Poem on Yoga in Hindi – इस पोस्ट में योग पर कुछ कविताएँ दी गई हैं. प्रत्येक वर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस भारत समेत पुरे विश्व में मनाया जाता हैं. योग का हमारे जीवन में बहुत ही महत्व हैं. यह हमें जीवन को सही संतुलन से जीना सिखाता हैं. हमें योग को अपने दैनिक जीवन में जरुर शामिल करना चाहिए.
योग शरीर, मन और भवनाओं के तालमेल को संतुलित करता हैं. यह हमारे जीवन से जुड़े मानसिक, भौतिक, आत्मिक, भवनात्मक और आध्यात्मिकता इन सभी पहलूओं पर काम करता हैं. योग का नियमित अभ्यास करने से हमारा शरीर स्वास्थ्य रहता हैं. और यह कई बीमारीयों से हमें बचाता हैं.
अब आइए Poem on Yoga in Hindi को पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी Yoga Par Kavita आपको पसंद आएगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करें.
योग पर कुछ कविताएँ, Poem on Yoga in Hindi
1. Poem on Yoga in Hindi – योग करें हम योग करें
योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।
तन-मन स्वस्थ बनाता है
आलस दूर भगाता है,
सदा सुखी वह रहता है
जो इसको अपनाता है।
कहे संजीवनी बूटी
जीवन को दे नए प्राण,
ऐसा आशीर्वाद मिला
होता सभी का कल्याण।
उद्देश्य यही इसका है
सृजन स्वस्थ समाज का हो,
भविष्य बनेगा बेहतर
ध्यान यदि बस आज का हो।
संदेश यही फैलाओ
इसको सारे लोग करें,
वरदान मिला जो हमको
हम उसका उपयोग करें।
योग करें हम योग करें
दूर सभी हम रोग करें।
2. योग पर कविताएँ – नित्य जो करता मानव योग
नित्य जो करता मानव योग
रहे जीवन में सदा निरोग।
चुस्ती फुर्ती वह दिखलाए
आलास उसके पास न आए,
तन मन रहता सदा ही स्वस्थ
लगे कभी न कोई रोग।
नित्य जो करता मानव योग।
पूरे मन से करे जो ध्यान
पाता है वही सच्चा ज्ञान
जीवन सुखमय बन जाता है
ईश्वर संग होता संयोग।
नित्य जो करता मानव योग।
कर सकते सब बूढ़े-बच्चे
आसन होते सारे अच्छे
अपना लेता है जो इनको
उत्तम जीवन लेता भोग।
नित्य जो करता मानव योग।
3. Yoga Par Kavita – अपनाएं योग, भगाओ रोग
अपनाएं योग, भगाओ रोग
सदा रहोगे तुम निरोग
बढ़ाएं हमेशा मनोयोग
योग हमारी पुरानी पद्धति
सदियों पुराना इस का इतिहास
ऋषियों मुनियों ने इसे अपनाया
पूरे जगत में इसे फैलाया
स्वस्थ और दीर्घ जीवन पाया
व्याधियों से छुटकारा पाया
योग हमारी जीवन साधना
आओ करें हम इस की आराधना
संयुक्त राष्ट्र ने इसे अपनाया
दुनिया को जीने का मार्ग दिखाया
योग का महत्व समझाया
फिट रहने का मंत्र सिखलाया
ना कोई पैसा ना कोई दाम
योग के बिना है जीना हराम
आओ हम सब इसे अपनाएं
तन्दरूस्ती और स्वास्थय पाएं
युवा वर्ग को नशे की लत से बचाएं।।
अशोक शर्मा वशिष्ठ
4. Short Poem on Yoga in Hindi – योगा को अपनाएं
योगा को अपनाएं
अपना जीवन सफल बनाएं
स्वस्थ निरोगी काया
जीवन कितना निखर आया.
मानव को समझाना है
आलस को दूर भगाना है
योग स्वास्थ्य की संजीवनी है
अपने तन मन को जगाना है..
योग करे प्राणतत्व का संचार
भविष्य होगा गुलजार
नित्य जो करे योग का पालन
देश में करें योग का प्रचार
ध्यान में हो एकाकार
ज्ञान का होता संचार
इन्द्रियों को रखे केन्द्रित
होता ईश्वर से साक्षात्कार .
डॉ.भावना शुक्ल
5. Yoga Poems in Hindi – आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें,
गांव-गांव और शहर-शहर में, इसकी अलख जगायें
योग का मतलब है जोड़ना,
मोह को मन से तोड़ना,
मानव को प्रकृति से जोड़ना,
चित्त की वृत्तियों को सिकोड़ना।
बस इतनी सी बात, लोगों को समझायें
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।
इसमें न कोई खर्चा, न कोई और दिखावा है,
स्वस्थ रहें हम कैसे, बस इसका ही बढ़ावा है।
लेकर चटाई हम सब, धरती पर बैठ जायें,
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।
चाहे खड़े हों, चाहे बैठे हों, या चाहे हों लेटे,
योग एक स॔तुलन है, विविध विधा लपेटे।
गहरी लम्बी सांस खींचकर, इसे शुरू करायें,
आओ हम सब मिलकर, योग दिवस मनायें।
पद्मासन हो वज्रासन हो, या हो चकरा आसन,
ध्यानमग्न हो बैठ जायें, बिना करे प्राशन।
सबसे पहले उठकर, इसको ही अपनायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।
योग बहुत है फायदेमंद, जैसे शाक मूल और कंद,
मिट जाये सारे मन के द्वंद्व, बिना क्लेश और बिना क्रंद।
दैनिक जीवनचर्या का, हिस्सा इसे बनायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।
आयुर्वेद और योग का, झंडा हम फहरायें,
भारतदेश और विश्व को, रोगमुक्त बनायें।
इसी प्रतिज्ञा को लेकर, हम आगे बढ़ते जायें,
आओ हम सब मिलकर योग दिवस मनायें।
डॉ. मनजीत कौर
6. Poem on Yoga in Hindi – आओ योग करें। आओ योग करें
भाई अपने तन से मन से, दूर कुरोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
स्वास्थ्य हमारा अच्छा है तो, सारा कुछ है अच्छा।
रोग ग्रसित अब नहीं एक भी, हो भारत का बच्चा।।
सूर्योदय से पहले उठकर, निपटे नित्य क्रिया।
सदा निरोगी काया जिसकी, जीवन वही जिया।।
उदाहरण कोई बन जाए, वह उद्योग करें।।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
सांसों का भरना-निकालना, प्राणायाम हुआ।
अपने दिल-दिमाग का भाई, यह व्यायाम हुआ।।
किया भ्रामरी और भस्त्रिका, शुचि अनुलोम-विलोम।
सुन्दर है कपाल की भाती, पुलक उठे हर रोम।।
सांस-सांस द्वारा ईश्वर से, हम संयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
सभी शक्तियों का यह तन है, सुन्दर एक खजाना।
यौगिक क्रिया-कलापों द्वारा, सक्रिय इन्हें बनाना।।
फल-मेवा-पकवान दूध-घी, सब कुछ मिला प्रकृति से।
हमने निज खाना-पीना ही, किया विकृत दुर्मति से।।
ज्ञान और अपने विवेक से, हम सब भोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
पानी और हवा दूषित हो, कुछ न करें ऐसा हम।
चले संभलकर थोड़ा तो यह, दुनिया बड़ी मनोरम।।
सुख से जिएं और सुख से ही, हम जीने दें सबको।
वेद-पुराण-शास्त्र सारे ही, यह बतलाते हमको।।
ईश प्रदत्त शक्ति-साधन का, हम उपयोग करें।
आओ योग करें। आओ योग करें।।
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