Poem on Stars in Hindi : दोस्तों इस पोस्ट में कुछ तारों पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. हमें उम्मीद हैं. की यह सभी कविता आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
तारों पर कविता, Poem on Stars in Hindi
1. तारों पर कविता
ढूंढों ढूंढों कहाँ गए?
सारे सारे कहाँ गए!
पूरी रात गगन पर थे,
सुबह सकारे कहाँ गए
चंदा मुंह लटकाए है
इसने कहीं छुपाए है
यह टेढ़ा वे भोले हैं
उफ़ बेचारे कहाँ गए
कूदे ना हों नदिया में
ढूंढों जंगल बगिया में
भटक न जाए राह कहीं
ढूंढों प्यारे कहाँ गए?
सपने में तो आए थे
हमने खेल रचाए थे
कमरे में तो कहीं नहीं
फिर यह सारे कहाँ गए
टंके मिले कुछ चुनर पर
कुछ लटके है झूमर पर
लेकिन पूरे नहीं हुए
बचे सितारे कहाँ गए
गोपाल माहेश्वरी
2. Poem on Stars in Hindi
आसमान में चंदा मामा
सांझ ढले आ जाते
नन्हें तारों का विद्यालय
नभ में रोज लगाते
जगमग आसमान में होती
सारी रात पढ़ाई
सब मिलजुलकर शिक्षा पाते
करते नहीं लड़ाई
सुनैना अवस्थी
3. Short Poem On Stars In Hindi Language
अजब-गजब के तारे हैं ये, तरह के न्यारे है ये|
न जाने कौन दुनिया के प्यारे हैं ये, न जाने कौन दुनिया के न्यारे हैं ये
न जाने रात में कहाँ से आते हैं, न जाने दिन में कहाँ चले जाते हैं,
इनसे लगती रात सुनहरी, इनके बिना लगे रात दुपहरी,
इनके बिना लगे सूना आसमान, ये छोटे- छोटे तारे लगते हैं कमाल,
हमको लगते प्यारे हैं ये, तरह-तरह के न्यारे हैं ये||
Princy Princess
4. Hindi Poem on Stars
रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया
-अनुष्का सूरी
5. तारे घबराते हैं
तारे घबराते हैं
शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं
सूरज से डरते हैं
इसीलिये दिन में छिप जाते हैं।
चांद से शरमाते है
पर आकाश में निकल आते हैं
तारे घबराते हैं
शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं।
लोग कहते हैं
अंतरिक्ष अनंत है
लेकिन मैंने देखा नहीं
मैं तो केवल इतना जानता हूं
सूरज बादल में छिप जाता है
चांद बादल में छिप जाता है
सो तारे जब डरते शरमाते होंगे
बादल में छिप जाते होंगे।
तारे घबराते हैं
शायद इसीलिये टिमटिमाते हैं।
6. जब सूरज ढल जाता है
माँ, जब सूरज ढल जाता है,
अँधियारा छा जाता है।
आसमान में जगमग-जगमग,
दीप कौन जलाता है?
रात बीतने पर सपनों की,
जो सूरज चमकाता है।
जो सोने-चाँदी की किरणें,
धरती पर फैलाता है।
वह जब सूरज ढल जाता है,
अँधियारा छा जाता है।
आसमान में जगमग, जगमग,
लाखों दीप जलाता है।
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