Poem on Jungle in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ जंगल पर कविताएँ का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
जंगल पर कविताएँ, Poem on Jungle in Hindi
1. Poem on Jungle in Hindi
जंगल की है बात निराली,
सबको देती है खुशहाली।
सबका जीवन उसपे है टिकता,
उसका फल सब को है मिलता।
आप सब को एक बात बताए,
सबको जंगल का महत्व है बताये।
सब को रखना है उसका ध्यान,
कोई न काटे जंगल के ये पेड़ महान।
जंगल है जानवरो का स्थान,
उनको ना करो तुम परेशान।
पशु पक्षी है जंगल के रक्षक,
कोई ना बनाये उनको भक्षक।
जंगल से हरियाली छाती,
ये सब हम को है भाती।
लो सब तुम एक प्रण,
तोड़ेंगे नही हम कोई भी वन।
2. Hindi Poem On Jungle
कितना बडा है ये वन,
दिखे कितना है सुंदर।
झाँक के देखे हम सबझन,
आखिर क्या है इसके अंदर।
आखिर हम सब झाँक ना पाए,
हम सब कुछ भी देख ना पाए।
कितना घना है ये जंगल,
देखते ही दिल हुआ मंगल।
वन मे पंछी किलबिल किलबिल चिल्लाये,
वन के बाहर सुंदर आवाज़ है आये।
आखिर हम गए अंदर,
सामने ही दिखे हमको बंदर।
मोर,पपीहा, कोयल गाये,
दिखे हमे उन सब के साये।
रंगबिरंगी तितलियाँ इधर उधर मटकाए,
छोटे फूलों पे वो बैठ जाये।
छोटी नदियाँ बहती जाए,
खूबसूरत वो नजारा मन को भाए।
शांति का संदेश दिलाये,
ऐसा लगे वन मे ही रह जाये।
कितना बडा है ये वन,
दिखे कितना है सुंदर।
3. Short Poem On Jungle In Hindi Language
ऐसा है ये जंगल हमारा,
सबसे प्यारा सबसे न्यारा।
दिखे जंगल से ही प्यारा,
धरती का ये रूप निराला।
जंगल छाया सबको देता,
सबका दुख वो हर लेता।
पशु पक्षी को सहारा है देता,
उसके बदले कुछ ना लेता।
सबको फल खाना है देता,
सबकी भूक वो है मिटाता।
शुद्ध वायु हम सबको देता,
दूषित वायु को बढ़ने ना देता।
वृक्ष ही काले घन है लाता,
हम सब पे बारिश बरसाता।
पानी की कमी पूरी है करता,
वही वृक्ष का वन कहलाता।
यही रहे हम सब को ध्यान,
क्या मिला हमको इससे ज्ञान।
उनको है जिने का अधिकार,
ये मूर्ख मानव काटो ना इसे तुम बार बार।
दिखे जंगल से ही प्यारा,
धरती का ये रूप निराला।
4. सतपुडा का जंगल हमारा
सतपुडा का जंगल हमारा,
घना अंधेरा सवेरे भी छाया।
बड़े पत्ते छोटे पत्ते,
जंगल के ये प्यारे पत्ते,
हरे भरे इतराते पत्ते,
मन को बहुत लुभाते ये पत्ते,
टप टप टप बारिश जब आये,
हरा भरा जंगल ये कर जाए।
जंगल मे बारिश जब आये,
पत्तो पे बूंदे जमा हो जाये।
छोटे पौधे भी उग जाए,
उसपे तितलियाँ मंडराए।
उसको देख कोयल गाना गाये,
मोर भी नाचने लग जाये।
जंगल का राजा ऐसे घुर्राये,
उसे देख हिरण घबराए।
नदियों मे झरने बन जाये,
सभी जीव उसका पानी पीने जाए।
सबका है जंगल ही बसेरा,
रोज होता है एक नया सवेरा।
सतपुडा का जंगल हमारा,
घना अंधेरा सवेरे भी छाया।
5. कितना मूर्ख बना ये मानव
कितना मूर्ख बना ये मानव,
बन के रह गया एक दानव।
वृक्ष की तोड़ करता ये मानव,
कैसे खुश रहता है ये दानव।
माना सब कुछ ठीक नही है,
खेतों मे भी पिक नही है।
भूखे भी तो नही सो पाते,
घर पे ही तो खाना खाते।
तुमको भी तो पता होता है,
खाना पेडों से ही मिलता है।
फिर भी तोड रहे है वन को,
आज की छोड समझ के कल को।
आज अगर बचाए वन को,
स्वस्थ रहेंगे बच्चे कल को।
वन को है बचाना हमको,
प्रदूषण रहित बनाना है सबको।
हरियाली को टिकाना हमको,
यही बात सबको समझाना है हमको।
समझ नही आता है मुझको,
कैसे समझ नही पाता ये मानव मुझको।
कितना मूर्ख बना ये मानव,
बन के रह गया एक दानव।
6. सब जीवन को ही चाहते है
सब जीवन को ही चाहते है,
सबसे ज्यादा प्यार जीवन को ही करते है।
ये बात कुछ समझ ना आयी,
पेड़ तुम क्यों तोड़ते हो भाई।
उसपे ही जीवन है हमारा,
वन को है तुम सब का जीवन प्यारा।
सिर्फ एक नही रहते इस धरती पे,
उसने है सबका जीवन सवारा।
एहमियत तुम दो सब उनको,
देता वो खुशी हम सब को।
जंगल की है एक परिभाषा,
तोडे ना उसको यही है आशा।
खुदका स्वार्थ तुम अब छोड़ो,
पेड़ काटने का निच्छय तुम मोड़ो।
पशु पक्षी का यहाँ बसेरा,
लगे जंगल हम सब को प्यारा।
इनकी तुम जान ले लोगे,
खुद को तुम पहचान ना पाओगे।
इसीलिए कहता हूं सबको,
ना काटो ये पेड बोलो ये सभी को।
सब जीवन को ही चाहते है,
सबसे ज्यादा प्यार जीवन को ही करते है।
7. नही रहे अब वो जंगल
हरी भरी सी अपनी धरती,
लगती कितनी प्यारी थी,
जंगल ही तो इसकी शोभा थे,
इनकी दुनिया तो एकदम न्यारी थी।
इन जंगल के कारण ही,
इसके राजा-रानियों की प्यारी एक कहानी थी,
जिसको सुनाने के खातिर ही,
प्यारी दादी और नानी थी।
मोर-मोरनी के नृत्य का,
होता था दर्शन वर्षा के आगमन पर,
जिनके इंद्रधनुषी पंखों की,
पूरी दुनिया दीवानी थी।
मोगली और बघीरा की दुनिया की,
ये जंगल ही तो निशानी थी,
जिनको सुनकर बड़ा हुआ बच्चों का जीवन,
उस कहानी की दुनियाँ अजब निराली थी।
नही रहे अब वो जंगल,
जो कहानियों की निशानी थे,
खत्म हो गए कहानी किस्से,
लगता बस अब ये बात पुरानी थी।
पर याद बहुत आते है वो दिन,
पशु-पक्षियों संग बीता जीवन,
वो हरे-भरे लहलहाते जंगल,
जिनकी अपनी ही अलग कहानी थी।
हरी भरी सी अपनी धरती,
लगती कितनी प्यारी थी,
जंगल ही तो इसकी शोभा थे,
इनकी दुनिया तो एकदम न्यारी थी।
Nidhi Agarwal
8. हरे भरे घने प्यारे जंगल
हरे भरे घने प्यारे जंगल
हरे भरे घने प्यारे जंगल,
धरती के श्रगार है जंगल|
हर प्राणी का जीवन जंगल,
जड़ी-बूटीयो का भंडार जंगल|
शुद्ध हवा, पानी, खाने का स्रोत जंगल,
पशु – पक्षीयों का घर जंगल|
जंगल के बिना न जीवन होगा,
फिर क्यों जंगलों को काटा जाता|
क्यों बेजुबान पशु – पक्षियों को,
बेघर इस तरह कर दिया जाता|
क्यों शुद्ध पानी के स्रोतो को सूखाया जाता,
क्यों जड़ी -बूटीयो को मिटाया जाता|
क्यों प्रदूषण को बुलाया जाता,
क्यों इस हरी – भरी धरती को,
जगल काट बंजर बना दिया जाता |
9. जंगल की सैर
जग की हलचल तज उस ओर
जहाँ बसा है जंगल घोर
आओ आज वहां घूमेंगे
खुशियों में भरकर झूमेंगे
घने घने वन बने जहाँ पर
तरु समूह हैं तने जहाँ पर
जहाँ झाड़ियाँ खड़ी हुई हैं
पग पग बेलें पड़ी हुई हैं.
पथ है जहाँ बनाना मुश्किल
आदि अंत कुल पाना मुश्किल
जिसके भीतर जाना मुश्किल
जाकर के फिर आना मुश्किल
जंगल यह पशुओं का घर है
राजा जिनका शेर बबर है
कभी कभी जब वह दहाड़ता
आसमान के कान फाड़ता
इधर खड़ा है देखो चीता
झरने के तट पानी पीता
इसके तन पर काली धारी
यह है हिंसक मांसाहारी
देखों इधर तेंदुआ आता
बिल्ली का वंशज कहलाता
बिल्ली इसकी नानी लगती
किंतु देखते ही है भगती
हाथी सूंड उठाते हैं ये
ढेरों खाना खाते हैं ये
मस्त चाल से जाते हैं ये
वन में रौंद मचाते हैं ये
झाड़ी के अंदर खामोश
देखों बैठा है खरगोश
टूंग टूंग खाता है घास
कभी नहीं आता है पास
उधर हिरन भागे जाते है
चंचल ये मृग कहलाते हैं
पतली पतली इनकी टाँगें
कभी चौकड़ी कभी छंलागे
सुंदर इनके नयन सलौने
प्यारे लगते इनके छौने
सीधे सादे भोले भाले
जो भी चाहे इनको पाले
10. जंगल पत्र
शेरू जी ने जोश जोश में
जंगल पत्र निकाला
मगर तुरंत ही पड़ा प्रेस पर
भारी भरकम ताला
हाथी का आलेख छपा था
चीते की कविताएँ
मस्त चुटकले बन्दर के भी
सांभर की हंसिकाएं
नीलगाय की नई कहानी
मौलिक गीत हिरण के
पाठक पढ़ते रहे ख़ुशी से
भाव सभी के मन के
तभी लोमड़ी आई दौड़ी
रो रोकर चिल्लाई
हाय, रीछ ने मेरी रचना
अपने नाम छपाई
सुनकर भड़के वन्यजीव सब,
हंगामा कर डाला
बस, फिर क्या, जड़ दिया उन्होंने
प्रेस भवन पर ताला
11. जंगल में भी फ़ैल रहा था सचमुच क्रिकेट बुखार
जंगल में भी फ़ैल रहा था सचमुच क्रिकेट बुखार
लोमड़ हाथी भालू बिल्ली सब पर चढ़ा खुमार
जंबो हाथी अम्पायर थे चेहरे थे सब खिलते
छक्का लगने पर जब जंबो खड़े थे हिलते
लोमड़ ने तरकीब निकाली, खोजी अद्भुत चाल
बना दिया कीपर भालू को, कैसे निकले बॉल
देख मैच राजा के भीतर जागा जोश अनोखा
छीन बैट अड़ गये क्रीज पर, दिया सभी को धोखा
किसकी हिम्मत इतनी जो राजा को आउट कराएं
उड़ा के गिल्ली शेरसिंह को पवेलियन भिजवाएं
शेरसिंह ने मजे मजे में छक्के खूब जमाए
डबल सेंचुरी जमा के भैया, सबके होश उड़ाएं
बोला बंदर बॉल मुझे दो, इसकी ऐसी तैसी
राजा होगा राजनीति में, यहाँ हेकड़ी कैसी?
बंदर ने जो स्विंग कराकर, बॉल एक बार घुमाई
विकेट के पीछे तीन गिल्लियाँ अलग ही नजर आई
बल्लू बंदर की हिम्मत की देनी होगी दाद
शेरसिंह को सब सिखाकर उसे दिलाई नानी याद
12. जंगल में मोबाइल आया
जंगल में मोबाइल आया
बंदर उसे शहर से लाया
बातें करके उस पर उसने
जानवरों पर रौब जमाया
मिली शेर को खबर, तुरंत ही
उसने बंदर को बुलवाया
पूछा फिर उसने बंदर से
चीज शहर से तू क्या लाया
बंदर ने मोबाइल दिखला
उसके सारे गुण बतलाए
शेर खुश हुआ आर्डर देकर
ढेरों मोबाइल मंगवाए
बोला शेर किसी सूरत में
जंगल पीछे नहीं रहेगा
दुनिया अगर बढ़ेगी आगे
वह भी उसके साथ बढ़ेगा
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