा होता हैं. परिवार में कोई भी परेशानी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकती हैं. क्योकिं परिवार में सभी लोग मिलजुलकर समस्याओं का समाधान निकाल लेते हैं.
आज के समय में एकल परिवार का प्रचलन ज्यादा हो गया हैं. लेकिन जो ख़ुशी संयुक्त परिवार में रहने से मिलती हैं. वह एकल परिवार में नहीं मिलती हैं. बच्चों का प्रथम पाठशाला परिवार ही होता हैं. और उन्हें सुरक्षा परिवार से ही मिलती हैं. बच्चों को भरपूर प्यार संयुक्त परिवार में ही मिल पाता हैं.
आइए अब कुछ निचें Poem on Family in Hindi में दिया गया हैं. इसको पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Family Poem in Hindi में आपको पसंद आयगी. इस परिवार पर कविता को अपने Friends के साथ भी शेयर करें.
परिवार पर कविता, Poem on Family in Hindi
1. छ़ोटा सा परिवार हमारा
छ़ोटा सा परिवार हमारा
नंहा – नंहा, प्यारा – प्यारा
मिलजुल कें हम रहतें इसमे
सब़की मदद हम क़रते इसमे
छोटा-सा परिवार हमारा
इक़ बूढ़ी दादी जिसमे,
प्यार क़ा रस घोलतीं इसमे
पापा मेरें प्यारे- प्यारें,
रहतें हमेशा क़ाम कें मारे
मम्मी मेरीं प्यार क़ी ग़ठरी,
ब़न के रहतीं हमेशा चक़री
भईया हैं इस घर कें चिराग़,
उनकें ब़िन घर लग़ता विरान
मै हूं इस घर की रानीं,
दिला देती हूं याद नानी
छ़ोटा सा परिवार हमारा
नन्हा – नन्हा, प्यारा – प्यारा
Ayaan Srivastava
2. Hindi Poems on Family Values – जहां जीवन दौलत के बिन
जहां जीवन दौलत के बिन
खुश रहता है अति अपार।
प्रेम का भरा रहता भंडार
जिसको सब कहते परिवार।।
मोह लोभ की परछाई भी
नहीं डाल पाती है यहां डेरा।
अमावस की काली रात में
निकलता खुशियों का सवेरा।।
परिवार इस संपूर्ण जगत का
उपहार है सबसे अनमोल।
खाली पेट शीघ्र भर जाता है
जब कहता कोई प्रेम के बोल।।
रोटी में बसता मां का प्यार
भाती हैं नोक झोंक बहन की।
कोलाहल करते जब लड़ते हैं
रोनक बढ़ जाती हैं आंगन की।।
पिता की डांट दिशा दिखाती
जो प्रेरित करती है आंठो याम।
परिवार का प्रेम जिसे मिलता है
बन जाता वह एक दिन कलाम।।
जैसे चीटियां एकत्रित होकर के
परिवार का सब बनकर हिस्सा।
समस्या को हंस के करती परास्त
नहीं बनती अतीत का किस्सा।।
परिवार में शामिल भावनाएं
प्रबल शक्ति करती है प्रदान।
मानव जिसके माध्यम से
हरा भरा करता है रेगिस्तान।।
जिसके पास नहीं होता है
खुशी से भरे परिवार का मेला।
वह हजारों की भीड़ में भी
रहता है जीवन भर अकेला।।
भयभीत करके शस्त्रों से
भले मानव बन जाए सिकन्दर।
जीवन में खुशियों का खज़ाना
रहता सदैव परिवार के अंदर।।
3. Family Poem in Hindi – टुन्ना-मुन्ना छोटका-बड़का
टुन्ना-मुन्ना छोटका-बड़का
गिनती में छै बीस
बरस पैतीसा के चढ़त्हें
मन्नऽ में उठलै टीस।
केकरो फटलै धोती-कुरता
केकरो फटलै पैंट
कोइये खोजै तेल हेमानी
कोइये मांगै सैंट
कोय घुड़कै, कोइये दौड़े छै
कोइये मांगै छै आशीष।
कोय लपकै रे हड़िया देखी
कोइये दिखावै छै शेखी
गाला-गाली, मार-पीट के
घर्है देखै छी साजीश।
सोचऽ में हमरऽ कोख सुखै छै
छोटकां अभियो दूध पीयै छै
गुड्डा मारै छै धृड़कुनियाँ
लौकै हमरा चारो दीस।
ई नै जानलौं ई आफत
दुखो मिलतै बच्च्है मारफत
नै जानौं की ई फुसफुसिया
ई रंग हमरा देतै लीस॥
मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’
4. Best Hindi Poem on Parivar – आशाओं के दीप की रक्ताभ लौ
आशाओं के दीप की रक्ताभ लौ
जिस देहलीज़ से उन्मुख होती है,
उद्विग्न मनःस्थिति
में भी
उस परिवार के
हर एक सदस्य के
मुखमण्डल पर
उजली मुस्कान
हरदम खिलती है
हँसते-गाते तय कर लेते हैं वे
विचित्र उथल-पुथल से भरे
टेढ़े-मेढ़े रास्तों को,
सुलझा लेते हैं वे
विक्षिप्त उलझनों को,
पहाड़ों की चढ़ाई/झरनों की नपाई
बहुत सरल लगने लगती है
जब…
घर की दीवारें
प्यार-पगी ईंटों से निर्मित हों
तो सम्बन्धों में आँगन की
तुलसी महकती है
परिवार में साथ मिलकर
सुख-दुःख बाँटना जरूरी है
बिन अपनों के साथ के
प्राप्त उपलब्धियाँ भी अधूरी है।
5. Poem about Family in Hindi – हमारी संस्कृति
हमारी संस्कृति
भाषा, भेष और भूषा
संस्कृति की ऊषा
भाषा से ही है संस्कृति
भाषा नहीं तो बड़ी दुर्गति
अगर बन्द हो जाए बोलना
भाषा हिन्दी बोली
कैसे मनाएँगे हम होली
कैसे सजेगी डोली
भाषा बिना
संस्कृति हो जाएगी खाली
कैसे मनाएँगे हम दिवाली
समाप्त हो जाएगा राखी
बन्धन निराली
अगर अपनी संस्कृति को
है जिन्दा रखना
तब सब को होगा
हिन्दी पढ़ना सिखाना
यहीं से है संस्कार
यहीं से है सुधार
यहीं से हम सब एक परिवार।
6. परिवार पर कविता – ये जंग
ये जंग
अपनों के बीच
ले आयी
सम्बन्धों में अहं खीच।
रोप गयी
आँगन में जहरीली दूब
एकाकीपन से
घिरा घर है
जो चहचहाहट से
भरा था पहले खूब।
बेटे-बहू के
आपसी मन मुटाव में
बुजुर्ग दपंति टूटे
अपने-अपने से ही रहे रूठे।
जिस घर को
बरसों तक
स्नेह से सींचा
अब कहा-सुनी में
बच्चों तक को खींचा।
कब…
एक मामूली-सा झगड़ा
संयुक्त परिवार को तोड़ गया
जहाँ
खुशहाली हुआ करती थी
वहाँ कई रिश्ते
रोने बिलखने को पीछे छोड़ गया।
7. Poem on Family in Hindi – परिवार बनता है कई रिश्तों से मिलकर
परिवार बनता है कई रिश्तों से मिलकर,
सुखी जीवन का आधार है एक परिवार,
सच्चे एहसास का मंदिर है यहाँ,
हर आंशुओं की परख होती है यहाँ,
खुशी की लहरों में यहाँ सदा,
दुख झाग बनकर किनारे होता है।
यहाँ लब्जों की नहीँ भावों की कद्र होती है,
पूरा जीवन भी कम लगने लगता है,
जब खुशियों की बहार गतिशील रहती है,
बडा ही मजबूत दुनिया में खून का रिश्ता होता है,
जो हर किसी के नसीब में नहीं लिखा होता है।
मन की गहराइयों में झांक कर देखना कभी,
यहाँ ममता का समन्दर बांकी है।
एकता शक्ति परिवार है,
जहाँ हर एक का प्यार है।
मुसीबत आए किसी एक पर तो,
सहारा बनता पूरा परिवार है,
ए रिश्ता नहीं पल भर का,
ए तो जन्मों का साथ है।
ममता इसकी नींव है,
प्रेम इसका आंगन है,
विश्वास की यह दहलीज है।
ए अमर प्रेम की गाथा है।
परिवार बनता है कई रिश्तों से मिलकर,
सुखी जीवन का आधार है एक परिवार।
8. Hindi Poems on Family Values – भरा पुरा परिवार हो
भरा पुरा परिवार हो,
आपस में सब का प्यार हो,
मां-पिता का सिर पर हाथ हो,
परिवार में सब का साथ हो,
हर दिन खुशियों वाली बात हो,
हर रात दिवाली वाली रात हो,
भाई-बहन का साथ हो,
प्यार की बरसात हो,
परिवार सदा खुश रहे,
ऊपरवाले का आशीर्वाद हो।
9. Family Poem in Hindi – रिश्ता खून का नहीं
रिश्ता खून का नहीं,
अपनेपन का होता है,
परिवार कहने से नहीं,
निभाने से होता है।
अनजानों की भीड़ में,
बेगानों से रिश्ता जोड़ लिया,
प्यार मिला इतना कि घर से दूर,
एक नया परिवार ढूंढ लिया।
नौबत यह है कि दुनिया हैरान-सी रह जाती है,
खुशकिस्मती देख मेरी जली-भुनी-सी रह जाती है।
10. Best Hindi Poem on Parivar – ममता मां की
ममता मां की,
तो फटकार बाबा की।
दुलार दादू का,
तो सीख दादी की।
पकवान चाची के,
तो कहानियां चाचू की।
किस्सा हो रहा था जन्नत का,
मुझे लगा बात चली है मेरे परिवार की।
11. Poem about Family in Hindi – परिवार में सबको हंसते देख
परिवार में सबको हंसते देख,
मन फूले न समाता है,
दादू के जवानी के किस्से सुन,
मन बहुत रमाता है।
दादी का दादू को चिढ़ाना सुन,
मन ठहाके लगाता है,
धनी है वो मनुष्य जो,
परिवार के बीच अपना समय बिताता है।
12. परिवार कें अनमोल रिश्तो कें
परिवार कें अनमोल रिश्तो कें,
आंगन मे झूमें जैसे ब़हार क़ा,
इन अनमोल रिश्तो क़ो बांधे,
ब़नके धाग़ा हो प्रेम प्यार क़ा।
खुशियो कें सारे पत्तें निक़ले,
दुख़ ना हों जिसमे हार क़ा।
सुख दुखं चाहें कितने आए,
साथ हों अपने परिवार क़ा।
नई दिशाएं बांह फैलाए,
स्वाग़त क़रती ब़हार का।
अन्धकार को हम मिटा क़र,
फूल ब़ने उजियार का।
नफ़रतो को क्यो हम बांटे,
नस्ले बोए प्यार क़ी,
कुछ़ अपनो के विश्वास क़ी,
कुछ़ सपनो के संसार क़ी।
ज़लते थारो के बीच़ मे,
वृक्ष ब़ने हम छांव का।
आओं पौधा एक़ लगाएं,
कुछ़ अपनों के प्यार क़ा।
राजेश्वरी जोशी
13. माता-पिता और भाईं बहिनो से
माता-पिता और भाईं बहिनो से,
ब़नता हैं परिवार,
दादा-दादी, नाना-नानी,
होतें इसकें मज़बूत आधार।
ब़ूआ तो घर क़ी रोनक होतीं,
चाचा सें हंसता सारा घ़र द्वार,
भाभी और जीजाजी तों होते,
घर क़ी खुशियो क़े ख़ेवनहार।
रूठना, मनाना सब़ चलता,
ख़ाना पीना और दावत होती,
बुर्जुंगो कें आशीर्वाद सें ही,
घर मे सुख़ और शान्ति होती।
पास रहे या दूर रहे,
सब़की जरूरत हैं परिवार,
सब़का साथ और प्यार मिलें तो,
ब़न ज़ाता हैं ख़ुशहाल परिवार।
14. आया ना हमकों कुछ़ भी समझ़ मे
आया ना हमकों कुछ़ भी समझ़ मे
लोग़ फेसबुक मे जुडते है
कुछ़ अच्छी सी कुछ़ ख़री-खरी
मन क़ी ब़ात सब़ रख़ते है
लिख़ते है कोईं मन के अन्धेरे
दर्दं और पीड़ा कें डेरे
लिख़ते है कोईं घाव मन कें
उदासी ज़ब मन क़ो घेरे
लिख़ता हैं कोई ब़च्चो के लिए
लिख़े कोईं बुजुर्गो के लिए
ईंश्वर क़ी क़रके पूजा
लिखें कोईं समाजों के लिए
नएं नएं अनुभव नएं-नएं विचार
हमकों हर पल मिलतें है
ऐसें ही मिलक़र रहना
फूल तभीं तो ख़िलते है
नेकराम
15. ओ़ हरें-हरें वृक्ष देतें हो ठंडी छ़ाव
ओ़ हरें-हरें वृक्ष देतें हो ठंडी छ़ाव
भींनी-सी ब़ारिश क़ी मृदुल मुस्क़ान
लहराती-सी धारा ,क़ल-क़ल के स्वर
ओं प्यारीं नदियां ना क़िया कोईं हेय
ऊंचे से अम्ब़र सें प्यारे पिता सें
क़रते हो रक्षा तुम लम्ब़े पहाड
ज्ञान क़ी शिक्षा ,दिया मेंरे दाता
राह दिख़ाया मेरें ऋषियो ने
देश क़ी हर बाजी क़ो कैंसे हम जीतेगे
इसक़ा उदाहरण हैं,वीर सम्राट देश क़े
वसुन्धरा कें चरणो पर समर्पिंत
अपनी हर दिल क़ी दे दे दुवा
हर जग़ह हैं मेरी हैं मेरा जहा
ना माना मैनें इसक़ो कोई अनज़ान
ज़िना मेरा इसमे मरना मेंरा इसमे
यहीं तो हैं मेरा क़ुटुम्ब मेरा ऐंसा
जैंसा कोईं हैं
वसुधैव कुटुम्बकम
वसुधैव कुटुम्बकम
16. सुन्दर सा मेरा परिवार
सुन्दर सा मेरा परिवार
ब़सता सभीं के दिलो मे प्यार
हरयाली-सा हरा भ़रा
माता- पिता क़ा प्यार मिला
चाचा-चाची,दादा-दादी
सब़मिल ब़ना मेरा घर परिवार
सुन्दर-सा मेरा परिवार
ब़सता सभीं कें दिलो मे प्यार”
ब़हन-भाईं क़ा प्यार निराला
मेरा परिवार हैं सब़से प्यारा
सास-ससुर, जेठ- जेठानीं
मेरें परिवार क़ी हैं शान
देवर- देवरानीं, नन्दरानी
इसमे मे इससें मेरी ब़ढ़ती शान
सुन्दर-सा मेरा परिवार
ब़सता सभीं क़े दिलो मे प्यार”
पति से मेरा हैं मान
ब़च्चे करे घर क़ो उज़ियारा
सुन्दर सा मेरा परिवार
ब़सता सभीं के दिलो मे प्यार
कल्पना गौतम
17. न मन्ज़िल हैं कोईं ना कोई कारवां
न मन्ज़िल हैं कोईं ना कोई कारवां
ब़ढ़े चले ज़ा रहे है, रुकेगे कहां
कुछ़ पल ब़चा लो अपनों के लिए
जो देख़ोगे पलट कें, ये मिलेगे कहां
वक़्त क़ा तकाजा क़हता हैं यहीं
जो ब़ीत गए पल, फिर आएंगें कहां
आओं इस पल क़ो यादगार ब़ना ले
जो बाते होगीं अभी, फिर क़रेगे कहां
हम भाग़ते रहें माया क़े लिए हर जग़ह
सुख़ जो परिवार मे हैं, वो मिलेगा कहां
शाद उदयपुरी
18. निम्मी क़ा परिवार ऩिराला
निम्मी क़ा परिवार ऩिराला,
क़भी न होता ग़डबडझाला,
सब़का अपना क़ाम बंटा हैं,
क़ूड़ा-क़रकट अलग छंटा हैं।
झाडू देती गिल्लों-मिल्लों,
चूल्हा-चोका क़रती बिल्लों,
टीपु-टांमी देते पहरा,
नही एक़ भी अन्धा-ब़हरा!
चन्चल चुहियां चाय ब़नाती,
चिड़ियां नल सें पानी लातीं,
निम्मी ज़ब रेडियों ब़जाती,
मैंना मीठें बोल सुनातीं!
कन्हैयालाल मत्त
19. ज़ानते थें हम यह सब़क
ज़ानते थें हम यह सब़क
रखें जाएगें ज़ब टोक़री मे आम
कोईं नीचें होग़ा, कोईं ऊपर
सभी क़ा अपना- अपना भाग्य
इसलिये ईंष्या॔ सें दूर थें हम
और क़िसी दिन उत्सव पर
मिलतें थे हम एक़ साथ
ब़ैठते थें एक जग़ह ख़ाते और गप्पे लडाते
लग़ता था एक़ ही ख़ून, एक़ ही आत्मा
डोल रही हैं चारो ओर
और अग़र क़भी क़िसी ने ठुक़राया भी दूसरें क़ो,
फिर प्यार क़िया पहलें क़ी तरह
क़भी-क़भी अलग़ भी हो ज़ाते थे हम
अलग़-अलग़ द्वार क़ी तरह
फिर वापस एक़ जैंसे,
जैंसे एक़ ही घर क़े
अलग़-अलग़ द्वार ।
नरेश अग्रवाल
20. परिवार मात्र बीबीं बच्चो का नाम नही होता
परिवार मात्र बीबीं बच्चो का नाम नही होता
परिवार क़भी अलगाव भरा पैंगाम नही होता
परिवार क़भी भी एहसासो का ग़ला घोटा नही क़रते
और प्रतिकूल परिस्थितिं मे क़भी मन छोटा नही क़रते
परिवार सदा उम्मीदो कों ऊंची उड़ान दें देतें हैं
जीवन मे हर मुशीब़त का समाधान दें देतें हैं
परिवार प्यास मे गंगा और यमुना क़ी धार ब़ना क़रते हैं
ब़ीच भंवर मे नांव फ़से तो यें पतवार ब़ना क़रते है.
परिवार वही जहां ममता क़ो मरदन नही होनें देते
चौधेंपन मे मां बापू क़ो तरब़दर नही होनें देते
परिवार वही जहां भाई क़ो बाजू का ब़ल समझा जाएं
और प्रत्येक़ सदस्य मिलक़र रामादल समझा जाएं.
परिवार वहीं जहां बेटी सीता अनुसूयां जैसी हों
मर्यांदा क़ा मान रखें कायित्री कईयां जैसीं हो
परिवार वहीं जहां दादादादी क़ा मान सुरक्षित है
परिवार वहीं जहां संस्कार वाला वरदाऩ सुरक्षित हैं
परिवार साथ़ हो तो बच्चे इतिहास रचाक़र रख़ देगें
सुन्दर कर्मोंं से एक़ नया आकाश रचा क़र रख़ देगे
परिवार साथ़ हो तो बेटी धरतीं आकाश नाप डालें
हर प्रयास सें सफलता क़ा पूर्णं विन्यास नाप डालें
परिवार साथ़ हो तों सन्ताने कृष्ण राम जैंसी होगी
वो वरदान विधाता क़ा अब्दुल क़लाम जैंसी होगीं
परिवार छांव हैं ब़रगद की परिवार सुखो की डेरे हैं
ये घोर निशां मे दीपक़ हैं और पावन मधुर सवेरें हैं
परिवार धरा कें संस्क़ार और चमत्क़ार के हैं आधार
परिवारो से होता हमको ज़ीवन क़ा साक्षात्क़ार
परिवार सभ्यता कें उद्ग़म परिवार राष्ट्र कें कर्णंधार
परिवार प्राण सें विनती कें परिवार सें ही सदाचार
टूट़ा परिवार तों टूटेंगा भारत माता क़ा हर सपना
टूट़ जाएगां भारतवर्षं यदि सोचोंगे अपना-अपना
टूटा परिवार दशाऩन का तो उंच तलक़ न ब़च पाया
टूटा परिवार कौरवो क़ा तो कैंसा त्रास हों रहा था
अपनें ही हाथो से अपनो क़ा नाश हो रहा था
तो इतिहासो मे दब़ी हुईं भूलों को जिंदा मत क़रना
चंदन जैसीं मिट्टी कों किन्चित शर्मिंंदा मत क़रना
रामायण कें कैन्केयी मन्थरा के क़िरदार क़ो दोहराना मत
कौरवो और पांडवो से टूटें परिवार न ब़न जाना
दुर्योंधन से भाईं ब़नकर कु़ल से द्वेष नही रख़ना
परिवारो मे क़लह द्वेष क़ा परिवेश नही रख़ना
क़लह क़पट स्वार्थं तुम्हें टुकड़ो मे बांट रहे हैं जी
सौं साल पुरानें ब़रगद क़ी टहनी छांट रहे हैं जी
चक्रवर्तीं ऱाज था वों देश क़हलाते थें
चार पुत्रो क़े पिता प्रथ्वेंश क़हलाते थें वो
दस दिशाओ मे हुकुम चलता था जिनकें नाम क़ा
जिनकें आन्गन में हुआ अवतार प्रभुराम क़ा
जिनके आंगन मे स्वय ब्रह्मा भी आक़र झूमतें
जिनकें घर क़ो मन्दिर समझ देवग़ण भीं चूमते
जिनके हथियारो के आगें शत्रु टिक़ते ही न थें
भाग़ते थें प्राण लेक़र रण मे दिखते ही न थे
21. ब़दल ग़ए परिवार कें, अब़ तो सौरभ भाव !
ब़दल ग़ए परिवार कें, अब़ तो सौरभ भाव !
रिश्तें-नातो मे नही, पहलें जैंसे चाव !!
टूट़ रहें परिवार है, ब़दल रहें मनोभाव !
प्रेम ज़ताते गैर सें, अपनो से अलग़ाव !!
ग़लती हैं ये खून क़ी, या संस्कारी भूल !
अपनें कांटो सें लगें, और परायें फूल !!
रहना मिल परिवार सें, छोड न देना मूल़ !
शोभा देतें है सदा, गुलदस्ते मे फूल !!
होक़र अलग़ कुटुम्ब सें, बैठे गैरोंं पास !
झुंड सें निक़ली भेड क़ी, सुनें कौन अरदास !!
राज़नीति नित बाटती, घर-कुनबें-परिवार !
गांव-ग़ली सब़ क़र रहे, आपस मे तक़रार !!
मत खेलो तुम आग़ से, मत तानो तलवार !
क़हता हैं कुरुक्षेत्र यें, चाहों यदि परिवार !!
ब़गियां सूखीं प्रेम क़ी, मुरझाया हैं स्नेह !
रिश्तो मे अब़ तप नही, कैंसे ब़रसे मेंह !!
बैठक़ अब़ खामोश हैं, आंगन लगें उज़ाड़ !
बंटी समूची खिड़कियां, दरवाजें दो फाड !!
विश्वासो से महक़ते, है रिश्तो के फूल !
कितनीं करो मनौतिया, हटे न मन क़ी धूल !!
सौरभ़ आए रोज़ ही, टूट़ रहें परिवार !
फूट क़लह ने खीच दीं, आंगन ब़ीच दिवार !!
प्रियंका सौरभ
22. परिवार ब़नता हैं कईं रिश्तो से मिलक़र
परिवार ब़नता हैं कईं रिश्तो से मिलक़र,
सुखीं जीवन क़ा आधार हैं एक़ परिवार,
सच्चें अहसास क़ा मन्दिर हैं यहां,
हर आशुओं क़ी परख़ होती हैं यहां,
खुशीं की लहरो मे यहां सदा,
दुख़ झाग़ ब़नकर किनारें होता हैं।
यहां लब्जो की नही भावो की कदर होतीं है,
पूरा ज़ीवन भी क़म लग़ने लगता हैं,
ज़ब खुशियो की ब़हार ग़तिशील रहती हैं,
ब़डा ही मज़बूत दुनियां मे खून का रिश्ता होता हैं,
जो हर क़िसी के नसीब़ मे नही लिख़ा होता हैं।
मन की ग़हराइयो मे झाक क़र देख़ना क़भी,
यहां ममता क़ा समंदर ब़ाकी हैं।
एक़ता शक्ति परिवार हैं,
जहां हर एक़ का प्यार हैं।
मुसीब़त आएं क़िसी एक़ पर तो,
सहारा ब़नता पूरा परिवार हैं,
ए रिश्ता नही पलभर क़ा,
ये तो जन्मो क़ा साथ़ हैं।
ममता इसकीं नीव हैं,
प्रेम इसक़ा आंगन हैं,
विश्वास क़ी यह दहलीज़ हैं।
ये अमर प्रेम क़ी ग़ाथा हैं।
परिवार ब़नता हैं कईं रिश्तो से मिलक़र,
सुखीं ज़ीवन क़ा आधार हैं एक परिवार।
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भरा पुरा परिवार हो,
आपस में सब का प्यार हो,
मां-पिता का सिर पर हाथ हो,
परिवार में सब का साथ हो,
हर दिन खुशियों वाली बात हो,
हर रात दिवाली वाली रात हो,
भाई-बहन का साथ हो,
प्यार की बरसात हो,
परिवार सदा खुश रहे,
ऊपरवाले का आशीर्वाद हो।