नानी पर कविता, Poem on Nani in Hindi

Poem on Nani in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन नानी पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. यह सभी Nani Poem in Hindi आपको अपने बच्चपन की यादे ताजा कर देगी. इन सभी कविताओं को अपने नानी जी को भेजकर आप उनके प्रति अपने भावनाओं को प्रकट कर सकते हैं.

हमलोग छुट्टियों में नाना – नानी के घर जाते थे. वहा पर बहुत ही मस्ती करते थे. कब छुट्टियाँ खत्म हो जाती थी. हमें पता ही नहीं चलता था. वह नानी के साथ मस्ती करना उनसे कहानियाँ सुनना वह लम्हें आज भी मन में बसे हैं. उन लम्हों को नहीं भूल सकते हैं.

हम सभी को अपने नानी से एक अलग ही तरह का अनोखा रिश्ता होता हैं. नानी हमलोगों को सबसे ज्यादा प्यार करती हैं. हमलोग जब अपनी किसी जिद्द को पूरा करना चाहते हैं. तो सबसे पहले नानी के पास ही जाते हैं. और हमारी जिद्द पूरी हो जाती हैं. शायद वह हमारे माता – पिता उसे पूरा नहीं कर पाते. इसलिए हमें भी नानी जी से सबसे ज्यादा लगाव होता हैं.

अब आइए Poem on Nani in Hindi को पढ़ते हैं. हमे उम्मीद हैं की यह सभी नानी पर कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.

नानी पर कविता, Poem on Nani in Hindi

Poem on Nani in Hindi

1. Poem on Nani in Hindi

नानी ओ नानी तू कितनी प्यारी,
सारे जग से तू है न्यारी।

नींद ना आती मुझको तो,
मीठी-मीठी तुम लोरी सुनाती है।

परियों की कहानी सुनाती,
लाड प्यार से मुझको नहलाती।

नये नये कपड़े पहनाती,
सैर सपाटे खूब कराती।

मीठे-मीठे पकवान खिलाती है,
नानी ओ नानी तू कितनी प्यारी।

– नरेंद्र वर्मा

2. नानी पर कविता – मेरी नानी कितनी भोली

मेरी नानी कितनी भोली,
हँसमुख चेहरा मीठी बोली।

हर दम पूछे सबका हाल,
करती हम सब की देखभाल।

खाने को देती मीठे-मीठे आम,
सब बच्चो को करती दुलार।

मेरी नानी सब से प्यारी,
आप जियो हजारों साल।

-अज्ञात

3. Nani Poem in Hindi – मेरी नानी सब से प्यारी

मेरी नानी सब से प्यारी,
कितनी अच्छी कितनी न्यारी।

क्या खूब है सुरत,
क्या खूब है शिरत।

मेरी जिंदगी को चमकाने वाली,
मेरी जीत को रास्ता दिखाने वाली।

क्या बोलू उनके बारे में,
शब्द कम पद जाते है।

बस यही कह सकती हूँ,
मेरी नानी सब से प्यारी।

जो माँ की जगह ले सके,
जो बाप का सहरा दे सके।

वह शख्स है मेरी नानी,
मेरी आन, बान, शान।

और यूँ कह लो मेरी जान है नानी,
कितनी अच्छी कितनी न्यारी,
मेरी नानी सब से प्यारी।

– फातिमा जाहरा

4. Hindi Poem On Nani – नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।

खाके-पीके मोटे हो के चोर बैठे रेल में,
चोरों वाला डब्बा कट के पहुँचा सीधा जेल में।

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।

उन चोरों की खूब ख़बर ली मोटे थानेदार ने,
मोरों को भी खूब नचाया जंगल के सरकार ने।

अच्छी नानी, प्यारी नानी, रूसा-रूसी छोड़ दे,
जल्दी से एक पैसा दे दे, तू कंजूसी छोड़ दे।

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गए,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गए।

-अज्ञात

5. Short Poem On Nani In Hindi Language

सुनो सुनो नानी की कहानी,
हर पल करती थी फ़िक्र

हर पल करती थी मेरा ही जिक्र,
ना थी कोई माथे पर शिकन।

वो माँ की भी माँ थी,
वो लाखो में एक नानी थी।

वो रोज नये गीत सुनाती थी,
वो हाथो में लेकर झुला झुलाती थी।

वो मीठे-मीठे लड्डू खिलाती थी,
वो रसदार खीर खिलाती थी।

वो डांट कर प्यार से समझाती थी,
वो मुश्किल में साथ निभाती थी।

वो छुट्टियों में अपने घर बुलाती थी,
वो मीठे-मीठे आम खिलाती थी।

– नरेंद्र वर्मा

6. मेरी नानी प्यारी नानी

मेरी नानी प्यारी नानी,
अच्छे अच्छे गीत सुनाती।

हमारे बीच मम्मी ना आती,
आयी तो फिर नानी की डांट है खाती।

प्यारा गाना अच्छा गाना,
नानी रोज सुनाती एक ही गाना।

सुनते सुनते बोर हुआ मै,
नानी का वो रोज का गाना।

परसो नानी ने खुद ही पूछा,
बोर हुआ क्या समीर बेटा।

मैने भी नानी को बोल दिया है,
नानी के गानों का पिटारा खोल दिया है।

नानी को रेडियो ला दिया है,
सबसे बढ़िया काम किया है।

नानी सुनती है अब बस गाना,
रेडियो देके अब मैने है जाना।

गाने को अब सुनती रहती है,
चैनल को चुनती रहती है।

ये देख मे भी चोंक जाता,
इस उम्र मे नया गाना नानी को लुभाता।

जोर जोर से नानी है गाती,
सबका दिल चुरा ले जाती।

मेरी नानी प्यारी नानी,
अच्छे अच्छे गीत सुनाती।

7. नानी के घर मै जब आया

नानी के घर मै जब आया,
नानी ने मुझको गले लगाया।

मुझको सोफे पे बिठाया,
मेरे लिए ठंडा पानी लाया।

गरम गरम पकवान बनाया,
मजे से मैने उसको खाया।

मैने फिर एक गाना गाया,
नानी को पसंद वो आया।

नानी ने घर की सैर कराई,
मुझको अपना प्यारा घर दिखाई।

घर मे एक बिल्ली थी भाई,
मेरे पास वो बिल्कुल ना आयी।

नानी ने घर के पीछे लाया,
मुझको छोटा सा बागीचा दिखाया।

मैने भी एक छोटा पेड़ लगाया,
उसको थोड़ा पानी डाला।

नानी को फिर खेलने लगाया,
पकड़ा पकड़ी का खेल खिलाया।

नानी को मैने खुप भगाया,
नानी को मैने खूब हंसाया।

उस दिन बहुत खुश थी मेरी नानी,
दिख रही थी बिल्कुल सुंदर रानी।

नानी ने मुझको बहुत कुछ सिखाया,
नानी के घर जब मै आया।

8. नानी नानी ओ मेरी नानी

नानी नानी ओ मेरी नानी,
प्यारी नानी अच्छी नानी।

नानी नानी ओ मेरी नानी,
गाँव से तुम क्या हो लायी।

शेव कचौडी मुझको है खानी,
फिर सुनूंगा तुम्हारी कहानी।

नानी नानी ओ मेरी नानी,
कुवे से मुझे लाना है पानी,

तुमको चाय पिलाना है नानी,
कितनी शक्कर डालु नानी।

नानी नानी ओ मेरी नानी,
खेत मे लेके चलो न नानी,

खेतों को देंगे हम भी पानी,
खिलायेंगे गैया को दाना पानी।

नानी नानी ओ मेरी नानी,
सुनाओ ना मुझको जंगल की कहानी।

कल नही सुनाई तुमने कहानी,
इसीलिए मुझे कल नींद ना आयी।

नानी नानी ओ मेरी नानी,
तुम हो मेरी सुपर नानी।

9. गांव में था प्यारी नानी का घर

गांव में था प्यारी नानी का घर,
गर्मी की छुट्टियां बिताते हम जिधर,

ना स्कूल जाने की फिकर,
ना था पढ़ाई का था कोई डर,

नानी की वो प्यारी गोद,
जहा सोता था मैं हर रोज़,

वो राजा रानी की कहानियां,
नानी बताती थी हर रोज़,

जो मांगो वो चीज़ झट से मिल जाता थी,
नानी हर रोज़ कुछ नया खिलाती थी,

आंचल में अपने लेकर धुप से बचाती थी,
मां की कमी वो ही पूरा कर देती थी,

सब मिलकर सब नानी के घर रहते थे,
हसी खुशी हम भाई बहन धूम मचाते थे,

बड़े सब मिलकर अपनी बातों में डूब जाते थे,
हम छोटे बच्चे गज़ब के खेल खेलते थे,

नानी के खेतों में थे संतरे के बगीचे,
बड़े छोट सब उसे चट कर जाते,

सारा दिन मौज करते हुऐ बीत जाता,
छुट्टियों का वक्त नानी के संग बीत जाता,

मस्ती का पिटारा था मेरे नानी का घर,
आज भी याद आता हैं प्यारी नानी का घर।

10. सीधी साधी मेरी नानी

सीधी साधी मेरी नानी,
ख़ूबसूरत हैं उसकी कहानी,

गांव से जब वो मेरे घर आए,
खट्टे मिठे फल वो लाए,

प्यार वो फल मुझे खिलाए,
साथ सेव कचोड़ी भी वो लाए,

सुबह सुबह वो मुझे उठाए,
रोज मुझे वो गरम पानी से नहलाए,

नए नए कपड़े पहनाए,
फिर बालों को कंगी करवाए,

हाथ पकड़ कर मंदिर वो ले जाए,
भगवान का प्रसाद दिलवाए,

रोज नानी गय्या का दूध पिलाए,
मुझे वो सेहत मंद बनाए,

नानी जब घर पर आए,
सारा घर खुशियों से भर जाए,

मेरे संग रोज गप्पे लड़ाए,
मुझको प्यारे गीत सुनाए,

भोली भाली मेरी नानी,
ख़ूबसूरत हैं उसकी कहानी।

11. नानी का संदूक निराला

नानी का संदूक निराला,
हुआ धुएँ से बेहद काला
पीछे से वह खुल जाता है,
आगे लटका रहता ताला!

चंदन चौकी देखी उसमें,
सूखी लौकी देखी उसमें,
बाली जौ की देखी उसमें,
खाली जगहों में है जाला,
नानी का संदूक निराला!

शीशी गंगा जल की उसमें,
ताम्रपत्र,. तुलसीदल॒ उसमें,
चींटा, झींगुर, खटमल उसमें,
जगन्नाथ का भात उबाला,
नानी का संदूक निराला!

मिलता उसमें कागज कोरा,
मिलता उसमें सुई व डोरा,
मिलता उसमें सीप-कटोरा,
मिलती उसमें कौड़ी माला,
नानी का संदूक निराला!

12. नानी मेरी न्यारी है

नानी मेरी न्यारी है
सब दुनिया से प्यारी है।

मुझको रोज़ पढ़ाती है
होमवर्क करवाती है।
समझ ना आए कोई पाठ तो
बिन मारे समझाती है।

मीठे जल की झारी है
नानी मेरी न्यारी है।

सोने से पहले यह मुझको
लोरी रोज़ सुनाती है
नींद न आए मुझे कभी तो
सिर मेरा सहलाती है।

फूलों की फुलवारी है
नानी मेरी न्यारी है।
मामा-मामी, बहन और भाई
सारे आज्ञाकारी हैं।

घर नानी का, घर जैसा है
रंग-रंगीली क्यारी है
घर की छत है नानाजी
तो नानी चारदीवारी है।

नानी मेरी न्यारी है
सब दुनिया से प्यारी है।।

13. गर्मी की छुट्टी नानी घर

गर्मी की छुट्टी नानी घर
सर्दी की छुट्टी दादी घर
दादी घर नानी घर मुझकों भूल नहीं पाया

गर्मी में नानी के घर में ऐसी होता था
सर्दी में दादी के घर गुड़ देसी होता था
चाट पकोड़े थे नानी घर
दिन भर दौड़े थे दादी घर
हर छुट्टी में दोनों का घर मन पर था छाया

नाना, मामा साथ रह रही, चली गई बंगलौर
मामी जी को उलझन होती सुन बच्चों का शोर
नहीं रहा नानी का घर
अब तो है वह मामी का घर
मामा कहते बिट्टू कब से तू नहीं आया

दादी खुद रहने आई हैं मेरे अपने घर
चुप रहती है दादी, जबसे दादा गये गुजर
याद करें वह रोज गाँव घर
सिमट गई कमरें में आकर
पापा पूछें रोज शाम को
अम्मा खाना खाया?

14. मेरीं नानी प्यारीं नानी

मेरीं नानी प्यारीं नानी,
अच्छें अच्छें गीत सुनाती।
हमारें बीच मम्मी ना आती,
आई तो फ़िर नानी की डाट हैं ख़ाती।
प्यारा गाना अच्छा गाना,
नानी रोज़ सुनाती एक़ ही गाना।
सुनतें सुनतें बोर हुआ मैं,
नानी का वो रोज़ का गाना।
परसों नानी ने ख़ुद ही पूछा,
बोंर हुआ क्या समीर बेटा।
मैनें भी नानी क़ो बोल दिया हैं,
नानी के गानो का पिटारा ख़ोल दिया हैं।
नानी को रेडियों ला दिया हैं,
सबसे बढिया क़ाम किया हैं।
नानी सुनती हैं अब ब़स गाना,
रेडियों देकें अब मैनें हैं जाना।
गानें को अब सुनती रहती हैं,
चैंनल को चुनती रहती हैं।
ये देख़ मे भी चौक ज़ाता,
इस उम्र में नया गाना नानीं को लूभाता।
ज़ोर ज़ोर से नानी हैं गाती,
सबक़ा दिल चूरा ले ज़ाती।
मेरीं नानी प्यारीं नानी,
अच्छें अच्छें गीत सुनाती।

15. गाव मे था प्यारी नानी क़ा घर

गाव मे था प्यारी नानी क़ा घर,
गर्मीं की छुट्टिया बितातें हम ज़िधर,
ना स्क़ूल ज़ाने की फ़्रिक,
ना था पढाई का था कोईं डर,
नानी क़ी वो प्यारी गोंद,
जहां सोता था मै हर रोज,
वों राजा रानी की क़हानिया,
नानी ब़ताती थी हर रोज,
जो मागों वो चीज झ़ट से मिल ज़ाता थी,
नानी हर रोज क़ुछ नया ख़िलाती थी,
आचल मे अपने लेक़र धूप से ब़चाती थी,
मां की क़मी वो ही पूरा क़र देती थीं,
सब मिलक़र सब नानी कें घर रहते थें,
हंसी ख़ुशी हम भाईं बहन धुम मचातें थे,
बडे सब मिलक़र अपनी बातो मे डूब ज़ाते थे,
हम छोटें बच्चें गजब के ख़ेल ख़ेलते थे,
नानी के ख़ेतों मे थे सन्तरे के बगींचे,
बडे छोटे सब उसे चट क़र ज़ाते,
सारा दिन मौज़ करते हुवे बींत जाता,
छुट्टियो का वक्त नानी के संग बींत ज़ाता,
मस्तीं का पिटारा था मेरें नानी क़ा घर,
आज़ भी याद आता है प्यारी नानीं का घर।

16. नानी तेंरी मोरनी क़ो मोर ले गये

नानी तेंरी मोरनी क़ो मोर ले गये,
बाक़ी जो बचा था कालें चोर ले गये।
नानी तेंरी मोरनी को मोर ले गये,
बाक़ी जो ब़चा था कालें चोर ले गये।
ख़ाके-पीकें मोटे हो के चोर बैठें रेल मे,
चोरो वाला डब्बा क़ट के पहुचां सीधा ज़ेल मे।
नानी तेंरी मोरनी क़ो मोर ले गये,
बाक़ी जो ब़चा था कालें चोर ले गये।
उन चोरो की ख़ूब खबर ली मोटें थानेंदार ने,
मोरो को भी ख़ूब नचाया जंगल के सरक़ार ने।
अच्छीं नानी, प्यारीं नानी, रूसा-रूसी छोड दे,
ज़ल्दी से एक़ पैंसा दे दे, तू कंज़ूसी छोड दे।
नानी तेरी मोरनी कों मोर ले गये,
बाक़ी जो ब़चा था कालें चोर ले गये।

17. उम्र वही पर रुक़ गई जैसे

उम्र वही पर रुक़ गई जैसे
हुई ख़ुदा की मेहरब़ानी
चेहरें पर रौंनक सी रहती
होठो पर मीठीं वाणी,
हर ग़ुण जिसमे क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

ज़ब भी ज़ाते है उनकें घर
वों प्यार बहुत ही ज़ताती है
बना-बनाक़र पक़वान वों स्वादिष्ट
भरपेंट हमे ख़िलाती है,
अन्त मे ज़ब वो ख़ीर बनाती
झ़ट मुह मे आता पानी
हर गुण ज़िसमे क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

संयम, हिंम्मत, विश्वास तुम रख़ना
यें बात वो हमे सिख़ाती है
अपनें शब्दो की दुनियां से
एक नया ससार दिख़ाती है,
बाते सुनक़र लगता उनक़ी
नही उनसे कोई हैं ज्ञानी
हर ग़ुण जिसमे क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

अब नीद नही आती रातो को
वों लोरी हमे सुनाती है
सुनक़र मीठीं आवाज़ उनक़ी
झ़ट नीद हमे आ ज़ाती हैं,
कभीं-कभीं तो चलते किस्सें
एक़ था राजा एक रानी
हर ग़ुण जिसमे क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

उठक़र सुबह वह पूज़ा क़रती
रामायण व गीता पढती
पास बैठक़र है सब सुनतें
ऐसें नानी सस्कार है गढती,
पर हसी मज़ाक मे क़र देती है
वो हरक़त कभीं बचकानी
हर गुण ज़िसमें क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

घर क़ी वो तो वैंद्य है ज़िनसे
डरती हैं हर बिमारी
हर मुश्कि़ल को हल क़रने की
रखडती है हरदम तैंयारी,
शक़ की कोई बात नही हैं
वो सचमुच मे है बहुत स्यानी
हर गुण ज़िसमे क़ूट भरा हैं
ऐसी है मेरी नानी
ऐसी है मेरी नानी।

18. कितना प्यारा नानी का घर

कितना प्यारा नानी का घर
हमको रहती मौज वहां पर

मम्मी वहां डांट ना पाती
हम सबकी चाँदी हो जाती

पैसे खूब वहां हम पाते
चाट पकोड़ी जी भर खाते

उड़ती रोज पतंग वहां है
ऐसी मस्ती और कहाँ है

नानी मेला भी दिखलाती
गरम जलेबी हमें खिलाती

गर्मी की छुट्टी जब आती
तभी वहां मम्मी ले जाती
“मोनिका अग्रवाल”

19. मम्मी, गरमी की छुट्टी में नानी के घर जाऊँगा

मम्मी, गरमी की छुट्टी में नानी के घर जाऊँगा
नानी की बगिया के जामुन और आम मैं खाऊंगा

रोज शाम को सब बच्चों को
नानी निकट बुलाती हैं
बिठा प्रेम से दाएं बाएँ
किस्से खूब सुनाती हैं

नानी से कहानियां सुनकर मैं अतुलित सुख पाऊंगा
मम्मी, गरमी की छुट्टी में नानी के घर जाऊँगा

नानी दुहते गाय भैंस वे
हमको दूध पिलाते हैं
कभी कभी बच्चे बनकर वे
हमको खेल खिलाते हैं

खेल खेलकर तरह तरह के अपना स्वास्थ्य बनाऊंगा
मम्मी, गरमी की छुट्टी में नानी के घर जाऊँगा

20. चाभी भरे खिलौनों जैसी

चाभी भरे खिलौनों जैसी
नानी मेरी राम कहानी,
कैसे पास तुम्हारे आऊ
सोचों, तुम्ही बताओ नानी

सुबह सुबह उठते ही जैसे
भागम भाग शुरू जो जाती
देखो बस आने वाली है
माँ रह रहकर याद दिलाती

कभी डांट कर डैडी कहते
मुन्ना! और न आनाकानी
सोचो, तुम्हीं बताओ नानी

कई बार तो मुझे बीच में
छोड़ नाश्ता जाना पड़ता
एक मिनट भी देर हुई तो
कन्डक्टर भी बहुत अकड़ता

कितनी है बेबसी हमारी
तुम अंदाज लगाओ नानी
घर से विद्यालय और विद्यालय
से घर तक आना जाना
फिर कोचिंग के लिए भागना
गौण हुआ पीना खाना

समय कहाँ जो भला कर सकूँ
कुछ थोड़ी अपनी मनमानी
सोचो, तुम्हीं बताओ नानी

इसकी उसकी किसी विषय की
देनी पड़ती रोज परीक्षा
मुझसे कोई नहीं पूछता
मुन्ना है तेरी क्या इच्छा?

मैं कोल्हू का वही बैल हूँ
जिसकी व्यथा तुम्हीं से जानी
सोचो तुम्ही बताओ नानी

सबसे आगे दिखूं पंक्ति में
मम्मी डैडी का सपना है
पढ़ लिख कर होंगे नवाब तुम
यही सुधीजन का कहना है

नानी क्या बस एक यही सच
एक यही जीवन के मानी?
सोचो तुम्हीं बताओ नानी

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