Poem on Guru in Hindi – दोस्तों आज इस पोस्ट में गुरु के सम्मान में कुछ बेहतरिन सर्वश्रेष्ठ कविता का संग्रह दिया गया हैं. इन सभी Guru Par Kavita को शिक्षक दिवस पर भी अपने शिक्षक को समर्पित कर सकते हैं.
हमारे जीवन में गुरु का बहुत ही महत्व होता हैं. गुरु को भविष्य का निर्माता भी कहा जाता हैं. क्योंकि वह अपने आप को जलाकर अपने शिष्यों के भविष्य को उज्ज्वल बनाते हैं. गुरु ही शिष्य को इस संसार से अच्छी तरह परिचित करवाता हैं. यहाँ पर जो Guru Ke Liye Kavita दी गई हैं. वह सभी कविता गुरु की महिमा का बखान करती हैं.
अब आइए Poem on Guru in Hindi को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Guru Par Kavita in Hindi में आपको पसंद आएगी. इन सभी गुरु पर कविता को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
गुरु पर सर्वश्रेष्ठ कविताएं, Poem on Guru in Hindi
1. Poem on Guru in Hindi – चरन धूर निज सिर धरो
चरन धूर निज सिर धरो, सरन गुरु की लेय,
तीन लोक की सम्पदा, सहज ही में गुरु देय।
सहज ही में गुरु देय चित्त में हर्ष घनेरा,
शिवदीन मिले फल मोक्ष, हटे अज्ञान अँधेरा।
ज्ञान भक्ति गुरु से मिले, मिले न दूजी ठौर,
याते गुरु गोविन्द भज, होकर प्रेम विभोर।
राम गुण गायरे।।
और न कोई दे सके, ज्ञान भक्ति गुरु देय,
शिवदीन धन्य दाता गुरु, बदले ना कछु लेय।
बदले ना कछु लेय कीजिये गुरु की सेवा,
जन्मा जन्म बहार, गुरु देवन के देवा।
गुरु समान तिहूँ लोक में,ना कोई दानी जान,
गुरु शरण शरणागति, राखिहैं गुरु भगवान।
राम गुण गायरे।।
समरथ गुरु गोविन्दजी, और ना समरथ कोय,
इक पल में, पल पलक में, ज्ञान दीप दें जोय।
ज्ञान दीप दें जोय भक्ति वर दायक गुरुवर,
गुरु समुद्र भगवन, सत्य गुरु मानसरोवर।
शिवदीन रटे गुरु नाम है, गुरुवर गुण की खानि,
गुरु चन्दा सम सीतल, तेज भानु सम जानि।
राम गुण गायरे।।
शिवदीन राम जोशी
2. गुरु पर सर्वश्रेष्ठ कविता – गुरु, पितु, मातु, सुजन, भगवान
गुरु, पितु, मातु, सुजन, भगवान,
ये पाँचों हैं पूज्य महान।
गुरु का है सर्वोच्च स्थान,
गुरु है सकल गुणों की खान।
कर अज्ञान तिमिर का नाश,
दिखलाता यह ज्ञान-प्रकाश।
रखता गुरु को सदा प्रसन्न,
बनता वही देश सम्पन्न।
कबिरा, तुलसी, संत-गुसाईं,
सबने गुरु की महिमा गाई।
बड़ा चतुर है यह कारीगर,
गढ़ता गाँधी और जवाहर।
आया पावन पाँच-सितम्बर,
श्रद्धापूर्वक हम सब मिलकर।
गुरु की महिमा गावें आज,
शिक्षक-दिवस मनावें आज।
एकलव्य-आरुणि की नाईं,
गुरु के शिष्य बने हम भाई।
देता है गुरु विद्या-दान,
करें सदा इसका सम्मान।
अन्न-वस्त्र-धन दें भरपूर,
गुरु के कष्ट करें हम दूर।
मिल-जुलकर हम शिष्य-सुजान,
करें राष्ट्र का नवनिर्माण।
कोदूराम दलित
3. Guru Par Kavita – गुरु चरण में स्वर्ण बसे है
गुरु चरण में स्वर्ण बसे है
गुरु शरण है धाम हमारे
गुरु आशीष जांकू मिल जाए
जन्म जन्म के भाग सुधारें!
गुरु आदेश मस्तक घर रखो
गुरु सेवा में रैन-दिन जागो
मुख से गुरु शिक्षा गायन हो
गुरु की आज्ञा का पालन हो
मैं करूं चरण धूलि को धारण
चरणों का अमृत पान करूं
शीश झुका कर सहज भाव से
उनके चरणों को प्रणाम करूं
गुरु के कर सर पर जाएं
मैं भवसागर पार जाऊं
वंदन करो गुरु की दिव्यता
मैं कठिन परीक्षा पार पाउं
गुरुवाणी को निज दोहराऊं
गुरु की महिमा नित नित गाऊ
मोहे मिले चाकरी गुरु सेवा की
गुरु को पूज के मैं तर जाऊ..!
4. Guru Par Kavita in Hindi – जीवन के घोर अंधेरो में
जीवन के घोर अंधेरो में,
प्रकाश जो बन कर आता है..
हर लेता है वो दुःख सारे,
खुशियों की फसल उगाता है..
न कोई लालच करता है,
सच्चाई का सबक सिखाता है..
सागर से ज्ञान सा भरा हुआ,
बस वही गुरु कहलाता है….
परेशानियाँ पस्त करे जब
हिम्मत हम हारते जाए,
धूमिल सी हो परीस्थितीया
हालात हमे जब भटकाए,
नई राह एक दिखा कर हमको
सभी संशय जो मिटाता है,
सागर से ज्ञान सा भरा हुआ
बस वही गुरु कहलाता है…..
5. Guru Ke Liye Kavita – शिक्षक हैं शिक्षा का सागर
शिक्षक हैं शिक्षा का सागर,
शिक्षक बांटे ज्ञान बराबर,
शिक्षक मंदिर जैसी पूजा,
माता-पिता का नाम है दूजा,
प्यासे को जैसे मिलता पानी,
शिक्षक है वही जिंदगानी,
शिक्षक न देखे जात-पात,
शिक्षक न करता पक्ष-पात,
निर्धन हो या हो धनवान,
शिक्षक को सब एक समान!
6. Poem on Guru in Hindi – गुरु की उर्जा सूर्य-सी
गुरु की उर्जा सूर्य-सी, अम्बर-सा विस्तार।
गुरु की गरिमा से बड़ा, नहीं कहीं आकार।।
गुरु का सद्सान्निध्य ही, जग में हैं उपहार।
प्रस्तर को क्षण-क्षण गढ़े, मूरत हो तैयार।।
गुरु वशिष्ठ होते नहीं, और न विश्वामित्र।
तुम्हीं बताओ राम का, होता प्रखर चरित्र?
गुरुवर पर श्रद्धा रखें, हृदय रखें विश्वास।
निर्मल होगी बुद्धि तब, जैसे रुई- कपास।।
गुरु की करके वंदना, बदल भाग्य के लेख।
बिना आँख के सूर ने, कृष्ण लिए थे देख।।
गुरु से गुरुता ग्रहणकर, लघुता रख भरपूर।
लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर।।
गुरु ब्रह्मा-गुरु विष्णु है, गुरु ही मान महेश।
गुरु से अन्तर-पट खुलें, गुरु ही हैं परमेश।।
गुरु की कर आराधना, अहंकार को त्याग।
गुरु ने बदले जगत में, कितने ही हतभाग।।
गुरु की पारस दृष्टि से, लोह बदलता रूप।
स्वर्ण कांति-सी बुद्धि हो, ऐसी शक्ति अनूप।।
गुरु ने ही लव-कुश गढ़े, बने प्रतापी वीर।
अश्व रोक कर राम का, चला दिए थे तीर।।
गुरु ने साधे जगत के, साधन सभी असाध्य।
गुरु-पूजन, गुरु-वंदना, गुरु ही है आराध्य।।
गुरु से नाता शिष्य का, श्रद्धा भाव अनन्य।
शिष्य सीखकर धन्य हो, गुरु भी होते धन्य।।
गुरु के अंदर ज्ञान का, कल-कल करे निनाद।
जिसने अवगाहन किया, उसे मिला मधु-स्वाद।।
गुरु के जीवन मूल्य ही, जग में दें संतोष।
अहम मिटा दें बुद्धि के, मिटें लोभ के दोष।।
गुरु चरणों की वंदना, दे आनन्द अपार।
गुरु की पदरज तार दे, खुलें मुक्ति के द्वार।।
गुरु की दैविक दृष्टि ने, हरे जगत के क्लेश।
पुण्य -कर्म- सद्कर्म से, बदल दिए परिवेश।।
गुरु से लेकर प्रेरणा, मन में रख विश्वास।
अविचल श्रद्धा भक्ति ने, बदले हैं इतिहास।।
गुरु में अन्तर ज्ञान का, धक-धक करे प्रकाश।
ज्ञान-ज्योति जाग्रत करे, करे पाप का नाश।।
गुरु ही सींचे बुद्धि को, उत्तम करे विचार।
जिससे जीवन शिष्य का, बने स्वयं उपहार।।
गुरु गुरुता को बाँटते, कर लघुता का नाश।
गुरु की भक्ति-युक्ति ही, काट रही भवपाश।।
7. गुरु पर सर्वश्रेष्ठ कविता – शिष्य एक गुरु के हैं हम सब
शिष्य एक गुरु के हैं हम सब,
एक पाठ पढ़ने वाले।
एक फ़ौज के वीर सिपाही,
एक साथ बढ़ने वाले।
धनी निर्धनी ऊँच नीच का,
हममे कोई भेद नहीं।
एक साथ हम सदा रहे,
तो हो सकता कुछ खेद नहीं।
हर सहपाठी के दुःख को,
हम अपना ही दुःख जानेंगे।
हर सहपाठी को अपने से,
सदा अधिक प्रिय मानेंगे।
अगर एक पर पड़ी मुसीबत,
दे देंगे सब मिल कर जान।
सदा एक स्वर से सब भाई,
गायेंगे स्वदेश का गान।
श्रीनाथ सिंह
8. Guru Par Kavita – परम गुरु
परम गुरु
दो तो ऐसी विनम्रता दो
कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
और यह अंतहीन सहानुभूति
पाखंड न लगे……….
दो तो ऐसा कलेजा दो
कि अपमान, महत्वाकांक्षा और भूख
की गाँठों में मरोड़े हुए
उन लोगों का माथा सहला सकूँ
और इसका डर न लगे
कि कोई हाथ ही काट खाएगा……….
दो तो ऐसी निरीहता दो
कि इसे दहाड़ते आतंक क बीच
फटकार कर सच बोल सकूँ
और इसकी चिन्ता न हो
कि इसे बहुमुखी युद्ध में
मेरे सच का इस्तेमाल
कौन अपने पक्ष में करेगा……….
यह भी न दो
तो इतना ही दो
कि बिना मरे चुप रह सकूँ……….
विजयदेव नारायण साही
9. Guru Par Kavita in Hindi – वही सच्चा गुरु कहलाये
जानवर इंसान में जो भेद बताये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जीवन-पथ पर जो चलाना सिखाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जो धेर्यता का पाठ पढ़ाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
संकट में जो हँसना सिखाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
पग-पग पर परछाई सा साथ निभाये
वही सच्चा गुरु कहलाये
जिसे देख आदर से सिर झुकजाये
वही सच्चा गुरु कहलाये।
10. Guru Ke Liye Kavita – पढ़ना गुरु ने सीखा दिया
जन्म माँ-बाप से मिला
ज्ञान गुरु से दिला दिया
ड्रेस, किताबे, बस्ता,
माँ-बाप से मिला
पढ़ना गुरु ने सीखा दिया
माँ ने जीवन का पहला पाठ पढ़ाया
दूसरा तीसरा चौथा गुरु ने पढ़ा दिया”
“जब हम छोटे होते हैं “टीचर बच्चे” खेलते हैं
जब थोड़े बड़े हुए, सीधे-उलटे काम भी करते हैं
एक दिन हम जवान होकर,आएंगे काम देश के
ऐसा गुरु जी हमसे हरदम कहते रहते हैं”
“गुरु ने हमको अपने ज्ञान से सींचा हैं
हमने उनसे ही जीवन का सार सीखा हैं
समझा देंगे हमें वो दुनिया दारी
उनकी इसी बात पर किया सदा भरोसा हैं”
11. कण कण में बसते हो आप
कण कण में बसते हो आप
जन मन में विराजते हो आप
जीवन में अज्ञान के अंधेरे को
ज्ञान की रोशनी से मिटाते हो आप
बंद हो जाते हैं जब सारे दरवाजे
तब नया राह दिखाते हो आप
सिर्फ किताबी ज्ञान ही नहीं
जीवन जीना सिखाते हो आप
हे गुरु हमारे जीवन का आदर्श ही नहीं
इस संपूर्ण संसार का आधार हो आप..!
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