Poem On Unity In Hindi – यहाँ पर आपको कुछ बेहतरीन एकता पर कविता का संग्रह दिया गया हैं. एकता का अर्थ एक साथ होना होता हैं. यानी एक दुसरे के साथ मिलजुल कर रहना ही एकता कहलाता हैं. किसी भी परिस्थितियों में कोई भी परेशानी से एक साथ मिलाकर उस परेशानी का सामना करना ही एकता होती हैं. एकता में बल होता हैं. यह अक्सर कहा जाता हैं.
अब आइए Poem On Unity In Hindi को पढ़ते हैं. यह सभी Ekta Par Hindi Kavita हमें एक साथ मिलजुल कर रहने के लिए प्रेरित करते हैं. और एक साथ में रहने के महत्व को समझाते हैं. इन Poem on Ekta को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें.
एकता पर कविता, Poem On Unity In Hindi
1. Poem On Unity In Hindi – भिन्न-भिन्न फूलों को जब
भिन्न-भिन्न फूलों को जब साथ मै है पिरोया जाए
अद्भुत मनोरम माला बन जाए,यही विविधता मै एकता कहलाए।
भिन्न प्रांत है,भिन्न है बोली
भिन्न धर्म के लोग यहाँ।
नयन नक्श मैं भले है भिन्न
फिर भी एक ही माला(देश) कहलाएं
देवता है सबके भिन्न,लेकिन पूजा की श्रद्धा है एक।
भांगड़ा,गरबा,चाहे हो कथकली
नृत्य भले है भिन्न, फिर भी भारतीय संस्कृति है एक ।
वेशभूषा चाहे भिन्न है,धरोहर लेकिन सबकी है एक।
प्रान्त भले है भिन्न-भिन्न,
लेकिन सबकी सत्ता है एक।
धर्म है भिन्न,त्योहार तो है एक।
संविधान एक,कानून एक
राष्ट्र ध्वज व गीत है एक।
भारतीय सेना के वीर हो या हो खेल का कोई खिलाड़ी,
राष्ट्रीय स्तर पर सब है एक ।
फिर भी क्यों चक्रव्यूह मैं है फंसे हुए ।
इंसान इंसानियत की दृष्टि से दूर खड़े हुए।
हिन्दू,मुस्लिम या हो सिख ईसाई
क्यों नही कहते है ,है भाई-भाई।
गीता ,ग्रन्थ या हो कुरान, बाइबिल
सबमे केवल अमन ही सिखलाए।
माने हम अपने ग्रन्थ को
शांति अमन के पथ को अपनाए।
तभी सही मायनों मैं विविधता मैं एकता हमारा देश बन जाए।
क्योंकि
भिन्नताएं है यहाँ कई फिर भी देश
प्रेम है एक।
भारती विकास( प्रीति)
2. Hindi Poem on Ekta – नफ़रत की दीवार तोड़कर
नफ़रत की दीवार तोड़कर,
प्रेम की गंगा बहाएंगे,
सबके दिलो मे फिर से,
एकता का दीप जलाएंगे ।।
छुआ-छूत को मानकर,
आपस में न भिड़ं जाएंगे,
हँसी खुशी हम साथ-साथ,
मिलकर भेदभाव भुलाएंगे ।।
नारियो की इज्जत कर,
उनका अधिकार दिलवाएंगे,
सबके दिलो मे फिर से,
एकता का दीप जलाएंगे ।।
दो पैसो के लालच मे,
भ्रष्टाचार नही फैलाएंगे,
भूख-प्यासे रहकर भी,
एकता का दीप जलाएंगे ।।
Rahul Dravesh
3. एकता पर कविता – जनता निद्रा से जागो
जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
नेताओं को लड़ने दो, तुम मत दंगे फैलाओ
मेरे देश के युवा सुनो, धर्मो को पीछे छोड़ो
मानवता की बात करो, सब मिलकर कदम बढ़ाओ
जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
मेरी माताओं और बहनो, तुम भी अपना फ़र्ज़ निभाओ
अपने-अपने बच्चों को तुम, इंसानियत का सबक सिखाओ
जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
वोटों को मत अपने बेचो, लोकतंत्र की मर्यादा जानो
नेता के चंगुल में न आओ, उसको अपनी ताकत बतलाओ
जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
आपस में तुम लड़ो नहीं, दुश्मनो से तुम डरो नहीं
भारत माँ को ज़रूरत हो, तो तुम सीमा पर आ जाओ
जनता निद्रा से जागो, देश हित में आगे आओ
NAWAZ ANWER KHAN
4. Ekta Par Kavita in Hindi – एक घने जंगल के अन्दर
एक घने जंगल के अन्दर
था जामुन का पेड़ पुराना,
गौरैया के इक जोड़े ने
बना उसी पर लिया ठिकाना। 1।
एक घोंसला बना लिया था
उन दोनों ने उसी पेड़ पर,
अब वे कल के सुन्दर सपने
देखा करते वहीं बैठकर। 2।
दो अंडे फिर गौरैया ने
दिए नीड़ में उचित समय पर,
इससे उनकी जीवन – बगिया
गई खुशी की खुशबू से भर। 3।
मादा गौरैया तो जैसे
भूल गई चुगना ही दाना,
अंडे सेने में अब उसको
अच्छा लगता समय बिताना। 4।
नर गौरैया भी अब घर से
बाहर कम ही आता-जाता,
रहे देखता बस अंडों को
मन के उसको यही सुहाता। 5।
अंडों से बच्चे निकलेंगे
यही सोचकर वे खुश होते,
एक एक दिन बिता रहे थे
आँखों में वे सपने बोते। 6।
एक बार गर्मी से व्याकुल
हाथी एक वहाँ पर आया,
चूर नशे में हो ताकत के
उसने वह था पेड़ हिलाया। 7।
“गिर जाएँगे अंडे मेरे
करो न ऐसा हाथी भैया”,
आँखों में तब आँसू भरकर
बोली थी मादा गौरैया। 8।
हाथी बोला – “तेरे अंडे
जिएँ मरें मुझको क्या करना,
हट भी जा मेरे आगे से
मारी तू जाएगी वरना।” 9।
उठा सूंड को तब हाथी ने
खींच घोंसला उनका तोड़ा,
फूट गए अंडे नीचे गिर
गौरैया का रोता जोड़ा। 10।
सुनकर रोना उन दोनों का
उनका साथी हुदहुद आया,
बात कही बदला लेने की
और उन्हें था धैर्य बँधाया। 11।
बोला – इस पापी हाथी को
अब तो मिलकर मजा चखाना,
मित्र हमारी है मधुमक्खी
पास उसी के मुझको जाना। 12।
मधुमक्खी ने बात सुनी तो
बोली – मेंढक दोस्त हमारा,
अगर साथ में उसको लें तो
हमें मिलेगा बड़ा सहारा। 13।
उस मेंढक के पास पहुँचकर
जब हाथी की बात बताई,
मेंढक ने तब सोच समझकर
एक युक्ति थी उन्हें सुझाई। 14।
खुश होकर वे तीनों साथी
निकट पेड़ के जब हैं आते,
अंडों पर आँसू ढलकाते
गौरैया को अब भी पाते। 15।
हुदहुद बोला – करो न चिन्ता
गया काम से समझो हाथी,
जरा देखती जाओ अब तुम
क्या करते हम तीनों साथी। 16।
दिवस दूसरे जब वह हाथी
भीषण गर्मी से घबराया,
छाँव ढूँढता धीरे-धीरे
उसी पेड़ के नीचे आया। 17।
मधुमक्खी तब उतर पेड़ से
हाथी के कानों तक आई,
गुनगुन करके मधुर सुरों में
धुन उसने थी एक सुनाई। 18।
हाथी तो वह मंत्रमुग्ध हो
सरगम की दुनिया में खोया,
आँखें मूँदी थी मस्ती में
गहन नींद में जैसे सोया। 19।
फिर क्या था झट से वह हुदहुद
उड़ आया फैलाकर पाँखें,
चोंच मारकर जल्दी जल्दी
फोड़ी उस हाथी की आँखें। 20।
चीख उठा पीड़ा से हाथी
कुछ भी उसको नहीं सूझता,
और प्यास के कारण उसका
बुरी तरह से गला सूखता। 21।
सोचा – पानी मिल जाता तो
गर्मी से राहत मिल जाती,
तभी सुनाई पड़ी उसे थी
मेंढक की आवाजें आती। 22।
उसे लगा तालाब पास है
तभी वहाँ मेंढक टर्राता,
पानी की आशा में हाथी
उसी दिशा में भागा जाता। 23।
किन्तु नहीं तालाब वहाँ था
वह तो था बस गड्ढा गहरा,
वहीं बैठ धोखा देने को
बोल रहा मेंढक स्वर लहरा। 24।
तेज चाल से चल जब हाथी
पास बहुत गड्ढे के आया,
पैर बढ़ाकर गिरा उसी में
और कभी फिर निकल न पाया। 25।
अपने बल के आगे जो था
दुःख औरों का नहीं आँकता,
वह हाथी मर गया तड़पकर
दया मदद की भीख माँगता। 26।
अपने को समझा करता था
वह हाथी सबसे ताकतवर,
लेकिन छोटे जीवों ने ही
मार दिया था उसको मिलकर। 27।
बच्चो ! अपने इस जीवन में
जैसी अपनी होती करनी,
आगे जाकर हमको इसकी
करनी पड़ती वैसी भरनी। 28।
नहीं सताएँ हम औरों को
रखें सभी से ही अपनापन,
हमको अपने जीवन जैसा
प्यारा लगे और का जीवन। 29।
करें सामना अन्यायों का
भले बड़ा हो अत्याचारी,
मिलजुल कर हम साथ रहें तो
होगी निश्चित जीत हमारी।
5. Ekta Par Hindi Kavita – अनेकता में एकता
अनेकता में एकता की मिसाल है बनना हमें
साथ में लेकर सभी का हाथ चलना है हमें
चाहते हो प्रगति हो देश की इस जगत में
तो सभी को लेकर अपने साथ चलना है हमें
आओ बन जाओ मिसाल फहराओ विश्व में ध्वजा
एक सूत्र में पिरोकर सभी को चलना हैं हमें
जाओगे जब इस जहां से याद रखेंगे सभी
कीर्ति अपनी अमिट इस विश्व में रखना हमें
बोल मिश्री में घुले हों साज और सुर भी मिले हों
फूल से ये दिल खिले हों जतन यह करना हमें
अखंडता बनी रहे यह, तभी ध्वजा तनी रहे यह
खंडित न होवे एकता कार्य यही करना हमें।
दीपा संजय”(दीप)
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