फादर्स डे पर कविता, Poem on Fathers Day In Hindi

Poem on Fathers Day In Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन फादर्स डे पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. इस Fathers Day Poem in Hindi को हमारे लोकप्रिय कवियों दुवारा लिखा गया हैं. यह कविता छात्रों के लिए भी सहायक होगी. क्योकि स्कूलों में भी Hindi Poem On Fathers Day लिखने को कहा जाता हैं. इन सभी कविताओं को किसी आयोजन या मंच पर सुना सकते हैं. एवं पिता दिवस पर अपने पिता को भेज सकते हैं. और माता – पिता का आपके जीवन में कितना महत्व हैं. इन कविताओं द्वारा आपने मनोभाव को प्रकट कर सकते हैं.

बच्चों का सबसे ज्यादा लगाव अपने माता – पिता से होता हैं. बच्चा अपने पापा को ही अपना हीरो और एक अच्छा दोस्त मानता हैं. पिता अपने बच्चों को हमेशा सही रास्तें पर चलने के लिए प्रेरित करता हैं. पिता एक वटवृक्ष की तरह होता हैं. जिस पर अपने परिवार की सारी जिम्मेदारी होती हैं. पिता अपने बच्चों के लिए भगवान् से कम नहीं होते हैं.

अब आइए यहाँ पर कुछ Poem on Fathers Day In Hindi दी गई हैं. उसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी फादर्स डे पर कविता आपको पसंद आएगी. इसको अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

फादर्स डे पर कविता, Poem on Fathers Day In Hindi

Poem on Fathers Day In Hindi

1. Poem on Fathers Day In Hindi – तुम्हारी निश्चल आंखें

तुम्हारी निश्चल आंखें
तारों-सी चमकती हैं मेरे अकेलेपन की रात के आकाश में
प्रेम पिता का दिखाई नहीं देता
ईथर की तरह होता है
ज़रूर दिखाई देती होंगी नसीहतें
नुकीले पत्थरों-सी
दुनिया-भर के पिताओं की लम्बी कतार में
पता नहीं कौन-सा कितना करोड़वाँ नम्बर है मेरा
पर बच्चों के फूलोंवाले बग़ीचे की दुनिया में
तुम अव्वल हो पहली कतार में मेरे लिए
मुझे माफ़ करना मैं अपनी मूर्खता और प्रेम में समझा था
मेरी छाया के तले ही सुरक्षित रंग-बिरंगी दुनिया होगी तुम्हारी
अब जब तुम सचमुच की दुनिया में निकल गई हो
मैं ख़ुश हूं सोचकर
कि मेरी भाषा के अहाते से परे है तुम्हारी परछाई
चन्द्रकान्त देवताले

2. फादर्स डे पर कविता – फिर पुराने नीम के नीचे खड़ा हूं

फिर पुराने नीम के नीचे खड़ा हूं
फिर पिता की याद आई है मुझे
नीम सी यादें ह्रदय में चुप समेटे
चारपाई डाल आंगन बीच लेटे
सोचते हैं हित सदा उनके घरों का
दूर है जो एक बेटी चार बेटे
फिर कोई रख हाथ कांधे पर
कहीं यह पूछता है-
“क्यूं अकेला हूँ भरी इस भीड़ में”
मैं रो पडा हूँ
फिर पिता की याद आई है मुझे
फिर पुराने नीम के नीचे खड़ा हूं
कुमार विश्वास

3. Fathers Day Poem in Hindi – मैंने बिल्कुल साफ़-साफ़ देखा

मैंने बिल्कुल साफ़-साफ़ देखा
उस बस पर बैठे
कहीं जा रहे थे पिता

उनके सफ़ेद गाल, तम्बाकू भरा उनका मुंह
किसी को न पहचानती उनकी आँखें

उस बस को रोको
जो अदृश्य हो जाएगी अभी

उस बस तक
क्या
पहुँच सकती है
मेरी आवाज़ ?

उस बस पर बैठ कर
इस तरह क्यों चले गए पिता ?

4. Hindi Poem On Fathers Day – मैं पिता हूँ

पपीते के पेड़ की तरह मेरी पत्नी
मैं पिता हूँ
दो चिड़ियाओं का जो चोंच में धान के कनके दबाए
पपीते की गोद में बैठी हैं
सिर्फ़ बेटियों का पिता होने से भर से ही
कितनी हया भर जाती है
शब्दों में
मेरे देश में होता तो है ऐसा
कि फिर धरती को बाँचती हैं
पिता की कवि-आंखें…….
बेटियों को गुड़ियों की तरह गोद में खिलाते हैं हाथ
बेटियों का भविष्य सोच बादलों से भर जाता है
कवि का हृदय
एक सुबह पहाड़-सी दिखती हैं बेटियाँ
कलेजा कवि का चट्टान-सा होकर भी थर्राता है
पत्तियों की तरह
और अचानक डर जाता है कवि चिड़ियाओं से
चाहते हुए उन्हें इतना
करते हुए बेहद प्यार।

5. Short Poem On Fathers Day In Hindi Language

मेरे पिता का जीवन ही ताकत
पापा ही ब्रहांड के निर्माण कर्ता |

पापा की उंगली बेटें का समर्थन है
पापा कभी खट्टे तो कभी चटके ||

पापा ही प्यार ,पापा ही अनुशासन.
पापा ही देवो के देव प्रेम के अवतार |

बेटे के लिए पापा ही कपड़ा मकान |
पापा ही घर और महल |

पापा असीम प्रेम का सागर,
पापा ही बच्चे का घौसला ||

6. स्वाभिमान है पिता

कभी अभिमान तो कभी स्वाभिमान है पिता,
कभी धरती तो कभी आसमान है पिता,
जन्म दिया है अगर माँ ने,
जानेगा जिससे जग वो पहचान है पिता,
कभी कंधे पे बिठा के मेला दिखाता है पिता,
कभी बनके घोड़ा घुमाता है पिता,
माँ अगर पैरों पर चलना सिखाती है,
पैरों पर खड़ा होना सिखाता है पिता।

7. पिता एक उम्मीद है एक आस है

पिता एक उम्मीद है एक आस है,
परिवार की हिम्मत और विश्वास है,
बाहर से सख्त और अंदर से नरम है,
उसके दिल में दफन कई मरम है,
पिता संघर्ष की आँधियों में हौसलों की दीवार है,
परेशानियों से लड़ने को दो धारी तलवार है,
बचपन में खुश करने वाला बिछौना है,
पिता जिम्मेदारियों से लदी गाड़ी का सारथी है,
सबको बराबर का हक़ दिलाता एक महारथी है,
सपनों को पूरा करने में लगने वाली जान है,
इसी में तो माँ और बच्चों की पहचान है,
पिता जमीर है, पिता जागीर है,
जिसके पास ये है वह सबसे अमीर है,
कहने को तो सब ऊपर वाला देता है,
पर खुदा का ही एक रूप पिता का शरीर हैं।

8. मेरे प्यारे प्यारे पापा

मेरे प्यारे प्यारे पापा,
मेरे दिल में रहते पापा,
मेरी छोटी सी ख़ुशी के लिए
सब कुछ सेह जाते हैं पापा,
पूरी करते हर मेरी इच्छा ,
उनके जैसा नहीं कोई अच्छा,
मम्मी मेरी जब भी डांटे,
मुझे दुलारते मेरे पापा,
मेरे प्यारे प्यारे पापा !

9. आपकी आवाज मेरा सुकून है

आपकी आवाज मेरा सुकून है,
आपकी खामोशी, एक अनकहा संबल ।
आपके प्यार की खुशबू जैसे,
महके सुगंधित चंदन।

आपका विश्वास,मेरा खुद पर गर्व ।
दुनिया को जीत लूं, फिर नहीं कोई हर्ज ।
आपकी मुस्कान, मेरी ताकत,
हर पल का साथ, खुशनुमा एहसास

दुनिया में सबसे ज्यादा,
आप ही मेरे लिए खास
पापा,
आपकी शुक्रगुजार है,
मेरी हर एक सांस …. ।।

10. प्यारे पापा सच्चे पापा

प्यारे पापा सच्चे पापा,
बच्चो के संग बच्चे पापा |
करते हैं पूरी हर इच्छा,
मेरे सबसे अच्छे पापा |

दिन रात जो पापा करते हैं,
बच्चे के लिए जीते मरते हैं |
बस बच्चों की खुशियों के लिए,
अपने सूखो को हरते हैं |
पापा हर फ़र्ज निभाते हैं,
जीवन भर कर्ज चुकाते हैं |
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते हैं |

फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर ही नही पाते |
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते |

पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदाइ,
पर बच्चे भूल ही जाते हैं,
यह कैसी आँधी है आई |

जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सब कुछ सिखलाया है |
कोटि नमन ऐसे पापा को,
जो हर पल साथ निभाया है |

प्यारे पापा के प्यार भरे,
सीने से जो लग जाते हैं |
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं |

11. जब मै सुबह उठा

जब मै सुबह उठा
तो कोई बहुत थक कर भी
काम पर जा रहा था
वो थे पापा
जब मम्मी डांट रही थी
तो कोई चुपके से
हँसा रहा था वो थे
पापा
ये दुनियाँ पैसो से चलती है पर
कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कामये जा रहा था’
वो थे पापा
पेड तो अपना फल खा नहीं सकते
इसलिए हमे देते है
पर कोई अपना पेट खाली रखकर
भी मेरा पेट भरे जा रहा था
वो थे पापा
खुश तो मुझे होना चाहिए की वो
मुझे मिले, पर मेरे जन्म लेने
की खुशी कोई और मनाये जा रहा था
वो थे पापा
मै अपने बेटा शब्द को
सार्थक बना सका या नहीं पता नहीं
पर बिना स्वार्थ के अपने
पिता शब्द को सार्थक बनाये जा रहा था
वो थे पापा
सपने तो मेरे थे पर
उन्हें पुरे करने का रास्ता
कोई और बताये जा रहा था’
वो थे पापा
घर में सब अपना प्यार दिखाते है
पर कोई बिना दिखाए भी
इतना प्यार किये जा रहा था
वो थे पापा
मै तो सिर्फ अपनी खुशियों में
हँसता हूँ, पर मेरी हँसी को देख कर
कोई अपने गम भुलाये जा रहा है
वो थे पापा

12. ऊँगली को पकड़ कर सिखलाता

ऊँगली को पकड़ कर सिखलाता,
जब पहला कदम भी नहीं आता,
नन्हे प्यारे बच्चे के लिए,
पापा ही सहारा बन जाता,
पापा हर फर्ज निभाते है,
जीवन भर कर्ज चुकाते है,
बच्चे की एक ख़ुशी के लिए,
अपने सुख भूल ही जाते है,
फिर क्यों ऐसे पापा के लिए,
बच्चे कुछ कर नहीं पाते है,
ऐसे सच्चे पापा को क्यों,
पापा कहने में भी सकुचाते है,
पापा का आशीष बनाता है,
बच्चे का जीवन सुखदायी,
पर बच्चे भूल ही जाते है,
यह कैसी आंधी है आई,
जिससे सब कुछ पाया है,
जिसने सबकुछ सिखलाया है,
कोटि नमन ऐसे पापा को,
जिसने हर पल साथ निभाया है,
प्यारे पापा के प्यार भरे,
सीने से जो लग जाते है,
सच्च कहती हूँ विश्वास करो,
जीवन में सदा सुख पाते हैं।

13. मेरा साहस मेरी इज़्ज़त…

मेरा साहस मेरी इज़्ज़त…मेरा सम्मान है पिता
मेरी ताकत मेरी पूंजी…मेरी पहचान है पिता ….!!

घर की एक एक ईट में…
शामिल उनका खून पसीना …

सारे घर की रौनक उनसे.. सारे घर की शान है पिता !!
मेरी इज़्ज़त मेरी शौहरत… मेरा रुताब मेरा मान है पिता…

मुझे हिम्मत देने वाला मेरा अभिमान है पिता….!!
सारे रिश्ते उनके दम से सारी बाते उनसे है…..

सारे घर के दिल की धड़कन सारे घर की जान है पिता..!!
शायद रब ने देकर भेजा फल ये अच्छे कर्मो का …..
उसकी रहमत उसकी नियामत उसका है वरदान पिता…!!

14. जब किसी मुश्किल सवाल का जवाब हो न पता

जब किसी मुश्किल सवाल का जवाब हो न पता
तब याद आतें है मुझे अपने प्यारे पिता

लगते हैं वो बाहर से थोड़े सख्त
पर हमेशा देते हैं मुझको अपना वक़्त

बुरी संगत में न मैं पड़ जाऊँ
इसलिये रखते हैं मुझपर नज़र

जब भी पिताजी बाज़ार जाते हैं
मेरे लिये ज़रूर कुछ लाते हैं

मुझे अपने पिताजी पर बहुत गर्व है
पिताजी साथ हैं, तो खुश हर पर्व है

15. हर घर में होता है वो इंसान

हर घर में होता है वो इंसान
जिसे हम पापा कहते है।

सभी की खुशियों का ध्यान रखते
हर किसी की इच्छा पूरी करते

खुद गरीब और बच्चों को अमीर बनाते
जिसे हम पापा कहते है।

बड़ों की सेवा भाई-बहनों से लगाव
पत्नी को प्यार, बच्चों को दुलार

खोलते सभी ख्वाहिशों के द्वार
जिसे हम पापा कहते है।

बेटी की शादी, बेटों को मकान
बहुओं की खुशियां, दामादो का मान

कुछ ऐसे ही सफर में गुजारे वो हर शाम
जिसे हम पापा कहते है।

16. कुबेर तो नहीं कुबेर सा खजाना हैं

कुबेर तो नहीं कुबेर सा खजाना हैं,
पापा आसमान तो नहीं आसमान सा छत हैं,

पापा पहलवान तो नहीं पहलवान से रक्षक हैं,
पापा खुदा तो नहीं फिर भी हर ख्वाहिश पूरी करते हैं,

पापा गौतम बुद्ध तो नहीं फिर भी हर गलती की माफी देते हैं ,
पापा महर्षि दधिची तो नहीं फिर भी हमारे लिए अपने सुख त्यागते हैं ,

पापा जज से हैं फिर भी फैसला नहीं,
सलाह सुनाते हैं, पापा जेलर से हैं फिर भी सजा से नहीं,
प्यार से समझाते हैं पापा।

17. मैं पतंग, पापा है डोर

मैं पतंग, पापा है डोर
पढ़ा लिखा चढ़ाया आकाश की ओर,
खिली काली पकड़ आकाश की ओर,
जागो, सुनो, कन्या भ्रूण हत्यारों,
पापा सूरज की किरण का शोर,
मैं बनू इंदिरा सी, पापा मेरे नेहरू बने,
बेटियों के हत्यारों, अब तो पाप से तौबा करो,
पापा सच्चे, बेहद अच्छे, नेहरू इंदिरा से वतन भरे,
बेटियां आगे बेटो से, पापा आओ पाक एलान करो,
देवियों के देश भारत की जग में, ऊंची शान करें !

18. आज भी याद है बचपन के वो पल

आज भी याद है बचपन के वो पल ,
जहाँ आँखों मे सपने और न ही दिलो मे छल था |
जहाँ पापा ने ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
वहीं उन्हीं के दिये आत्मविश्वास ने,
गिरते से भी उठना सिखाया |
हाथो मे बैग लेकर स्कूल जाना,
और अपनी मीठी-मीठी बातों से सबको लुभाना |
वहीं घर आकर पापा को रिझाना,
और प्यार से उनका, गले से मुझे लगाना |
कभी माँ की डॉट से पापा के पीछे छिप जाना,
तो खुद उनकी डॉट सहकर मुझे माँ से बचाना |
होली दिवाली पर अपने कपड़े भूल कर हमको नए कपडे दिलाना,
और खिलोनों की फरमाइश पर अपनी सेविंग से पैसे जुटाना |
जहाँ माँ ने संस्कारो मे रहना सिखाया,
वहीं पापा ने मुश्किलों से लड़ना सिखाया |
वो मेरा पापा से बार बार ऐसे वैसे प्रश्न पूछे जाना,
और मेरी नटखट बातो पर पापा का खिलखिलाकर हंस जाना |
लोग कहते है बेटी माँ का साया होती है,
पर जरुरी तो नहीं, वो हमेशा माँ जैसे ही होती है |
अगर बेटी माँ का साया होती है,
तो वहीं बेटी पापा की भी परछाई होती है |
जो अपनी सारी फ़र्माइशों को पापा से करती है
अपनी बात कहने से कभी ना डरती है ||
एसी ही बेटियाँ पापा की राजकुमारियाँ होती है,
जो हमेशा उनकी सासों में बसती है..||
आज भी याद है बचपन के वो पल…..

19. “माँ की ममता को तो, सब ने ही स्वीकारा है

“माँ की ममता को तो, सब ने ही स्वीकारा है
पर पिता की परवरिश को, कब किसने ललकारा है!!
मुश्किलों की घंडियों में अक्सर, मेरे साथ खड़े थे वो
मेरी गलतिया थी फिर भी, मेरी खातिर लड़े थे वो!!
कमियों की अहसास, मुझको कभी तो हो न पायी
कपकपा कर सोते थे वो, मेरे ऊपर थी रजाई !!
माँ की गोदी की गर्माहट, के बराबर उनकी थपकी
कंधे उनका बिस्तर मरी, आंखे हलकी सी जो झपकी!!
उनके होसलो ने कभी न, आँखे नम होने दिए है
जितने थी मेरी जरूरत, सबको तो पूरी किया है!!
उनकी लाड में जो पाया, थोड़ी कड़वापन सही
मेरी खातिर मुझे डाटा, था वही बचपन सही!!
जिंदगी की दौड़ में अब, अपने पारों पर खड़े
उनके जज़्बों की बदौलत, मुस्किलो से हम लड़े!!
सर पे उनका साया जब तक, चिंता न डर है कोई!!
उनके कंधो की बदौलत बढ़ रही है जिंदगी !!

20. जब मम्मी डाँट रहीं थी

जब मम्मी डाँट रहीं थी
तो
कोई चुपके से हँसा रहा था,
वो थे पापा. . .
जब मैं सो रहा था
तब कोई चुपके से
सिर पर हाथ फिरा रहा था ,
वो थे पापा. . .

जब मैं सुबह उठा तो
कोई बहुत थक कर भी
काम पर जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुद कड़ी धूप में रह कर
कोई मुझे ए.सी. में
सुला रहा था,
वो थे पापा. . .
सपने तो मेरे थे
पर उन्हें पूरा करने का
रास्ता कोई और बताऐ
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में
हँसता हूँ,
पर मेरी हँसी देख कर
कोई अपने गम
भुलाऐ जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

फल खाने की
ज्यादा जरूरत तो उन्हें थी,
पर कोई मुझे सेब खिलाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
खुश तो मुझे होना चाहिए
कि वो मुझे मिले ,
पर मेरे जन्म लेने की
खुशी कोई और मनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
ये दुनिया पैसों से चलती है
पर कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कमाए
जा रहा था ,
वो थे पापा.
घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं
पर कोई बिना दिखाऐ भी
इतना प्यार किए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
पेड़ तो अपना फल
खा नही सकते
इसलिए हमें देते हैं…
पर कोई अपना पेट
खाली रखकर भी मेरा पेट
भरे जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं तो नौकरी के लिए
घर से बाहर जाने पर दुखी था
पर मुझसे भी अधिक आंसू
कोई और बहाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .
मैं अपने “बेटा” शब्द को
सार्थक बना सका या नही..
पता नहीं…
पर कोई बिना स्वार्थ के
अपने “पिता” शब्द को
सार्थक बनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा!

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