फूल पर कविता, Poem on Flowers in Hindi

Poem on Flowers in Hindi : दोस्तों यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन फूलों पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमारे हिंदी के कवियों ने फूल को अधार मानकर अनेकों कविताओं की रचना की हैं. फूल हम सभी को अपनी और आकर्षित करता हैं. फूलों को देखकर हमारा मन प्रसन्न हो जाता हैं.

संसार में सबसे ज्यादा कोमल और सुन्दर फूल को ही माना जाता हैं. इनकी सुन्दरता और सुगंध हमें मंत्रमुग्ध कर देता हैं. फूलों को प्राकृति का श्रृंगार कहा जाता हैं. सभी फूलों से अलग – अलग हमारी विशिष्ट भवनाएँ भी जुड़ीं हैं. जैसे – लाल गुलाब को प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं. कमल के फूल को सुन्दरता, सद्भावना, पवित्र, शांति-समृद्धि का प्रतीक माना गया हैं.

अब आइए कुछ नीचे Poem on Flowers in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. और हमें उम्मीद हैं की यह सभी Flowers Poem in Hindi में आपको पसंद आएगी. इसे पाने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

फूल पर कविता, Poem on Flowers in Hindi

Poem on Flowers in Hindi

1. फूल पर कविता – फूल होते है सबके प्यारे

फूल होते है सबके प्यारे,
दीखते है वो सबसे प्यारे।

तुलना करे किसकी भी उनसे,
हो ना सके तुलना उससे किसी की।

जब भी फूलों की,
महक हमको आ जाये।

दिल को सुकून दे जाये,
मन को ये फूलों की महक खुश कर जाये।

लगता है कभी कभी प्यार में फूलों के हम पड़ जाये,
लेकिन बीवी को कौन समझाए।

फूलों की दुनिया में हम खो जाये,
उनको सबसे करीब बुलाये।

ज़िन्दगी सबकी खुश हो जाये,
जब भी फूलों को हम पास बुलाये।

फूलों की है बात निराली,
सबको देते है वो खुशहाली।

अगर हो तुम किस्मत के मारे,
तो फूलों के पेड़ लगा लो तुम सारे।

फूल होते है सबके प्यारे,
दीखते है वो सबसे प्यारे।

2. Poem on Flowers in Hindi

फूलों की क्या मै बात बताऊँ,
रंग बिरंगी होते है वो।

खिलते है जब भी फूल वो,
मुस्कान चेहरे पे लाते है वो।

फिरती रहती है तितलियाँ,
जब भी सुन्दर फूल खिलते है वो।

जब भी बैठती है फूलों पर तितलियां,
बातें उनसे ही करती है वो।

फूलों के रंग में रंग जाती है,
यही तितलियाँ सुन्दर है वो।

देखते ही पकड़ने को दिल चाहता है,
वही सुन्दर तितलियाँ है वो।

मन करता है फूलों का घर मैं बनाऊ,
लेकिन नामुमकिन है वो।

देख के ही मन भर लेता हु,
वही खुबसूरत फूल है वो।

फूलों की क्या मै बात बताऊँ,
रंग बिरंगी होते है वो।

3. Flowers Poem in Hindi

भगवान के चरणों की शोभा बढ़ाते है फूल
बड़ो का सम्मान करने में

गले का हार बनते है यह फूल
श्रद्धांजलि भी इन्ही फूलो से दी जाती हैं

ऐसे होते है यह कोमल फूल
खुशी में गम मैं हर जगह दिखते हैं फुल

फूल फूल तरह तरह के फुल
रंग बिरंगे लाल पीले कितनी तरह के फुल।

4. Hindi Poem On Flowers – पुष्प की अभिलाषा

चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूंथा जाऊं,
चाह नहीं, प्रेमी-माला में
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव
पर हे हरि, डाला जाऊं
चाह नहीं, देवों के सिर पर
चढूं भाग्य पर इठलाऊं
मुझे तोड़ लेना वनमाली
उस पथ पर देना तुम फेक
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पर जावें वीर अनेक।
-माखनलाल चतुर्वेदी

5. Short Poem On Flowers In Hindi Language

रंग बिरंगे फूल चमन में खिल रहे है
अम्बर से धरती तक खुशबू फैला रहे है
काटों में भी रहकर जीना सीखा रहे है
सुख दुःख में सम रहने का पाठ पढ़ा रहे है

सबसे हिल मिल कर रहना बता रहे है
अहंकार से अहम् को हटाना समझा रहे है
अपनी मुस्कान सबको देने का पाठ पढ़ा रहे है
धरती की स्वर्ग बनाओ सीखा रहे है

मेरी कलियों से कोमलता का सीख लो
काटों से मेरी संघर्ष करना सीख लो
अमन में ही चैन है अमानता का सीख लो
अपनी सौम्यता से दूसरों को खींच लो

6. फैलाकर अपनी सुगंध

फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।

टूट जाये डाली से फिर भी,
न शोक मनाता जीवन में,
बन श्रंगार हर्ष से वह,
नही इठलाता एकपल को।

कभी हृदय की शोभा बनता,
कभी चरणों में शीश नवाता वो,
हर्ष सहित स्वीकार कर दायित्व,
निभाता अपने कर्तव्यों को।

क्षणिक जीवन है फिर भी उसका
व्यर्थ नही गवाता वो।
देकर अपना सर्वस्य वह,
करता सफल लघु जीवन को।

फैलाकर अपनी सुगंध,
महकाता तन मन को,
रंग-बिरंगी दुनिया से अपनी,
सजाता उपवन को।
– निधि अग्रवाल

7. नन्हा सा फूल हूँ मैं

नन्हा सा फूल हूँ मैं,
मेरे जीवन की यही परिभाषा है।
वीरों के पथ पर बिछ जाऊ,
बस इतनी सी अभिलाषा है।

नही चाह गहने में गूँथा जाऊ,
बन सुंदरता नारी की,
स्वयं पर मैं न इठलाऊँ।
छूकर उन पावन चरणों को बस,
उनकी चरण रज बन जाऊं,
बस इतनी सी आशा है।
नन्हा सा फूल हूँ मैं बस,
मेरी जीवन की छोटी सी परिभाषा है।

वीरों की वीर गाथाएँ गाउँ
उनकी वेदी पर चढ़ जाऊ,
लघु से अपने जीवन को,
सद कर्मो से सफल बनाऊं।
महक उठे जिससे धरती माँ का आँचल,
मेरे जीवन की यही जिज्ञासा है,
जीवन सफल समर्पित हो,
मेरे जीवन की यही अभिलाषा है।

नन्हा सा फूल हूँ मैं
मेरे जीवन की यही परिभाषा है।
वीरों के पथ पर सज जाऊ,
बस इतनी सी अभिलाषा है।
– निधि अग्रवाल

8. फूल जो कल इस धरती पर

फूल जो कल इस धरती पर
खिला हुआ था
आज धरती में है
कल जन्म लेने को आतुर।

उसकी ख़ाली जगह में
उसका अदृश्य आकार
फैल गया है
रात के पूरे अंधकार में अभी

सुबह
चुपचाप फूल में लौटेगा
खो जाएगा
उन रंगों में
जो पूरी धरती के भीतर सज रहे हैं

फूल को
अपने जीवन का यह खेल अच्छा लगता है
मुझे फूल अच्छा लगता है।
नवीन सागर

9. रंग बिरगे फूल हमारें

रंग बिरगे फूल हमारें
देख़ो यह कितने प्यारें
उपवन को महक़ाते है
सुगन्ध फैलाक़र इतराते है
देवो के चरणो में चढ ज़ाते है
नारी के गहनो मे गूथें जाते है
वीरों के पथ पर ब़िछ ज़ाते है
काटो के बीच रहक़र भी
तूफानो से लड जाते है
इतना सबक़ुछ करकें भी
फ़ूल सदा मुस्क़राते है
लगें हर पगडडी के किनारें
रंग बिरगे फूल हमारें
– पूजा महावर

10. एक फूल

एक फूल
रात की क़िसी अन्धी गांठ मे
घाव की तरह ख़ुला हैं
किसी बंज़र प्रदेश मे
और उसक़े रंग मे ज़ादू हैं
टूट़ती हुई गृहस्थीं,
छूटती हुईं नौकरी,
अपमान और असुरक्षा
कें तनाव मे टूटते हुए मस्तिष्क़ से
निक़ली हैं कोई कविता
ज़िसके क्रोध और दुख़ और घृणा मे
क़ला हैं
खाली बर्तनो, दवाइयो की शिशियो
और मृत्यू की गहरी गन्ध से भरें
कमरें मे
हंसता हैं वह ढ़ाई साल का ब़च्चा
और उसकें दूधियां दातों मे
ग़जब की चमक हैं!
– उदय प्रकाश

11. कितनें कोमल सुंदर सुंदर

कितनें कोमल सुंदर सुंदर
कितनें प्यारे प्यारें फ़ूल
गुलाब क़मल गेंदा चमेलीं
रंग बिरगें न्यारें फूल
अपनी मीठीं सुगन्ध फ़ैलाकर
बागियो को महकातें फूल
गर्मीं सर्दी बारिश सहक़र
दुःख़ मे सदा मुस्क़ाते फ़ूल।
प्रकृति क़ा वरदान हैं फ़ूल
ज़ान जान कों पास बूलाते फ़ूल
मुस्कान बिख़राकर अपनी
धरा को स्वर्गं बनाते फ़ूल।
सदा रहों मुस्कातें यू ही
जीवन का पाठ पढाते फूल।

12. कूड़े पर एक फूल खिला

कूड़े पर एक फूल खिला
सुंदर पीला फूल खिला
कैसा अद्भुत फूल खिला
खूब खिला भई खूब खिला

वहाँ गली का कूड़ा पड़ता
बदबू छाई रहती है
सब इससे बच कर चलते हैं
जाने कैसे फूल खिला

कोई नहीं देखने वाला
उसे मिला है देश निकाला
खूब गंदगी में महका है
कितना सुंदर फूल खिला

खूब खिला भई खूब खिला
अजब अनोखा फूल खिला

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