Tajmahal Shayari : दोस्तों आज इस पोस्ट में कुछ बेहतरीन और लोकप्रिय ताजमहल शायरी का संग्रह दिया गया हैं. ताजमहल जिसे प्रेम का प्रतीक माना जाता हैं. इसे शाहजहां ने अपनी प्रिय रानी मुमताज की याद में बनवाया था. इसको देखने देश विदेश से हर रोज बहुत पर्यटक आते हैं.
अब आइये यहाँ पर कुछ नीचे Taj Mahal Shayari 2 Line in Hindi में दिए गए हैं. इसे पढ़ते हैं. हमें उम्मीद हैं की यह सभी ताजमहल शायरी आपको पसंद आयगी. इसे अपने दोस्तों के साथ भ शेयर करें.
ताजमहल शायरी, Tajmahal Shayari in Hindi
(1) बेवफाई को वफ़ा बना दे ऐसा बाजीगर चाहिए,
दिलों को ताजमहल बना दे ऐसा कारीगर चाहिए।
(2) तुम से मिलती-जुलती मैं आवाज़ कहाँ से लाऊँगा
ताज-महल बन जाए अगर मुम्ताज़ कहाँ से लाऊँगा
साग़र आज़मी
(3) मोहब्बत हर पल बढ़ रही
तुमसे “चक्रवृद्धि ब्याज” की तरह,
तू संगमरमरी सी मुमताज बैठी है
पहलू में मेरे आगरा के “ताज” की तरह.
(4) अगर तुम न होते तो गजल कौन कहता,
तुम्हारे चहेरे को कमल कौन कहता,
यह तो करिश्मा है मोहब्बत का
वरना पत्थर को ताजमहल कौन कहता।
(5) माना मैंने कि ताजमहल
उनके प्यार की निशानी हैं,
पर हकीकत में दोस्तों
ये हजारों मजदूरों की कुर्बानी हैं.
(6) प्यार तो हमे भी करना था,
पर कुछ ख़ास नहीं हुआ,
ताजमहल तो हमे भी बनाना था,
पर अफ़सोस कि लोन पास नहीं हुआ.
(7) इक शहंशाह ने बनवा के हसीं ताज-महल
सारी दुनिया को मोहब्बत की निशानी दी है
शकील बदायुनी
(8) हजारों झोपड़ियां जलकर राख होती है,
तब जाकर एक महल बनता हैं,
आशिकों के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता
और हसीनाओं के मरने पर ‘ताजमहल‘ बनता हैं.
(9) हर एक हर्फ़ का अंदाज बदल रखा है,
आज में मैंने तेरा नाम गजल रखा है,
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रखा है.
(10) सफर लम्हा है दोस्त बनाते रहिये,
दिल मिले ना मिले हाथ बढ़ाते रहिये,
ताजमहल ना बनाईये महंगा पड़ेगा
मगर हर तरफ मुमताज बनाते रहिये।
(11) मरने के बाद भी डरा सकती है,
औरत चाहे तो कुछ भी करा सकती है,
आगरा का ताजमहल गवाह है कि
मरने के बाद भी एक औरत
आदमी की जेब खाली करा सकती है.
(12) ना जाने कितना टैक्स वसूला होगा,
एक ताजमहल बनवाने के लिए,
गरीबों का शोषण करना जरूरी था
मूर्ख शहंशाह को प्यार जताने के लिए.
(13) मोहब्बत करने वालों को दीवाना कह दिया,
प्यार में जलने वालों को परवाना कह दिया,
दफ़ना दिया मोहब्बत को पत्थरों के नीचे
लोगों ने उसे मुमताज का आशियाना कह दिया।
(14) जब प्यार किसी से होता हैं,
हर दर्द दवा बना जाता है,
क्या चीज मोहब्बत होती हैं,
एक शख़्स खुदा बन जाता हैं.
(15) बेवफा को वफ़ा सिखा दूँ,
मैं वो बाजीगर हूँ,
दिलों को ही ताजमहल बना दूँ
मैं वो जादूगर हूँ.
(16) ताजमहल को देखकर
बोला शाहजहां का पोता,
आज हमारा भी बैंक बैलेंस होता
अगर बुड्ढा आशिक न होता।
(17) ताजमहल को दस बार देखा,
और जी ऊब गया,
तुझे हजारो बार देखा फिर भी
हर बार दिल में यही ख्वाहिश रही
काश एक बार फिर नजर भर देख लूँ.
(18) निगाहें कुछ इस कदर मसरूफ रहीं,
तेरे दीदार में ऐ बेखबर,
जिंदगी काट ली आगरे में पूरी
पर ताजमहल का दीदार अधूरा छोड़ आये.
(19) ताजमहल की बुनियाद में इश्क हैं,
इसलिए इसके चर्चे पूरी दुनिया में हैं.
(20) कितने हाथों ने तराशे ये हसीं ताज-महल
झाँकते हैं दर-ओ-दीवार से क्या क्या चेहरे
जमील मलिक
(21) वो मोहब्बत नहीं इबादत रही होगी,
जो शाहजहां ने मुमताज से की होगी।
(22) इक शहंशाह ने दौलत का सहारा ले कर
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
साहिर लुधियानवी
(23) ताश के पत्तों से ताजमहल नहीं बनता,
नदी को रोकने से समुन्दर नहीं बनता,
लड़ते रहें जिंदगी से हरपल क्योंकि
एक जीत से कोई सिकंदर नहीं बनता।
(24) इश्क ने इंसान को क्या बना दिया,
किसी को कवि तो किसी को कातिल बन दिया,
दो फूलों का बोझ न उठा सकती थी मुमताज
और शाहजहाँ ने उसपर ताजमहल बना दिया।
(25) सिर्फ इशारों में होती मोहब्बत
तो इन अल्फाजों को खूबसूरती कौन देता,
बस इक पत्थर बनकर रह जाता ताजमहल
अगर इश्क़ इसे अपनी पहचान न देता।
(26) हर आशिक इश्क़ में ताजमहल बना रहा है,
पर शादी के बाद रहने के लिए घर बनाने में हालत खराब है.
(27) जब बात ताजमहल बनवाने की आएगी,
तो सच्चा प्यार भी कच्चा हो जायेगा।
(28) ताजमहल बनवाने की नहीं, घुमाने की करो बात
इश्क़ उतना ही करो जितनी है तुम्हारी औकात।
(29) मैं ख़ामोशी भरी शाम कोई
वो सुबह की चहल पहल है,
मैं तन्हा यमुना सी
वो लोगो से भरा ताजमहल है.
(30) मोहब्बत की दोनों निशानियाँ आगरा में है,
अगर इश्क़ पूरा हुआ तो ताजमहल देख लो,
अगर इश्क़ अधूरा हुआ तो पागलखाना देख लो.
(31) रिश्तों को वक़्त चाहिए,
तोहफा नहीं,
ताजमहल दुनिया दे देखा है,
मुमताज ने नहीं।
(32) हर कोई करता है मोहब्बत
हर कोई खता है कसम,
अगर सभी निभाते तो
आज हजारों होते ताज महल.
(33) जबसे पांच सौ रूपये में
ताजमहल बिकलने लगा है,
तब से आशिकी का नया-नया
रंग दिखने लगा है.
(34) अगर ताजमहल एक सच्चे
प्यार की निशानी है,
तो दूसरी तरफउसे बनाने वाले
मजदूरों की भी उसके पीछे छुपी
एक दर्द भरी कहानी है.
(35) इश्क़ वक्त, जाति-धर्म जैसी चीजों का मोहताज नहीं,
वरना बनता मुमताज की मौत पर ताज नहीं।
(36) इश्क के गलियारों में
दर्द की आवाजाही है,
दर्द छुपे ना जाने कितने
पर खूबसूरती की नुमाइश है.
(37) क्यों वो करती खुद पर इतना नाज़ हैं,
क्या वो इस धरती की दूसरा ताज है.
(38) किसकी खूबसूरती का दीदार करें हम,
आज वो और ताजमहल दोनों आमने सामने हैं.
(39) इश्क़ में लिखे मेरे अल्फ़ाज़ अगर इमारत होते,
तो यक़ीन मानिये ये किसी ताजमहल से कम न होते।
(40) इश्क़ में कोई अमीर-गरीब नहीं होता हैं,
ये अलग बात है हर इश्क़
ताजमलह जितना मशहूर नहीं होता हैं.
(41) हर दिल में एक मुमताज होती है,
हर दिल एक ताजमहल होता हैं.
(42) लोगो ने ताज महल का ताज देखा हैं,
मैंने उसमें इक दफ़न मुमताज़ देखा हैं.
(43) किस्से भी अजीब है जिंदगी के
वहां मोहब्बत आज भी जिन्दा है,
अब जिस्म संगमरमर में दफन हैं
और यहां हम तो जिन्दा हैं,
पर मोहब्बत सीने में दफन हैं.
(44) ताजमहल तो देख लिए,
मुमताज महल को देखा है?
आओ चलो दिखाता हूँ
मेरे गाँव में अब भी रहती हैं.
(45) आप से हम दिल लगा बैठे हैं,
इश्क़ की गलियों में दिल लुटा बैठे हैं,
आपको इश्क़ हमसे है या नहीं जरूर बताना
क्योंकि अपने दिल में तुम्हारे लिए ताजमहल बना बैठे हैं.
(46) वक्त देना अपने रिश्तों को दोस्तों,
याद रखना ताजमहल जमाने ने देखा हैं
मुमताज ने नहीं।
(47) जब इश्क का जादू चलता है
सेहरा में फूल खिल जाता है
जब कोई दिवाना मचलता है
तब ताजमहल बन जाता है.
(48) सिर्फ इशारों में होती महोब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता?
बस पत्थर बन के रह जाता “ताज महल”
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता..
(49) किसकी खूबसूरती का दीदार करें हम,
आज वो और ताजमहल दोनों आमने सामने हैं.
(50) जिन्दा है शाहजहाँ की चाहत अब तक,
जवान है मुमताज की उल्फत अब तक,
जाकर देखो ताजमहल को यारो
पत्थर से भी टपकती है मोहब्बत अब तक.
(51) हजारों झोपडियां जलकर राख होती हैं,
तब जाकर एक महल बनता हैं,
आशिको के मरने पर कफ़न भी नहीं मिलता,
हसीनाओं के मरने पर ‘ताज महल’ बनता हैं.
(52) मोहब्बत को नसीब अगर तेरा साथ हो जाए
मेरा छोटा सा आशियाना भी ताजमहल हो जाए।
(53) दिखाने के लिए तो हम भी बना सकते है ताजमहल,
मगर मुमताज़ को मरने दे हम वो शाहजहाँ नहीं।
(54) अगर यादें दफ़न हो जाया करती तो,
ताजमहल इतना नायाब ना होता।
(55) अकेला पन क्या होता है,
कोई ताजमहल से पूछे,
देखने के लिए पूरी दुनिया आती है,
लेकिन रहता कोई नही।
(56) कोई तो बात है मोहब्बत मे वरना एक
लाश के लिए कोई ताजमहल तो नही बनाता॥
(57) तू रहकर इस दिल में इस
दिल को ही तोड़ गया इस तरह,
कि हमने हर टुकड़े को नकाश कर तेरी
यादों का ताजमहल बना लिया।
(58) ना हम राजमहल चाहते थे,
ना कोई ताजमहल चाहते है,
हम तो बस आपसे थोड़ा प्यार और थोडी इज्जत चाहते है।
(59) इस ईश्क कि निशानी ने दुनिया को दिवाना बनाया हैं,
कैसी होगी वो मोहब्बत ये अफसाना बताया हैं।
(60) दौलत से महज़ महल बना करते है,
पाक़ रिश्तों से ताजमहल बना करते है।
(61) बेचैन हो ‘तुम भी और बेचैन हूँ ‘मैं’ भी,
तुम ताज़ के लिए,मैं मुमताज़ के लिए।
(62) सीख रही हूं लफ्ज़ो की कारीगरी,
मुझे भी तो उसकी याद में,
लफ्ज़ो का ताजमहल बनाना हैं।
(63) ताजमहल को देख कर बोला शाहजहाँ का पोता.
आज हमारा भी बैंक बैलेंस होता, अगर दादा आशिक ना होता!
(64) ताजमहल तो वो ईमारत है,
जब जब कोई इसे देखे तो
तो महबूब याद आ जाता है।
(65) चाहत थी मेरी हंसी ताजमहल की तरह,
तेरी यादो ने हमको ही खण्डहर बना दिया।
(66) जब ख़्वाबों के ताज को जलाया दर्द के महल में,
तब रौशनी बिखरी है जाकर ताजमहल पर।
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