आइसक्रीम पर कविता, Poem on Ice Cream in Hindi

Poem on Ice Cream in Hindi – दोस्तों इस पोस्ट में कुछ आइसक्रीम पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

आइसक्रीम पर कविता, Poem on Ice Cream in Hindi

Poem on Ice Cream in Hindi

1. आइसक्रीम पर कविता

आना, दो आना का खेल
पंजी. दस्सी का वह मेल

चार आना को कौन पूछता
आठ आना को कौन ढूंढता

एक रूपये की अब न पूछ
दो के नोट की नीचे मूंछ

नोट पांच का है शरमाता
दस का भी तो कुछ नहीं आता

हम बच्चों की पूरी टीम
कहाँ से लाए आइसक्रीम
सूरजपाल चौहान

2. Poem on Ice Cream in Hindi

वो धुप में लोगों की दंड का अहसास करा जाता है
रोते बच्चे के मुख पे मुस्कराहट करा जाता है
खुद झुलसता है गरीबी की आंच में
पर अमीरों को भी चैन दे जाता है
जब लू के थपेड़े सब को बेहाल के जाते हैं
उसकी आमद ठंडा सा झोंका बन जाती है
दादी नानी को भी वो भाता है
जब नाती या पोता उनसे जिदियाता है
एक आइस क्रीम के बदले
पूरे घर को बचपन मिल जाता है

3. पापा लाए आइसक्रीम

पापा लाए आइसक्रीम
हमें सुहाए आइसक्रीम

ठंडी-ठंडी, मीठी-मीठी
पिघली जाए आइसक्रीम

गर्मी-सर्दी हर मौसम में
सबको भाए आइसक्रीम

‘चॉकबार’ , ‘पिस्ता’ या कप लूँ
समझ न आए आइसक्रीम

दीदी कहती ‘टूटी-फ्रूटी’
दादी खाए आइसक्रीम

पापा-मम्मी कुल्फी खाते
मगर रिझाए आइसक्रीम

‘सुमन’ सरीखे रंगो वाली
मन महकाए आइसक्रीम
लक्ष्मी खन्ना सुमन

4. एक दुपहर जब रोहिणी ख़ूब तप रही थी

एक दुपहर जब रोहिणी ख़ूब तप रही थी

हाँफ रही थी चिड़ियाँ

मीठे ठंडे पानी की कुंई

सोई थी पीपल के चरणों में

बिना रस्सी बाल्टी के

तब न जाने किस क़स्बे के ऊँघते बाज़ार से

वे अपने गाँव लौट रहे थे—

साइकिल के अगले पहिए की ओट में

बैठ गई थी औरत

उसका सुनहरा दीप्त चेहरा

सूर्य-किरणों जैसी पहिए की तानों से दिखाई दे रहा था

आदमी ने थैली में से निकालीं दो आइसक्रीमें

काग़ज़ में लिपटीं जिनसे बह रहा था लाल शरबत

अनिर्वचनीय सुख में दोनों कुछ देर खो गए थे

भूल गए थे कि तपती दुपहर में लंबी यात्रा है अधूरी

वे चाहते तो बाज़ार में ही खा डालते ये आइसक्रीमें

लेकिन तब इतनी निर्भयता नहीं होती

तिक्तता कंठ की जस की तस रह जाती

इस औरत के होंठ नहीं रँगे होते

धीरे-धीरे लाल-लाल

आइसक्रीमें ख़त्म हो जाने के बाद

वह ऐसी दिखाई दे रही थी

जैसे कि उसे साइकिल की ओट में

बहुत चूमा हो पति ने

सारी दुपहर पीपल की छाया

और ठंडी कुंई की साक्षी में
ऋतुराज

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