जादूगर पर कविता, Poem on Magician in Hindi

Poem on Magician in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ जादूगर पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

जादूगर पर कविता, Poem on Magician in Hindi

Poem on Magician in Hindi

1. मुट्ठी में ले – जादूगर पर कविता

मुट्ठी में ले मिटटी को छू
मौसम जादूगर ने दी फूंक
कहा हवा में
गिली गिली छू
गिली छू

मिट्टी काली तने हैं भूरे
रंग भला थे कहाँ छुपाएँ
अब तक तो लगते थे सूखे
कहाँ से नव पल्लव ले आए?
रंग आए संग अपने लाए
मौसम मेरा गजब है जादू
गिली गिली छू
गिली गिली छू

भूरी काली बदरंग मिट्टी
खिली रंगों में पलक झपकते
लाल गुलाबी नारंगी पीले
तरह तरह के फूल है हंसते
झुलसा न सकी वो भी इसको
देखो बैरंग लौटी तू
गिली गिली छू
गिली गिली छू

2. Poem on Magician in Hindi

इसी बहाने वही मदारी, रुपए चन्द कमाता था।

बजा-बजाकर ड़ुग-ड़ुग ड़ुग्गी, बच्चे पास बुलाता था।
भालू-बन्दर नाच दिखाकर, भारी भीड़ जुटाता था।

नाच बन्दरिया, हाथ उठाकर, भालू भी दिखलाता था।
इसी बहाने वही मदारी, रुपए चन्द कमाता था।

भीख नहीं थी माँगी उसने, हाथ नहीं फैलाता था।
खुद भूखा सो जाता था पर, उन्हें जरूर खिलाता था।

वन्यजीव हैं सदा सहायक, यह संदेश दिलाता था।
साथ चलें लेकर उनको भी, सबको यही बताता था।

विनय कुमार अवस्थी

3. Hindi Poem on Magician

मौन सारा तोड़ देते गूँजते अक्षर।
रोज़ खुशियाँ बाँटता है एक जादूगर॥

शब्द का जादू लिए जग घूम लेता है।
पीर के बादल सुरों से चूम लेता है।
बह निकलती है वहाँ से प्यार की नदिया;
वह जहाँ पर गीत गाकर झूम लेता है॥

सृष्टि सम्मोहित किये हैं नित्य उसके स्वर।
रोज़ खुशियाँ बाँटता है, एक जादूगर॥

कौन जाने किस युगल की पीर गाता है?
दर्द का ख़ंजर कलेजा चीर जाता है।
गीत उसके प्रेम का अनुवाद होते हैं;
हर युगल उनमें निजी तस्वीर पाता है।।

पंख लग जाते दिलों को प्यार के अक्सर।
रोज़ खुशियाँ बाँटता है एक जादूगर।।

गीत गाता है हवा का और पानी का।
ब्रह्म ने जो दी प्रकृति को उस निशानी का।
सृष्टि के श्रृंगार का अद्भुत चितेरा है;
वह प्रणेता प्रेम की शाश्वत कहानी का।।

झूमते हैं साथ में उसके धरा अम्बर।
रोज़ खुशियाँ बाँटता है एक जादूगर।।
-धीरज मिश्र

4. वह हमेशा रहता है अकेला

वह हमेशा रहता है अकेला

वह बिना सीढ़ी के ऊपर चढ़ जाता है

और दूसरे लोगों की सीढ़ियों को बिना छुए नीचे से खींच लेता है

वह ज़मीन पर ऐसे रहता है

जैसे कोई रहता हो ऊँचे आसमान में बने टॉवर पर,

यह जादूगर युग की शक्तियों को ऐसे टटोलता है

जैसे दही बिलौती नानी झेरनिए की चौपंखी को

या जैसे चरख़ा कातते हुए कोई बुढ़िया आठ कमलदल को घुमाती हो

वह जादू में बिल्कुल विश्वास नहीं करता,

लेकिन सारा दिन टोटके गणित की तरह शुद्ध करता है

वह माइनस काे प्लस और प्लस को माइनस कर देता है

वह कितना भी उतावला हो,

वह पिसे हुए चूने के साथ ठंडा होकर

सफ़ेदी में नील की तरह घुल जाता है

वह इतना पक्का जादूगर है

कभी सूत, कभी चरख़ी, कभी ताँत, कभी मोगरी

और कभी-कभी कूकड़ी दिखते हुए पिंजारे का काम करता है

बेदाग़ भोर में वह हवा की तरह उठता है,

अपनी झोली में रखे वर्षों, सदियों और सहस्राब्दियों पुराने क्रिस्टल खोलकर

वह कई बार सूर्य को अपनी मुस्कुराती ढकी हुई वाक्पटुता से पकड़ता है,

वह अक्सर ऐसे-ऐसे टोटके करता है

दूर बैठकर किसी और की देह के भीतर

शांत और निष्क्रिय बैठी इंद्रियों के सम्मोहक साँपों को खोल देता है

और मंद-मंद मुस्कुराता है

उसकी कला लंबी है,

जो यह देखने के लिए भोर में उठती है

लोग सोचते हैं, जादूगर कभी मौलिक अँधेरे में अपनी ही आग से जल जाएगा

काठ की आत्मा उस पर एक चिंगारी की तरह प्रहार करेगी

लोग सोचते हैं, जादूगर उस बोतल में बंद हो जाएगा,

जिसमें अब तक वह हर जिन्न को अपनी जादूगरी से बंद किए रहता है

लेकिन मुझे अभी-अभी किसी ने बताया, लोग भ्रम में हैं

यह वह जादूगर नहीं है, अब यह आँख में हीरे वाला जादूगर है।
त्रिभुवन

5. जादूगर जादू दिखा रहा था

जादूगर जादू दिखा रहा था
रूमाल को तोता
तोते को खरगोश बना रहा था
लोग ताली बजा रहे थे
लोग पैसे लुटा रहे थे

तभी एक आदमी
चढ़ आया मंच पर
मारा तमाचा जादूगर को खींचकर
बोला —
साले, बेवकूफ बनाते हो !
हाथ की सफ़ाई दिखा
जनता को फुसलाते हो !
मेहनत मजूरी का पैसा
ठगकर ले जाते हो !

जाओ, भागो,
यहाँ से जाओ
सही जगह पसीना बहाओ
पहले उपजाओ, फिर खाओ

कथा सुनने वालो,
अब तुम बताओ
अनुमान लगाओ
आख़िर क्या हुआ होगा

क्या रोनी सूरत बना
जादूगर चल दिया होगा
या माँग ली होगी माफ़ी
खाई होगी कसम
फिर न किसी को ठगने की
नहीं, साहब, नहीं
ऐसा कुछ ना हुआ
आख़िर जादूगर ने फिर
एक जादू किया
उसने ग़ायब कर दिया आदमी को
वह आदमी अभी तक लापता है
और कारोबार जारी है
जादूगर का ।

6. Short Poem On Magician In Hindi Language

अजब खेल हैं जादूगर के!

लंबी पगड़ी तुर्रेदार
ढीली-ढाली सी सलवार,
आते ही उसने तो भाई
किस्से छेड़े इधर-उधर के!
लेकर दस पैसे का सिक्का
बाँध रूमाल में ऊपर फेंका,
छू-मंतर बोला तो सिक्का
पहुँचा सोनू की नेकर में!

एक टोकरी खाली-खाली
थी सबकी वह देखी-भाली,
जादूगर ने उसे घुमाया
निकल पड़े मुर्गी के बच्चे!

फिर उसने लेकर दस मटके
तोड़ दिए सारे वे झट से,
जब डंडे से उन्हें छुआ तो-
साबुत थे वे सारे मटके!
प्रकाश मनु

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